दायरा तिथि- 02-03-2015
निर्णय तिथि- 17-08-2016
समक्ष- जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, फोरम हमीरपुर (उ0प्र0)
उपस्थिति- श्री रामकुमार अध्यक्ष,
श्रीमती हुमैरा फात्मा सदस्या
श्री ब्रजेश कुमार मिश्र सदस्य,
परिवाद सं0- 22/2015 अन्तर्गत धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
प्रमोद सिंह पुत्र श्री बल्देव निवासी ग्राम मुण्डेरा थाना सुमेरपुर, जिला हमीरपुर। हाल मुकाम मु0 थोक चाँद सुमेरपुर, जिला हमीरपुर।
.....परिवादी।
बनाम
1- भारतीय जीवन बीमा निगम शाखा हमीरपुर जिला हमीरपुर।
2- भारतीय जीवन बीमा निगम मण्डल आफिस कानपुर मण्डल जिला कानपुर नगर।
........विपक्षीगण।
निर्णय
द्वारा- श्री, रामकुमार,पीठासीन अध्यक्ष,
परिवादी ने यह परिवाद बीमा की धनराशि मु0 100000/- रू0 दिलाये जाने तथा आर्थिक, मानसिक क्षति एवं वाद व्यय के मद में मु0 30000/- रू0 दिलाये जाने हेतु विपक्षीगण के विरूद्ध उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत प्रस्तुत किया है।
परिवाद पत्र में परिवादी का कथन संक्षेप में यह है कि उसने विपक्षी से जीवनसाथी बीमा पालिसी दि0 26-10-12 को मु0 100000/- बीमाधन लिया था जिसका प्रीमियम 4911/- रू0 वार्षिक था। परिवादी ने अग्रिम प्रीमियम माह अक्टूबर 13 में 4911/- रू0 जमा किया जाना था लेकिन उक्त पालिसी के कथित शर्त में बीमादार में से किसी एक व्यक्ति की मृत्यु होने पर दूसरे बीमादार के जीवित होने पर बीमाधन मय लाभ सहित विपक्षी अदा करने के लिए पाबंद है। परिवादी की पत्नी सुधा उर्फ साधना की मृत्यु दि0 27-05-13 को हो गई। जिसकी सूचना विपक्षी को दी गई तथा विपक्षीगण को उक्त पालिसी सं0 237481926 की मूल प्रति समस्त औपचारिकता पूरी करके दिया था। परिवादी की पत्नी का दूसरा बीमा मनी बैक पालिसी सं0 235256351 दि0 28-04-10 मु0 50000/- रू0 की थी जिसका भुगतान विपक्षी ने परिवादी को कर दिया गया लेकिन उक्त जीवनसाथी पालिसी का भुगतान जानबूझकर नहीं किया और परिवादी के साथ अनुचित व्यापार व्यवहार किया। इस कारण परिवादी को यह परिवाद फोरम में दायर करना पड़ा।
विपक्षीगण ने परिवाद पत्र के विरूद्ध अपना जबावदावा पेश करके कहा है कि परिवादी द्वारा विवादित पालिसी सं0 237481926 की समस्त औपचारिकताऐ पूर्ण
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नहीं किया है। विपक्षीगण ने मृतका सुधा की मनीबैक पालिसी का भुगतान करना स्वीकार किया है। विपक्षीगण ने अतिरिक्त कथन करके कहा है कि परिवादी ने स्वयं बीमा पालिसी की शर्तों के अनुसार उक्त पालिसी सं0 237481926 की समस्त औपचारिकताऐ पूर्ण नहीं किया है। परिवादी द्वारा दि0 17-08-15 को औपचारिकताऐ पूर्ण की गई, तो मु0 100000/- रू0 का भुगतान जरिये चेक सं0 024950 दि0 19-08-15 को फोरम में जमा कर दिया गया, जिसे वह प्राप्त कर चुका है। पालिसी की शर्ते के अनुसार वादी को पालिसी की परिपक्वता तिथि 26-10-2037 पर बीमाधन व बोनस देय होगा। यदि परिपक्वता अवधि के पूर्व बीमा धारक( प्रमोद सिंह) की मृत्यु हो जाती है तो बीमाधन व मृत्यु तिथि तक निहित बोनस का भुगतान होगा तथा माह अक्टूबर 13 से अक्टूबर 2036 तक के वार्षिक प्रीमियम का भुगतान भी वादी को नहीं करना है। विपक्षी द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गई है। परिवादी ने दावा गलत तथ्यों के आधार पर दायर किया है जो निरस्त किये जाने योग्य है।
परिवादी ने अभिलेखीय साक्ष्य में सूची कागज सं0 4 से 03 अभिलेख, तथा स्वयं का शपथपत्र कागज सं0 33 दाखिल किया है।
विपक्षीगण ने अभिलेखीय साक्ष्य में सूची कागज सं0 27 से 5 अभिलेख तथा धर्मेन्द्र कुमार पाराशर प्रबंधक का शपथपत्र कागज सं- 34 दाखिल किया है।
परिवादी तथा विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्तागण की बहस को विस्तार से सुना तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेखीय साक्ष्य का भलीभॉति परिशीलन किया।
उपरोक्त के विवेचन से यह स्पष्ट है कि परिवादी प्रमोद ने स्वयं तथा अपनी पत्नी सुधा उर्फ साधना के नाम से संयुक्त संरक्षण साझा बीमा पालिसी सं0 237481926 दि0 26-12-12 को लिय़ा था, जिसकी परिपक्वता अवधि 26-02-2037 थी। उक्त बीमा पालिसी की वार्षिक किश्त 4911/- थी। उक्त बीमा पालिसी की किश्त नियत तारीख पर परिवादी द्वारा जमा की जाती थी। श्रीमती सुधा एवं साधना की मृत्यु दि0 27-05-13 को बीमारी से हो गई। परिवादी ने बीमाधन प्राप्त करने के लिए विपक्षी के कार्यालय में क्लेम पेश किया । लेकिन त्वरित कार्यवाही न होने पर उसने वांछित अनुतोष हेतु प्रस्तुत परिवाद संस्थित किया है।
परिवाद पत्र में वर्णित तथ्यों के अवलोकन से विदित है कि परिवादी ने उस तारीख का खुलासा परिवाद पत्र में नहीं किया कि उसने समस्त औपचारिकताए कब पूरी की गई। पत्रावली पर दाखिल कागज सं0 30 से विदित है कि विपक्षी के कार्यालय ने दि 11-08-15 को पंजीकृत पत्र परिवादी के पास भेजते हुए उक्त पत्र में वर्णित औपचारिकता न0 10 के अनुसार दो असमबद्ध व्यक्तियों द्वारा इलाज न कराने के लिए हलफनामा पहिचान पत्र के साथ भेजने का निर्देश दिया था। उक्त औपचारिकता को परिवादी ने दौरान मुकदमा दि0 17-08-15 को पूरी कर दिया। कागज सं0 31 से नरेन्द्र कुमार व 32 से धर्मेन्द्र द्वारा निर्गत शपथपत्र की छायाप्रति विपक्षी ने पेश किया है। उक्त औपचारिकता पूरी होते ही
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विपक्षी ने अबिलम्ब दि0 19-08-15 को एच0डी0एफ0सी0 की चेक सं0 024950 द्वारा बीमाधन रू0 100000/- फोरम में जमा कर दिया जिसे परिवादी ने दि0 22-08-15 को प्रार्थना पत्र देकर प्राप्त कर लिया है। उक्त औपचारिकता पूरी करने के लिए विपक्षी ने दि0 05-05-15, 11-05-15 को टेलीफोन पर परिवादी से वार्ता किया तथा दि0 27-05-15 को पंजीकृत डाक से पत्र भेजा। जो कागज सं0 20 शामिल पत्रावली है। लेकिन परिवादी ने औपचारिकताए पूरी किये बिना यह परिवाद संस्थित किया है।
यह स्वीकृत तथ्य है कि परिवादी ने अपनी पत्नी सुधा एवं साधना के नाम एक अन्य बीमा पालिसी सं0 325256351 रू0 50000/- दि 28-04-10 को लिया था। उसका भुगतान विपक्षी द्वारा तुरन्त कर दिया गया था। इससे साबित है कि पालिसी का भुगतान परिवादी द्वारा समय से औपचारिकताऐ पूरी न करने के कारण नहीं हुआ। परिवादी का यह कथन असत्यभाषी साबित होता है कि विपक्षी ने अनुचित व्यापार के तहत व्यवहार किया, बल्कि परिवादी ने परिवाद पत्र में इस तथ्य को छिपाया है कि वास्तव में क्लेम उसने विपक्षी के कार्यालय में किस तारीख को पेश किया और वांछित औपचारिकताऐ किस तारीख को उसने पूर्ण किया।
परिवादी को विपक्षी ने बीमा धनराशि का भुगतान फोरम के माध्यम से दौरान विचारण कर दिया है। परिवादी की स्वयं की लापरवाही के कारण विपक्षी से वाद व्यय व हर्जा दिलाए जाने का कोई औचित्य नहीं है। तद्नुसार परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।
-आदेश-
विवाद शेष न होने के कारण परिवाद खारिज किया जाता है। उभयपक्ष खर्चा मुकदमा अपना-अपना वहन करेंगे।
(ब्रजेश कुमार मिश्र) (हुमैरा फात्मा) (रामकुमार)
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
यह निर्णय आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित व दिनांकित करके उद्घोषित किया गया।
(ब्रजेश कुमार मिश्र) (हुमैरा फात्मा) (रामकुमार)
सदस्य सदस्या अध्यक्ष