(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1593/2009
Oriental Insurance Company Ltd.
Versus
Luv Kush Swarankar S/O Ramji Swarankar
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री अशोक मेहरोत्रा, विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: श्री विजय कुमार, विद्धान अधिवक्ता
दिनांक :28.10.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-430/2003, लवकुश स्वर्णकार बनाम दि ओरिएण्टल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड में विद्वान जिला आयोग, इलाहाबाद द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 21.07.2009 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर दोनों पक्षकारों के विद्धान अधिवक्तागण के तर्क को सुना गया। प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. जिला उपभोक्ता आयोग ने बीमित राशि अंकन 3,60,330/-रू0 का भुगतान करने का आदेश 08 प्रतिशत ब्याज के साथ पारित किया है।
3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार वाहन सं0 यू0पी0 70 टी-8372 दिनांक 29.12.2000 को अंकन 3,60,330/-रू0 में क्रय किया था, जिस पर 2,40,000/-रू0 का ऋण प्राप्त किया था, जिसका बीमा कराया गया था। बीमित अवधि के दौरान दिनांक 11.07.2001 को यह वाहन चोरी हो गया, जिसकी रिपोर्ट दर्ज करायी गयी। विपक्षी द्वारा केवल 2,38,500/-रू0 का भुगतान दिया जाना स्वीकार किया, जबकि सम्पूर्ण बीमा 3,60,330/-रू0 का हुआ था। यही राशि बतौर प्रतिकर मिलनी चाहिए ।
4. विपक्षी सं0 1 द्वारा प्रस्तुत लिखित कथन में बीमा पॉलिसी जारी करना स्वीकार किया गया। चोरी के समय वाहन का मूल्य 2,38,500/-रू0 था, जिसे अदा करने का प्रस्ताव दिया गया था, परंतु परिवादी द्वारा ग्रहण नहीं किया गया, इसलिए परिवादी ब्याज प्राप्त करने के लिए अधिकृत नहीं है।
5. पक्षकारों के साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया है कि परिवादी बीमा मूल्य के अनुसार ही बीमित धन प्राप्त करने के लिए अधिकृत है न कि सर्वेयर की रिपोर्ट के अनुसार।
6. इस निर्णय के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील तथा मौखिक तर्कों का सार यह है कि सर्वेयर द्वारा कुल 2,40,000/-रू0 की मार्केट वैल्यू बतायी गयी है। अंकन 1,500/-रू0 की कटौती करने के पश्चात 2,38,500/-रू0 का प्रस्ताव दिया गया, जिसे स्वयं बीमाधारक द्वारा स्वीकार नहीं किया गया। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा सम्पूर्ण बीमित मूल्य अदा करने का आदेश विधि-विरूद्ध है।
7. परिवादी ने वाहन दिनांक 29.12.2000 को क्रय किया है। वाहन की चोरी दिनांक 11.07.2001 को होना कहा है। बीमा कम्पनी द्वारा बीमा करते समय वाहन का मूल्य 3,60,330/-रू0 आंकलन किया है। इस प्रकार चोरी के समय कुल बीमित मूल्य में से 10 प्रतिशत की कटौती के पश्चात बीमित धन अदा करने का आदेश पारित किया जाना चाहिए न कि सम्पूर्ण बीमित मूल्य के अनुसार, इसलिए अपील इस सीमा तक स्वीकार होने योग्य है कि बीमित मूल्य अंकन 3,60,330/-रू0 में से 10 प्रतिशत कटौती करने के पश्चात अवशेष राशि बतौर बीमा देय होगी, इसी प्रकार बीमा राशि पर ब्याज 06 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से देय होगा।
आदेश
अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि कि अपीलार्थी अंकन 3,60,330/-रू0 मे से 10 प्रतिशत कटौती करने के पश्चात अवशेष राशि अंकन 3,24,297/-रू0 परिवादी को अदा करे। इस राशि पर ब्याज 06 प्रतिशत की दर से देय होगा। शेष निर्णय/आदेश पुष्ट रहेगा।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2