(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या : 438/2021
मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, लखनऊ द्वारा मैनेजिंग डाइरेक्टर, 04 गोखले मार्ग, लखनऊ व दो अन्य
बनाम
लेखराम मौर्य पुत्र स्व0 भगौती प्रसाद मौर्य निवासी ग्राम गांगन बरौली पोस्ट व ब्लाक माल जिला लखनऊ व एक अन्य
दिनांक :01-08-2022
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित निर्णय
परिवाद संख्या-397/2017 लेखराम मौर्य बनाम अधिशाषी अभियन्ता विद्युत वितरण खण्ड व तीन अन्य में जिला उपभोक्ता आयोग, प्रथम, लखनऊ द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 22-03-2021 के विरूद्ध यह अपील उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत इस न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की गयी है।
‘’आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा विद्धान जिला आयोग ने परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है :-
परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए विपक्षी संख्या-01 से 03 को निर्देशित किया जाता है कि परिवादी द्वारा अब तक जमा की गयी सम्पूर्ण धनराशि तथा शेष दिसम्बर, 2018 से ग्रामीण क्षेत्र की रीडिंग के अनुसार परिवादी द्वारा दिये गये आवेदन के अनुसार एक किलोवाट के विद्युत कनेक्शन के संबंध में भुगतान किये जाने की पेशकश के अनुसार भुगतान प्राप्त करते हुए परिवादी का विद्युत कनेक्शन जोड़ा जाना सुनिश्चित करें तथा बिलों में की गयी त्रुटि के संबंध में उत्तरदायी कार्मिक के विरूद्ध उचित विभागीय कार्यवाही भी सुनिश्चित करें। परिवादी को हुई परेशानी के फलस्वरूप हर्जाने के रूप में मुबलिग 20,000/-रू0 वाद दायर करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ 45 दिन के अंदर भुगतान किया जाना सुनिश्चित करें। यदि उपरोक्त आदेश का अनुपालन निर्धारित अवधि में नहीं किया जाता
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है, तो उपरोक्त सम्पूर्ण राशि पर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भुगतेय होगा।‘’
विद्धान जिला आयोग के निर्णय एवं आदेश से क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षी विद्युत विभाग की ओर से यह अपील प्रस्तुत की गयी है।
इस निर्णय एवं आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गयी है कि
जिला आयोग द्वारा तथ्य एवं विधि के विरूद्ध मनमाना निर्णय पारित किया गया है और यह मात्र सम्भावना एवं कल्पना पर आधारित है यह निष्कर्ष विधि विरूद्ध है कि उपभोक्ता ग्रामीण क्षेत्र के टैरिफ में आते हैं जो भी उपभोक्ता लेसा क्षेत्र में आते हैं उन्हें शहरी फीडर से विद्युत आपूर्ति की जाती है न कि ग्रामीण फीडर से। इसलिए शहरी क्षेत्र में आने वाले उपभोक्ताओं के लिए ग्रामीण फीडर के अनुसार विद्युत शुल्क वसूलने का आदेश नहीं दिया जा सकता है। ओ0टी0एस0 स्कीम के अर्न्तगत सरचार्ज समाप्त करते हुए केवल रू0 1,05,802.12 पैसे की वसूली सुनिश्चित की गयी है। दिनांक 14-08-2021 तक 1,06,015/-रू0 बकाया है इसलिए जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश अपास्त होने योग्य है।
अपीलार्थी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री संतोष कुमार मिश्रा उपस्थित। प्रत्यर्थी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री बी0 एल0 मौर्या उपस्थित।
उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्तागण को सुना गया एवं प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्ध प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी दिनांक 27-04-1992 से विद्युत विभाग का उपभोक्ता है और 10 वर्षों तक कोई बिल उसे नहीं दिया गया और प्रथम बिल वर्ष 2002 में भेजा गया जो कि परिवादी के नाम होकर लोधराम मौर्य के नाम से था इस बिल को ठीक कराने के लिए परिवादी द्वारा विपक्षी से कहा गया जो कि विपक्षी द्वारा आज तक नहीं किया गया। अक्टूबर, 2010 में सभी उपभोक्ताओं के कनेक्शन बिना नोटिस दिये विपक्षी विभाग द्वारा काट दिये गये और विद्युत कनेक्शन 2 किलोवाट का कर दिया गया जब कि परिवादी बी0पी0एल0 श्रेणी का है और उसके पास एक कच्ची कोठरी थी जो बरसात में गिर गयी थी। उसे वर्ष 2017 में प्रधानमंत्री आवास
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योजना में आवंटित मकान निर्माणाणीन है। दिनांक 29-05-2017 को कनेक्शन काट दिया गया परन्तु विद्युत बिल शहरी आपूर्ति के हिसाब से भेजा जा रहा है जब कि उन्हें ग्रामीण फीडर की आपूर्ति की जाती है। परिवादी ओ0टी0एस0 स्कीम के तहत पंजीकृत है और बकाया जमा करने को तैयार है।
विपक्षीगण का कथन है कि परिवादी लेसा क्षेत्र के अन्तर्गत आता है इसलिए शहरी फीडर के अनुसार बिद्युत बिल देय है।
दोनों पक्षकारों के साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात जिला आयोग द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया कि एक किलोवाट के लिए 10 वर्ष तक विद्युत बिल जारी नहीं किया गया। परिवादी बी0पी0एल0 श्रेणी का है और प्रधानमंत्री आवास योजना के अन्तर्गत उसे आवास आवंटित हुआ है जो कि निर्माणाधीन है और उसका आवास ग्रामीण क्षेत्र में है, परन्तु शहरी क्षेत्र के अनुसार बिल दिया गया है। दिसम्बर, 2018 के पूर्व संबंधित बिल परिवादी जमा करने के लिए तैयार है तथा इस अवधि के बाद के बिल भी वह देने को तैयार है। तत्पश्चात उपरोक्त वर्णित ओदश पारित किया गया है।
परिवादी को स्वीकार्य रूप से एक किलो वाट का कनेक्शन दिया गया। परिवादी चूंकि बी0पी0एल0 श्रेणी का व्यक्ति है इसलिए एक किलोवाट के स्थान पर 02 किलोवाट के विद्युत आपर्ति का कनेक्शन उसे जारी करने का कोई औचित्य नहीं था अत: दो किलो वाट के स्थान पर एक किलोवाट का शुल्क वसूलने का आदेश विधि सम्मत है परन्तु चूंकि परिवादी का क्षेत्र शहरी फीडर के अन्तर्गत आता है इसलिए उसके द्वारा शहरी फीडर के अनुसार ही 01 किलो वाट का विद्युत शुल्क अदा करना होगा।
तदनुसार अपील आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश को इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि परिवादी द्वारा शहरी क्षेत्र के अनुसार ही 01 किलो वाट के हिसाब से विद्युत शुल्क अदा करना होगा। शेष निर्णय की पुष्टि की जाती है। विद्युत विभाग से यह अपेक्षा की जाती है कि चूंकि ओ0टी0एस0 स्कीम में परिवादी पंजीकृत है अत: इस योजना के अन्तर्गत कार्यवाही करते हुए परिवादी से शहरी क्षेत्र की रीडिंग के अनुसार ही 01 किलो वाट का बकाया विद्युत बिल की राशि वसूल की जावे।
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अपील में उभयपक्ष अपना-अपना वाद स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
( न्यायमूर्ति अशोक कुमार ) (सुशील कुमार)
अध्यक्ष सदस्य
प्रदीप मिश्रा, आशु0 कोर्ट नं0-1