राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0 प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1233/1996
(सुरक्षित)
(जिला उपभोक्ता फोरम, इलाहाबाद द्वारा परिवाद संख्या-1017/1995 में पारित आदेश दिनांक 08.08.1996 के विरूद्ध)
- मेसर्स अंसल हाउसिंग एण्ड निर्माण लिमिटेड, 28, सरोजनी नायडू मार्ग, इलाहाबाद।
- मेसर्स अंसल हाउसिंग एण्ड निर्माण,21 बारहखम्भा रोड, नई दिल्ली।
अपीलार्थी/विपक्षीगण
बनाम्
श्री लव भार्गव फ्लैट नं0-6 ब्लाक नं0-1, बिहाइन्ड, सी0टी0ओ0, एम0 जी0 मार्ग, शिविल लाईन, इलाहाबाद
प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. माननीय श्री जितेन्द्र नाथ सिन्हा पीठासीन सदस्य।
2. माननीय श्रीमती बाल कुमारी सदस्य।
3- माननीय श्री आर0 के0 गुप्ता सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक : 14-06-2016
माननीय श्रीमती बाल कुमारी सदस्य द्वारा उदघोषित निर्णय
अपीलार्थी द्वारा प्रस्तुत अपील विद्धान जिला उपभोक्ता फोरम, इलाहाबाद द्वारा परिवाद संख्या-1017/1995 में पारित आदेश दिनांक 08.08.1996 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी है। विवादित आदेश निम्नवत् है:-
'' विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि इस निर्णय की सूचना पाने के दो माह के अंदर वह प्रार्थी को जमा किये हुए 94180 व उस पर 12 प्रतिशत का सूद सितम्बर, 1995 से अदायगी की तिथि तक व 200 वाद व्यय अदा करेंगे, परन्तु यदि यह धनराशि समय से अदा नहीं हुई तो विपक्षी इस पूरी धनराशि पर सालाना सूद 18 प्रतिशत का निर्णय की तिथि से भुगतान की तिथि तक अदा करेंगे। इसी आदेश से क्षुब्ध होकर अपीलार्थी द्वारा यह अपील योजित की गयी है।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी ने एक फ्लैट का पंजीकरण प्रियदर्शनी योजना में 30,000/-रू0 दिनांक 03-04-1993 को जमा करके कराया। जुलाई, 1994 में परिवादी को बताया गया कि उन्हें फ्लैट नं0-305 आवंटित हो गया है और परिवादी ने 60,000/-रू0 दिनांक 11-07-1994 को चेक से अदा किया इसी बीच में रू0 4150/- का डिवीडेन्ट भी इस बुकिंग की धनराशि में जमा हो गया। इस प्रकार 11 जुलाई, 1994 तक परिवादी को 94,180/-रू0 विपक्षी के यहॉं जमा है।
विपक्षी ने अपने पत्र दिनांकित 21-12-1994 से सूचित किया कि इस फ्लैट की कीमत 9,34,625/-रू0 है और परिवादी को 46013/-रू0 और देना है इसके बावजूद भी परिवादी को फ्लैट के बारे में पूरा विवरण का पता नहीं चल रहा था जबकि विपक्षी का कथन है कि यदि किश्तों जमा नहीं हुई तो उनसे 24 प्रतिशत ब्याज लिया जायेगा और इसके बाद दिनांक 24-05-1995 को 1,39,475.25 की मांग की गयी और यह भी बताया गया कि अगर यह रूपया जमा नहीं हुआ तो परिवादी द्वारा जमा की गयी धनराशि जब्त कर ली जायेगी। इन परिस्थितियों में परिवादी ने अपनी बुकिंग निरस्त करके और जमा किये हुए रूपये वापस चाहे है इसके अलावा 5000/-रू0 क्षतिपूर्ति भी चाही है।
पीठ के समक्ष उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्तागण अनुपस्थित रहे। चूंकि यह अपील वर्ष 1996 से निस्तारण हेतु सूचीबद्ध है अत: पीठ द्वारा स्वयं पत्रावली का अवलोकन किया गया और पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का परिशीलन किया गया।
पत्रावली के परिशीलन यह दर्शाता है कि परिवादी/प्रत्यर्थी ने अपीलार्थी/विपक्षी के कथनानुसार मु0 रू0 30,000+60,000 जमा किये गये और डिवीडेन्ट मिलाकर कुल 94,180/-रू0 हो जाते हैं। दिनांक 09-07-1994 तक परिवादी ने विपक्षी के यहॉं 90,000/-रू0 जमा किया है और परिवादी के कथन और कागजात के अनुसार 06 फरवरी, 1995 को भूमि पूजन होना था। भूमि पूजन के मौके पर हुई कार्यवाही का विवरण था इससे स्पष्ट है कि परिवादी/प्रत्यर्थी द्वारा धन जमा होने के दो साल बाद तक मौके पर कोई भवन निर्माण की कार्यवाही शुरू नहीं हुई जो अपीलार्थी की सेवा में कमी है।
पीठ इस निष्कर्ष पर पहुँचती है कि परिवादी जमा धनराशि मय ब्याज पाने का अधिकारी है। इस संदर्भ में जिला मंच द्वारा दिया गया निष्कर्ष विधि अनुकूल है। जिला मंच द्वारा प्रश्नगत आदेश के माध्यम से जमा की गयी धनराशि पर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से ब्याज दिलाये जाने हेतु आदेश पारित किया है परन्तु इस आशय का भी आदेश पारित किया गया है कि यदि दो माह के अंदर प्रश्नगत धनराशि मय ब्याज के परिवादी को अदा नहीं की जाती है तो परिवादी 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से ब्याज पाने का अधिकारी होगा।
मुकदमें की सम्पूर्ण परिस्थितियों को देखते हुए जिला मंच द्वारा 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से ब्याज दिलाये जाने का जो आदेश पारित है वह उचित नहीं है। अत: 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के संदर्भ में जिला मंच द्वारा पारित आदेश अपास्त किये जाने योग्य है। तद्नुसार अपील आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है और जिला उपभोक्ता फोरम, इलाहाबाद द्वारा परिवाद संख्या-1017/1995 में पारित आदेश दिनांक 08.08.1996 संशोधित करते हुए 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के आदेश को अपास्त किया जाता है। निर्णय के शेष भाग की पुष्टि की जाती है। उभयपक्ष अपना-अपना व्यय स्वयं वहन करेंगे।
( जितेन्द्र नाथ सिन्हा ) ( बाल कुमारी ) ( आर0 के0 गुप्ता )
पीठासीन सदस्य सदस्य सदस्य
कोर्ट नं0-1 प्रदीप मिश्रा