जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।
परिवाद संख्या:- 376/2016 उपस्थित:-श्री नीलकंठ सहाय, अध्यक्ष।
श्रीमती सोनिया सिंह, सदस्य।
श्री कुमार राघवेन्द्र सिंह, सदस्य।
परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख:-18.11.2016
परिवाद के निर्णय की तारीख:- 19.06.2023
श्री मनीश कुमार मिश्रा आयु लगभग 31 वर्ष पुत्र ब्रम्हदेव मिश्रा, निवासी ग्राम-कुंसेरी, विशुनपुर, पोस्ट-नौतनवा, जिला महाराजगंज। ...........परिवादी।
बनाम
1. मेसर्स लीड इन्फ्रा, हेड आफिस, शशी प्लाजा, स्कूटर इण्डिया चौराहा, कानपुर रोड लखनऊ। द्वारा श्री निरंजन सिंह निवासी 1183 सेक्टर एम आशियाना कालोनी, कानपुर रोड, लखनऊ।
2. श्रीमती प्रियंका कौर, इन्चार्ज आफ मेसर्स लीड इन्फ्रा, हेड आफिस, शशी प्लाजा, स्कूटर इण्डिया चौराहा, कानपुर रोड लखनऊ।
3. रोली चौहान पत्नी श्री उदय प्रताप सिंह, पुत्री श्री राम वीर सिंह चौहान, इन्चार्ज प्रतिनिधि मेसर्स लीड इन्फ्रा, हेड आफिस, शशी प्लाजा, स्कूटर इण्डिया चौराहा, कानपुर रोड लखनऊ।
4. मोहम्मद इस्माइल पुत्र मोहम्मन इब्राहिम निवासी, 1183, सेक्टर एम, आशियाना कॉलोनी, कानपुर रोड, लखनऊ।
...........विपक्षीगण।
परिवादी के अधिवक्ता का नाम:-श्री अरूण कुमार पाण्डेय।
विपक्षी के अधिवक्ता का नाम:-श्री बीना किशोर।
आदेश द्वारा-श्री नीलकंठ सहाय, अध्यक्ष।
निर्णय
1. परिवादी ने प्रस्तुत परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत विपक्षीगण से धनराशि रू0 2,62,500.00 भुगतान की गयी तिथि से 18 प्रतिशत ब्याज सहित, विपक्षी द्वारा की गयी सेवा में कमी के कारण परिवादी को हुए मानसिक कष्ट एवं वेदना तथा नोटिस आदि खर्च के एवज में रू0 2,30,000.00 रूपये दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्तुत किया है।
2. संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि माह अगस्त 2013 में निरंजन सिंह विपक्षी संख्या 01 ने अपने को मेसर्स लीड इन्फ्रा प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी का एजेन्ट बताते हुए परिवादी से सम्पर्क किया तथा बहुत सी आकर्षक आवासीय योजना हैप्पी होम फेज-2 देवा रोड, लखनऊ/बाराबंकी में प्लाट दिलाने का प्रलोभन देते हुए उक्त कम्पनी में रूपया इन्वेस्ट करने के लिये उत्प्रेरित किया। परिवादी को आश्वस्त कर अपनी कम्पनी की वेबसाइट www.leadsinfra.net.in के बारे में जानकारी करने के लिये कहा, तथा परिवादी को कम्पनी के मुख्य कार्यालय शशी प्लाजा, स्कूटर इण्डिया चौराहा, कानपुर रोड पर आने के लिये कहा।
3. परिवादी उक्त कम्पनी के कार्यालय पहुँचा तो वहॉं पर निरंजन सिंह ने परिवादी की मुलाकात मो0 इस्माईल पुत्र मो0 इब्राहित विपक्षी संख्या 04 एवं श्रीमती प्रियंका कौर व रोली चौहान क्रमश विपक्षी संख्या 02 व 03 से करायी, जिसने अपने आपको उक्त कम्पनी का एम0डी0 व इन्चार्ज बताते हुए परिवादी से कहा कि 1500 स्क्वायर फिट का प्लाट विपक्षी की कम्पनी द्वारा हैप्पी होम फेज-2 देवा रोड लखनऊ/बाराबंकी में विकसित किये जा रहे हैं, जिसकी कीमत 2,62,500.00 रूपये होगी, जिसका रजिस्ट्रेशन 25,000.00 रूपये जमा करने के पश्चात हो जायेगा।
4. परिवादी ने दिनॉंक 30.08.2013 को 25000.00 रूपये चेक संख्या 609855 द्वारा भुगतान किया तथा भूखण्ड संख्या 80 बुक कराया। तत्पश्चात दिनॉंक 16.09.2013 को शेष धनराशि 2,21,000.00 रूपये चेक संख्या 516969 व 16400.00 रूपया नकद कुल धनराशि 2,62,500.00 का भुगतान कर दिया, जिसकी रसीद संख्या 333, 424, 441 परिवादी को दी गयी। उक्त चेक विपक्षी संख्या 03 एवं 04 के संयुक्त बैंक खाता संख्या 51791131001632 ओरियंटल बैंक आफ कामर्स आशियाना ब्रान्च लखनऊ में क्रेडिट कराया गया। विपक्षी संख्या 01 द्वारा दिनॉंक 01.09.2013 को विक्रय अनुबन्ध भी परिवादी के पक्ष में निश्पादित किया गया। परिवादी को आश्वस्त किया गया कि जो भी प्रस्ताव कम्पनी द्वारा किया जा रहा है उसी के अनुरूप कम्पनी द्वारा बुकिंग के दिन से दो साल के अन्दर पूर्ण विकसित प्लाट का कब्जा प्रदान करते हुए विक्रय विलेख निष्पादित कर दिया जायेगा।
5. दिनॉंक 28.08.2015 को दो वर्ष का समय व्यतीत हो जाने के बाद और सम्पूर्ण धनराशि विपक्षी का भुगतान करने के बावजूद कम्पनी द्वारा आज तक न तो विक्रय विलेख ही निष्पादित किया गया और न ही प्लाट का कब्जा दिया गया। लगातार अनुरोध करने के बाद कम्पनी के इन्चार्ज श्रीमती प्रियंका कौर द्वारा परिवादी को बताया गया कि कम्पनी इस स्थिति में नहीं है कि वह हैप्पी होम फेज-2 में कोई विकसित आवासीय भूखण्ड उपलब्ध करा सके।
6. परिवादी द्वारा सम्पूर्ण विक्रय मूल्य का भुगतान करने के पश्चात भी आज तक न तो उक्त आवासीय योजना में भूखण्ड का कब्जा दिया गया और न ही विक्रय अनुबन्ध के अनुरूप विक्रय विलेख का निष्पादन ही किया गया। परिवादी द्वारा विपक्षीगण से अपनी धनराशि वापस करने की मॉंग करने पर कोई समुचित उत्तर न देकर सिर्फ गुमराह किया जाता रहा।
7. विपक्षीगणों के उक्त कृत्य से क्षुब्ध होकर परिवादी ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से विपक्षीगण को एक विधिक नोटिस दिनॉंक 01.09.2016 को भेजा कि 2,62,500.00 रूपये जिसको बिना किसी कारण के विपक्षीगणों ने रोक रखा है मय ब्याज 18 प्रतिशत ब्याज के साथ भुगतान 30 दिन के अन्दर कर दिया जाए। परन्तु विपक्षीगणों ने आज तक उस नोटिस का कोई उत्तर परिवादी को नहीं दिया।
8. विपक्षी संख्या 03 ने अपना उत्तर पत्र प्रस्तुत करते हुए कथन किया कि वह मेसर्स लीड इन्फ्रा मार्केटिंग कम्पनी की मैनेजिंग डायरेक्टर हैं एवं उपरोक्त परिवाद के समस्त तथ्यों से भली भॉंति परिचित हैं। कम्पनी 1.5 प्रतिशत कमीशन पर मार्केटिंग का कार्य करती है। विपक्षी संख्या 01 व 02 वर्तमान समय में कम्पनी में कार्यरत नहीं हैं। विपक्षी संख्या 04 मो0 इस्माइल नाम का कोई भी व्यक्ति विपक्षी संख्या 03 की उपरोक्त कम्पनी में कभी भी किसी प्रकार से कार्यरत नहीं रहा है।
9. परिवादी द्वारा उपरोक्त परिवाद झूठे, असत्य एवं मनगढ़न्त तथ्यों के आधार पर एवं विपक्षी संख्या 03 की कम्पनी को समाज में धूमिल करने के उद्देश्य से दाखिल किया गया है। परिवादी स्वयं कम्पनी में आया एवं कम्पनी की हैप्पी होम फेज-2 देवा रोड, लखनऊ की साइट पर 1500 स्क्वायर फिट का प्लाट बुक कराया एवं 25,000.00 रूपये दिनॉंक 30.08.2013 को जमा कराया। परिवादी द्वारा उपरोक्त प्लाट बुक कराये जाने के बाद दिनॉंक 16.03.2013 को शेष धनराशि 2,21,000.00 रूपये जमा किया गया एवं उसी दिन विशाल सिंह द्वारा परिवादी के हक में रजिस्टर्ड विक्रय विलेख निष्पादित कर दिया गया।
10. उपरोक्त विक्रय विलेख निष्पादित हो जाने के बाद परिवादी के हक में उक्त प्लाट का दाखिल खारिज भी हो गया था। परन्तु परिवादी इसके बावजूद आज तक अपने उपरोक्त प्लाट पर जाकर कब्जा प्राप्त करने की कोशिश कभी नहीं की। लगभग दो वर्ष बीत जाने के बाद दिनॉंक 04.05.2016 को परिवादी कम्पनी के हेड आफिस शशी प्लाजा स्कूटर इण्डिया चौराहा, कानपुर रोड, लखनऊ आया एवं अपने उपरोक्त प्लाट पर कब्जा दिलाये जाने के संबंध में कम्पनी के कर्मचारियों से बातचीत की। परिवादी द्वारा स्वयं अपने प्लाट का कब्जा न लिये जाने के कारण विपक्षी संख्या 03 को माननीय न्यायालय में परिवादी को कब्जा दिलाये जाने हेतु परिवादी की ओर से एक परिवाद दाखिल किया गया, जो माननीय न्यायालय में आदेश हेतु विचाराधीन है।
11. उपरोक्त परिवाद माननीय न्यायालय के समक्ष झूठे, असत्य एवं मनगढ़न्त तथ्यों के आधार पर दाखिल किया गया है, परिवाद सव्यय निरस्त किये जाने योग्य है।
12. परिवादी ने मौखिक साक्ष्य के रूप में शपथ पत्र एवं दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में विधिक नोटिस, बुकलेट की छायाप्रति, भुगतान रसीदें, विक्रय अनुबन्ध अभिलेख, विपक्षी संख्या 02 द्वारा जारी पत्र, वोटर आई0डी0 कार्ड आदि की छायाप्रतियॉं दाखिल की गयी हैं। विपक्षी की ओर से विक्रय विलेख की छायाप्रति दाखिल की गयी है।
13. मैंने उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्ता के तर्कों को सुना तथा पत्रावली का परिशीलन किया।
14. परिवादी का कथानक है कि माह अगस्त 2013 में निरंजन सिंह विपक्षी संख्या 01 अपने को मेसर्स लीड इन्फ्रा प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी का एजेन्ट बताते हुए परिवादी से सम्पर्क किया गया। आवासीय योजना हैप्पी होम फेज-2 देवा रोड, लखनऊ/बाराबंकी में प्लाट दिलाने का प्रलोभन देते हुए कम्पनी में रूपया इन्वेस्ट करने के लिये उत्प्रेरित किया, तथा परिवादी को आश्वस्त कर कम्पनी की वेबसाइट के बारे में जानकारी करने के लिये कहा, तथा परिवादी को कम्पनी के मुख्य कार्यालय शशी प्लाजा, स्कूटर इण्डिया चौराहा, कानपुर रोड पर आने के लिये कहा।
15. परिवादी उक्त कम्पनी के कार्यालय गया तो वहॉं पर निरंजन सिंह ने परिवादी की मुलाकात मो0 इस्माईल पुत्र मो0 इब्राहित विपक्षी संख्या 04 एवं श्रीमती प्रियंका कौर व रोली चौहान क्रमश विपक्षी संख्या 02 व 03 से करायी, जिन्होंने अपने आपको उक्त कम्पनी का एम0डी0 व इन्चार्ज बताते हुए परिवादी को बताया कि 1500 स्क्वायर फिट का प्लाट कम्पनी द्वारा हैप्पी होम फेज-2 देवा रोड लखनऊ/बाराबंकी में विकसित किये जा रहे हैं, जिसकी कीमत 2,62,500.00 रूपये होगी, जिसका रजिस्ट्रेशन 25,000.00 रूपये जमा करने के पश्चात हो जायेगा।
16. परिवादी ने दिनॉंक 30.08.2013 को 25000.00 रूपये चेक संख्या 609855 द्वारा भुगतान किया तथा भूखण्ड संख्या 80 बुक कराया। तत्पश्चात दिनॉंक 16.09.2013 को शेष धनराशि 2,21,000.00 रूपये चेक संख्या 516969 व 16500.00 रूपया नकद कुल धनराशि 2,62,500.00 का भुगतान कर दिया, जिसकी रसीद संख्या 333, 420, 441 परिवादी को दी गयी। उक्त चेक विपक्षी संख्या 03 एवं 04 के संयुक्त बैंक खाता संख्या 51791131001632 ओरियंटल बैंक आफ कामर्स आशियाना ब्रान्च लखनऊ में क्रेडिट कराया गया। विपक्षी संख्या 01 द्वारा दिनॉंक 01.09.2013 को विक्रय अनुबन्ध भी परिवादी के पक्ष में निश्पादित किया गया। परिवादी को आश्वस्त किया गया कि जो भी प्रस्ताव कम्पनी द्वारा किया जा रहा है उसी के अनुरूप कम्पनी द्वारा बुकिंग के दिन से दो साल के अन्दर पूर्ण विकसित प्लाट का कब्जा प्रदान करते हुए विक्रय विलेख निष्पादित कर दिया जायेगा। परिवादी का यह भी कथानक है कि दो वर्ष बीत जाने के बाद भी परिवादी को विक्रय विलेख निष्पादित नहीं किया गया।
17. विपक्षी का कथानक है कि वह मेसर्स लीड इन्फ्रा मार्केटिंग कम्पनी की मैनेजिंग डायरेक्टर हैं। विपक्षी का कथानक है कि परिवादी स्वयं कम्पनी में आया और कम्पनी की हैप्पी होम फेज-2 देवा रोड, लखनऊ की साइट पर 1500 स्क्वायर फिट का प्लाट बुक कराया तथा 25,000.00 रूपये दिनॉंक 30.08.2013 को जमा कराया। परिवादी द्वारा उपरोक्त प्लाट बुक कराये जाने के बाद दिनॉंक 16.03.2013 को शेष धनराशि 2,21,000.00 रूपये जमा किया गया एवं उसी दिन परिवादी के हक में रजिस्टर्ड विक्रय विलेख निष्पादित कर दिया गया।
18. उपरोक्त विक्रय विलेख निष्पादित हो जाने के बाद परिवादी के हक में उक्त प्लाट का दाखिल खारिज भी हो गया था। परन्तु परिवादी आज तक प्लाट पर जाकर कब्जा प्राप्त करने की कोशिश नहीं की।
19. परिवादी के कथानक और बयान से स्पष्ट है कि परिवादी ने विपक्षी के सहयोग से उसने मेसर्स लीड इन्फ्रा प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी से 1500 स्क्वायर फिट का प्लाट जिसकी कीमत 2,62,500.00 रूपये थी 25,000.00 रूपये देकर रजिस्ट्रेशन कराया। परन्तु विक्रय अनुबन्ध के अनुसार निष्पादन नहीं किया गया तो हैप्पी होम फेज-2 देवा रोड, लखनऊ/बाराबंकी में विकसित आवासीय प्लाट उपलब्ध कराने के एवज में विपक्षीगणों द्वारा अलग-अलग तिथियों पर दिनॉंक 01.09.2013 को विक्रय विलेख अनुबन्ध निस्पादित किया गया और यह आश्वासन दिया गया कि कब्जा दो वर्ष बाद दिलाया जायेगा। विपक्षीगण द्वारा अपने उत्तर पत्र में कहा गया कि विक्रय विलेख किया गया है और यह कब्जा लेने के संबंध में टालमटोल करते रहे।
20. यह स्वीकृत तथ्य है कि विक्रय विलेख परिवादी और विपक्षीगण द्वारा निष्पादित किया गया, जैसा कि परिवादी का कथानक है कि वह एवज में हैप्पी होम फेज-2 देवा रोड, लखनऊ/बाराबंकी में विकसित आवासीय प्लाट उपलब्ध कराने के एवज में एलाट करते। पत्रावली पर एक बीड रजिस्टर्ड लगी हुई है जो परिवादी के पक्ष में की गयी है। यह एक अलग विक्रय विलेख नहीं है, बल्कि परिवादी के कथनानुसार देवा रोड के एवज में कराया गया है, अर्थात जिस पर परिवादी मनीश कुमार मिश्रा के हस्ताक्षर भी है। अर्थात उसके बदले इस योजना में या जहॉं भी इनकी जमीन की रजिस्ट्री की गयी है वहॉं पर उन्होंने उसको क्रय करने के लिये सहमति दी है और सहमति देने के बाद इनको रजिस्ट्री कर दी गयी है।
21. अब यह स्टापेल के सिद्धान्त से बाधित है कि देवा रोड की जो है उसका उन्होंने अनुबन्ध किया। यह तथ्य सही है कि अनुबन्ध पत्र भी पत्रावली पर लगा है। यद्यपि कि परिवादी का कथन है कि उस अनुबन्ध का निष्पादन नहीं किया गया। अर्थात अनुबन्ध का निष्पादन किये जाने का क्षेत्राधिकार इस न्यायालय को नहीं हैं। अनुबन्ध के संबंध में दीवानी न्यायालय को क्षेत्राधिकार प्राप्त है। चॅूंकि एक प्लाट के एवज में अनुबन्ध का निष्पादन करा लिया है तो यह समझा जायेगा कि उस अनुबन्ध के सापेक्ष में ही दूसरी भूमि का विक्रय विलेख किया है और विक्रय विलेख में यह उल्लिखित है कि द्वितीय पक्ष को कब्जा प्रदत्त कराया गया जो कि एक अनुबन्ध निष्पादन है वह दोनों पक्षों को मान्य है। इसका मतलब पुन: कब्जा प्राप्त कराये जाने का इस स्तर पर कोई औचित्य नहीं है। जैसा कि परिवादी का यह कथन कि वहॉं मौके पर कोई जमीन नहीं है। विपक्षीगण द्वारा निष्पादित प्लाट पर कब्जा न देना यह एक दाण्डिक प्रक्रिया है। पत्रावली के परिशीलन से विदित है कि मनीश कुमार मिश्रा ने एक परिवाद 1822/2015 अन्तर्गत धारा 420, 506 दाखिल किया है।
अब अगर कोई जमीन नहीं है तो इनके साथ धोखा-धड़ी की गयी है, जो दाण्डिक न्यायालय का क्षेत्राधिकार है। अत: परिवादी इस न्यायालय से कोई लाभ प्राप्त नहीं कर सकता। जहॉं तक विक्रय विलेख एवज के लिये है, उसका विक्रय विलेख वास्तव में गलत है तो उसका भी क्षेत्राधिकार इस न्यायालय को नहीं है, दीवानी न्यायालय को है। अत: इस आयोग द्वारा कोई भी आदेश पारित किया जाना न्यायसंगत प्रतीत नहीं होता है। परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी का परिवाद आयोग के क्षेत्राधिकार में न आने के कारण खारिज किया जाता है। परिवादी नियमानुसार कार्यवाही कर दीवानी न्यायालय में परिवाद दाखिल कर सकता है।
पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रार्थना पत्र निस्तारित किये जाते हैं।
निर्णय/आदेश की प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाए।
(कुमार राघवेन्द्र सिंह) (सोनिया सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
आज यह आदेश/निर्णय हस्ताक्षरित कर खुले आयोग में उदघोषित किया गया।
(कुमार राघवेन्द्र सिंह) (सोनिया सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
दिनॉंक:-19.06.2023