जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।
परिवाद संख्या-1180/2009
उपस्थित:-श्री अरविन्द कुमार, अध्यक्ष।
श्रीमती स्नेह त्रिपाठी, सदस्य।
श्री अशोक कुमार सिंह, सदस्य।
परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख:-23/11/2009
परिवाद के निर्णय की तारीख:-11.02.2021
1-Smt Satya Singh W/o Late Surya Bhan.
2-Honar Singh,Minor S/o Late Surya Bhan.
3-Hastakshar Singh S/o Late Surya Bhan.
4-Shreshtha Singh D/o Late Surya Bhan All Residents of 5/284, Viram Khand Gomti Nagar Lucknow.
..............Complainant.
Versus
Lucknow Development Authority Naveen Bhawan Gomti Nagar Lucknow Through Its Secretary.
................Opp Party.
आदेश द्वारा-श्री अरविन्द कुमार, अध्यक्ष।
निर्णय
परिवादिनी संख्या 01 के पति एवं परिवादीगण संख्या 02 से 04 के पिता ने वाद दायर कर यह अनुरोध किया है कि विपक्षी का मॉंग पत्र दिनॉंकित 01.05.2008 जिसमें उन्होंने दण्ड ब्याज जोड़ा है को निरस्त करने, विपक्षी उनको एच0आई0जी0 भवन संख्या 5/284 विराम खण्ड, गोमती नगर लखनऊ का विक्रय विलेख 30 दिनों के अन्दर कराने एवं उनके द्वारा जमा धनराशि को 21 प्रतिशत ब्याज, वाद व्यय के लिये 10,000.00 रूपये दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्तुत किया है।
सर्वप्रथम यहॉं यह उल्लेख करना आवश्यक है कि दौरान मुकदमा परिवादी संख्या 01 के पति एवं परिवादीगण 02 से 04 के पिता की मृत्यु दौरान मुकदमा हो गयी और उनके स्थान पर उनके विधिक उत्तराधिकारी को इस वाद में परिवादीगण बनाया गया है।
संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि सूर्यभान को विपक्षी ने एच0आई0जी0 भवन संख्या 5/284 विराम खण्ड, गोमती नगर लखनऊ में आवंटित हुआ था, जिसकी कुल कीमत 10,73,500.00 रूपये थी। इस भवन का आवंटन फ्रीज्ड योजना के तहत था। आवंटन के बाद उक्त भवन पर दखल कब्जा विपक्षी द्वारा दिया गया और परिवादीगण उसमें रहते हैं। कब्जा देते समय विपक्षी के अभियन्तागण ने कहा था कि उस भवन की सारी कमियों को दूर कर दिया जायेगा या उसका पुन: दाम घटाकर उस भवन का दाम निर्धारित किया जायेगा। विपक्षी के दबाव पर सूर्यभान ने कब्जा लिया था। परिवादी ने जो डिमाण्ड ड्राफ्ट जमा किया था वह विपक्षी के कार्यालय के कर्मचारी की लापरवाही से बैंक में जमा नहीं हो सका था और उसे कैश नहीं कराया जा सका था। विपक्षी ने अनुरोध किया कि डिमाण्ड ड्राफ्ट का नवीनीकरण कराया जाए। परिवादी ने उक्त डिमाण्ड ड्राफ्ट का नवीनीकरण कराया और उसे विपक्षी के कार्यालय में दिया, जो दिनॉंक 03.09.2002 को विपक्षी द्वारा कैश कराया गया। उसके पश्चात परिवादी की फाइल विपक्षी की त्रुटि के कारण कास्टिंग के लिये भेजा गया। सूर्यभान ने इस संदर्भ में विपक्षी से पत्राचार किया। विपक्षी ने दिनॉंक 06.06.2003 को पत्र संख्या 195/T-S/03 द्वारा नया आवंटन पत्र भेजा और उसमें भवन की कीमत 17,88,000.00 रूपये कर दी गयी थी जबकि उस भवन की निर्धारित कीमत (10,72,000.00 गलत दर्ज) 10,73,500.00 रूपये थी। विपक्षी की लापरवाही के कारण ही परिवादी का ड्राफ्ट विलम्ब से 2002 में भुगतान हो पाया था और विपक्षी ने नया पत्र भेजकर उस दिन के हिसाब से भवन की नयी कीमत निर्धारित कर दी थी। सूर्यभान ने इसके लिये अपना प्रतिवेदन दिया, जिस पर विपक्षी ने अपनी भूल स्वीकार करते हुए उस कीमत को निर्धारित कीमत पर लिया परन्तु उस कीमत पर उन्होंने 9,12,480.00 रूपये ब्याज जोड़ दिया। साथ ही साथ विपक्षी ने दाण्डिक ब्याज भी जोड़ा। परिवादी ने इस संदर्भ में विपक्षी से कई बार पत्राचार किया। विपक्षी ने अपनी त्रुटि को न सुधार कर सेवा में कमी किया है। परिवादीगण कैश डाउन (भुगतान नीचे नकद) के आधार पर धनराशि जमा करने के लिये सदैव तैयार रहा है और है।
विपक्षी ने अपना उत्तर पत्र प्रस्तुत करते हुए कथन किया कि परिवादी को गोमती नगर योजना में फ्रीज योजना के अन्तर्गत भवन आवंटित हुआ था। भवन का आवंटन दिनाँक 06.06.2003 को किया गया था और 45 दिनों के अन्दर धनराशि जमा करना था। फ्रीज्ड कीमत तभी लागू होती है जब उसका भुगतान कर दिया जाता है। सूर्यभान ने भुगतान नहीं करके लापरवाही किया है। विपक्षी ने परिवादी को अभी तक भवन का कब्जा नहीं दिया है। सूर्यभान ने उस पर निर्माण किया तथा उसमें रह रहे हैं। विपक्षी ने यह स्वीकार किया है कि परिवादी द्वारा दिया गया बैंक ड्राफ्ट को पुन: परिवादी ने नवीनीकरण कराकर दिया है। जो दिनॉंक 03.09.2002 को नवीनीकरण हुआ है। चॅूंकि परिवादी ने सम्पूर्ण धनराशि का भुगतान नहीं किया था अत: उस पर ब्याज लगाया गया। परिवादी द्वारा किष्त एवं ब्याज का भुगतान नहीं किय गया है, अत: परिवादी का परिवाद खारिज होने योग्य है।
उभयपक्ष ने अपने कथनों के समर्थन में शपथ पत्र दाखिल किया है।
अभिलेख का अवलोकन किया जिससे प्रतीत होता है कि सूर्यभान ने 1,10,000.00 रूपये जमा कर भवन के लिये आवेदन दिय था और उनको एच0आई0जी0 भवन संख्या 5/284 विराम खण्ड, गोमती नगर लखनऊ आवंटित हुआ था। चॅूंकि परिवादी का बैंकर्स चेक/ड्राफ्ट विपक्षी की लापरवाही से समय बाधित होने के कारण विपक्षी के अनुरोध पर उसे नवीनीकरण कराया था। अत: यह माना जायेगा कि परिवादी ने 1,10,000.00 रूपये आवंटन के पूर्व जमा कर दिया था। उक्त बैंकर्स चेक/ड्राफ्ट दोबारा दिया गया, तब विपक्षी ने उस पर ब्याज के साथ साथ भवन की नयी कीमत भी जोड़ दिया जो सरासर अनुचित है, क्योंकि परिवादी ने अपना बैंकर्स चेक/ड्राफ्ट समय से दे दिया था। विपक्षी द्वारा दाखिल परिवादी के पत्रों से पता चलता है कि विपक्षी ने श्री सुशील कुमार टन्डन के प्रकरण के आधार पर जो गणना किया था उसके आधार पर गणना के लिये परिवादी सहमत है और शेष धनराशि जमा करने के लिये तीन माह का समय मॉंगा था। विपक्षी ने अपने कार्यालय के पत्र संख्या 1483/PO दिनॉंकित 24.01.2008 दाखिल किया है जिसमें उन्होंने परिवादी के पत्र दिनॉंकित 25.07.2007 का जिक्र किया है और उस गणना के आधार पर परिवादी को कुल 20,71,455.00 रूपये दिनॉंक 15.12.2007 तक देय होता है। परन्तु परिवादी ने कोई भुगतान नहीं किया और न लिखित सहमति दी। इस संदर्भ में विपक्षी ने एक पत्र पूर्व में भी सूर्यभान को निर्गत किया था। विपक्षी ने इस संदर्भ में कई पत्र सूर्यभान को दिये हैं।
चॅूंकि सूर्य भान को भवन फ्रीज्ड योजना के अन्तर्गत दिया गया था और विपक्षी की लापरवाही के कारण ही सूर्य भान द्वारा जमा बैंकर्स चेक को समय पर भुगतान नहीं कराया गया उसे पुन: नवीनीकरण सूर्यभान से करवा गया। उसके पश्चात जब बैंकर्स चेक की रकम विपक्षी के खाते में आयी तब उन्होंने उसका आवंटन नये सिरे से कर दिया। इस संदर्भ में सूर्यभान ने काफी पत्राचार किया, तब विपक्षी अपनी गलती मानते हुए आवंटन को फ्रीज्ड योजना के अन्तर्गत ही माना। परन्तु उन्होंने उस पर ब्याज जोड़ दिया जो सर्वथा अनुचित है। इस दौरान सूर्यभान ने काफी पत्राचार भी किया। अत: आवंटन फ्रीज्ड योजना के अन्तर्गत ही माना जा रहा है और विपक्षी द्वारा फ्रीज्ड योजना के अन्तर्गत होने पर भी अपनी गलती के बावजूद ब्याज जोड़ दिया जो सर्वथा अनुचित है। ऐसी परिस्थिति में आयोग इस निष्कर्ष पहुँचता है कि परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
परिवादी (अब परिवादीगण) का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है, तथा विपक्षी को निर्देश दिया जाता है कि वह सूर्यभान को आवंटित एच0आई0जी0 भवन संख्या 5/284 विराम खण्ड, गोमती नगर लखनऊ के निबन्धन हेतु सम्पूर्ण कार्यवाही छह माह के अन्दर करें, तथा भवन की कीमत मुबलिग 10,73,500.00 (दस लाख तिहत्तर हजार पॉच सौ रूपया मात्र) जो निर्धारित किया गया उस पर विपक्षी को ब्याज अदा नहीं होना है। परिवादीगण को भी निर्देश दिया जाता है कि वे फ्रीज्ड योजना के तहत मुबलिग 9,63,500.00 (नौ लाख तिरसठ हजार पॉंच सौ रूपया मात्र) निर्णय की तिथि से 04 माह के अन्दर तीन समान किस्तों में भुगतान करना सुनिश्चित करें।
(अशोक कुमार सिंह) (स्नेह त्रिपाठी) (अरविन्द कुमार)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।