समक्ष न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम महोबा
परिवाद संख्या:52/2012 उपस्थित:डा0 सिद्धेश्वर अवस्थी, सदस्य,
श्रीमती नीला मिश्रा, सदस्य,
लक्ष्मण सिंह पुत्र सरजू प्रसाद घोष निवासी-मुहाल-अमानगंज शहर-छतरपुर थाना कोतवाली व जिला-छतरपुर ......परिवादी
बनाम
1.प्रबंधक,भारतीय जीवन बीमा लि0 महोबा शाखा कार्यालय गांधीनगर महोबा जिला-महोबा ।
2.क्षेत्रीय प्रबंधक,भारतीय जीवन बीमा निगम क्षेत्रीय कार्यालय महात्मा गांधी मार्ग कानपुर ,जीवन विकास १६/९८ शहर व जनपद कानपुर २०८००१ ......विपक्षीगण
निर्णय
श्रीमती नीला मिश्रा,सदस्या,द्वारा उदधोषित
परिवादी द्वारा यह परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध इन आधारों पर प्रस्तुत किया गया है कि परिवादी की पत्नी श्रीमती उपदेश ने विपक्षी सं01 के यहां से दि0 28.02.2011 को मु0 1,00,000/-रू0 की बीमा पालिसी सं0 235550652 छिमाही किस्त 3470/-रू0 प्रीमियम की ली थी और इसमें परिवादी को नोमिनी नियुक्त किया गया था तथा पालिसी की परिपक्वता तिथि 28.02.2031 है । इस पालिसी में बीमा धन एक लाख रूपये तथा दुर्घटना हित लाभ भी एक लाख रूपये बताया गया था । परिवादी की पत्नी बीमा पालिसी जारी होने की तिथि को परिवादी के रिश्तेदार जगदीश के यहाँ चरखारी में थी । बीमा कंपनी द्वारा परिवादी की पत्नी का बीमा करने के पूर्व डाक्टरी परीक्षण कराया गया था । परिवादी की पत्नी जब चरखारी में थी कि दि0 19.03.2011 को अपने रिश्तेदार जगदीश घोष के मकान से ही शौच क्रिया को गई और अचानक पैर फिसल जाने के कारण कुंऐ में गिर गई,जिससे उसकी कुंये में ही मृत्यु हो गई । परिवादी ने अपनी पत्नी की मृत्यु के उपरांत परिवादी ने विपक्षी को सूचना दी और क्लेम दावा समस्त औपचारिकताओं सहित विपक्षी बीमा कंपनी में प्रस्तुत किया तो विपक्षी द्वारा परिवादी को यथाशीघ्र क्लेम की धनराशि दो लाख रूपये भुगतान किये जाने का आश्वासन दिया । परन्तु परिवादी के बार-बार अनुरोध किये जाने पर भी परिवादी को विपक्षीगण द्वारा क्लेम की धनराशि का भुगतान नहीं किया गया । परिवादी ने विपक्षीगण द्वारा परिवादी को उसकी पत्नी की बीमित धनराशि प्रदान न करना घोर सेवा में त्रुटि एवं व्यापारिक कदाचरण बताते हुये प्रार्थना की गई कि उसे उसकी पत्नी की बीमित धनराशि दो लाख रूपया दुर्घटना हित लाभ सहित परिवादिनी के पति की मृत्यु की दिनांक से भुगतान की तिथि तक १८ प्रतिशत ब्याज सहित दिलाई जाये तथा मानसिक क्षति एवं परिवाद व्यय हेतु यह परिवाद प्रस्तुत किया गया ।
विपक्षीगण द्वारा अपना जबाबदावा प्रस्तुत किया गया और परिवादी की पत्नी का उनके यहां से 1,00,000/-रू0 हेतु बीमा होना तथा पालिसी दि028.02.2011 को लेना तथा उसकी परिपक्वता तिथि 28.02.2031 होना एवं पालिसी में परिवादी का नामिनी होना स्वीकार है । विपक्षी बीमा कंपनी ने मुख्य रूप से कथन किया है कि परिवादी की पत्नी स्व0 श्रीमती उपदेश पालिसी लेने के समय मानसिक रूप से बीमार थी और उसने कुंऐ में कूदकर आत्महत्या की है। इस संबंध में उसने पुलिस पंचनामा रिपोर्ट में किये गये कथनों का आधार बताया है जिसमें सभी पंचों ने कहा है कि परिवादी की पत्नी का मानसिक संतुलन ठीक नहीं था और उसने कुंऐ में कूदकर आत्महत्या की है । इस कारण से परिवादी का क्लेम दावा दावा कमेटी ने निरस्त कर दिया गया । इसी आधार पर उसने परिवादी के परिवाद को निरस्त किये जाने की प्रार्थना की है। परिवादी की ओर से अभिलेखीय साक्ष्य के अतिरिक्त परिवाद पत्र के साथ परिवादी लक्ष्मण सिंह का शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया ।
विपक्षीगण की और से अभिलेखीय साक्ष्य के अतिरिक्त शपथ पत्र ज्ञानप्रकाश पांडे प्रबंधक,विधि एवं आ0सं0वि0 भारतीय जीवन बीमा निगम कानपुर प्रस्तुत किया गया ।
पत्रावली का अवलोकन किया गया व पक्षकारों के विद्वान अधिवक्तागण के विस्तृत तर्क सुने गये।
यह तथ्य निर्विवाद है कि परिवादी की पत्नी उपदेश का बीमा विपक्षी बीमा कंपनी से 1,00,000/-रू0 हेतु दि028.02.2011 को कराया गया था,जिसकी परिपक्वता अवधि 28.02.2031 है । इस बीमा पालिसी में परिवादी को नोमिनी घोषित किया गया है । यह तथ्य भी निर्विवाद है कि श्रीमती उपदेश की दि0 19.03.2011 को चरखारी में कुंये में गिरने से मृत्यु हो गई ।
विवाद मात्र इस बिन्दु पर है कि परिवादी के अनुसार परिवादी की पत्नी शौच क्रिया को गई और अचानक कुंये में उसका पैर फिसल गया,जिससे वह कुंऐं में गिर गई और उसकी मृत्यु हो गई । जबकि इसके विपरीत विपक्षी बीमा कंपनी का कथन है कि परिवादी की पत्नी बीमा लेने के पूर्व से मानसिक रूप से असंतुलित थी इसलिये उनके द्वारा आत्महत्या की गई । इस कारण परिवादी बीमा क्लेम धनराशि हेतु अधिकारी नहीं है । विपक्षी बीमा कंपनी ने अपने इस कथन का आधार पुलिस पंचनामा रिपोर्ट को लिया है ।
परिवादी की और से बहस की गई कि परिवादी की पत्नी बीमा पालिसी लेने के समय पूर्ण स्वस्थ थी और विपक्षी बीमा कंपनी के चिकित्सक द्वारा परीक्षण के उपरांत ही परिवादी की पत्नी का बीमा प्रस्ताव विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा स्वीकार किया गया था । यह भी कथन किया गया कि विपक्षी बीमा कंपनी के चिकित्सक की रिपोर्ट,जिसके आधार पर बीमा स्वीकार किया गया और विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा परिवादी की पत्नी की मानसिक असंतुलन की स्थिति के संबंध में पुलिस पंचनामा रिपोर्ट को आधार बताया,जो परस्पर विरोधाभासी है । विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा न तो किसी पंचनामा के गवाह को परीक्षित कराया गया और न स्वयं किसी निष्पक्ष एजेंसी से जांच कराई गयी और न ही किसी गवाह का शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया । साथ परिवादी द्वारा अपने कथनों के समर्थन में मा0 राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग उ0प्र0 लखनऊ के निर्णय लाइफ इंश्योरेंस कारपोरेशन आफ इण्डिया एवं अन्य बनाम ऊषा अग्रवाल एवं अन्य 2001 उ0सं0के0 396 को प्रस्तुत किया गया,जिसमें मा0 राज्य आयोग द्वारा यह सिद्धांत प्रतिपादित किया गया कि बीमा दावा परिवादी के पति का बीमा और उसकी मृत्यु– बीमा दावा इस आधार पर नामंजूर कि बीमित द्वारा बीमारी के तथ्य को छिपाना, चिकित्सक के साक्ष्य द्वारा स्पष्ट रूप से प्रमाणित कि बीमित बीमा पालिसी के लिये प्रारूप भरते समय किसी रोग से पीडित नहीं- परिवादी ब्याज के साथ बीमित धनराशि को प्राप्त करने का हकदार ।
विपक्षी बीमा कंपनी की और से इस विधि व्यवस्था के विपरीत कोई विधि व्यवस्था प्रस्तुत नहीं की गई ।
अंत: फोरम की राय में विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा परिवादी को उसकी पत्नी की दुर्घटना में हुई मृत्यु के फलस्वरूप बीमित धनराशि का भुगतान न कर के सेवा में त्रुटि की है और परिवादी अपनी पत्नी की दुर्घटना में हुई मृत्यु के फलस्वरूप विपक्षी बीमा कंपनी से बीमित धनराशि दुर्घटना हितलाभ सहित पाने का अधिकारी है और परिवादी का परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य है ।
आदेश
परिवादी का परिवाद खिलाफ विपक्षीगण स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वे परिवादी को आज इस निर्णय की दिनांक से एक माह के अंदर परिवादी की पत्नी स्व0 श्रीमती उपदेश की बीमा पालिसी की बीमित धनराशि मय दुर्घटना हित लाभ 2,00,000/-रू0 परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से वास्तविक अदायगी की तिथि तक ९ प्रतिशत ब्याज सहित प्रदान करें । इसके अलावा मानसिक व आर्थिक क्षति के रूप में 5,000/-रू0 एवं परिवाद व्यय के रूप में 2,500/-रू0 विपक्षीगण परिवादी को प्रदान करे ।
(श्रीमती नीला मिश्रा) (डा0सिद्धेश्वर अवस्थी)
सदस्या, सदस्य,
जिला फोरम,महोबा। जिला फोरम,महोबा।
31.05.2016 31.05.2016
यह निर्णय हमारे द्वारा आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित,दिनांकित एवं उद़घोषित किया गया।
(श्रीमती नीला मिश्रा) (डा0सिद्धेश्वर अवस्थी)
सदस्य, सदस्या,
जिला फोरम,महोबा। जिला फोरम,महोबा।
31.05.2016 31.05.2016