राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-27/2017
(सुरक्षित)
(जिला उपभोक्ता फोरम, कानपुर नगर द्वारा परिवाद संख्या 141/2011 में पारित आदेश दिनांक 16.09.2016 के विरूद्ध)
Asgharuddin s/o Zuhur-uddin aged about 72 r/o Ghari Manikpur, Tehsil : Kunda, District : Pratapgarh.
.................अपीलार्थी/परिवादी
बनाम
1. L G Electronics India Pvt. Ltd. Plot No. 51 Udyog
Vihar Surajpur Kasna Road, Greater NOIDA,
through its general manager.
2. M/s Laxmi Radios 25/16, shop no. 4 Sagar market,
Karachi Khana, Kanpur.
.................प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री अबुल फजल,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री अरूण टण्डन,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 17.11.2017
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या-141/2011 असगरूद्दीन बनाम एल0जी0 इलेक्ट्रानिक्स इण्डिया प्रा0लि0 व एक अन्य में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, कानपुर नगर द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 16.09.2016 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गयी है।
आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद खारिज कर दिया है, जिससे क्षुब्ध होकर परिवाद के परिवादी असगरूद्दीन ने यह अपील प्रस्तुत की है।
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अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री अबुल फजल और प्रत्यर्थीगण संख्या-1 व 2 के विद्वान अधिवक्ता श्री अरूण टण्डन उपस्थित आए हैं।
मैंने उभय पक्ष के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय व आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार हैं कि अपीलार्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्तुत किया है कि दिनांक 23.04.2010 को वह प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-1 द्वारा निर्मित फ्रिज उसके डीलर प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-2 के यहॉं लेने गया और प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-1 द्वारा निर्मित 290 लीटर की सिल्की ब्लासम रंग की 308 बी.ए. 5 माडल की फ्रिज पसंद किया, जिसका मूल्य प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-2 ने 19,700/-रू0 बताया। अपीलार्थी/परिवादी ने 19,700/-रू0 प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-2 को अदा किया और उभय पक्ष के बीच यह तय हुआ कि फ्रिज ट्रांसपोर्ट के द्वारा प्रतापगढ़ भेज दी जाएगी। इसके लिए अपीलार्थी/परिवादी ने 325/-रू0 अलग से प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-2 को अदा किया। उसके बाद दिनांक 05.05.2010 को कानपुर फाफामऊ फारवर्डिंग एजेंसी द्वारा बिल्टी नं0-8457 के द्वारा अपीलार्थी/परिवादी को दिनांक 08.05.2010 को फ्रिज की डिलीवरी की गयी, परन्तु फ्रिज खोलने पर अपीलार्थी/परिवादी यह देखकर आश्चर्य चकित हुआ कि उसने जिस फ्रिज का आर्डर किया था वह फ्रिज नहीं भेजी गयी है। उसकी जगह दूसरे रंग व माडल की फ्रिज भेज दी गयी है। अपीलार्थी/परिवादी ने प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-2 से शिकायत की तो प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-2 ने प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-1 की ओर से अपीलार्थी/परिवादी को यह आश्वासन दिया कि वह उपरोक्त फ्रिज अपीलार्थी/परिवादी के यहॉं से उठा लेगा और आदेश के अनुसार बुक की गयी फ्रिज उसे भेज देगा।
परिवाद पत्र के अनुसार अपीलार्थी/परिवादी का कथन है कि
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दिनांक 31.05.2010 तक तमाम प्रयासों के बावजूद प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-2 ने उसके यहॉं से फ्रिज नहीं उठवायी और उसे बुक करायी गयी फ्रिज नहीं भेजा। तब उसने दिनांक 01.06.2010 को प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-2 को पत्र स्पीड पोस्ट के द्वारा भेजा। उसके बाद पुन: दिनांक 30.06.2010 को दूसरा पत्र भेजा। दूसरे पत्र के उत्तर में प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-1 ने अपीलार्थी/परिवादी को दिनांक 23.07.2010 को उत्तर दिया, जिसमें प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-2 ने यह माना कि उसके कर्मचारी की गलती से अपीलार्थी/परिवादी को दूसरी फ्रिज भेज दी गयी है। इसके साथ ही प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-2 ने दुकान पर फ्रिज लाने की शर्त पर बुक की गयी फ्रिज देने को कहा। अपीलार्थी/परिवादी प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-2 द्वारा भेजी गयी गलत फ्रिज उनके यहॉं लेकर उपस्थित होने को बाध्य नहीं था। अत: उसने दिनांक 05.08.2010 को एक पत्र प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-1 को लिखा, परन्तु उसका कोई उत्तर नहीं आया।
परिवाद पत्र के अनुसार अपीलार्थी/परिवादी का कथन है कि प्रत्यर्थी/विपक्षीगण अपीलार्थी/परिवादी को उसके द्वारा बुक की गयी फ्रिज को देने हेतु उत्तरदायी हैं।
परिवाद पत्र के अनुसार अपीलार्थी/परिवादी का कथन है कि बुक की गयी फ्रिज की आपूर्ति प्रत्यर्थी/विपक्षीगण द्वारा न किए जाने के कारण वह भाड़े की फ्रिज का प्रयोग कर रहा है।
परिवाद पत्र के अनुसार अपीलार्थी/परिवादी का कथन है कि अपीलार्थी/परिवादी फलों का जूस बेचने का व्यवसाय करता है और वह अपने उपरोक्त व्यवसाय के लिए फ्रिज खरीद रहा था। अत: सही फ्रिज न मिलने के कारण वह अपना व्यवसाय प्रारम्भ नहीं कर पाया है, जिसके कारण उसको लगातार हानि हो रही है।
अपीलार्थी/परिवादी ने जिला फोरम के समक्ष परिवाद प्रस्तुत कर फ्रिज का मूल्य 19,700/-रू0, भाड़ा 325/-रू0, व्यवसायिक हानि 80,000/-रू0 और मानसिक उत्पीड़न व हर्जे के रूप में
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60,000/-रू0 की मांग की है और सम्पूर्ण धनराशि पर 18 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज भी मांगा है तथा वाद व्यय के रूप में भी 500/-रू0 की मांग की है।
जिला फोरम के समक्ष प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-1 ने लिखित कथन प्रस्तुत किया है और कहा है कि अपीलार्थी/परिवादी और प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-2 के बीच हुए व्यापारिक संव्यवहार के आधार पर परिवाद दाखिल किया गया है, जिससे प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-1 निर्माता का कोई सम्बन्ध नहीं है।
लिखित कथन में प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-1 की ओर से यह भी कहा गया है कि अपीलार्थी/परिवादी द्वारा फ्रिज व्यापारिक प्रयोग हेतु क्रय किया गया था। अत: वह उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है।
लिखित कथन में प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-1 की ओर से यह भी कहा गया है कि अपीलार्थी/परिवादी ने इन्हीं तथ्यों के साथ एक अन्य परिवाद संख्या-142/2011 असगरूद्दीन बनाम एल0जी0 इलेक्ट्रानिक्स आदि एक अन्य विक्रेता मे0 सुपर सेल्स के विरूद्ध प्रस्तुत किया है, जिससे यह स्पष्ट है कि वह बेवजह मुकदमा दाखिल करने का अभ्यस्त है।
जिला फोरम के समक्ष प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-2 ने भी लिखित कथन प्रस्तुत किया है, जिसमें कहा गया है कि अपीलार्थी/परिवादी द्वारा पसन्द किया गया माडल व कलर का फ्रिज उसके द्वारा बताए गए ट्रांसपोर्ट के द्वारा उसके पास भेजा गया था। यदि उसे दूसरा फ्रिज पहुँचा था तो अपीलार्थी/परिवादी को तत्काल वह फ्रिज विपक्षी को वापस करना चाहिए था। 09 माह इस्तेमाल करने के बाद अपीलार्थी/परिवादी द्वारा अपने अधिवक्ता के माध्यम से नोटिस भेजकर यह कहना कि फ्रिज गलत भेजा गया है अपीलार्थी/परिवादी की नियत को स्पष्ट करता है।
प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-2 ने भी अपने लिखित कथन में कहा
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है कि प्रश्नगत फ्रिज व्यापारिक प्रयोग के लिए लिया गया था। अत: परिवाद उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है।
लिखित कथन में प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-2 ने यह भी कहा है कि अपीलार्थी/परिवादी द्वारा दूसरा फ्रिज लेने की नियत से झूठी कहानी बनाकर परिवाद योजित किया गया है।
प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-2 ने भी अपने लिखित कथन में कहा है कि अपीलार्थी/परिवादी ने इसी प्रकार का एक और परिवाद संख्या-142/2011 असगरूद्दीन बनाम एल0जी0 इलेक्ट्रानिक्स आदि प्रस्तुत किया है और वह कानून का बेजा इस्तेमाल करके धन ऐठने का अभ्यस्त है।
जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्यों पर विचार करने के उपरान्त यह निष्कर्ष निकाला है कि अपीलार्थी/परिवादी ने फ्रिज व्यवसायिक उद्देश्य के लिए क्रय किया है। अत: वह धारा-2 (1) (डी) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत उपभोक्ता नहीं है। अत: उसके द्वारा प्रस्तुत परिवाद जिला फोरम के समक्ष ग्राह्य नहीं है।
अपीलार्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश साक्ष्य और विधि के विरूद्ध है। अपीलार्थी/परिवादी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत उपभोक्ता है और उसके द्वारा प्रस्तुत परिवाद ग्राह्य है। अत: परिवाद स्वीकार कर अपीलार्थी/परिवादी द्वारा याचित अनुतोष प्रदान किया जाए।
प्रत्यर्थी/विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश विधि अनुकूल है और इसमें हस्तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है।
मैंने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।
परिवाद पत्र की धारा-12 में अपीलार्थी/परिवादी ने स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है कि वह फलों का जूस बेचने का व्यवसाय करता है और अपने इस व्यवसाय के लिए वह फ्रिज खरीद रहा था। सही
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फ्रिज न मिल पाने के कारण वह अपना व्यवसाय प्रारम्भ नहीं कर पाया, जिससे उसको लगातार हानि हो रही है। इसके साथ ही अपीलार्थी/परिवादी ने परिवाद में स्पष्ट रूप से व्यवसाय को हुई हानि के रूप में 80,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति मांगा है। अत: परिवाद पत्र के कथन से ही यह स्पष्ट है कि अपीलार्थी/परिवादी ने प्रश्नगत फ्रिज की खरीद अपने व्यवसाय हेतु की है। अत: वह धारा-2 (1) (डी) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है। अत: उसके द्वारा प्रस्तुत परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत ग्राह्य नहीं है। ऐसी स्थिति में यह स्पष्ट है कि जिला फोरम ने जो अपीलार्थी/परिवादी को धारा-2 (1) (डी) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत उपभोक्ता न मानते हुए परिवाद खारिज किया है, उसे अनुचित और अवैधानिक नहीं कहा जा सकता है।
उपरोक्त विवेचना के आधार पर मैं इस मत का हूँ कि अपील बल रहित है और निरस्त किए जाने योग्य है। अत: अपील निरस्त की जाती है। अपीलार्थी विधि के अनुसार सक्षम न्यायालय में कार्यवाही करने हेतु स्वतंत्र है।
उभय पक्ष अपील में अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1