Chandra prakash prajapati filed a consumer case on 25 Mar 2015 against LIC, Branch Manager in the Kota Consumer Court. The case no is CC/342/2006 and the judgment uploaded on 21 Apr 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, मंच, झालावाड केम्प कोटा ( राजस्थान )
पीठासीनः- अध्यक्ष, श्री नंदलाल शर्मा, मेम्बर श्री महावीर तंवर
परिवाद संख्या:- 342/06
चन्द्र प्रकाश पुत्र स्व. अमरलाल उम्र 30 वर्ष जाति प्रजापति निवासी खेडली काल्या तहसील दीगोद जिला कोटा। परिवादी
बनाम
01. शाखा प्रबंधंक, भारतीय जीवन बीमा निगम, शाखा-तृतीय, एरोड्राम सर्किल कोटा, जिला कोटा राजस्थान-324007 हाल पेट्रोल पम्प केपास।
02. डिवीजनल मैनेजर, भारतीय जीवन बीमा निगम, जीवन प्रकाश रानाडे मार्ग, बाॅक्सा नं.2, अजमेर-305008 विपक्षीगण
प्रार्थना पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थिति:-
01. श्री ओम प्रकाश प्रजापति, अधिवक्ता, परिवादी की ओर से।
02. श्री डी आर द्धिवेदी,अधिवक्ता, विपक्षीगण की ओर से।
निर्णय दिनांक 25.03.15
परिवादी का यह परिवाद जिला मंच कोटा से स्थानान्तरण होकर वास्ते निस्तारण जिला मंच, झालावाड को प्राप्त हुआ जिसमें अंकित किया कि उसके पिता स्वं. अमर लाल पुत्र गोबरी लाल जाति प्रजापति निवासी ग्राम खेडली काल्य ने अपने जीवनकाल में विपक्षीगण को वार्षिक प्रिमियम राशि 5,148/- रूपये अदा कर दिनांक 28.05.01 को बीमाधन 51,000/- रूपये का बीमा करवाकर बीमा पालिसी संख्या 0184529338 प्राप्त की थी। परिवादी के पिता की मृत्यु दिनांक 03.04.05 को अचानक हो गई, जिनकी मृत्यु का कारण पोस्ट मार्टम रिपोर्ट में भी नहीं आया। दिनांक 24.04.04 को विपक्षी सं. 1 ने बीमाधारी के स्वास्थ्य परीक्षण के आधार पर पेनल्टी सहित राशि जमा करवाकर पाॅलिसी का पुर्नचलन करवाया। परिवादी ने समस्त औपचारिकताऐ पूर्ण बीमा क्लेम विपक्षीगण के यहाॅ पेश किया, जिसे विपक्षीगण ने दिनांक 12.12.05 को खारिज कर दिया। विपक्षीगण ने परिवादी का बीमा क्लेम गलत तौर पर खारिज कर उसकी सेवा में कमी की है। परिवादी को विपक्षीगण से बीमा क्लेम की राशि, मानसिक क्षति, परिवाद खर्च दिलवाया जावे।
विपक्षीगण ने परिवादी के परिवाद का विरोध करते हुये जवाब पेश किया उसमें अंकित किया कि बीमाधारी अमरलाल ने बीमा कराते समय प्रस्ताव पत्र में शराब का सेवन करने का तथ्य छिपा कर कपट पूर्वक बीमा पालिसी प्राप्त की। उक्त बीमा पालिसी लगातार प्रभावित नहीं थी। उक्त बीमा पालिसी का पुर्नचलन करवाया गया था। परिवादी के पिता की मृत्यु अत्यधिक शराब के सेवन करने से हुई। इस तथ्य को स्वयं परिवादी ने स्वीकार किया। इसलिये परिवादी बीमा क्लेम का भुगतान प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। परिवादी का परिवाद नियमानुसार सही रूप से खारिज किया है, इसलिये परिवादी की सेवा में किसी भी प्रकार कोई सेवा में कमी नहीं की।
उपरोक्त अभिकथनों के आधार पर बिन्दुवार हमारा निर्णय निम्न प्रकार हैः-
01. क्या परिवादी विपक्षीगण का उपभोक्ता है ?
परिवादी के परिवाद, शपथ-पत्र,बीमा पालिसी, विपक्षीगण के जवाब से परिवादी विपक्षीगण का उपभोक्ता है।
02. क्या विपक्षीगण ने सेवा दोष किया है ?
उभय पक्षों को सुना गया। उभय पक्ष इस बात पर सहमत है कि मूतक की पालिसी दिनांक 28.05.01 को करवाई थी, लेकिन किस्त जमा नही होने के कारण समाप्त हो चुकी । दिनांक 24.04.04 को पालिसी का पुर्न चलन किया और समस्त किस्ते पेनल्टी सहित जमा करने से पालिसी 2001 से लगातार जारी रही । दिनांक 03.04.05 को बीमाधारी की मृत्यु होना उभय पक्ष स्वीकार करते है।
बीमाधारी की मृत्यु के कारण पर उभय पक्षों में विरोधाभास है। जहाॅ परिवादी का तर्क है कि बीमाधारी की मृत्यु आकस्मिक अवस्था में हुई, मानसिक संतुलन ठीक नहीं होने के कारण हुई, मृत्यु के कारण के बारे में पोस्ट मार्टम रिपोर्ट में भी स्पष्ट हवाला न देकर एफ एस एल का आधार बनाया है। इसलिये बीमाधारी का क्लेम परिवादी प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है।
वही विपक्षीगण कहते है कि बीमाधारी की मृत्यु अत्यधिक शराब पीने के कारण पानी की कमी के कारण हुई इन तथ्यों की पुष्टि में विपक्षीगण द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज के अनुसार प्रदर्शएन सी 5 भारतीय जीवन बीम निगम द्वारा बीमाधारी की मृत्यु के बाबत् रिपोर्ट में अंकित किया है कि बीमाधारी की मृत्यु ज्यादा शराब पनी ेके कारण हो गई।अनुसंधान में अंकित किया है कि बीमाधारी 2 वर्ष से अधिक समय से शराब पिया करता था, इसलिये मृत्यु हुई हैं परिवादी चन्द्र प्रकाश मीणा ने प्रदर्श-एन सी 11 में बताया है कि उसके पिता (बीमाधारी) 2 वर्ष से अधिक समय से शराब पीने लग गया था। मृतक ने अधिक शराब पी ली होगी। परिवादी चन्द्र प्रकाश ने प्रदर्श -एन सी 18 में यह अंकित किया है उसके पिता की मृत्यु दिनांक 03.04.05 को अधिक शराब पीने से हुई, वह पहले थोडी-थोडी पीते थे, उसी दिन ज्यादा पीने में आ गई, जिससे उसकी मृत्युु हो गई।
यद्यपि परिवादी का यह कथन सच है कि पोस्ट मार्टम रिपोर्ट में मृत्यु का कारण यह अंकित है कि एफ एस एल प्राप्त होने के बाद ही बताई जायेगी। परन्तु पुलिस द्वारा प्रस्तुत एफ आर प्रदर्श-एन सी 8 में यह नोट अंकित है कि एफ एस एल प्राप्त होने का एम ओ साहब ने रय देना बताया है परन्तु जांच में यह पाया है कि ज्यादा शराब पनी से बीमाधारी रास्ता चूक गया और पानी नही मिलने के कारण मृत्यु का होना पाया है। मृत्यु के बारे में परिवादी को कोई श्ंाका नही है।
इसके अलावा मूल पालिसी में मद नं. 11(जे) मृतक से पूछा गया कि वह शराब मादक द्रव्यया किसी अन्य नशीली वस्तु या तम्बाकू किसी भी रूप में सेवन करते है या कभी किया ? इसका उत्तर नहीं दिया गया। इस नवीन पालिसी में बीमाधारी ने यह घोषणा की है कि कालातीत पालिसी के पुर्नचलन संबंध अनुबंध के आधार पर होगे और यदि इसमें कोई कथन असत्य पाया जायेगा तो पूर्णतया रद्द हो जायेगा तथा इस संबंध में चुकाई गई राशि समस्त धन राशि निगम द्वारा जप्त कर ली जावेगी। मृतक बीमाधारी ने शराब पीने से मना किया है जबकि मृतक की मृत्यु का कारण अधिक शराब पीने से हुई है। फलस्वरूप बीमाधारी का कथन असत्य पाया गया है इस संदर्भ में विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता द्वारा प्रस्तुत किये गये न्यायिक दृष्टान्त 01. राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, नई देहली, रीवीजन पीटीशन नं. 50/11 काजोल बनाम भारतीय जीवन बीमा निगम आदेश दिनांक 04.04.11, 02. राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, नई देहली, प्रथम अपील नं. 01/04 भारतीय जीवन बीमा निगम बनाम श्रीमती मीना महलावत आदेश दिनांक 09.09.11, 08., 03. भाग 4 (2009)सी पी जे (एस सी)8 से प्रकाश प्राप्त होता है। उपरोक्त विवेचन के आधार पर विपक्षीगण का कोई सेवा दोष नहीं है।
03. अनुतोष ?
परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के खिलाफ खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी चन्द्र प्रकाश का परिवाद विपक्षीगण के खिलाफ खारिज किया जाता है। पक्षकारान परिवाद खर्च अपन-अपना स्वयं वहन करेगे।
(महावीर तंवर) (नंदलाल शर्मा)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष
मंच,झालावाड केम्प कोटा मंच, झालावाड, केम्प कोटा।
निर्णय आज दिनांक 25.03.15 को खुले मंच में लिखाया जाकर सुनाया गया।
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष
मंच,झालावाड केम्प कोटा मंच, झालावाड, केम्प कोटा।
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