मौखिक
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील संख्या-985/2004
(जिला उपभोक्ता फोरम, रायबरेली द्वारा परिवाद संख्या-339/1999 में पारित प्रश्नगत आदेश दिनांक 03.03.2004 के विरूद्ध)
महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा फाइनेन्सियल सर्विस लिमिटेड, महिन्द्रा टावर्स, रोड नं0-13, वर्ली, मुम्बई द्वारा ब्रांच मैनेजर, ब्रांच आफिस-सप्रु मार्ग, लखनऊ।
अपीलार्थी@विपक्षी सं0-2
बनाम्
1. लक्ष्मी प्रसाद पुत्र बसन्त लाल, निवासी ग्राम तमनपुर, पोस्ट सेहगन, जिला रायबरेली।
2. मै0 नारायन आटोमोबाइल्स, 4 शाह नजफ रोड, लखनऊ द्वारा मैनेजिंग डायरेक्टर।
प्रत्यर्थीगण/परिवादी/विपक्षी सं0-1
समक्ष:-
1. माननीय श्री राज कमल गुप्ता, पीठासीन सदस्य।
2. माननीय श्री महेश चन्द, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री आदिल अहमद, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक 22.11.2018
माननीय श्री राज कमल गुप्ता, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
पत्रावली प्रस्तुत हुई। यह अपील, जिला मंच, रायबरेली द्वारा परिवाद संख्या-339/1999 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 03.03.2004 के विरूद्ध विपक्षी संख्या-2/अपीलार्थी की ओर से योजित की गयी है। जिला मंच ने प्रश्नगत निर्णय/आदेश निम्नानुसार पारित किया है :-
'' परिवाद इस आशय का स्वीकृत किया जाता है कि विपक्षी संख्या-02 परिवादी को क्षतिपूर्ति के रूप में मु0: 5,000.00 (पांच हजार रूपये) तथा वाद
व्यय के रूप में मु0 1,000.00 (एक हजार रूपये) कुल मु0: 6,000.00 (छ: हजार रूपये) तीस दिन में अदा करें। ''
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संक्षेप में तथ्य इस प्रकार है कि विपक्षीगण ने वाहनों को हायर परचेज पर बिक्री करने हेतु दिनांक 30.06.1999 को एक महा लोन मेला का आयोजन किया, जिसका समाचार पत्रों में प्रकाशन करवाया गया। परिवादी ने अपने पुत्र अरूण कुमार के नाम से विपक्षीगण के यहां एक वाहन बुक किया। विपक्षीगण ने परिवादी से कुल रू0 57,368/- की मांग की, जिसे परिवादी ने दिनांक 22.07.1999 को उपरोक्त धनराशि विपक्षीगण को प्रदान की। विपक्षीगण ने परिवादी को बताया कि दो दिन बाद वाहन ले जाना। दिनांक 31.07.1999 को विपक्षी ने परिवादी से रू0 40,000/- और जमा करने को कहा, जिसके कारण परिवादी को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा, जिससे क्षुब्ध होकर परिवादी द्वारा परिवाद जिला मंच के समक्ष दायर किया गया।
जिला मंच के समक्ष विपक्षीगण द्वारा अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत कर प्रतिवाद किया गया कि विपक्षी संख्या-1 डीलर है और विपक्षी संख्या-2 ऋण फाइनेन्स करता है।
अपीलार्थी ने अपनी अपील आधार में यह अभिकथन किया है कि जिला मंच का निर्णय विधिक दृष्टि से त्रुटिपूर्ण है। किसी व्यक्ति को ऋण देना व न देना उसका अधिकार है और इसको चैलेन्ज नहीं किया जा सकता है। परिवादी और अपीलार्थी के मध्य ऋण दिए जाने के सम्बन्ध में कोई समझौता नहीं था।
यह तथ्य निर्विवाद है कि विपक्षी संख्या-1 व 2 ने आपसी सहयोग से एक महालोन मेला का आयोजन किया। विपक्षी संख्या-1 मोटर वाहन का डीलर है तथा विपक्षी संख्या-2 एक वित्तीय संस्था है, जो ऋण प्रदान करती है। यह सर्वविदित है कि इस प्रकार के लोन मेले आयोजित होते हैं, जिसमें ऋण देने वाली कम्पनी कतिपय शर्तों के अधीन मोटर वाहन खरीदने वाले को
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मोटर वाहन क्रय करने के लिए ऋण प्रदान करती है। वित्तीय संस्थायें निर्धारित शर्तों के अन्तर्गत ऋण प्राप्तकर्ता को ऋण उपलब्ध कराती हैं, लेकिन जो व्यक्ति ऋण प्राप्त करने के लिए आवेदन करते हैं, वे वित्तीय संस्था को बाध्य नहीं कर सकता कि उन्हें ऋण अवश्य दिया जाये और न ही मोटर वाहन डीलर को बाध्य कर सकता है कि वह उसे वित्तीय संस्था से उपभोक्ता को ऋण प्रदान करवाकर वाहन उपभोक्ता को उपलब्ध कराये। मोटर वाहन डीलर तब तक उपभोक्ता को वाहन उपलब्ध नहीं कराता, जब तक कि उसे समस्त धनराशि या तो उपभोक्ता स्वंय दे या वित्तीय संस्थाओं द्वारा वित्त पोषित हो। परिवादी द्वारा जो अनुतोष विपक्षीगण से चाहा गया है वह काल्पनिक है और उसका कोई आधार नहीं है। जिला मंच का यह निष्कर्ष कि विपक्षी संख्या-2 द्वारा जो ऋण अस्वीकृत किया गया, उसके संबंध में विपक्षी संख्या-2 की ओर से सेवा में कमी है, त्रुटिपूर्ण है। परिवादी द्वारा जो धनराशि जमा की गयी थी, वह वापस की जा चुकी है। अत: विपक्षीगण की सेवा में कोई कमी नहीं है। जिला मंच का निर्णय/आदेश त्रुटिपूर्ण है और निरस्त होने योग्य है। तदनुसार अपील स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला फोरम, रायबरेली द्वारा परिवाद संख्या-339/1999 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 03.03.2004 निरस्त किया जाता है तथा परिवाद भी निरस्त किया जाता है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
इस निर्णय/आदेश की सत्यप्रतिलिपि उभयपक्ष को नियमानुसार उपलब्ध करा दी जाये।
(राज कमल गुप्ता) (महेश चन्द)
पीठासीन सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-3