समक्ष न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम महोबा
परिवाद संख्या: 44/2015 उपस्थित:डा0 सिद्धेश्वर अवस्थी, सदस्य,
श्रीमती नीला मिश्रा, सदस्य,
श्रीमती रामा देवी पत्नी स्व0 विजय कुमार गुबरेले निवासिनी-मुहाल-वासुदेव कस्बा व तहसील-चरखारी जिला-महोबा ......परिवादिनी
बनाम
१.प्रबंधक,भारतीय जीवन बीमा लि0 महोबा शाखा कार्यालय महोबा जिला-महोबा ।
२.मण्डलीय प्रबंधक,भारतीय जीवन बीमा निगम मण्डलीय कार्यालय,जीवन बीमा विकास १६/९८ महात्मा गांधी मार्ग पो0बा0 नं0१७० कानपुर २०८००१ ......विपक्षी
निर्णय
श्रीमती नीला मिश्रा,सदस्या,द्वारा उदधोषित
परिवादिनी द्वारा यह परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध इन आधारों पर प्रस्तुत किया गया है कि परिवादिनी मुहाल-वासुदेव कस्बा व तहसील-चरखारी व जिला-महोबा की निवासिनी है और परिवादिनी के पति स्व0 विजय कुमार गुबरेले ने अपने जीवनकाल में १,००,०००/-रू0 की जीवन सुरभि पालिसी ली थी,जिसकी पालिसी सं0 २३२२२१३२६ तथा टेबिल नं0१०६-१५ है । इस पालिसी में प्रत्येक चार वर्ष में ३० प्रतिशत की वापसी है तथा परिवादिनी के पति पालिसी की तिमाही प्रीमियम २८४७/-रू0 देते थे । पालिसी की शर्त के अनुसार परिवादिनी के स्वर्गीय पति ने दो बार ३०,०००/- ३०,०००/- रू0 एवं एक बार ४०,०००/-रू0 प्राप्त किये । परिवादिनी के स्व0 पति अर्थाभाव के कारण ०३/२००९ से १२/२०११ तक प्रीमियम जमा नहीं कर सके तो उनकी पालिसी नानपेमेंट पर लैप्स हो गई,जिसको परिवादिनी के पति दि० ०१.०२.२०१२ को पालिसी का प्रीमियम अदा कर के रिवाइव करा लिया गया था । पालिसी के रिवाइवल के समय विपक्षी बीमा कंपनी के डाक्टर द्वारा परिवादिनी के पति का संपूर्ण चेकअप किया गया था और उनको स्वस्थ पाया गया । परिवादिनी के स्व0 पति की दिनांक:२६.०८.२०१४ को मृत्यु हो गई । परिवादिनी ने तत्काल इसकी सूचना विपक्षी सं01 को दी गई तथा क्लेम की धनराशि की मांग की गई तो विपक्षी द्वारा क्लेम फार्म भरवाया गया और मूल पालिसी बांड उससे ले लिया गया और कहा गया कि आपके क्लेमफार्म को निस्तारण हेतु विपक्षी सं01 के यहां भेज दिया जायेगा और वहां से आपको आपके पति की बीमा धनराशि मय दोहर हितलाभ के प्राप्त करा दी जायेगी । परिवादिनी लगातार विपक्षी सं01 के यहां बीमा धनराशि प्राप्त करने हेतु चक्कर लगाती रही लेकिन विपक्षी स01 द्वारा हर बार बताया गया कि अभी तुम्हारे क्लेम का निस्तारण नहीं किया गया । क्लेम के निस्तारण पर तुम्हें क्लेम की धनराशि प्रदान कर दी जायेगी । परन्तु दि0 ३१.०१.२०१५ को नो क्लेम लेटर विपक्षीगण द्वारा परिवादिनी को भेजा गया कि परिवादिनी के पति ने रिवाइवल के समय स्वास्थ्य के संबंध में महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाया गया था इसलिये उसे बीमित धनराशि नहीं दी जा सकती है । जबकि पालिसी के रिवाइवल के समय परिवादिनी के पति का विपक्षी के डाक्टर द्वारा पूर्ण परीक्षण किया गया और उनको पूर्ण स्वस्थ पाये जाने पर पालिसी का रिवाइवल किया गया । इस प्रकार विपक्षीगण द्वारा परिवादिनी को उसके पति की बीमित धनराशि प्रदान न करना घोर सेवा में त्रुटि एवं व्यापारिक कदाचरण है । अत: परिवादिनी ने अपने पति की बीमित धनराशि दो लाख रूपया दोहर हित लाभ सहित परिवादिनी के पति की मृत्यु की दिनांक से भुगतान की तिथि तक १८ प्रतिशत ब्याज सहित दिलाई जाये तथा मानसिक क्षति एवं परिवाद व्यय हेतु यह परिवाद प्रस्तुत किया गया ।
विपक्षीगण को जरिये रजिस्ट्री दिनांक:09.04.2015 को नोटिस भेजे गये,जो कार्यालय को वापस प्राप्त नहीं हुये । अत: विपक्षी पर पर्याप्त तामीला मानते हुये दिनांक:१४.०९.२०१५ को विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद की कार्यवाही एकपक्षीय रूप से चलाये जाने हेतु आदेश पारित किया गया ।
परिवादिनी की ओर से अभिलेखीय साक्ष्य के अतिरिक्त परिवाद पत्र के साथ परिवादिनी रमा देवी का शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया ।
पत्रावली का अवलोकन किया गया व परिवादी के अधिवक्ता के एकपक्षीय तर्क सुने गये। विपक्षीगण की ओर से सुनवाई में उनके अधिवक्ता उपस्थित आये और उनके द्वारा जबाबदावा हेतु स्थगन प्रार्थना पत्र एवं एकपक्षीय कार्यवाही के आदेश को अपास्त किये जाने हेतु प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किये गये,जिस पर परिवादी की और से आपत्ति की गई कि मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 45 दिन का अधिकतम समय विपक्षी को जबाबदावा हेतु दिया गया है और इस परिवाद में एक वर्ष से अधिक का समय हो चुका है तथा विपक्षी की और से जबाबदावा में देरी का कोई उचित कारण नहीं दर्शाया तथा न ही उसके समर्थन में कोई शपथ पत्र प्रस्तुत किया और न ही आज वे जबाबदावा लेकर उपस्थित हुये । अत:उन्होंने विपक्षी बीमा कंपनी के उक्त प्रार्थना पत्रों को निरस्त किये जाने की प्रार्थना की । पत्रावली के अवलोकन से स्पष्ट है कि लगभग एक वर्ष से अधिक का समय विपक्षी को सूचना दिये हो चुका है और अब और समय जबाबदावा हेतु दिया जाना न्यायोचित नहीं है । अत: विपक्षी के प्रार्थना पत्र निरस्त किये गये और परिवादी के अधिवक्ता के एकपक्षीय तर्क सुने गये ।
परिवादी द्वारा प्रस्तुत अभिलेखीय साक्ष्य कागज सं0७ग लगायत ९ग परिवादिनी के पति का मृत्यु प्रमाण पत्र, वोटर पहचान पत्र एवं नो क्लेम पत्र की छायाप्रतियां एवं परिवादिनी के शपथ पत्र से यह स्पष्ट है कि परिवादिनी के स्व0 पति विजय कुमार गुबरेले ने अपने जीवनकाल में १,००,०००/-रू0 की जीवन सुरभि पालिसी विपक्षी बीमा कंपनी से ली थी,जिसकी पालिसी सं0 २३२२२१३२६ तथा टेबिल नं0१०६-१५ है । इस पालिसी में प्रत्येक चार वर्ष में ३० प्रतिशत की वापसी है तथा परिवादिनी के पति पालिसी की तिमाही प्रीमियम २८४७/-रू0 देते थे । पालिसी की शर्त के अनुसार परिवादिनी के स्वर्गीय पति ने दो बार ३०,०००/- ३०,०००/- रू0 एवं एक बार ४०,०००/-रू0 प्राप्त किये । परिवादिनी के स्व0 पति अर्थाभाव के कारण ०३/२००९ से १२/२०११ तक प्रीमियम जमा नहीं कर सके तो उनकी पालिसी नानपेमेंट पर लैप्स हो गई,जिसको परिवादिनी के पति द्वारा दि० ०१.०२.२०१२ को पालिसी का प्रीमियम अदा कर के रिवाइव करा लिया गया था । पालिसी के रिवाइवल के समय विपक्षी बीमा कंपनी के डाक्टर द्वारा परिवादिनी के पति का संपूर्ण चेकअप किया गया था और उनको स्वस्थ पाया गया । परिवादिनी के स्व0 पति की दिनांक:२६.०८.२०१४ को मृत्यु हो गई । परिवादिनी ने तत्काल इसकी सूचना विपक्षी सं01 को दी गई तथा क्लेम की धनराशि की मांग की गई तो विपक्षी द्वारा क्लेम फार्म भरवाया गया और मूल पालिसी बांड उससे ले लिया गया और कहा गया कि आपके क्लेमफार्म को निस्तारण हेतु विपक्षी सं01 के यहां भेज दिया जायेगा और वहां से आपको आपके पति की बीमा धनराशि मय दोहर हितलाभ के प्राप्त करा दी जायेगी । परिवादिनी लगातार विपक्षी सं01 के यहां बीमा धनराशि प्राप्त करने हेतु चक्कर लगाती रही लेकिन विपक्षी स01 द्वारा हर बार बताया गया कि अभी तुम्हारे क्लेम का निस्तारण नहीं किया गया । क्लेम के निस्तारण पर तुम्हें क्लेम की धनराशि प्रदान कर दी जायेगी । परन्तु दि0 ३१.०१.२०१५ को नो क्लेम लेटर विपक्षीगण द्वारा परिवादिनी को भेजा गया कि परिवादिनी के पति ने रिवाइवल के समय स्वास्थ्य के संबंध में महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाया गया था इसलिये उसे बीमित धनराशि नहीं दी जा सकती है । जबकि पालिसी के रिवाइवल के समय परिवादिनी के पति का विपक्षी के डाक्टर द्वारा पूर्ण परीक्षण किया गया और उनको पूर्ण स्वस्थ पाये जाने पर पालिसी का रिवाइवल किया गया ।
विपक्षी बीमा कंपनी के नो क्लेम लेटर दि0 ३१.०१.२०१५,जिसके द्वारा परिवादिनी के पति द्वारा स्वास्थ संबंधी महत्वपूर्ण तथ्य छिपाकर दि0 ०१.१२.२०१२ को पालिसी का रिवाइवल कराना कहा गया है ,जिसके कारण परिवादिनी का दावा नो क्लेम किया गया । परन्तु रिवाइवल दि0 ०१.१२.२०१२ को कराया गया और परिवादिनी के पति की मृत्यु दि0 २६.०८.२०१४ अर्थात लगभग डेढ वर्ष से अधिक समय के उपरांत हुई है । साथ ही बीमा कंपनी द्वारा पर्याप्त सूचना के उपरांत भी लगभग एक वर्ष के अंतर्गत इस फोरम में उपस्थित न होना तथा उस संबंध में कोई जबाब न प्रस्तुत करना यह प्रदर्शित करता है कि विपक्षी बीमा कंपनी के पास स्वत: कोई न्यायसंगत आधार क्लेम आवेदन निरस्त करने के संबंध में नहीं था,जिसे वह क्लेम निरस्त करने के संबंध में फोरम के समक्ष प्रस्तुत करता । क्योंकि विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा परिवादिनी को भेजे गये नो क्लेम लेटर में ऐसे कोई तथ्य अंकित नहीं किये अथवा संलग्नक में परिवादिनी के पति द्वारा कराये गये इलाज की मेडिकल हिस्ट्री अथवा अन्य कोई प्रमाणित साक्ष्य नहीं भेजे। मात्र स्वास्थ्य संबंधी तथ्यों को छिपाया जाना कहने मात्र से विपक्षी बीमा कंपनी अपने उत्तरदायित्व से पीछे नहीं हट सकती क्योंकि यह बीमित धनराशि मृतक बीमाधारक स्व0 विजय कुमार गुबरेले के उत्तराधिकारीगण के लिये महत्वपूर्ण है । साथ ही विपक्षीगण द्वारा न तो अपना जबाबदावा प्रस्तुत किया गया और न ही अपने कथनों के संबंध में कोई शपथपूर्वक कथन किये गये और न ही बीमा कंपनी के डाक्टर को परीक्षण हेतु पेश किया गया जिसके आधार पर विपक्षीगण द्वारा परिवादिनी का दावा नो क्लेम किया गया । अत: परिवादिनी का क्लेम आवेदन निरस्त कर के विपक्षीगण ने सेवा में त्रुटि व व्यापारिक कदाचरण किया है । ऐसी परिस्थिति में परिवादिनी का परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य है ।
आदेश
परिवादिनी का परिवाद खिलाफ विपक्षीगण एकपक्षीय रूप से स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वे परिवादिनी को आज इस निर्णय की दिनांक से एक माह के अंदर परिवादिनी को उसके पति स्व0 विजय कुमार गुबरेले की बीमा पालिसी की बीमित धनराशि मय दोहर हित लाभ २,००,०००/-रू0 तथा इसके अतिरिक्त बीमा धनराशि एवं बोनस आदि की जो धनराशि नियमानुसार परिवादिनी को इसके अलावा देय हो तो उक्त दोंनों धनराशि परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से वास्तविक अदायगी की तिथि तक ९ प्रतिशत ब्याज सहित प्रदान करें । इसके अलावा मानसिक व आर्थिक क्षति के रूप में ५,०००/-रू0 एवं परिवाद व्यय के रूप में २,५००/-रू0 विपक्षी परिवादी को प्रदान करे । अन्यथा परिवादिनी विपक्षीगण से उक्त समस्त धनराशि पर ९ प्रतिशत सालाना की दर से ब्याज भी पाने की अधिकारिणी होगी।
(श्रीमती नीला मिश्रा) (डा0सिद्धेश्वर अवस्थी)
सदस्या, सदस्य,
जिला फोरम,महोबा। जिला फोरम,महोबा।
३०.०५.२०१६ ३०.०५.२०१६
यह निर्णय हमारे द्वारा आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित,दिनांकित एवं उद़घोषित किया गया।
(श्रीमती नीला मिश्रा) (डा0सिद्धेश्वर अवस्थी)
सदस्य, सदस्या,
जिला फोरम,महोबा। जिला फोरम,महोबा।
३०.०५.२०१६ ३०.०५.२०१६