Uttar Pradesh

Lucknow-I

CC/896/2012

Jaheer Ali - Complainant(s)

Versus

LDA - Opp.Party(s)

25 Apr 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/896/2012
 
1. Jaheer Ali
Sitapur
...........Complainant(s)
Versus
1. LDA
Lucknow
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Vijai Varma PRESIDENT
 HON'BLE MR. Rajarshi Shukla MEMBER
 HON'BLE MRS. Anju Awasthy MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम-प्रथम, लखनऊ।
वाद संख्या 896/2012

जहीर अली, 
पुत्र रहीमतुल्ला,
वर्तमान निवासी-एफ 1134, 
राजाजीपुरम, लखनऊ।
मूल निवासी- कस्बा बाड़ी,
मो0 टेढ़ी बाजार, तहसील-सिघौली,
जिला- सीतापुर।        
                                       ......... परिवादी
बनाम

1. उपाध्यक्ष,
  लखनऊ विकास प्राधिकरण।,
  लखनऊ।

2. सचिव,
  लखनऊ विकास प्राधिकरण।,
  लखनऊ।
                                             ..........विपक्षीगण
उपस्थितिः-
श्री विजय वर्मा, अध्यक्ष।
श्रीमती अंजु अवस्थी, सदस्या।

निर्णय
    परिवादी द्वारा यह परिवाद विपक्षीगण को यह निर्देश देने कि परिवादी को आवंटित भवन के स्थान पर कोई अन्य भवन आवंटित कर कब्जा प्रदान किया जाए तथा विपक्षीगण से वाद व्यय दिलाने हेतु प्र्र्र्र्र्र्र्र्रस्तुत किया गया है।
    संक्षेप में परिवादी का कथन है कि परिवादी ने देवपुर पारा आश्रयहीन येाजना के अंतर्गत भवन प्राप्त करने हेतु आवेदन किया था 

-2-
जिसका पंजीकरण सं.2224708 है जिसके उपरांत आवंटन पत्र दिनांकित 08.02.2002 जारी किया गया था जिसकी आवंटन तिथि   31.12.2001 है एवं संपत्ति सं.1/744 जारी की गयी थी। परिवादी उक्त भवन के आवंटन के पश्चात्् लगातार विपक्षीगण के कार्यालय में निरंतर भवन के भुगतान की किश्त अदा कर रहा है और काफी धनराशि भी अदा कर चुका है। परिवादी द्वारा इतनी अधिक धनराशि अदा करने के उपरांत भी उसे आवंटित भवन का कब्जा दिलाने हेतु अनेक बार प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किये जाने के पश्चात्् भी परिवादी को आज तक आवंटित भवन का कब्जा दिलाने हेतु कोई कार्यवाही नहीं की गयी है। परिवादी ने उक्त के संबंध में एक प्रार्थना पत्र दिनांक      09.08.2011 पंजीकृत डाक से प्रेषित किया, परंतु परिवादी के प्रार्थना पत्र पर विपक्षीगण द्वारा कोई विचार नहीं किया गया और न ही कब्जा दिलाने की कोई कार्यवाही की गयी और न ही कोई सूचना प्रेषित की गयी। कोई जानकारी प्राप्त न होने पर परिवादी ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से एक विधिक नोटिस दिनांक 11.07.2012 को पंजीकृत डाक द्वारा प्रेषित की। परिवादी विपक्षीगण को काफी धनराशि अदा कर चुका है और उसे आवंटित भवन के स्थान पर कोई अन्य भवन किसी स्थान पर आवंटित कर कब्जा दिलाने की कार्यवाही आज तक नहीं की गयी है। अतः परिवादी द्वारा यह परिवाद विपक्षीगण को यह निर्देश देने कि परिवादी को आवंटित भवन के स्थान पर कोई अन्य भवन आवंटित कर कब्जा प्रदान किया जाए तथा विपक्षीगण से वाद व्यय दिलाने हेतु प्र्र्र्र्र्र्र्र्रस्तुत किया गया है।
    विपक्षीगण द्वारा अपना वादोत्तर दाखिल किया गया जिसमें मुख्यतः यह कथन किया गया है कि परिवादी द्वारा किश्तें नियमित रूप से जमा न किये जाने के कारण पूर्व में दिनांक 16.03.2009 को विभाग द्वारा परिवादी को नोटिस दिया गया था। परिवादी की कोई भी डाक दिनांकित 09.08.2011 को प्राधिकरण में प्राप्त नहीं है, बल्कि परिवादी द्वारा मांगी गई जनसूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत सूचना पत्र दिनांक 03.12.2011 का जवाब दिनांक 25.01.2012 को प्राधिकरण द्वारा परिवादी को दिया जा चुका है। परिवादी द्वारा आश्रयहीन योजना में आवंटन हेतु पंजीकरण कराया गया था, परंतु योजना विफल होने के कारण रिफण्ड की कार्यवाही की जा रही है, 

-3-
जबकि प्राधिकरण द्वारा दूसरा भवन आश्रयहीन योजना द्वारा दिया जाना संभव नहीं है। परिवादी द्वारा दिनांक 11.07.2012 को द्वारा अधिवक्ता एक नोटिस पंजीकृत डाक द्वारा भेजा गया था जिसका जवाब विपक्षीगण द्वारा दिनांक 06.08.2012 द्वारा परिवादी को दिया जा चुका है। परिवादी द्वारा ल0वि0प्रा0 की आश्रयहीन योजना में पंजीकरण करवाया गया था। उक्त पंजीकरण फार्म के नियम-4 में स्पष्ट रूप से दर्शाया गया है कि मांग/आवंटन पत्र की निर्गत तिथि से 3 माह के अंदर भवन का कब्जा न लेने पर पंजीकरण/आवंटन स्वतः निरस्त हो जायेगा जिसके लिए आवंटी स्वयं जिम्मेदार होगा। पंजीकरण फार्म के सामान्य नियम के पैरा-10 में यह स्पष्ट रूप से दर्शाया गया है कि यदि किसी आवंटी को भूमि की उपलब्धता न होने अथवा अन्य अपरिहार्य कारणों से भवन का आवंटन नहीं हो पाता है तो आवंटी इसमें प्राधिकरण से किसी प्रकार की हर्जाना प्राप्त करने का हकदार नहीं होगा। ल0वि0प्रा0 की बोर्ड बैठक दिनांक 31.08.2012 को विषय सं.33 के पैरा-2 में स्पष्ट रूप से बोर्ड बैठक द्वारा यह आदेश दिया गया है कि ऐसे आवंटी जिनके द्वारा दिनांक 16.12.2011 तक भवन मूल्य के आंशिक धनराशि जमा की गई है तो उन्हें 9 प्रतिशत साधारण ब्याज सहित जमा धनराशि रिफण्ड कर दी जाय। देवपुर पारा आश्रयहीन योजना में जिन आवंटियों द्वारा अनुबंध पत्र/कब्जे की कार्यवाही पूर्ण नहीं करायी गयी है उन्हें कोई अन्य भवन दिये जाने या समायोजित किये जाने का प्राविधान नहीं है, बल्कि बोर्ड बैठक के विषय सं.33 के पैरा-2 में यह दर्शाया गया है कि यदि कबीर नगर योजना के अंतर्गत निर्मित किये जाने वाले ई0डब्लू0एस0 भवनों हेतु इन आवंटियों द्वारा पंजीकरण कराया जाता है तो वर्तमान विक्रय मूल्य पर भवन आवंटन में प्राथमिकता दी जाये। अतः वाद सव्यय खारिज किये जाने योग्य है।
    परिवादी ने अपना शपथ पत्र मय 5 संलग्नक दाखिल किया। विपक्षीगण की ओर से श्री के0 के0 सिंह, उपसचिव का शपथ पत्र 4 कागजात के साथ दाखिल किया गया।
    उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
    अब देखना यह है कि क्या परिवादी को विपक्षीगण द्वारा देवपुर पारा आश्रयहीन योजना के अंतर्गत भवन आवंटित किया गया था या 
-4-
नहीं तथा क्या परिवादी द्वारा आवंटित भवन के संबंध में धनराशि जमा करने के बाद भी प्रश्नगत भवन हस्तांतरित नहीं किया गया अथवा विपक्षीगण द्वारा प्रश्नगत योजना विफल हो जाने के कारण उनके द्वारा प्रश्नगत भवन उपलब्ध कराया जाना संभव नहीं था तथा क्या विपक्षीगण द्वारा इस संबंध में कोई सेवा में कमी की गयी है अथवा नहीं तथा उसके प्रभाव।
    परिवादी की ओर से प्रश्नगत भवन को विपक्षीगण द्वारा आवंटित किये जाने के संबंध में आवंटन पत्र की फोटोप्रति अपने वाद पत्र के संलग्नक 1 के रूप में दाखिल की गयी है जिसमें देवपुर पारा में ई0डब्लयू.एस. संपत्ति सं.01/744 को दिनांक 31.12.2001 को आवंटित होना दर्शाया गया है जिसकी अनुमानित कीमत रू.45,000.00 दर्शायी गयी है। उपरोक्त तथ्य को विपक्षीगण द्वारा अपने प्रतिवाद पत्र में स्वीकार किया गया है, अतः स्पष्ट है कि देवपुर पारा योजना में आश्रयहीन भवन के रूप में एक भवन आवंटित किया गया था। परिवादी ने उक्त भवन के संबंध में समय-समय पर धनराशि चालान द्वारा विपक्षीगण के यहां जमा की है जैसा कि उसके द्वारा दाखिल संलग्नक 2, 2ए, 2बी, 2सी, 2डी, 2ई अभिलेखों से स्पष्ट होता है जिनसे यह दृष्टिगत होता है कि परिवादी द्वारा उक्त भवन के संबंध में         रू.20,150.00 जमा किये गये थे। परिवादी ने अपने शपथ पत्र में भी इस तथ्य को कहा है कि उसके द्वारा प्रश्नगत भवन के संबंध में काफी धनराशि अदा की जा चुकी है, किंतु उसे भवन हस्तांतरित करने के संबंध में कोई कार्यवाही विपक्षीगण द्वारा नहीं की गयी और कुछ दिन पूर्व ही यह बताया गया था कि उक्त भवन का आवंटन शासन के आदेश द्वारा निरस्त किया जा रहा है। विपक्षीगण ने इस तथ्य को माना है कि प्रश्नगत योजना विफल होने के कारण रिफंड की कार्यवाही की जा रही है और परिवादी को दूसरा भवन आश्रयहीन योजना में दिया जाना संभव नहीं है। शपथ पर विपक्षीगण की ओर से यह भी कहा गया है कि ऐसे आवंटी जिनके द्वारा दिनांक 16.12.2011 तक भवन मूल्य की आंशिक धनराशि जमा की गयी है उन्हें 9 प्रतिशत ब्याज सहित जमा धनराशि रिफंड कर दी जाएगी, किंतु साथ ही यह भी शपथी श्री के0 के0 सिंह, उपसचिव द्वारा कहा गया है कि यदि कबीर नगर योजना के अंतर्गत निर्मित किये जाने वाले ई.डब्लयू.एस. भवन के 

-5-
लिए आवंटी द्वारा पंजीकरण कराया जाता है तो वर्तमान विक्रय मूल्य पर उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी और ऐसा बोर्ड की बैठक में तय किया गया था। स्पष्ट है कि प्रश्नगत योजना विफल हो जाने के कारण परिवादी को भवन आवंटित नहीं किया जा सका। ऐसी स्थिति में, जब योजना विफल हो गयी हो, तो विपक्षीगण को किसी अन्य योजना में परिवादी को भवन आवंटित कर उपलब्ध कराया जाना चाहिए था, किंतु विपक्षीगण द्वारा ऐसा नहीं किया गया, जबकि स्वयं विपक्षीगण द्वारा यह कहा गया है कि कबीर नगर योजना के अंतर्गत निर्मित किये जाने वाले ई0डब्लयू0एस0 भवनों हेतु यदि परिवादी द्वारा पंजीकरण कराया जाता है तो उसे वर्तमान विक्रय मूल्य पर भवन आवंटित करने में प्राथमिकता दी जा सकती है, अतः विपक्षीगण स्वयं परिवादी को वैकल्पिक व्यवस्था के अंतर्गत भवन आवंटित करने हेतु तैयार है। स्पष्टतया जब देवपुर पारा योजना विफल हो गयी तो परिवादी को वैकल्पिक व्यवस्था के अंतर्गत कोई भवन आवंटित किया जाना था, किंतु विपक्षीगण द्वारा ऐसा नहीं किया गया और न ही उनके द्वारा जमा धनराशि को मय ब्याज सहित वापस किया गया, अतः स्पष्ट है कि विपक्षीगण द्वारा सेवा में कमी की गयी है। परिणामस्वरूप, परिवादी विपक्षीगण से पूर्व में आवंटित भवन के अनुपात का अन्य भवन प्राप्त करने का अधिकारी है और यदि ऐसा संभव न हो तो विपक्षीगण से परिवादी कुल जमा धनराशि मय ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी है। साथ ही इस संबंध में परिवादी को मानसिक एवं शारीरिक कष्ट पहुंचा जिसके लिए वह क्षतिपूर्ति एवं वाद व्यय भी प्राप्त करने का अधिकारी है।
आदेश
    परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को संयुक्त व पृथक रूप से आदेशित किया जाता है कि वे परिवादी को कबीर नगर योजना या किसी अन्य योजना में पूर्व में आवंटित भवन के अनुपात का अन्य भवन आवंटित करें और यदि वे ऐसा करने में असमर्थ हो तो परिवादी की कुल जमा धनराशि रू.20,150.00 (रूपये बीस हजार एक सौ पचास मात्र) का भुगतान 12 प्रतिशत प्रतिवर्ष ब्याज सहित अंतिम जमा तिथि दिनांक 24.08.2009 से अंतिम भुगतान की तिथि तक परिवादी को अदा करें।  
    

-6-
    साथ ही विपक्षीगण को यह भी आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को मानसिक कष्ट के लिए क्षतिपूर्ति के रूप में रू.10,000.00 (रूपये दस हजार मात्र) एवं वाद व्यय के रूप में रू.2,000.00 (रूपये दो हजार मात्र) अदा करें। विपक्षीगण उपरोक्त आदेश का अनुपालन एक माह में करें।
        
        (अंजु अवस्थी)                     (विजय वर्मा)
           सदस्या                        अध्यक्ष

दिनांकः   25 अप्रैल, 2015

 

 
 
[HON'BLE MR. Vijai Varma]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Rajarshi Shukla]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. Anju Awasthy]
MEMBER

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