Uttar Pradesh

Muradabad-II

CC/100/2015

Shri Nazim Khan - Complainant(s)

Versus

Lava Inter National Ltd. - Opp.Party(s)

Shri Mahesh Dutt Sharma

23 Jun 2016

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum -II
Moradabad
 
Complaint Case No. CC/100/2015
 
1. Shri Nazim Khan
R/o Indra Chwok Peergape Road, Thana Mugalpura, Distt. Moradabad
Moradabad
Uttar Pradesh
...........Complainant(s)
Versus
1. Lava Inter National Ltd.
Add:- Chaudhary Enterprises Bazar Ganj, Moradabad
Moradabad
Uttar Pradesh
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. P.K Jain PRESIDENT
 HON'BLE MRS. Azra Khan MEMBER
 HON'BLE MRS. Manju Srivastava MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्‍यक्ष

  1.   इस परिवाद के माध्‍यम परिवादी ने अनुरोध किया है कि खराब मोबाइल के बदले विपक्षीगण से उसे नया मोबाइल दिलाया जाऐ अन्‍यथा मोबाइल की उसे कीमत दिलाई जाऐ। क्षतिपूर्ति की मद में 25000/-  रूपया और परिवाद व्‍यय की मद में 2500/- रूपया परिवादी ने अतिरिक्‍त  मांगे हैं।
  2.   संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि दिनांक 22/3/2015 को  4700/- रूपया में परिवादी ने विपक्षी सं0-2 से जोलो कम्‍पनी का एक  मोबाइल जिसका विवरण परिवाद के पैरा सं0-1 में दिया गया है, खरीदा था। मोबाइल की एक साल की वारण्‍टी थी। मोबाइल बेचते समय विपक्षी सं0-2 ने बताया था कि यदि मोबाइल में कोई खराबी होती है तो विपक्षी  सं0-2 के मैकेनिकल इंजीनियर खराबी दूर करेगें और यदि खराबी दूर नहीं  हो पाई तो परिवादी को नया मोबाइल उपलब्‍ध कराया जाऐगा अन्‍यथा  परिवादी को मोबाइल की कीमत 18 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित वापिस दिलाई जायेगी। परिवादी के अनुसार खरीदने के बाद मोबाइल कुछ दिन  तो ठीक चला, किन्‍तु बाद में वह चलते-चलते बन्‍द हो गया। विपक्षी सं0-2 के पास जाने पर उसने परिवादी को मोबाइल के सर्विस सेन्‍टर पर जाने के लिए कहा। परिवादी वहॉं गया किन्‍तु बार-बार सर्विस कराने के बावजूद मोबाइल ठीक नहीं हुआ फिर मोबाइल ने काम करना ही बन्‍द कर दिया। दिनांक 03।7/2015 को परिवादी ने सर्विस सेन्‍टर पर मोबाइल ठीक करने के लिए दिया था दिनांक 31/7/2015 को परिवादी का मोबाइल पुरानी स्थिति में ही लौटा दिया गया ऐसा लगता है कि मोबाइल में कोई खास खराबी है। मोबाइल वारण्‍टी में है इसमें तकनीकि खराबी और निर्माण सम्‍बन्‍धी दोष हैं। परिवादी के अनुसार अपने अधिवक्‍ता के माध्‍यम से विपक्षीगण को उसने कानूनी नोटिस भिजवाया किन्‍तु विपक्षीगण ने न तो उसका कोई जबाव दिया और न ही परिवादी की शिकायत दूर की, मजबूर होकर परिवादी को यह परिवाद योजित करना पड़ा। उसने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाऐ जाने की  प्रार्थना की।
  3.  परिवाद के समर्थन में परिवादी ने अपना शपथ पत्र कागज सं0-3/5 दाखिल किया। परिवादी द्वारा विपक्षीगण को भेजे गऐ नोटिस दिनांक 01/8/2015, इसे भेजे जाने की डाकखाने की रसीद, मोबाइल की सेल्‍स  इनवायस और सर्विस सेन्‍टर द्वारा दिऐ गऐ जॉब कार्ड दिनांकित 03/7/2015 की फोटो प्रतियों को दाखिल किया गया, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-3/7  लगायत 3/10 हैं।
  4.   विपक्षीगण की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0-6/1 लगायत 6/4  दाखिल हुआ जिसके समर्थन में विपक्षी सं0-1 के सीनियर लीगल मैनेजर श्री अमरदीप सिंह ने अपना शपथ पत्र कागज सं0-6/5 प्रस्‍तुत किया। प्रतिवाद पत्र के साथ मोबाइल की लिमिटेड वारण्‍टी की शर्तों की फोटो प्रति बतौर संलग्‍नक दाखिल की गई। 
  5.   प्रतिवाद पत्र में परिवादी द्वारा विपक्षी सं0-2 से प्रश्‍नगत मोबाइल खरीदा जाना, सर्विस सेन्‍टर पर मोबाइल ठीक करने के लिए दिनांक 03/7/2015 को दिया जाना और ठीक करके इसे दिनांक 31/7/2015 को परिवादी को वापिस किया जाना तो स्‍वीकार किया गया है, किन्‍तु शेष परिवाद कथनों से इन्‍कार किया गया है। अग्रेत्‍तर कथन किया गया कि मोबाइल की सीमित वारण्‍टी थी जिसके तहत कुछ शर्तो के अधीन उसकी मुफ्त रिपेयर हो सकती थी। परिवादी का यह कथन गलत है कि मोबाइल में निर्माण सम्‍बन्‍धी  दोष था। परिवादी ने कोई तकनीकि रिपोर्ट दाखिल नहीं की जिसके आधार पर यह माना जा सके कि मोबाइल में निर्माण सम्‍बन्‍धी दोष उत्‍पन्‍न हुआ था। परिवादी का यह भी कहना गलत है कि मोबाइल ठीक कराने के लिए कई बार सर्विस सेन्‍टर अथवा विपक्षी सं0-2 के पास आया था बल्कि सही बात यह है कि परिवादी केवल एक बार दिनांक 03/7/2015 को मोबाइल ठीक कराने सर्विस सेन्‍टर पर आया था जहॉं से मोबाइल ठीक करके उसे दिनांक 31/7/2015 को वापिस कर दिया गया उसके बाद कभी भी परिवादी विपक्षी सं0-2 के पास अथवा सर्विस सेन्‍टर पर नहीं आया। यदि वास्‍तव में मोबाइल बार-बार खराब होता तो ऐसा कोई कारण नहीं था कि परिवादी उसे ठीक कराने दोबारा न आता। प्रतिवाद पत्र में अग्रेत्‍तर कथन किया गया है कि उक्‍त स्थिति के बावजूद सदभाव में विपक्षीगण परिवादी के मोबाइल की रिपेयर करने को तैयार हैं जिसके लिए परिवादी तैयार नहीं है। सर्विस सेन्‍टर को पक्षकार न बनाऐ जाने और उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम की धारा-11 (2) (बी) के अधीन परिवाद दाखिल करने के लिए फोरम की अनुमति न लिऐ जाने का भी कथन किया गया है। उक्‍त कथनों के आधार पर परिवाद को सव्‍यय खारिज किऐ  जाने की प्रार्थना की गई।
  6.   परिवादी ने अपना साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-9/1 लगायल 9/3  दाखिल किया जिसके साथ मोबाइल की सेल्‍स इनवायस, वारण्‍टी कार्ड और  जॉब शीट की फोटो प्रतियों को बतौर संलग्‍नक दाखिल किया गया।
  7.   विपक्षीगण की ओर से विपक्षी सं0-1 के सीनियर लीगल मैनेजर  श्री अमर दीप सिंह का साक्ष्‍य शपथ पत्र प्रस्‍तुत किया गया।
  8.   परिवादी ने सूची कागज सं0-10/1 के माध्‍यम से मोबाइल की सेल्‍स इनवाय, जॉब  कार्ड, कानूनी नोटिस भेजे जाने की असल रसीदात, विपक्षी सं0-2 पर नोटिस की तामील सम्‍बन्‍धी एक्‍नोलिजमेंट और वारण्‍टी कार्ड मूल रूप में दाखिल किऐ गऐ। इनके अतिरिक्‍त विपक्षीगण को भेजे गऐ कानूनी नोटिस की कार्वन कापी भी दाखिल की गई, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-12/2 लगायत 12/6 हैं।
  9.   परिवादी ने लिखित बहस दाखिल नहीं की। विपक्षी सं0-1 की ओर से लिखित बहस दाखिल हुई।
  10.   हमने पक्ष्‍कारों के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्को को सुना और  पत्रावली का अवलोकन किया।
  11.   पक्षकारों के अभिकथनों से इस बिन्‍दु पर कोई विवाद दिखाई नहीं देता कि विपक्षी सं0-2 ने दिनांक 22/3/2015 को विपक्षी सं0-1 द्वारा निर्मित एक मोबाइल जिसका विवरण परिवाद पत्र के पैरा सं0-1 में दिया गया है, 4700/- रूपया में परिवादी को बेचा था। इस बिन्‍दु पर भी कोई  विवाद नहीं है कि मोबाइल की एक साल की वारण्‍टी थी। विपक्षीगण का  कथन है कि यह लिमिटेड वारण्‍टी थी। यह भी निर्विवाद है कि दिनांक 03/7/2015 को प्रश्‍नगत मोबाइल परिवादी ने ठीक करने के लिए विपक्षी सं0-1 के मुरादाबाद स्थित सर्विस सेन्‍टर पर दिया था जो सर्विस सेन्‍टर  से परिवादी को दिनांक 31/7/2015 को वापिस मिला।
  12.   परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का कथन है कि सर्विस सेन्‍टर से  दिनांक 31/7/2015 को जब उसे मोबाइल वापिस दिया गया तो मोबाइल पूरानी स्थिति में ही था इसे ठीक नहीं किया गया जबकि विपक्षीगण ने  अपने प्रतिवाद पत्र में यह कहा है कि परिवादी का मोबाइल ठीक करके दिया गया था। विपक्षीगण की ओर से सर्विस सेन्‍टर का कोई शपथ पत्र इस आशय का दाखिल नहीं कराया गया है कि परिवादी का मोबाइल ठीक  करके वापिस किया गया ऐसी दशा में परिवादी के इस कथन पर विश्‍वास  किऐ जाने का कारण है कि दिनांक 31/7/2015 को मोबाइल वैसी ही  हालत में परिवादी को वापिस कर दिया गया जैसी हालत में उसने मोबाइल ठीक करने के लिए सर्विस सेन्‍टर पर दिया था। परिवादी के इन कथनों का प्रतिवाद करने के लिए सर्विस सेन्‍टर की ओर से किसी को पेश नहीं किया गया कि बार-बार सर्विस कराने के बावजूद परिवादी का मोबाइल ठीक नहीं हुआ। इस दशा में परिवादी के तत्‍सम्‍बन्‍धी कथनों पर अविश्‍वास किऐ जाने का कोई कारण दिखाई नहीं देता। विपक्षीगण की ओर से ऐसा कोई नियम  इंगित नहीं किया गया जिसके अधीन मोबाइल में निर्माण सम्‍बन्‍धी दोष  के अभिनिर्धारण से पूर्व उसका तकनीकि  परीक्षण  कराया  जाना  आज्ञापक हो। इस मामले में परिस्थितियां इंगित करती हैं कि परिवादी को बेचे गऐ मोबाइल में कदाचित निर्माण सम्‍बन्‍धी दोष थे और यही कारण रहा कि  मोबाइल ठीक नहीं हो पाया।
  13.   बहस के दौरान विपक्षीगण की ओर से उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम  की धारा-11 (2) (बी) का उल्‍लेख करते हुऐ तर्क दिया गया कि इस फोरम को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है क्‍योंकि परिवादी ने धारा-11 (2) (बी) की अपेक्षाओं की पूर्ति नहीं की है। हम विपक्षीगण के इस  तर्क से सहमत नहीं हैं। परिवादी को प्रश्‍नगत मोबाइल मुरादाबाद में बेचा  गया। खराब होने पर मोबाइल को मुरादाबाद स्थित विपक्षी सं0-1 के  सर्विस सेन्‍टर पर ले जाया गया। प्रकट है कि परिवाद का कारण परिवादी को मुरादाबाद में उत्‍पन्‍न हुआ और इस दृष्टि से उपभोक्‍ता संरक्षण  अधिनियम की धारा-11 (2) (सी) की व्‍यवस्‍थानुसार इस फोरम को  परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार है।
  14.   बहस के दौरान परिवादी की ओर से यह स्‍वीकार किया गया कि  प्रश्‍नगत मोबाइल खराब हालत में परिवादी के पास सुरक्षित है। हमारे विनम्र अभिमत में परिवादी को खराब मोबाइल के बदले मोबाइल की  कीमत 4700/- (चार हजार सात सौ रूपया) 9 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज  सहित विपक्षीगण से वापिस दिलाया जाना न्‍यायोचित होगा। इसके अतिरिक्‍त परिवाद व्‍यय की मद में परिवादी को एकमुश्‍त 2500/-(दो  हजार पाँच सौ रूपया) अतिरिक्‍त दिलाऐ जाने चाहिऐ। तदानुसार परिवाद स्‍वीकार होने योग्‍य है।

 

आदेश

  परिवाद योजित किऐ जाने की तिथि से वास्‍तविक वसूली की तिथि तक की अवधि हेतु 9 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित 4700/- (चार हजार सात सौ रूपया) की वसूली हेतु यह परिवाद परिवादी के पक्ष में और   विपक्षीगण के विरूद्ध स्‍वीकार किया जाता है। परिवाद व्‍यय की मद में  परिवादी 2500/- (दो हजार पाँच सौ रूपया) अतिरिक्‍त पाने का अधिकारी  होगा। इस आदेशानुसार धनराशि प्राप्‍त करने हेतु परिवादी द्वारा परिवाद  के पैरा सं0-1 में उल्लिखित मोबाइल विपक्षीगण को वापिस करना होगा।  इस आदेशानुसार समस्‍त धनराशि की अदायगी एक माह में की जाय।

 

   (श्रीमती मंजू श्रीवास्‍तव)    (सुश्री अजरा खान)    (पवन कुमार जैन)

          सदस्‍य               सदस्‍य              अध्‍यक्ष

  •     0उ0फो0-।। मुरादाबाद    जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद  जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

    23.06.2016           23.06.2016        23.06.2016

   हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 23.06.2016 को खुले फोरम में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया।

 

     (श्रीमती मंजू श्रीवास्‍तव)   (सुश्री अजरा खान)    (पवन कुमार जैन)

          सदस्‍य               सदस्‍य              अध्‍यक्ष

  •     0उ0फो0-।। मुरादाबाद    जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद  जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

      23.06.2016          23.06.2016         23.06.2016

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. P.K Jain]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. Azra Khan]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. Manju Srivastava]
MEMBER

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