राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग उ0प्र0 लखनऊ।
सुरक्षित
अपील सं0-१४६५/२००८
(जिला उपभोक्ता फोरम इलाहाबाद के द्वारा परिवाद सं0-११६/२००३ में पारित निर्णय/आदेश दिनांक २१/०५/२००५ के विरूद्ध)
- महाप्रबन्धक उत्तर रेलवे शिकायत प्रधान कार्यालय बडौदा हाउस नई दिल्ली।
- डीआरएम(मण्डल रेल प्रबन्धक) मुख्य कार्मिक अधीक्षक उ0रे0 नवाब युसुफ रोड इलाहाबाद।
अपीलार्थीगण/विपक्षीगण
बनाम
लखनजी पुरवार एडवोकेट पुत्र स्व0 कृष्ण मुरारी पुरवार निवासी १४४/५२२ बी पटेल नगर मीरापुर शहर इलाहाबाद। प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:
1- मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी, पीठासीन न्यायिक सदस्य।
2- मा0 श्रीमती बाल कुमारी सदस्य।
अधिवक्ता अपीलार्थीगण: श्री पीपी श्रीवास्तव विद्वान अधिवक्ता ।
अधिवक्ता प्रत्यर्थी: कोई नहीं।
दिनांक ३०/१२/२०१४
मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी, पीठासीन न्यायिक सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
अपीलार्थी ने यह अपील विद्वान जिला उपभोक्ता फोरम इलाहाबाद के द्वारा परिवाद सं0-११६/२००३ में पारित निर्णय/आदेश दिनांक २१/०५/२००५ के विरूद्ध प्रस्तुत की है जिसमें निम्नवत आदेश पारित किया है:-
‘’परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध डिक्री किया जाता है तथा यह आदेशित किया जाता है कि विपक्षी सं0-2 परिवादी को आज से २ माह के अन्दर २२०००/-रू0 का भुगतान करे। इस राशि पर परिवादी विपक्षी सं0-2 से वाद दायरा की तिथि से क्षतिपूर्ति के वास्तविक भुगतान तक ८ प्रतिशत ब्याज की दर से
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ब्याज भी प्राप्त करेंगे। परिवादी सं0-2 से ५०००/-रू0 बतौर मानसिक संत्रास व १०००/-रू0 वाद व्यय भी प्राप्त करेंगे। ’’
प्रस्तुत अपील विद्वान जिला मंच इलाहाबाद द्वारा परिवाद सं0-११६/२००३ में निर्णय दिनांक २१/०५/२००८ के विरूद्ध दिनांक ०४/०८/२००८ को प्रस्तुत की गयी है जिसकी प्रति उसे दिनांक १०/०६/२००८ को प्राप्त हुई थी। अपीलार्थी ने अपील को विलम्ब से प्रस्तुत किए जाने में हुए विलम्ब को क्षमा किए जाने हेतु एक प्रार्थना पत्र तथा साथ में श्री एच0सी0 श्रीवास्तव का शपथपत्र दिया है जिसमें विलम्ब को क्षमा किए जाने का समुचित कारण दिया गया है अत: विलम्ब का प्रार्थना पत्र स्वीकार किया जाता है। अपील को प्रस्तुत किए जाने में हुए विलम्ब को क्षमा किया जाता है।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी ने दिनांक १६/०९/२००२ को श्री दुर्गा संकीर्तन मण्डली मीरापुर इलाहाबाद के नेतृत्व में वह अपनी पत्नी के साथ धार्मिक यात्रा में संगम एक्सप्रेस से विभिन्न धार्मिक स्थलों पर गया था। परिवादी दिनांक २९/०९/२००२ को मुरी एक्सप्रेस के बोगी नम्बर ८३१४/एस0टी0 ९ ट्रेन नम्बर ८१०२ की बर्थ नम्बर ५२ व ५३ से सायं ७.३० बजे अमृतसर से इलाहाबाद के लिए अपनी पत्नी के साथ प्रस्थान किया । परिवादी ने अपना सारा सामान मय अरेस्ट्रोकेट अटैची साइज २-१/२ फिट २ फिट व दो बैग को अपनी लोहे की चेन के साथ ताला बन्द करके बर्थ नम्बर ५२ के नीचे रख दिया । बर्थ नम्बर ५२ पर परिवादी की पत्नी सो रही थी एवं बर्थ नम्बर ५३ पर परिवादी सो रहा था । परिवादी रात २.४० बजे जब उठा तो रेखा कि सरदार मुख्तार सिंह बर्थ नम्बर ४९ व ५२ के बीच खाली जमीन पर परिवादी के बैग पर सर रखकर सो गये थे एवं उनके साथ की महिला बर्थ नम्बर ४९ पर सो रही थी तब परिवादी ने उनसे वहां से उठने को कहा लेकि वह नहीं उठे। टिकट जिनके पास कोच का आरक्षण था सिर्फ अमृतसर में टिकट चेक करने के बाद बोगी में नहीं आये तथा रेलवे द्वारा प्रदत्त सहायता भी नहीं दी जिसके कारण तमाम बाहरी लोग आरक्षण शयनयान में घुसे थे और परिवादी एवं उसके अन्य साथियों द्वारा करने पर भी डिब्बे से बाहर नहीं गये और कहा कि उनकी टी0टी0 से बात हो गयी है तथा लड़ने पर आमादा हो गये। परिवादी जब गाजियाबाद में सोकर उठा तो देखा तो पाया कि सूटकेस गायब था एवं जंजीर कटी थी और बैग के साथ ताला बन्द मिला। दिनांक ३०/०९/२००२ को परिवादी जब इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पहुंचा तो सायं ६.१० बजे थाना जीआरपी इलाहाबाद में
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प्राथमिकी लिखाई जो धारा ३७९ भा0द0सं0 के अनतर्गत दर्ज करके संबंधित थाना जीआरपी गाजियाबाद को विवेचना के लिए भेज दिया। परिवादी ने कहा कि सूटकेस में लगभग २२०००/-रू0 का सामान था। परिवादी ने एक नोटिस दिनांक २७/११/२००२ को विपक्षी सं0-1 को भेजी कि २२०००/-रू0 मय ब्याज के उन्हें दिलाए जाएं जिसका जवाब दिनांक १७/१२/२००२को मिला जिसमें उन्होंने अपनी जिम्मेदारी से इन्कार किया । अत: उन्होंने परिवाद दायर करके २२०००/-रू0 की क्षतिपूर्ति विपक्षी से मांगी और १४ प्रतिशत ब्याज मांगा, खर्चा नोटिस व १५००/-रू0 वाद व्यय भी मांगा।
विपक्षीगण ने अपना प्रतिवाद पत्र दाखिल किया जिसमें उन्होंने परिवाद पत्र के तथ्यों को अस्वीकार किया और यह कहा कि दिनांक २९/०९/२००२ को ट्रेन नं0 ८१०२ की एस ९ कोच की बर्थ सं0-५२ व ५३ पर आरक्षित यात्री क्रमश: श्रीमती के0 कान्ता व एस0पी0 मनचन्दा का नाम अंकित है जो अमृतसर से इलाहाबाद के लिए आरक्षित की गयी थी। संभवत: रेलवे चार्ट की बर्थ नं0 ४९ के यात्री नाम देखकर सरदार मुख्तार सिंह लिख दिया है जिनके साथ कोई यात्री नहीं था। बर्थ नं0 ४९ मुख्तार सिंह के नाम आरक्षित थी और वही उस पर सोये थे। उक्त बोगी को टीटी ने यात्रा के दौरान कई बार चेक किया और सब कुछ ठीक पाया। परिवादी ने गार्ड शिकायत की किताब नहीं मागी। परिवादी का जीआरपी में रिपोर्ट लिखाना केवल क्षतिपूर्ति के लिए है परिवादी को उनकी नोटिस का जवाब दे दिया गया था। चोरी के लिए रेलवे उत्तरदायी नहीं है। विपक्षीगण ने परिवाद निरस्त किये जाने का निवेदन किया और कहा कि ट्रेन नं0 ८१०२ डाउन के कोच एस टी ९ के बर्थ नम्बर ५२ एवं ५३ पीएनआर नं0 २३५/३५६४३० के अन्तर्गत दिनांक २९/०९/२००२ को श्रीमती के0 कान्ता एवं एसपी मनचन्दा के नाम अमृतसर से इलाहाबाद के लिए आरक्षित था। परिवादी के नाम बोगी में कोई भी बर्थ उक्त तिथि में आरक्षित नहीं थी और जांच के दौरान सभी यात्री अपने बर्थों में पाये गये। बर्थ नम्बर ४९ पर लुधियाना से टाटा नगर तक आरक्षित थी और चेकिंग के दौरान वे अपने बर्थ पर पाये गये उनके साथ महिला यात्री नहीं थी और न ही कोई अनारक्षित यात्री उक्त कोच में पाये गये। रेलवे विभाग उन्हीं सामानों की गांरटी लेता है जो बुक कराया जाता है। परिवाद धारा १०० रेलवे एैक्ट से बाधित है। परिवादीगण दिनांक २९/०९/२००२ को ८१०२ डाउन के कोच नं0 एसटी ९ में न तो यात्रा की और न ही
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उनका नाम आरक्षण चार्ट में है और न ही इस संबंध संबंध में कोई ठोस साक्ष्य ही उन्होंने दाखिल किया है।
अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि बर्थ नं0 ४९ पर सरदार मुख्तार सिंह का नाम अंकित किया है जिसके साथ कोई यात्री नहीं था जो कि चार्ट में नाट-टर्न की टिप्पणी के साथ दर्शाया गया है। बर्थ नं0 ५२ पर परिवादी की पत्नी सो रही थी एवं बर्थ नं0 ५३ पर परिवादी सो रहा था । क्रमश: श्रीमती के0 कान्ता एवं एसपी मनचन्दा के नाम से दर्शाया गया है । अत: ऐसी परिस्थिति में परिवादी/प्रत्यर्थी द्वारा यात्रा करने पर उसके सामान की चोरी हो जाना संदिग्ध प्रतीत होता है और प्रश्नगत निर्णय निरस्त किए जाने योग्य है।
प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ, जबकि पत्रावली में उनके विद्वान अधिवक्ता श्री आर0के0 मिश्रा का वकालतनामा दाखिल किया है।
प्रश्नगत निर्णय एवं अभिलेखों का परिशीलन किया गया। परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी ने दिनांक १६/०९/२००२ को श्री दुर्गा संकीर्तन मण्डली मीरापुर इलाहाबाद के नेतृत्व में वह अपनी पत्नी के साथ धार्मिक यात्रा में संगम एक्सप्रेस से विभिन्न धार्मिक स्थलों पर गया था। परिवादी दिनांक २९/०९/२००२ को मुरी एक्सप्रेस के बोगी नम्बर ८३१४/एस0टी0 ९ ट्रेन नम्बर ८१०२ की बर्थ नम्बर ५२ व ५३ से सायं ७.३० बजे अमृतसर से इलाहाबाद के लिए अपनी पत्नी के साथ प्रस्थान किया । उन्होंने अपना सामान मय अटैची व बैग अपने लोहे की चैन के साथ बर्थ नं0 ५२ के नीचे रखा गया । बर्थ नं0 ५२ पर परिवादी की पत्नी सो रही थी एवं बर्थ नं0 ५३ पर परिवादी सो रहा है। परिवादी जब गाजियाबाद में सोकर उठा तो देखा कि उनका एक बैग बर्थ नम्बर ४९ के नीचे पडा तथा बर्थ नम्बर ५२ के नीचे देखा तो पाया कि सूटकेस गायब था एवं एवं जंजीर कटी थी और बैग के साथ ताला बन्द मिला। इस संबंध में परिवादी ने प्रथम सूचना रिपोर्ट भी अंकित कराई। प्रश्नगत निर्णय के अनुसार संकीर्तन भजन मण्डली के द्वारा आयोजित वैष्णो देवी की यात्रा मय ४९ आदमियों का रिजर्वेशन कराया और यह रिजर्वेशन दिनांक ०९/०८/२००२ को कराया गया जिसमें परिवादी एवं उसकी पत्नी का नाम क्रमांक ३४ और ३५ पर था। चार्ज के आधार पर यह तथ्य सही है कि दिनांक २९/०९/२००२ को ट्रेन नम्बर ८१०२ ए ९ कोच की बर्थ सं0-५२ व ५३ पर श्रीमती के0 कान्ता व एस0पी0 मनचन्दा का नाम अंकित है किन्तु उस दिन मुरी एक्सप्रेस से उपरोक्त
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बोगी सं0-८३१४/एस0टी0-९ ट्रेन नम्बर ८१०२ की बर्थ नम्बर ५२ व ५३ पर परिवादी ने यात्रा की जोकि श्री दुर्गा संकीर्तन भजन मण्डली की ओर से आरक्षित कराए गए व्यक्तियों में से थे। दुर्गा संकीर्तन भजन मण्डली द्वारा आरक्षित करायी गयी सुविधा के न अनुसार उनके नाम से सभी बर्थों को अलग कर दिया गया। साक्ष्य से यह भी स्पष्ट है कि के0 कान्ता और एस पी मनचन्दा भी उसकी धार्मिक यात्रा के सदस्य थे जोकि दुर्गा संकीर्तन भजन मण्डली द्वारा आयोजित की गयी थी और सभी बर्थ कुल ४९ आरक्षित करायी गयी थी। यह साबित है कि जब सामूहिक रूप से बर्थों का आरक्षण कराया जाता है तो ऐसी दशा में आरक्षित बर्थों की अदला-बदली यात्रियों की आयु एवं सुविधा के अनुसार कर दी जाती हैं। श्री कान्ता एवं एस पी मनचन्दा तथा श्री लखनजी पुरवार एवं उनकी पत्नी भी इस सामूहिक धार्मिक यात्रा के सहयात्री थे। अत: यह संभव है कि सीटों की अदला-बदली परस्पर की गयी हो । श्री लल्लू लाल गुप्ता अधिवक्ता ने अपने शपथपत्र से साबित किया है कि परिवादी व उसकी पत्नी ने अमृतसर से इलाहाबाद श्री वैष्णों देवी यात्रा के लिए आरक्षित कराई गयी बर्थ नम्बर ५२ व ५३ पर यात्री की थी। यह शपथपत्र श्री लल्लू लाल गुप्ता अधिवक्ता जैसे जिम्मेदार व्यक्ति के द्वारा दिया गया है, अत: विश्वसनीय है। विद्वान जिला मंच द्वारा मात्र २२०००/-रू0 के भुगतान किए जाने का आदेश क्षतिपूर्ति के रूप में मय ८ प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से तथा ५०००/-रू0 बतौर मानसिक कष्ट के रूप में १०००/-रू0 वाद व्यय अदा किए जाने का आदेश पारित किया गया है किन्तु उपरोक्त २२०००/-रू0 पर ८ प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से ब्याज लगाया जाना समीचीन नहीं पाया जाता है। २२०००/-रू0 की धनराशि पर भुगतान कीतिथि तक ६ प्रतिशत वार्षिक ब्याज दिलाया जाना उपयुक्त होगा । मानसिक कष्ट के लिए ५०००/-रू0 दिलाए जाने का आदेश निरस्त किए जाने योग्य है किन्तु १०००/-रू0 परिवादी/प्रत्यर्थी अपीलकर्ता से प्राप्त करने का अधिकारी है। तदनुसार अपील अंशत: स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
अपील अंशत: स्वीकार की जाती है। अपीलकर्ता, परिवादी/प्रत्यर्थी को २२००००/-रू0 की धनराशि पर दिनांक २१/०५/२००८ से भुगतान की तिथि तक मय ६ प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से अदा करेगा तथा वाद व्यय के रूप में १०००/-
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रू0 अदा करेगा। विद्वान जिला मंच द्वारा ५०००/-रू0 की धनराशि बतौर मानसिक कष्ट के लिए दिलाए जाने का आदेश निरस्त किया जाता है।
उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
उभयपक्षों को निर्णय की सत्यापित प्रति नियमानुसार उपलब्ध कराई जाए।
(अशोक कुमार चौधरी) (बाल कुमारी)
पीठा0सदस्य सदस्या
सत्येन्द्र
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