Rajasthan

Churu

108/2013

BASANT KUMAR - Complainant(s)

Versus

LIC SARDARSHAR - Opp.Party(s)

Dhanna Ram saini

26 Nov 2014

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 108/2013
 
1. BASANT KUMAR
WARD NO 40 NAI BASTI SARDARSHAR CHURU
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Shiv Shankar PRESIDENT
  Subash Chandra MEMBER
  Nasim Bano MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, चूरू
अध्यक्ष- षिव शंकर
सदस्य- सुभाष चन्द्र
सदस्या- नसीम बानो
परिवाद संख्या- 108/2013
बसन्त कुमार स्वामी पुत्र श्री शंकरलाल स्वामी, जाति स्वामी, उम्र 18 वर्ष निवासी वार्ड नं. 40, नई बस्ती, सरदारशहर जिला चूरू (राजस्थान)
......प्रार्थी
बनाम
1. भारतीय जीवन बीमा निगम पेट्रोल पम्प के सामने, सरदारशहर जिला चूरू
2. भारतीय जीवन बीमा निगम लि. मण्डल कार्यालय जीवन प्रकाश पोस्ट बाॅक्स नम्बर-66, सागर रोड़ बीकानेर (राज.) जरिये मण्डल प्रबन्धक
3. रमेश कुमार पुत्र श्री शिवभगवान, निवासी वार्ड नं. 40 सरदारशहर जिला चूरू जरिये एजेन्ट
......अप्रार्थीगण
दिनांक- 02.02.2015
निर्णय
द्वारा अध्यक्ष- षिव शंकर
1. श्री धन्नाराम सैनी एडवोकेट - प्रार्थी की ओर से
2. श्री राकेश वर्मा एडवोकेट - अप्रार्थीगण की ओर से
3. अप्रार्थी संख्या 3 की ओर से - एक पक्षीय
1. प्रार्थी ने अपना परिवाद पेष कर बताया कि प्रार्थी के पिता श्री स्व. शंकरलाल स्वामी अपने जीवनकाल में दिनंाक 19.12.2011 को अप्रार्थीगण से एक बीमा पाॅलिसी ली थी जिसके पाॅलिसी संख्या 503370953 है। यहकि बीमित अवधि मे ही दिनांक 31.3.12 को प्रार्थी के पिता श्री स्व. शकंरलाल जी की मृत्यु हो गई जिसकी सूचना प्रार्थी ने अप्रार्थीगण को अविलम्ब दी थी। अप्रार्थीगण के निर्देशानुसार प्रार्थी द्वारा बीमा क्लेम प्राप्त करने हेतु निर्धारित प्रारूप में विधिवत रूप में आवेदन किया था उसके पश्चात प्रार्थी ने बीमा क्लेम हेतु निवेदन किया तो अप्रर्थीगण द्वारा कहा जाता रहा कि जांच चल रही है। प्रार्थी को उक्त बीमा क्लेम का भुगतान नही कियें जाने पर प्रार्थी द्वारा दिनांक 13.6.2012 को अप्रार्थी संख्या 1 को रजिस्टर्ड प्रार्थना-पत्र भी दिया था तथा दिनांक 13.06.2012 प्रार्थी द्वारा अप्रार्थीगण को अपने पिता की मृत्यु हो जाने के सन्दर्भ मे एंव उनके द्वारा करवाई गई पाॅलिसी संख्या 503370953 का भुगतान करने के लिये पुनः एक प्रार्थना पत्र दिया था। इसके बावजूद भी अप्रार्थीगण द्वारा प्रार्थी को उक्त बीमा क्लेम का भुगतान नहीं किया गया। प्रार्थी द्वारा अप्रार्थीगण के कार्यालय में जाकर उक्त बीमा क्लेम भुगतान किये जाने हेतु निवेदन किया
परन्तु अप्रार्थीगण द्वारा प्रार्थी को क्लेम राशि का भुगतान नहीं किया गया है अप्रार्थीगण द्वारा मौखिक रूप से बार-बार यही कहा जाता रहा कि आपके बीमा क्लेम की जांच चल रही है, और जैसे ही बीमा क्लेम जांच पूर्ण हो जावेगी हम आपको सूचना कर देगें, फिलहाल हम आपका बीमा क्लेम भुगतान नहीं कर सकते। प्रार्थी द्वारा बार-बार निवेदन करने एंव बीमा क्लेम सम्बन्धित पूर्ण दस्तावेज उपलब्ध करने के बावजूद भी आज तक अप्रार्थीगण द्वारा प्रार्थी को बीमा क्लेम राशि का भुगतान नहीं किया गया है।
2. आगे प्रार्थी ने बताया कि उक्त बीमा पाॅलिसी अप्रार्थी संख्या 3 द्वारा की गई थी, उसके द्वारा बताया गया की बीमा प्रीमियम 3 माह से भुगतान करना है। उसके द्वारा बीमा शुरू करने की तिथि 19.12.2011 बताई गई थी तथा अगला बीमा प्रीमियम 19.3.2012 तक अदा किया जाना बताया गया था तथा यह भी बताया कि एक माह का ग्रेस प्रीमियम होता है। अर्थात् 19.4.2012 तक बीमा प्रीमियम अदा कर सकता है। उसने आश्वस्त किया कि मैं समय पर बीमा प्रिमियम बीमित से प्राप्त करके बीमा कम्पनी में जमा करवाता रहुंगा और उक्त बीमा प्रिमियम रसीद, बाॅण्ड आदि नहीं दिये, अपने पास ही रखे। प्रार्थी के पिता की मृत्यु के पश्चात् बीमा क्लेम फार्म आदि बीमा ऐजेन्ट द्वारा ही भरवाये गये और असल बीमा बाॅण्ड कम्पनी को भंेज दिया गया था। प्रार्थी ने दिनांक 13.9.2012 को बीमा आॅफिस में जाकर पता किया तो वहां पर सम्बंधित बीमा अधिकारी ने बताया कि उक्त बीमा पाॅलिसी लेप्स हो चुकी थी। जिस पर प्रार्थी ने अप्रार्थी संख्या 3 से पूछ-ताछ की तो उसने एक असल रसीद व बीमा पाॅलिसी बाॅण्ड की फोटो प्रति एंव बीमा से किये गये पत्र व्यवहार की फोटो प्रतियां प्रार्थी को दी जिसे देखने से प्रार्थी को पता चला की बीमा कम्पनी और बीमा ऐजेन्ट ने मिलकर प्रार्थी के पिता का पीछे की तिथि से बीमा कर दिया। जिस कारण अप्रार्थीगण द्वारा बीमा क्ल्ेम राशि का भुगतान नहीं कर रही है। जबकि प्रार्थी के पिता द्वारा पिछे की तिथि से कोई बीमा नहीं करवाया गया था, तथा दिनांक 19.12.2011 को ही करवाया गया था तथा बीमा प्रीमियम भी 19.12.2011 को ही अप्रार्थी संख्या 3 को दिया गया था इससे पूर्व प्रार्थी के पिता एंव बीमा कम्पनी का कोई संव्यवहार नहीं रहा है। प्रार्थी के पिता की जानकारी में लाये बगैर ही गलत रूप से अपनी सुविधा के लिये पिछे की तिथि से बीमा कर दिया। पिछे की तिथि से बीमा करवाने में प्रार्थी के पिता कि कोई सहमती नहीं ली गई। अप्रार्थीगण द्वारा क्लेम राशि का भुगतान नहीं किया जाना सेवादोष व गम्भीर त्रुटि है इसलिए प्रार्थी ने बीमा पोलिसी संख्या 503370953 के बीमाधन दो लाख रूपये मय ब्याज, मानसिक प्रतिकर व परिवाद व्यय दिलाने की मांग की है।
3. अप्रार्थी संख्या 1 व 2 ने प्रार्थी के परिवाद का विरोध कर जवाब पेश किया कि परिवादी के पिता पाॅलिसी धारक शंकरलाल की मृत्यु दिनांक 31.03.2012 को पाॅलिसी कालातीत अवधी के दौरान हुई थी परिवादी के पिता द्वारा पाॅलिसी
दिनांक 28.10.2011 को बीमा प्रस्ताव के तहत ली गई जिसकी प्रिमियम त्रेमासिक देय था तथा आगामी प्रीमियम 28.01.2012 को देय था। प्रीमियम अदायगी में 1 माह का अतिरिक्त अनुग्रह समय भी निगम द्वारा बीमा पाॅलिसी धारक को बीमा प्रीमियम राशि अदायगी हेतु दिया जाता उस अनुग्रहित अवधी दिनांक 28.02.2013 तक भी पाॅलिसी धारक की ओर से आगामी देय त्रेमासिक प्रीमियम राशि अदा नही किये जाने पर पाॅलिसी कालातीत हो जाने से उक्त अवधी पयचात मृत्यु / दुर्घटना पर पाॅलिसी धारक को किसी प्रकार का क्लेम देय नही होने से मृतक पाॅलिसी धारक को किसी प्रकार का क्लेम देय नही होने से मृतक पाॅलिसी धारक का क्लेम दावा प्रार्थना पत्र नियमानुसार एवं शर्तोअुनसार बिना किसी पूर्वाग्रह के खारिज किया जा चुका है ।दोयम यह है कि बीमा प्रस्ताव स्वीकृत हो जाने पर एवं उसके आधार पर पाॅलिसी बाॅण्ड विधिवत प्रिमियम लेकर जारी हो जाने पश्चात बीमा निगम का एजेन्ट आगामी देय प्रिमियम राशि पाॅलिसीधारक से प्राप्त करनें हेतु अधिकृत एवं सक्षम नही है यदि कोई बीमा प्रतिनिधी ऐसा करता है तो वह बीमा नियमो के विरूद्ध है एवं उसके आधार पर बीमा कम्पनी किसी प्रकार से क्लेम अदायगी हेतु उतरदायी नही है अपितु एजेन्ट व्यक्तिशः परिणामो हेतु उतरदायी है बीमा कम्पनी बीमा संविदा की शर्तो एवं नियमो के विरूद्ध जाकर किसी भी प्रकार से क्लेम हेतु उतरदायी नही है। उक्त आधार पर परिवाद खारिज करने की मांग की।
4. अप्रार्थी संख्या 3 बावजूद तामिल मंच में उपस्थित नहीं आने पर दिनांक 22.10.2013 को एक पक्षीय कार्यवाही अमल में लायी गयी।
5. प्रार्थी की ओर से परिवाद के समर्थन में स्वंय का शपथ-पत्र, खण्डन शपथ-पत्र, प्रदर्स सी 1 से सी 9 दस्तावेजी साक्ष्य मंे प्रस्तुत किये। अप्रार्थीगण की ओर से जसपाल सिंह हंस का शपथ-पत्र, स्टेटस रिपोर्ट, बीमा प्रस्ताव पत्र दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया है।
6. पक्षकारान की बहस सुनी गई, पत्रावली का ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया, मंच का निष्कर्ष इस परिवाद में निम्न प्रकार से है।
7. प्रार्थी अधिवक्ता ने परिवाद के तथ्यों को दौहराते हुए तर्क दिया कि प्रार्थी के पिता बीमाधारी ने अप्रार्थीगण से एक बीमा पोलिसी संख्या 503370953 दिनांक 19.12.2011 को क्रय की थी। बीमित अवधि में ही दिनांक 31.03.2012 को बीमाधारी की मृत्यु हो गयी जिसकी सूचना अप्रार्थी बीमा कम्पनी को दी गयी। प्रार्थी ने बीमा कम्पनी द्वारा निर्धारित व वांछित सभी दस्तावेज बीमा कम्पनी को सौंप दिये व क्लेम की मांग की। अप्रार्थीगण द्वारा बार-बार प्रार्थी को क्लेम प्रक्रिया के अद्यधीन का कहते हुए आश्वासन दिया जाता रहा। आखिरकार प्रार्थी ने दिनांक 13.09.2012 को बीमा आॅफिस में जाकर अपने क्लेम के सम्बंध में पूछा तो अप्रार्थीगण के अधिकारी द्वारा बताया गया कि प्रार्थी के पिता द्वारा क्रय की गयी पोलिसी प्रीमियम नहीं जमा करवाने के कारण लेप्स हो चूकी थी। जिस पर प्रार्थी ने पोलिसी बाॅण्ड व आदि दस्तावेज की जांच की तो पता चला
कि अप्रार्थीगण ने आपस में मिलकर प्रार्थी के पिता को पोलिसी पिछे की तिथि से जारी कर दी। जबकि प्रार्थी के पिता ने दिनांक 19.12.2011 को बीमा करवाया था और प्रीमियम भी दिनांक 19.12.2011 को दिया गया था। अप्रार्थीगण द्वारा मिली-भगत कर प्रार्थी के क्लेम को अस्वीकार करना अप्रार्थीगण का सेवादोष है। इसलिए प्रार्थी अधिवक्ता ने परिवाद स्वीकार करने का तर्क दिया। अप्रार्थी बीमा कम्पनी अधिवक्ता ने प्रार्थी अधिवक्ता के तर्कों का विरोध करते हुए यह तर्क दिया कि पोलिसीधारक की मृत्यु दिनंाक 31.03.2012 को पोलिसी कालातीत अवधि के दौरान हुई थी। पोलिसी धारक द्वारा दिनांक 28.10.2011 को बीमा प्रस्ताव के तहत जो पोलिसी ली गयी थी उसमें किश्त त्रेमासिक थी जिसके अनुसार प्रथम किश्त दिनांक 28.01.2012 को देय बनती थी। प्रीमियम अदायगी में एक माह का अतिरिक्त अनुगृह समय भी बीमा धारक को दिया जाता है जिसके अनुसार किश्त की अदायगी हेतु अन्तिम दिनांक 28.02.2012 निश्चित थी। परन्तु उक्त किश्त की अदायगी नहीं करने पर प्रश्नगत पोलिसी कालातीत हो चूकी थी। अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने यह भी तर्क दिया कि बीमाधारी ने प्रश्नगत पोलिसी बैकडेट से प्राप्त की थी और बैकडेट पोलिसी का प्रस्ताव बीमाधारी ने स्वंय अपनी स्वेच्छा से अच्छी तरह से पढ़ व समझकर प्राप्त किया था। प्रश्नगत पोलिसी के तहत प्रार्थी कोई भी राशि प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। उक्त आधारों पर अप्रार्थी अधिवक्ता ने परिवाद खारिज करने का तर्क दिया।
8. हमने उभय पक्षों के तर्कों पर मनन किया। वर्तमान प्रकरण में प्रार्थी के स्व. पिता शंकरलाल स्वामी द्वारा प्रश्नगत पोलिसी संख्या 503370953 अप्रार्थी बीमा कम्पनी से क्रय करना, बीमित अवधि में ही दिनांक 31.03.2012 को बीमाधारक की मृत्यु होना स्वीकृत तथ्य है। विवादक बिन्दु केवल यह है कि प्रश्नगत पोलिसी बीमाधारी के द्वारा किश्त जमा नहीं करवाने के आधार पर कालातीत हो चूकी थी। प्रार्थी अधिवक्ता ने अपनी बहस में यह तर्क दिया कि वास्तव में बीमाधारी ने प्रश्नगत पोलिसी दिनांक 19.12.2011 को क्रय की थी तथा बीमा प्रीमियम भी दिनांक 19.12.2011 को अप्रार्थी संख्या 3 को दिया गया था। परन्तु अप्रार्थीगण से आपस में मिली-भगत कर प्रश्नगत पोलिसी दिनांक 28.10.2011 पिछे की तारीख से जारी कर दी। प्रार्थी के अनुसार प्रश्नगत पोलिसी में किश्त की अदायगी दिनांक 29.04.2012 बनती है। बहस के दौरान प्रार्थी अधिवक्ता ने इस मंच का ध्यान पोलिसी बीमा कवर प्रदर्स सी 1 व प्रथम रसीद सी 2 की ओर ध्यान दिलाया जिसका ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया। प्रदर्स सी 1 बीमा पोलिसी कवर का अवलोकन करने पर यह पाया कि प्रश्नगत पोलिसी की आरम्भ तिथि दिनांक 28.10.2011 है व जोखिम तिथि दिनांक 19.12.2011 है। उक्त पोलिसी व प्रस्ताव दिनांक 07.01.2012 को अप्रार्थी बीमा विभाग द्वारा किया गया था। प्रदर्स सी 2 जो कि अप्रार्थी विभाग द्वारा प्रथम रसीद है जो दिनांक 15.12.2011 को जारी की गयी थी जिसमें कुल राशि 3,271 रूपये अदा
किये गये है। प्रार्थी अधिवक्ता ने उपरोक्त दस्तावेजों के आधार पर तर्क दिया कि प्रार्थी की परिवाद स्वीकार किया जावे।
9. अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने प्रार्थी अधिवक्ता के तर्कों का विरोध किया और तर्क दिया कि वास्तव में पिछे की तारीख से प्रश्नगत पोलिसी प्राप्त करने का प्रस्ताव स्वंय पोलिसी धारक का था। अपनी बहस के दौरान अप्रार्थी अधिवक्ता ने इस मंच का ध्यान बीमाधारक द्वारा हस्ताक्षरित स्व जीवन बीमा प्रस्ताव की ओर ध्यान दिलाया जिसका ध्यान पूर्वक अवलोकन किया गया। उक्त प्रस्ताव में क्रम संख्या 3 में जो काॅलम बने हुए है। उसके नम्बर 6 पर दिनांक, यदि पोलिसी का प्रारम्भ किसी पिछली तिथि से चाहते है तो उसके बारे में पूछा गया है। उक्त काॅलम में दिनांक 28.10.2011 अंकित की गयी है। उक्त प्रस्ताव पत्र पर बीमा धारक ने अपने सुपाठ्य हस्ताक्षर किये हुये है। उक्त बीमा प्रस्ताव दिनांक 10.12.2012 को हस्ताक्षरित किया गया था। अप्रार्थी अधिवक्ता ने उक्त प्रस्ताव के आधार पर तर्क दिया कि उक्त प्रस्ताव स्वंय बीमाधारी के द्वारा हस्ताक्षर किया हुआ है और जो पिछली तिथि दिनांक 28.10.2011 इस प्रस्ताव में अंकित है उसी तिथि को पोलिसी आरम्भ हुई है। उक्त दस्तावेजों के आधार पर अप्रार्थी अधिवक्ता ने तर्क दिया कि प्रश्नगत पोलिसी में प्रथम किश्त दिनांक 28.02.2012 को देय थी परन्तु उक्त किश्त जमा नहीं होने पर प्रश्नगत पोलिसी लेप्स हो गयी और दिनांक 31.03.2012 को बीमाधारी की मृत्यु हो गयी। पोलिसी लेप्स होने पर प्रार्थी कोई क्लेम राशि प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। अप्रार्थी अधिवक्ता द्वारा दिये गये तर्क उचित व विश्वसनीय प्रतीत होते है क्योंकि प्रार्थी ने प्रीमियम के भुगतान की दिनांक 19.12.2011 अंकित की है। जबकि प्रार्थी स्वंय द्वारा प्रस्तुत प्रदर्स सी 2 जो कि पोलिसी शुरू होने की किश्त है वह दिनांक 15.12.2011 अंकित है और बीमाधारी द्वारा सव जीवन बीमा प्रस्ताव पत्र पर हस्ताक्षर दिनांक 10.12.2011 को किये हुये है। इसलिए प्रार्थी का यह तर्क मानने योग्य नहीं है कि बीमाधारी द्वारा प्रथम बार किश्त की अदायगी दिनांक 19.12.2011 को अदा की गयी थी। बैकडेट पोलिसी से अप्रार्थीगण को क्या लाभ हो सकता है ऐसा कोई कथन या तर्क प्रार्थी अधिवक्ता द्वारा नहीं दिया गया। अप्रार्थी बीमा कम्पनी अभिकर्ता ने सवजीवन बीमा प्रस्ताव पत्र पर जो प्रीमियम राशि अंकित की है वह 3271 रूपये लिखी है और वही राशि बीमाधारी द्वारा अप्रार्थी बीमा कम्पनी को उक्त सवजीवन बीमा प्रस्ताव के समय दिनांक 10.12.2011 को अदा की गयी थी और रसीद उक्तानुसार दिनांक 15.12.2011 को जारी हो गयी। यदि बीमाधारी द्वारा प्रीमियम दिनांक 19.12.2011 को अदा किया जाता तो रसीद बैकडेट की जारी नहीं होती। इसलिए प्रार्थी का यह तर्क मानने योग्य नहीं है कि अप्रार्थीगण ने मिली-भगत कर प्रश्नगत पोलिसी पिछे की दिनांक से जारी कर दी। प्रार्थी द्वारा अंकित किये गये अभिवचन इसलिए भी विश्वसनीय नहीं है क्येांकि प्रार्थी ने अपने परिवाद में बीमाधारी की मृत्यु के सम्बंध में भी कोई कथन अंकित नहीं
किये अर्थात् यह अंकित नहीं किया कि बीमाधारी की मृत्यु का कारण क्या है। अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने अपनी बहस के दौरान इस मंच का ध्यान एन.सी.जे. 1998 सुप्रीम कोर्ट, डी.एन.जे. 2010 पेज 202 सुप्रीम कोर्ट की ओर ध्यान दिलाया जिसका सम्मान पूर्वक अवलोकन किया गया। न्यायिक दृष्टान्त एन.सी.जे. 1998 सुप्रीम कोर्ट लाईफ इन्श्योरेन्स काॅरपोरेशन आॅफ इण्डिया एण्ड अदर्स बनाम श्री धर्मवीर आनन्द पैरा संख्या 7 में माननीय उच्चतम न्यायालय ने पेालिसी की तारीख के बारे में विवेचन किया है। जिसके अनुसार ज्ीम कंजम व िजीम चवसपबल पे पदजमतचतमजमक जव उमंद जीम कंजम वद ूीपबी जीम चवसपबल ूंे पेेनमक ंदक दवज जीम कंजम वद ूीपबी जीम तपेा नदकमत जीम चवसपबल ींे बवउउमदबमकण् डी.एन.जे. 2010 पेज 202 सुप्रीम कोर्ट ग्रासीम इंडस्ट्री लि. एण्ड अदर्स बनाम मैसर्स अग्रवाल स्टील में माननीय उच्चतम न्यायालय ने पैरा संख्या 5 में यह अभिनिर्धारित किया कि ॅीमदम ं चमतेवद ेपहदे ं कवबनउमदजए जीमतम पे ं चतमेनउचजपवदए नदसमेे जीमतम पे चतवव िव िवितबम वत तिंनकए जींज ीम ींे तमंक जीम कवबनउमदज चतवचमतसल ंदक नदकमतेजववक पज ंदक वदसल जीमद ीम ींे ंििपगमक ीपे ेपहदंजनतमे जीमतमवदण् उपरोत न्यायिक दृष्टान्त वर्तमान प्रकरण पर पूर्णत चस्पा होते है क्योंकि स्वयं बीमाधारी ने सवजीवन बीमा प्रस्तुत पर पत्र अपने हस्ताक्षर सुपाठ्य रूप से किये हुये है। अप्रार्थीगण अधिवक्ता द्वारा प्रस्तुत उपरोक्त दस्तावेजों के दृष्टिगत यह स्पष्ट है कि अप्रार्थीगण द्वारा प्रार्थी का बीमा क्लेम अस्वीकार करना कोई सेवादेाष नहीं है। अप्रार्थीगण अधिवक्ता द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज व न्यायिक दृष्टान्तों की रोशनी में प्रार्थी का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।
अतः प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थीगण के विरूद्ध अस्वीकार कर खारिज किया जाता है। पक्षकार प्रकरण का व्यय अपना-अपना वहन करेंगे। सुभाष चन्द्र नसीम बानो षिव शंकर सदस्य सदस्या अध्यक्ष निर्णय आज दिनांक 02.02.2015 को लिखाया जाकर सुनाया गया। सुभाष चन्द्र नसीम बानो षिव शंकर सदस्य सदस्या अध्यक्ष

 
 
[HON'BLE MR. Shiv Shankar]
PRESIDENT
 
[ Subash Chandra]
MEMBER
 
[ Nasim Bano]
MEMBER

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