ANANT BAHADUR SINGH filed a consumer case on 22 Sep 2021 against LIC in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/84/2016 and the judgment uploaded on 30 Sep 2021.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 84 सन् 2016
प्रस्तुति दिनांक 05.05.2016
निर्णय दिनांक 22.09.2021
अनन्त बहादुर सिंह पुत्र देवी प्रसाद सिंह ग्राम इमली महुआ पोस्ट- रामापुर, तहसील- फूलपुर, जनपद- आजमगढ़।
.........................................................................................परिवादी।
बनाम
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”
परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि वह विपक्षी संख्या 01 से एल.आई.सी. की हेल्थप्रोटेक्शन प्लस योजना (तालिका 209) के अन्तर्गत दिनांक 18.08.2010 को बीमा कराया, जिसका पॉलिसी नं. 295963329 है, जिसमें परिवादी को 7500/- रुपए की किश्त अर्धवार्षिक देनी तय थी। शर्तों के अनुसार परिवादी किश्तों का भुगतान करता रहा और कुल 11 किस्त मुo 82,500/- रुपए विपक्षी संख्या 01 के यहां जमा किया। परिवादी को खेत खरीदना था। परिवादी ने विपक्षीगण के यहाँ एक प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया कि परिवादी को रुपयों की आवश्यकता है। उसके पॉलिसी को सरेण्डर करके सरेण्डर वैल्यू का भुगतान कर दिया जाए। लेकिन विपक्षीगण ने भुगतान नहीं किया। पुनः वह दिनांक 18.03.2016 को विपक्षीगण के यहाँ गया लेकिन उसकी सुनवाई नहीं हुई। अतः परिवादी को विपक्षीगण से 82,500/- रुपया सरेण्डर वैल्यू दिलाया जाए तथा मानसिक व शारीरिक कष्ट के लिए 1,00,000/- रुपया दिलाया जाए।
परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
परिवादी द्वारा कोई भी प्रलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है।
कागज संख्या 10क विपक्षीगण द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उन्होंने परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया है। अतिरिक्त कथन में उन्होंने यह कहा है कि परिवादी को परिवाद करने का कोई कारण वाद उत्पन्न नहीं हुआ। उसने महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाया है। परिवादी के प्रस्ताव पर विपक्षी संख्या 01 द्वारा परिवादी के नाम से भारतीय जीवन बीमा निगम की हेल्थ प्रोटेक्शन प्लस (प्लान 902) पॉलिसी संख्या 295963329 निर्गत की गयी जिसकी जोखिम प्रारम्भ की तिथि 18.08.2010 देय अर्धवार्षिक प्रीमियम रुपए 7500/- मात्र अन्तिम प्रीमियम अदायगी माह फरवरी, 2046, बीमा कवरेज की मियाद 99 वर्ष तदनुसार परिपक्वता माह अगस्त 2109 है। भारतीय जीवन बीमा निगम के परिपत्रों एवं परिवादी को प्रदान किए गए पॉलिसी बाण्ड पर उल्लेखित नियम व शर्तों के अनुसार भारतीय जीवन बीमा निगम की हेल्थ प्रोटेक्शन प्लस (प्लान 902) पॉलिसी के विरुद्ध न तो ऋण प्रदान किया जा सकता है, न ही इस पॉलिसी का समनुदेशन हो सकता है और न ही इस पॉलिसी को सरेण्डर ही किया जा सकता है। भारतीय जीवन बीमा निगम की हेल्थ प्रोटेक्शन प्लस (प्लान 902) पॉलिसी प्रदान करने के पूर्व विपक्षी संख्या 01 द्वारा परिवादी को इसके सभी नियमों व शर्तों की पूरी जानकारी प्रदान कर दी गयी थी एवं समस्त नियम व शर्तों को जान व समझकर ही परिवादी ने भारतीय जीवन बीमा निगम की हेल्थ प्रोटेक्शन प्लस (प्लान 902) पॉलिसी प्राप्त करने हेतु प्रस्ताव प्रस्तुत किया था, जिसके आधार पर परिवादी को पॉलिसी प्रदान की गयी। भारतीय जीवन बीमा निगम की हेल्थ प्रोटेक्शन प्लस पॉलिसी एक यूनिट लिंक्ड पॉलिसी है जिसमें केवल हॉस्पिटल कैश बेनीफिट्स व मेजर सर्जिकल बेनीफिट्स स्वास्थ्य सम्बन्धी जोखिम ही आच्छादित होते हैं। परिवादी ने माह अगस्त 2010 से लगायत माह फरवारी 2015 तक कुल 10 अर्धवार्षिक किश्तों का ही भुगतान किया उसके उपरान्त परिवादी ने कोई प्रीमियम जमा नहीं किया। परिवादी ने दिनांक 18.03.2016 को उपरोक्त पॉलिसी को सरेण्डर करने का अनुरोध किया जिसका विपक्षीगण को पत्र दिनांक 26.04.2016 के जरिए उत्तर देते हुए उसे समस्त वस्तुस्थिति से अवगत करा दिया गया। माह अक्तूबर 2015 में उपरोक्त पॉलिसी को सरेण्डर करने हेतु कोई आवेदन पत्र नहीं दिया था। परिवाद गलत आधार पर प्रस्तुत किया गया है। अतः खारिज किया जाए।
विपक्षीगण द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में विपक्षीगण द्वारा कागज संख्या 16/1 पॉलिटी स्टेटस रिपोर्ट की छायाप्रति, कागज संख्या 16/2ता16/21 लाइफ इन्श्योरेन्स कार्पोरेशन ऑफ इण्डिया सेन्ट्रल ऑफिस द्वारा जारी इन्ट्रोडक्शन ऑफ एल.आई.सी. की छायाप्रति, कागज संख्या 18/1व2 पॉलिसी की छायाप्रति तथा कागज संख्या 18/3ता18/7 एल.आई.सी. के हेल्थ प्रोटेक्शन प्लस प्लान की छायाप्रति प्रस्तुत किया गया है।
दौरान बहस उभय पक्षकार उपस्थित। उभय पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ताओं की बहस को सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। परिवादी द्वारा कोई भी प्रलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है। विपक्षी ने जो प्रलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत किया है, उसमें यह दिया गया है कि जो परिवादी द्वारा पॉलिसी कथित की जा रही है उसको सरेण्डर नहीं किया जा सकता है। इस प्रकार चूंकि पॉलिसी सरेण्डर नहीं की जा सकती, अतः ऐसी स्थिति में हमारे विचार से परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं है।
आदेश
परिवाद पत्र खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 22.09.2021
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
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