Uttar Pradesh

StateCommission

A/2004/111

Maulana Engineering - Complainant(s)

Versus

Laxmi Textile - Opp.Party(s)

U P S Kushwaha

20 Oct 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2004/111
( Date of Filing : 16 Jan 2004 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Maulana Engineering
A
...........Appellant(s)
Versus
1. Laxmi Textile
A
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 20 Oct 2023
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-315/2004

रीजनल मैनेजर, यू.पी. फाइनेन्सियल कारपोरेशन, रीजनल आफिस 15/12 थार्न हिल रोड, इलाहाबाद तथा एक अन्य।

बनाम

मैसर्स लक्ष्मी टेक्सटाईल् द्वारा पार्टनर श्री अजीत प्रताप सिंह, 395/3- चिलबिला परगना तहसील सदर, जिला प्रतापगढ़ तथा एक अन्य।

एवं

अपील संख्‍या-111/2004

मौलाना इंजीनियरिंग वर्क्, मोहल्ला सकरावल, पी.. टाण्डा, जिला फैजाबाद, द्वारा एनुउल्लाह प्रोपराइटर।

बनाम

मैसर्स लक्ष्मी टेक्सटाईल् द्वारा अजीत प्रताप सिंह, पार्टनर 395/3 , चिलबिला परगना तहसील सदर, जिला प्रतापगढ़ तथा दो अन्य।

समक्ष:-                                                  

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

परिवादी, लक्ष्‍मी टैक्‍सटाईल्‍स की ओर से : श्री आर.के. मिश्रा,

                                                            विद्वान अधिवक्‍ता।

विपक्षी, मौलाना इंजीनियरिंग वर्क्‍स        : श्री आलोक कुमार सिंह,

की ओर से-                                             विद्वान अधिवक्‍ता।

विपक्षी, रीजनल आफिस यू.पी.                : श्री कमलेश कुमार   

फाइनेन्सियल की ओर से-                        श्रीवास्‍तव, विद्वान अधिवक्‍ता।

           

दिनांक : 20.10.2023 

 

-2-

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.        परिवाद संख्‍या-422/2002, मैसर्स लक्ष्‍मी टेक्‍सटाईल्‍स बनाम मौलाना इंजीनियरिंग वर्क्‍स तथा दो अन्‍य में विद्वान जिला आयोग, अम्‍बेडकरनगर द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 15.12.2003 के विरूद्ध अपील संख्‍या-315/2004 विपक्षीगण सं0-2 व 3 की ओर से प्रस्‍तुत की गई है जबकि अपील संख्‍या-111/2004 विपक्षी सं0-1 की ओर से प्रस्‍तुत की गई है। दोनों अपीलें एक ही निर्णय/आदेश से प्रभावित हैं, इसलिए दोनों अपीलों का निस्‍तारण एक ही निर्णय/आदेश द्वारा एक साथ किया जा रहा है। इस हेतु अपील संख्‍या-315/2004 अग्रणी होगी

2.        परिवादी, मैसर्स लक्ष्‍मी टैक्‍सटाईल्‍स की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री आर.के. मिश्रा एवं विपक्षी सं0-1, मौलाना इंजीनियरिंग वर्क्‍स की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री आलोक कुमार सिंह तथा विपक्षी सं0-2 व 3, यू.पी.एफ.सी. की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री कमलेश कुमार श्रीवास्‍तव को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावलियों का अवलोकन किया गया।

3.        अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि प्रस्‍तुत केस उपभोक्‍ता केस की श्रेणी में नहीं आता है। परिवादी एवं विपक्षी सं0-1 द्वारा मशीन क्रय करने का एक व्‍यापारिक करार किया गया है और वित्‍तीय निगम द्वारा केवल वित्‍तीय सहायता उपलब्‍ध करायी गयी है।

4.        परिवाद के तथ्‍यों के अवलोकन से जाहिर होता है कि परिवादी फर्म द्वारा विपक्षी सं0-2 एवं 3 से अंकन 6,00,000/-रू0 का

-3-

ऋण स्‍वीकृत कराया और विपक्षी सं0-1 के नाम अंकन 2,70,000/-रू0 का ड्राफ्ट देकर तथा अंकन 1,07,000/-रू0 नगद धनराशि देकर मशीन क्रय की। परिवादी को केवल 10 अद्द पावर लूम बा‍बिन मशीन कुल 1,30,000/-रू0 की आपूर्ति की गई, जबकि कोटेशन में अंकन 23,000/-रू0 प्रति मशीन दर्शायी गयी थी, परन्‍तु यथार्थ में अंकन 12,000/-रू0 की कीमत की मशीन दी गयी। ड्राप बॉक्‍स भी नहीं दिया गया, जबकि विपक्षी सं0-2 एवं 3 द्वारा अंकन 8,90,000/-रू0 की वसूली शुरू कर दी गई है। इस प्रकार सम्‍पूर्ण परिवाद के अवलोकन से जाहिर होता है कि परिवादी द्वारा विपक्षी सं0-1 से मशीन क्रय की गयी। यदि मशीन की गुणवत्‍ता, श्रेणी, कीमत पक्षकारों के मध्‍य निष्‍पादित करार के अनुसार नहीं थी तब संविदा के उल्‍लंघन पर संविदा अधिनियम की धारा 73/74 के अंतर्गत क्षतिपूर्ति की मांग की जा सकती थी, परन्‍तु दो पक्षकारों के मध्‍य निष्‍पादित व्‍यापारिक करार के उल्‍लंघन में उपभोक्‍ता परिवाद किसी भी दृष्टि से संधारणीय नहीं था। इसी प्रकार चूंकि वित्‍तीय निगम द्वारा परिवादी को अंकन 6,00,000/-रू0 का ऋण स्‍वीकृत किया गया है, इसलिए इस ऋण की वसूली के लिए अधिकार वित्‍तीय निगम में निहित है। यदि वित्‍तीय निगम द्वारा ऋण की वसूली की कार्यवाही शुरू की गयी तब इस कार्यवाही को सेवा में कमी नहीं माना जा सकता। अत: स्‍पष्‍ट है कि विद्वान जिला आयोग द्वारा एक गैर उपभोक्‍ता परिवाद पर अपना निर्णय एवं आदेश पारित किया गया है, जो अपास्‍त होने और प्रस्‍तुत

 

 

 

-4-

प्रस्‍तुत दोनों अपीलें स्‍वीकार होने योग्‍य हैं।

आदेश

5.        प्रस्‍तुत दोनों अपीलें, अर्थात् अपील संख्‍या-315/2004 तथा अपील संख्‍या-111/2004 स्‍वीकार की जाती हैं। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 15.12.2003 अपास्‍त किया जाता है तथा गैर उपभोक्‍ता परिवाद खारिज किया जाता है। यद्यपि परिवादी, मैसर्स लक्ष्‍मी टैक्‍सटाईल्स को यह अधिकार उपलब्‍ध रहेगा कि वह अपने अधिकार की सुरक्षा के लिए सक्षम न्‍यायालय के समक्ष वाद प्रस्‍तुत कर सकते हैं।

          उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय भार स्‍वंय वहन करेंगे।

          इस निर्णय/आदेश की मूल प्रति अपील संख्‍या-315/2004 में रखी जाए एवं इसकी एक सत्‍य प्रति संबंधित पत्रावली में भी रखी जाए।

प्रस्‍तुत अपीलों में अपीलार्थीगण द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित यथाशीघ्र विधि के अनुसार अपीलार्थीगण को वापस की जाए।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

(सुधा उपाध्‍याय)                           (सुशील कुमार(

  सदस्‍य                                   सदस्‍य

 

 लक्ष्‍मन, आशु0, 

   कोर्ट-3

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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