जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, जांजगीर-चाॅपा (छ0ग0)
प्रकरण क्रमांक:- CC/29/2015
प्रस्तुति दिनांक:- 10/04/2015
श्रीमती रेषम कुमारी अविनाषी, आयु 61 वर्श,
पति श्री समयदास अविनाषी,
निवासिनी-ग्राम-डोंगाकोहरौद, तहसील-पामगढ़,
जिला जांजगीर-चाम्पा छ.ग. ..................आवेदिका/परिवादी
( विरूद्ध )
1. शाखा प्रबंधक,
भारतीय जीवन बीमा निगम,
षाखा कार्यालय नैला,
जिला जांजगीर-चाम्पा छ.ग.
2. श्रीमान् मण्डल प्रबंधक,
भारतीय जीवन बीमा निगम,
मण्डल कार्यालय, व्यापार विहार बिलासपुर,
जिला-बिलासपुर छ.ग.
3. आनंद दास मानिकपुरी, बीमा एजेंट,
भारतीय जीवन बीमा निगम,
निवासी-कुलीपोटा,
जिला जांजगीर-चाम्पा छ.ग. .........अनावेदकगण/विरोधी पक्षकारगण
///आदेश///
( आज दिनांक 17/11/2015 को पारित)
1. परिवादी/आवेदिका ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत यह परिवाद अनावेदकगण के विरूद्ध बीमा धन की राषि 2,01,580/-रू. पर परिपक्वता दिनांक से 12 प्रतिषत ब्याज, षारीरिक एवं मानसिक परेषानी का 50,000/-रू., वाद व्यय एवं अन्य अनुतोश दिलाए जाने हेतु दिनांक 10.04.2015 को प्रस्तुत की है।
2. यह अविवादित तथ्य है कि-
1. अनावेदक क्रमांक 1 एवं 2 एक निगम है, जो संपूर्ण भारत वर्श में जीवन बीमा से संबंधित व्यवसाय का संचालन करते हैं तथा अनावेदक क्रमांक 3 अनावेदक क्रमांक 1 एवं 2 के नियुक्त बीमा एजेंट हैं ।
2. अनावेदक क्रमांक 1 एवं 2 द्वारा अपने जीवन बीमा व्यवसाय के संबंध में नियुक्त बीमा एजेंट अनावेदक क्रमांक 3 द्वारा अनावेदगण के व्यवसाय तथा जीवन बीमा पाॅलिसी से संबंधित जानकारी सामान्य जन जीवन बीमा हेतु इच्छुक व्यक्तियों को प्रदान किया जाता है।
3. अनावेदक क्रमांक 1 एवं 2 की ओर से अनावेदक क्रमांक 3 द्वारा आवेदक को बीमा पाॅलिसी ’’जीवन आस्था’’ पाॅलिसी क्रमांक 385606543 एवं 385606560 दिनांक 27.01.2009 को एकमुष्त प्रीमियम राषि 50,395/-रू.-50,395/-रू. प्राप्त कर जारी किया गया था, जिसकी परिपक्वता तिथि 28.12.2013 थी ।
4. पूर्व में परिवादी एवं अन्य ने संयुक्त रूप से परिवाद पत्र उपभोक्ता प्रकरण क्रमांक 2014/26 प्रस्तुत किया था, जिसे वापस प्राप्त कर पृथक-पृथक परिवाद पेष किए हैं ।
3. परिवाद के निराकरण के लिए आवष्यक तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि अनावेदक क्रमांक 3 द्वारा अनावेदकगण द्वारा जारी एक बीमा पाॅलिसी (जीवन आस्था) के संबंध में आवेदिका को बताया गया कि अनावेदक क्रमांक 1 एवं 2 द्वारा जारी उक्त बीमा पाॅलिसी जीवन आस्था दिनांक 08.12.2008 से 45 दिन की योजना/सीमित दिनों की योजना है, उक्त बीमा पाॅलिसी के तहत बीमा कराने पर गारण्टीड रिटर्न के साथ बीमाधन 5 वर्शों में दुगना तथा 10 वर्शों में तीन गुना हो जावेगा, साथ ही उक्त बीमा पाॅलिसी के तहत् एक वर्श पष्चातह् ऋण सुविधा एवं अभ्यपर्ण की सुविधा भी उपलब्ध है तथा पाॅलिसी 13 से 6 वर्श के आयु वर्ग के व्यक्तियों के लिए है । उनके द्वारा तत्संबंध में उपलब्ध कराये गये दस्तावेजों यथा बीमा पाॅलिसी जीवन आस्था के पाम्पलेट एवं उसके गारण्टीड रिटर्न टेबल-195 पर विष्वास करते हुये पाॅलिसी लेने हेतु सहमत हुई। उक्त पाॅलिसी के योजनानुसार 5 वर्श के बीमा पाॅलिसी हेतु एक मुष्त प्रीमियम की राषि रूपये 50,395/-रू.-50,395/-रू. दिनांक 27.01.2009 को अनावेदक क्रमांक 1 के कार्यालय में जमा किया गया तथा जिस पर पाॅलिसी क्रमांक 385606543 एवं 385606560 जारी किया गया, जिसकी परिपक्वता तिथि दिनांक 28.12.2013 थी, जिस पर परिपक्वता तिथि को कुल 2,01,580/-रू. प्राप्त होना था, किंतु अनावेदक क्रमांक 2 द्वारा जारी पत्र दिनांक 28.12.2013 के अनुसार आवेदिका को मात्र 65,350/-रू.-65,350/-रू.-का भुगतान होना व्यक्त किया गया जो कि प्राप्त होने वाली राषि से 70,880/-रू. कम है। इस प्रकार अनावेदकगण द्वारा झूठी जानकारी दी गई तथा आज पर्यन्त उक्त राषि का भुगतान न कर कदाचरण युक्त व्यवसाय किया तथा सेवा में कमी की गई । आवेदिका ने अनावेदकगण से बीमा धन की राषि 2,01,580/-रू. पर परिपक्वता दिनांक से 12 प्रतिषत ब्याज, षारीरिक एवं मानसिक परेषानी का 50,000/-रू., वाद व्यय एवं अन्य अनुतोश दिलाए जाने का निवेदन की है।
4. अनावेदकगण ने स्वीकृत तथ्य को छोड़ षेश सभी तथ्यों से इंकार करत हुए कथन किया है कि भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा किसी भी पाॅलिसी लाॅच करने के पूर्व षासकीय प्रचार माध्यम से बीमा पाॅलिसी के संबंध में जानकारी दी जाती है, तथा विवरणिका के रूप में पुस्तिका छापी जाती है, उसी अनुक्रम में बीमा पाॅलिसी जीवन आस्था का टेबल क्रमांक 195 के अनुसार प्रकाषित किया गया है तथा इसके सिवाय अन्य कोई पाम्पलेट आदि प्रकाषित नहीं किये गये हैं । उक्त पाम्पलेट के आधार पर पाॅलिसी क्रय करने का कथन गलत है । बीमा निगम के नियम के अनुसार उसे 1,30,700/-रू. प्राप्त होना था, जिसे निगम द्वारा भुगतान कर दिया गया है। अनावेदकगण द्वारा किसी तरह का व्यावसायिक कदाचरण नहीं किया गया है । बीमा एक आग्रह की वस्तु है, जिसे आवेदिका के आग्रह पर उसके अनुसार ही कथित राषि की पाॅलिसी जारी की गई थी । उक्त पाॅलिसी जारी करने में किसी तरह का झूठा एवं गलत जानकारी प्रदान नहीं की गई है । इस प्रकार अनावेदकगण द्वारा किसी प्रकार की सेवा में कोई कमी नहीं की गई है । अतः आवेदिका का परिवाद निरस्त किये जाने का अनुरोध किया गया है ।
5. परिवाद पर उभय पक्ष को विस्तार से सुना गया। अभिलेखगत सामग्री का परिषीलन किया गया है ।
6. विचारणीय प्रष्न यह है कि:-
1. क्या अनावेदकगण/विरूद्ध पक्षकारगण ने बीमा पाॅलिसी ’’जीवन आस्था’’ का पाम्पलेट एवं गारंटी रिटर्न टेबल 195 द्वारा प्रचारित एवं प्रसारित किया था ?
2. क्या बीमा पाॅलिसी ’’जीवन आस्था’’ पाॅलिसी क्रमांक 385606543 एवं 385606560 दिनांक 27.01.2009 के तहत योजना के अनुसार 5 वर्श पष्चात् परिपक्वता राषि 2,01,580/-रू. प्राप्त होना था ?
3. क्या अनावेदकगण ने आवेदिका से बीमा पाॅलिसी ’’जीवन आस्था’’ के संबंध में गलत जानकारी प्रदान करते हुए कदाचरणयुक्त व्यवसाय कर सेवा में कमी की है ?
निष्कर्ष के आधार
विचारणीय प्रष्न क्रमांक 1 का सकारण निष्कर्ष:-
7. परिवादी ने परिवाद के समर्थन में षपथ-पत्र प्रस्तुत की है । परिवाद में बतलाई है कि अनावेेदक क्रमांक 3 द्वारा आवेदिका से संपर्क कर बीमा पाॅलिसी जीवन आस्था के संबंध में जानकारी दिया कि दिनांक 08.12.2008 से 45 दिनों की योजना सीमित दिनों की योजना है, उक्त पाॅलिसी के तहत बीमा कराने पर गारण्टीड रिटर्न के साथ बीमाधन 5 वर्शों में दुगना तथा 10 वर्शों में तीन गुना हो जावेगा, साथ ही उक्त बीमा पाॅलिसी के तहत एक वर्श पष्चात् ऋण सुविधा एवं अभ्यपर्ण की सुविधा भी उपलब्ध है । उक्त बीमा पाॅलिसी 13 से 60 वर्श के आयु वर्ग के व्यक्तियों के लिये है। बीमा पाॅलिसी जीवन आस्था के पाम्पलेट एवं उसके गारण्टीड रिटर्न टेबल-195 पर विष्वास करते हुये, बीमा पाॅलिसी लेने हेतु सहमत हुई ।
8. अनावेदगण ने परिवादी का बीमा पाॅलिसी जीवन आस्था पाॅलिसी क्रमांक 385606543 एवं 385606560 का बीमा करना स्वीकार किया है, किंतु इस तथ्य से स्पश्ट इंकार किया है कि अनावेदकगण द्वारा पाम्पलेट प्रकाषित किया गया था अथवा करवाये थे । बीमा पाॅलिसी द्वारा 5 वर्शों में परिपक्वता राषि दो गुना होना भी स्पश्ट रूप से इंकार किये हैं।
9. अनावेदकगण ने बीमा पाॅलिसी जीवन आस्था का टेबल क्रमांक 195 दस्तावेज क्रमांक 1 तथा परिवादी के बीमा पाॅलिसी दस्तावेज क्रमांक 2 फोटोप्रति प्रस्तुत किए हैं । परिवादी ने भी बीमा पाॅलिसी की अनावेदक क्रमांक 2 द्वारा दी सूचना की फोटोप्रति दस्तावेज क्रमांक 1 से 4 प्रस्तुत किया है। परिवादी द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज क्रमांक 1 तथा अनावेदकगण द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज क्रमांक 2 अनुसार उक्त पाॅलिसी 5 वर्श के लिए है तथा एकल प्रीमियम राषि है, जिसमें लाभ के विषेश प्रावधान निम्नानुसार उल्लेखित किया गया है:-
विषेश प्रावधान:
1. गारंटित वृद्धियाॅं: 5 वर्श की अवधि वाली पाॅलिसी के लिए रू. 90 प्रति हजार परिपक्वता बीमा राषि प्रति वर्श की दर से और 10 वर्श की अवधि वाली पाॅलिसी के लिए रू. 100 प्रति हजार परिपक्वता बीमा राषि प्रति वर्श की दर से पाॅलिसी के हर वर्श के लिए गारंटित वृद्धि प्रोद्भूत होगी।
2. निश्ठा वृद्धियां: इस प्लान के अंतर्गत जारी पाॅलिसियों के बारे में निगम के अनुभव के आधार पर यह पाॅलिसी निश्ठा वृद्धियों के रूप में लाभों में भाग लेगी । बीमित व्यक्ति के परिपक्वता की निर्धारित तिथि तक जीवित रहने पर या पाॅलिसी के अंतिम वर्श के दौरान बीमित व्यक्ति की मृत्यु पर यह पाॅलिसी उस दर से और उन षर्तों पर जो पाॅलिसी के अंतर्गत निगम घोशित करे, निश्ठा वृद्धियों के भुगतान के लिए पात्र होगी, यदि कोई हो ।
देय निश्ठा वृद्धि परिपक्वता बीमा राषि पर आधारित होगी ।
उक्त दस्तावेजी प्रमाण बीमा पाॅलिसी अनावेदक के दस्तावेज क्रमांक 2 के प्रति तथा परिवादी के दस्तावेज क्रमांक 1 के विषेश प्रावधान अनुसार तथा बीमा पाॅलिसी जीवन आस्था के टेबल नंबर 195 अनुसार गणना करने पर पाॅलिसी की राषि 5 वर्शों में दो गुना होना उल्लेखित नहीं है ।
10. परिवादी ने दस्तावेज क्रमांक 9 एवं 10 पाम्पलेट की प्रति प्रस्तुत किया है, जिसमें जीवन आस्था 5 वर्शों में आपका पैसा दोगुना तथा 10 वर्शाें में आपका पैसा तीन गुना होना उल्लेखित है । परिवादी ने परिवाद के तथ्यों के आधार पर तर्क किया है कि अनावेदक क्रमांक 3, जो अनावेदक क्रमांक 1 और 2 का बीमा एजेंट है ने उक्त पाम्पलेट द्वारा जानकारी दिया कि बीमा राषि 5 वर्शाें में दोगुना हो जाएगी, किंतु पाॅलिसी परिपक्वता पर बीमा कंपनी से प्राप्त विवरण अनुसार दोगुनी से कम राषि प्राप्त होने की जानकारी होना बताया गया।
11. अनावेदकगण ने परिवादी द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज क्रमांक 9 एवं 10 पाम्पलेट का प्रकाषन किए जाने से इंकार किया है तथा जीवन आस्था बीमा पाॅलिसी के नियमानुसार 5 वर्शों में बीमा राषि दोगुना नहीं होता है बतलाया है । इस तरह परिवादी के इस तथ्य को इंकार किया है कि अनावेदक क्रमांक 1 व 2 की ओर से अनावेदक क्रमांक 3 ने परिवादी को दस्तावेज क्रमांक 9 एवं 10 का पाम्पलेट देकर बीमा राषि 5 वर्शों में दोगुना होने की जानकारी दिया था ।
12. परिवादी ने परिवाद के समर्थन में अपना षपथ पत्र पस्तुत करने के अलावा दस्तावेज क्रमांक 9 एवं 10 अनावेदक क्रमांक 3 द्वारा उसे दिए गए थे के समर्थन में कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया है ।
13. बीमा पाॅलिसी ’’जीवन आस्था’’ 5 वर्शाें में पैसा दोगुना होने की जानकारी तथा दस्तावेज क्रमांक 9 एवं 10 का पाम्पलेट अनावेदकगण की ओर से अनावेदक क्रमांक 3 द्वारा दिया गया था को प्रमाणित करने का भार परिवादी पर है ।
14. दस्तावेज क्रमांक 9 एवं 10 पाम्पलेट में अनावेदकगण द्वारा प्रकाषित किए जाने का उल्लेख नहीं है । इसी प्रकार उक्त दोनों दस्तावेजों में न तो मुद्रक का नाम उल्लेखित है, न ही किसने छपवाया उसका नाम उल्लेखित है और न ही किस स्थान पर उसे छपवाया गया उसका भी उल्लेख नहीं है ।
15. बुक्स/पेपर/पाम्पलेट के मुद्रण प्रकाषन के संबंध में प्रेस एवं रजिस्टेªषन आॅफ बुक्स एक्ट 1867 के भाग-2 अनुसार मुद्रक का नाम, स्थान, मात्रा, किसके द्वारा प्रकाषित करवाया का उल्लेख आवष्यक होता, जिससे सहज जाना जा सके दस्तावेज क्रमांक 9 एवं 10 पाम्पलेट में यह विवरण नहीं है कि उक्त पाम्पलेट को कहाॅं से, किसने छपवाया तथा किसने छापा था । स्पश्ट रूप से अनावेदकगण द्वारा पाम्पलेट को छपवाया गया था का उल्लेख नहीं है जैसा कि पाम्पलेट के नीचे भाग पर यह विवरण रहता है कि पाम्पलेट किसने छापा ? कितनी मात्रा में छापा ? किसने छपवाया ? और किस स्थान पर छापा गया ? इस प्रकार दस्तावेज क्रमांक 9 एवं 10 से यह प्रमाणित नहीं हुआ है कि उक्त दोनों पाम्पलेट को अनावेदकगण ने छपवाया था ।
16. परिवादी ने तर्क किया है कि जीवन आस्था बीमा पाॅलिसी में रकम 5 वर्श में दोगुना होने की जानकारी देकर अनावेदक क्रमांक 3 ने परिवादी का बीमा कराया था। परिपक्वता पर बीमा राषि दोगुना नहीं दिए जाने पर अनावेदकगण ने परिवादी के साथ छल किया है, कदाचरणयुक्त व्यवसाय किया है । अनावेदकगण ने कदाचरण युक्त व्यवसाय किया है को प्रमाणित करने का प्रथम दृश्टया भार परिवादी पर है । अभिलेखगत सामग्री से यह प्रमाणित नहीं हुआ है कि दस्तावेज क्रमांक 9 एवं 10 अनावेदगण ने छपवाया था, जो अनावेदकगण की ओर से अनावेदक क्रमांक 3 ने परिवादी को उक्त बीमा पाॅलिसी जीवन आस्था बाबत् बताया था ।
17. परिवादी के दस्तावेज क्रमांक 9 एवं 10 पाम्पलेट के पृश्ठ भाग पर जीवन आस्था पाॅलिसी का टेबल क्रमांक-195 में आयु वर्ग 13 से 60 वर्श तक के बीमा लाभ का विवरण उल्लेखित है । अनावेदकगण ने बीमा पाॅलिसी में उल्लेखित विषेश प्रावधान अनुसार बीमा लाभ बीमा धारक को प्राप्त होना बतलाया है । उक्त बीमा योजना के पृश्ठ भाग के विवरण अनुसार बीमा बीमा राषि 5 वर्श की परिपक्वता पर दोगुना उल्लेखित नहीं है ।
18. परिवादी ने उसका दस्तावेज क्रमांक 9 एवं 10 पाम्पलेट के प्रभाव में आकर अन्य लोगों ने भी बीमा कराया के संबंध में अन्य किसी व्यक्ति का न तो षपथ पत्र प्रस्तुत किया है और न ही अन्य व्यक्तियों द्वारा, जो उनके परिवार से नहीं है, का कोई पाॅलिसी का विवरण प्रस्तुत किया है । इस प्रकार अनावेदक क्रमांक 3 द्वारा पाम्पलेट द्वारा बीमा राषि 5 वर्शों में दोगुनी होना प्रचारित प्रसारित किया का समर्थन नहीं है ।
19. उपरोक्तनुसार विचारणीय प्रष्न क्रमांक 1 अनावेदकगण के विरूद्ध युक्तियुक्त रूप से प्रमाणित नहीं हुआ है । अभिलेखगत सामग्री से अनावेदकगण के विरूद्ध विचारणीय प्रष्न क्रमांक 1 प्रमाणित नहीं होना हम पाते हैं । तद्नुसार निश्कर्श देते हैं ।
विचारणीय प्रष्न क्रमांक 2 का सकारण निष्कर्ष:-
20. परिवादी ने बीमा पाॅलिसी क्रमांक 385606543 एवं 385606560 दिनांक 27.01.2009 के तहत बताए गए योजना अनुसार 5 वर्श पष्चात परिपक्वता राषि 2,01,580/-रू. प्राप्त होना था बताया है। परिवादी ने बीमा पाॅलिसी दस्तावेज क्रमांक 1 की परिपक्वता पष्चात बीमा कंपनी द्वारा परिवादी को दिया गया विवरण दस्तावेज क्रमांक 2 के रूप में प्रस्तुत किया है, जिसके अनुसार कुल 1,30,700/-रू. परिपक्वता पर परिवादी को प्राप्त होना था, जो बीमा पाॅलिसी दस्तावेज क्रमांक 1 तथा अनावेदगण की ओर से प्रस्तुत दस्तावेज बीमा पाॅलिसी की फोटोप्रति दस्तावेज क्रमांक 2 से भी स्पश्ट है कि परिपक्वता राषि 2,01,580/-रू. नहीं होता है, बल्कि 1,30,700/-रू. होता है । उक्त अनुसार से विचारणीय प्रष्न क्रमांक 2 का निश्कर्श ’’नहीं’’ में दिया जाना हम उचित पाते हैं ।
विचारणीय प्रष्न क्रमांक 3 का सकारण निष्कर्ष:-
21. अनावेदकगण द्वारा परिवादी को बीमा पाॅलिसी जीवन आस्था के संबंध में गलत जानकारी प्रदान कर किया गया था युक्तियुक्त रूप से स्थापित, प्रमाणित नहीं हुआ है। परिवादी द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज क्रमांक 1 बीमा पाॅलिसी की परिपक्वता पष्चात दस्तावेज क्रमांक 2 अनुसार कुल 1,30,700/-रू. परिवादी को प्राप्त होना है, जिससे अनावेदगण द्वारा कदाचरणयुक्त व्यवसाय कर सेवा मंे कमी किया जाना भी प्रमाणित नहीं होना हम पाते हैं ।
22. उपरोक्त संपूर्ण तथ्यों से अनावेदकगण द्वारा परिवादी को गलत जानकारी प्रदान करते हुए कदाचरण युक्त व्यवसाय कर सेवा में कमी किया जाना प्रमाणित नहीं हुआ है, परिणामस्वरूप अनावेदकगण के विरूद्ध प्रस्तुत यह परिवाद स्वीकार करने योग्य होना हम नहीं पाते हैं, परिणामतः परिवाद निरस्त किए जाने योग्य पाते हुए, निरस्त करते हैं ।
23. प्रकरण की परिस्थितियों से उभय पक्ष अपना-अपना वाद-व्यय स्वयं वहन करेंगे ।
( श्रीमती शशि राठौर) (मणिशंकर गौरहा) (बी.पी. पाण्डेय)
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