Uttar Pradesh

StateCommission

A/1962/2017

Rudra Construction and Suplair Co. - Complainant(s)

Versus

Laxami Shankar Sahu - Opp.Party(s)

S.K. Shukla

28 Feb 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1962/2017
( Date of Filing : 01 Nov 2017 )
(Arisen out of Order Dated 18/04/2016 in Case No. C/1230/2013 of District Lucknow-II)
 
1. Rudra Construction and Suplair Co.
Office Kidawai Nagar Kabarai Distt. Mahoba Prop. Anoop Dixit S/O Sri Pratap Narayan Dixit Ni. Road Bej Sus Stand Maudaha Distt. Hamirpur
...........Appellant(s)
Versus
1. Laxami Shankar Sahu
S/O Late Sri V.P. Sahu Niwasi 2/38 Rughi Khand Sharda Nagar Distt. Lucknow
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 28 Feb 2023
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(मौखिक)                                                                                  

अपील संख्‍या:-1962/2017

रूद्र कान्‍सट्रक्‍शन एण्‍ड सप्‍लायर्श कम्‍पनी किदवई नगर कबरई महोबा जिला महोबा प्रो0 अनूप दीक्षित पुत्र श्री प्रताप नारायण दीक्षित नि0 रोड बेज बस स्‍टैण्‍ड मौदहा जनपद हमीरपुर (उ0प्र0)

........... अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम              

लक्ष्‍मी शंकर साहू पुत्र स्‍व0 वी0पी0 वाहू, निवासी 2/38 रूचि खण्‍ड शारदा नगर जनपद लखनऊ।

…….. प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष

मा0 श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य                     

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता         : श्री एस0के0 शुक्‍ला

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता           : श्री आनन्‍द भार्गव

दिनांक :- 28.02.2023

मा0 श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थी/ रूद्र कान्‍सट्रक्‍शन एण्‍ड सप्‍लायर्श कम्‍पनी द्वारा इस आयोग के सम्‍मुख धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्‍तर्गत जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, दि्वतीय लखनऊ द्वारा परिवाद सं0-1230/2013 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 18.4.2016 के विरूद्ध योजित की गई है।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपने प्‍लाट सं0-2/38 रूचि खण्‍ड, शारदा नगर, लखनऊ पर भवन निर्माण कराने का कान्‍ट्रेट माह अगस्‍त 2012 में अपीलार्थी/विपक्षी को दिया था, जिसके अन्‍तर्गत नीव से लेकर छत की रेलिंग तक का कार्य दीवाले, फर्श, सिंचाई, छपाई, अच्‍छे दरवाजे, खिड़कियॉ, उच्‍च कोटि के मटेरियल व मानक के अनुसार अपीलार्थी/विपक्षी को करना था तथा समय-समय

-2-

पर प्रत्‍यर्थी/परिवादी को निर्माण सामग्री आदि का भुगतान करना था। प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा माह अगस्‍त, 2013 तक अपीलार्थी/विपक्षी को विभिन्‍न तिथियों में कुल 26,80,100.00 रू0 का भुगतान किया जा चुका है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी बाहर रहता है उसने जब लखनऊ आकर निर्माण कार्य देखा तब उसे पता चला कि जितने पैसे का भुगतान अपीलार्थी/विपक्षी को किया जा चुका है उससे काफी कम धनराशि का निर्माण अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा कराया गया है, जो कि रू0 12,00,000.00 ये अधिक नहीं होगा। प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा शिकायत करने पर अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा धनराशि वापस करने से इंकार कर दिया गया, जिस पर अपीलार्थी/विपक्षी को विधिक नोटिस दिया गया, परन्‍तु अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा कोई ध्‍यान नहीं दिया गया, अत: प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी के विरूद्ध परिवाद क्षतिपूर्ति का अनुतोष मय ब्‍याज के दिलाये जाने हेतु जिला उपभोक्‍ता आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत किया गया। 

जिला उपभोक्‍ता आयोग के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से कोई प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत नहीं किया गया, अत: जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख अपीलार्थी/विपक्षी के विरूद्ध परिवाद की कार्यवाही एक पक्षीय रूप से अग्रसारित की गई।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍य पर विस्‍तार से विचार करने के उपरांत परिवाद को आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए विपक्षी का आदेशित किया कि वह इस निर्णय की तिथि से चार सप्‍ताह के अंदर परिवादी को रू0 14,80,100.00 मय 09 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्‍याज की दर से अदा करें, साथ ही परिवादी को मानसिक एवं शारीरिक कष्‍ट हेतु रू0 15,000.00 एवं वाद व्‍यय हेतु रू0 5,000.00 भी देय होगा।

-3-

उपरोक्‍त निर्णय/आदेश से क्षुब्‍ध होकर प्रस्‍तुत अपील प्रस्‍तुत की गई है।

हमारे द्वारा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍ता द्व्‍य को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं समस्‍त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी एवं अपीलार्थी/विपक्षी के मध्‍य भवन निर्माण की संविदा वर्ष-2012 में हुई थी। समय-समय पर प्रत्‍यर्थी/परिवादी निर्माण सामग्री का भुगतान करना था। प्रत्‍यर्थी/परिवादी के अनुसार 26,80,100.00 रू0 का भुगतान किया जा चुका है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी के अनुसार जब उसने मकान की स्थिति को देखा तो यह पाया कि उसमें रू0 12,00,000.00 से अधिक व्‍यय नहीं हुआ होगा।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए उसे बकाया धनराशि 14,80,100.00 रू0 मय 09 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज की दर से अदा करने का आदेश दिया है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी के परिवाद में मुख्‍य आधार यह लिया गया है कि उसके स्‍वयं के आंकलन के अनुसार रू0 12,00,000.00 से अधिक की धनराशि व्‍यय नहीं हुई होगी। प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से भवन निर्माण में हुए व्‍यय का जो अनुमान लगाया गया है उसका आधार क्‍या है यह स्‍पष्‍ट नहीं किया गया है। किसी विशेषज्ञ की रिपोर्ट को भी प्रस्‍तुत नहीं किया गया है। किसी इंजीनियर अथवा भवन निर्माण में कार्यरत कर्मचारी अथवा भवन निर्माण का अनुभव रखने वाले किसी इंजीनियर/मिस्‍त्री आदि की कोई रिपोर्ट भी प्रस्‍तुत नहीं की गई है, जिससे यह अनुमान/आंकलन लगाया जा सके कि वास्‍तव में मौके पर कितनी धनराशि व्‍यय हुई होगी। व्‍यय धनराशि का कोई आधार प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से प्रस्‍तुत नहीं किया गया है, न ही विद्वान जिला उपभोक्‍ता

-4-

आयोग के निर्णय में कोई आधार इस आशय का लिया गया है कि वास्‍तव में भवन निर्माण में रू0 12,00,000.00 की धनराशि ही व्‍यय की गई है इससे अधिक या कम की नहीं। अत: बिना किसी आधार के पारित किया गया निर्णय उचित नहीं है, इसलिए अपील स्‍वीकार करते हुए विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश अपास्‍त किये जाने योग्‍य है।

आदेश

प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार की जाती है तथा जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, दि्वतीय लखनऊ द्वारा परिवाद सं0-1230/2013 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 18.4.2016 अपास्‍त किया जाता है एवं परिवाद पत्र निरस्‍त किया जाता है।

धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्‍तर्गत अपील में जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित अपीलार्थी को नियमानुसार वापस की जावे।

आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

       (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                (विकास सक्‍सेना)      

               अध्‍यक्ष                                           सदस्‍य                                                                                         

 

हरीश सिंह

वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,

कोर्ट नं0-1

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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