(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-801/2011
Sate Bank of Bikaner & Jaipur
Versus
Laxmi Devi Kishan Chand Memorial Hospital Pvt. Ltd
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री ओ0पी0 दुवेल, विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: कोई नहीं
दिनांक :08.08.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
- परिवाद सं0-289/2008 (322/2001), मे0 लक्ष्मी देवी किशनचन्द बनाम दि मैनेजर, स्टेट बैंक आफ बीकानेर मे विद्धान जिला आयोग, रमाबाई नगर द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 07.04.2011 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर केवल अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता को सुना गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। पत्रावली एवं प्रश्नगत निर्णय/आदेश का अवलोकन किया गया।
- परिवाद के तथ्यों के के अनुसार परिवादी का विपक्षी बैंक में खाता है। दिनांक 21.12.1999, 03.03.2000, 27.02.2000, 29.02.2000 तथा 11.02.2000 को परिवादी के खाते से क्रमश: 8,000/-रू0, 9000/-रू0, 8000/-रू0, 12000/-रू0 एवं 8000/-रू0 चेक प्रस्तुत करने के बाद निकाल लिये गये और बैंक द्वारा परिवादी के हस्ताक्षर के नमूने से मिलान नहीं किया गया और फर्जी व्यक्तियों को धन अदा कर दिया गया, जिसके कारण परिवादी का 45,000/-रू0 का नुकसान हुआ।
- बैंक का कथन है कि सभी चेकों पर मौजूद हस्ताक्षर का मिलान नमूना हस्ताक्षर से किया गया था और उसके बाद धनराशि की अदायगी की गयी थी। बैंक के स्तर से सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है।
- जिला उपभोक्ता आयोग ने साक्ष्य पर विचार करते हुए यह निष्कर्ष दिया है कि हस्तलेख विशेषज्ञ श्री टी0एन0 शुक्ला ने अपने शपथ पत्र एवं रिपोर्ट के माध्यम से साबित किया है कि चेक पर जो हस्ताक्षर मौजूद थे, वह हस्ताक्षर अशोक कुमार आहूजा के नमूना हस्ताक्षर से मिलान करने पर वह हस्ताक्षर उनके नहीं पाये गये। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा यह भी निष्कर्ष दिया गया है कि बैंक द्वारा परिवादी के हस्ताक्षर प्राप्त कर विशेषज्ञ रिपोर्ट प्रस्तुत कराने का कोई प्रयास नहीं किया गया। तदनुसार चेक की राशि 08 प्रतिशत ब्याज के साथ लौटाने का आदेश पारित किया है।
- अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का यह तर्क है कि बैंक में मौजूद नमूना हस्ताक्षर से चेक पर मौजूद हस्ताक्षरों का मिलान कराया जाना चाहिए था न कि स्वतंत्र रूप से हस्ताक्षर लेकर मिलान किया जाना चाहिए था, चूंकि बैंक को भी अवसर मौजूद था कि वह बैंक में मौजूद नमूना हस्ताक्षर से चेक पर मौजूद हस्ताक्षरों का मिलान कराने के लिए विशेषज्ञ रिपोर्ट प्रस्तुत कर सकते थे, परंतु बैंक द्वारा ऐसी प्रक्रिया नहीं अपनायी गयी, इसलिए जिला उपभोक्ता आयोग के निष्कर्ष में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है। तदनुसार अपील खारिज होने योग्य है।
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अपील खारिज की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश की पुष्टि की जाती है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2