(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1249/2005
Union of India through the Senior Post Master, Head Post Office Chowk, Lucnow.
अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1 व 2
बनाम
S. J. Siddiqui S/o Late Sri Abdul Jamil and four others.
प्रत्यर्थीगण/परिवादीगण/विपक्षी सं0-3
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से : डा0 उदय वीर सिंह द्वारा अधिकृत
अधिवक्ता श्री श्रीकृष्ण पाठक।
प्रत्यर्थीगण की ओर से : कोई नहीं।
दिनांक: 22.02.2021
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-904/2002, एस.जे. सिद्दीकी व एक अन्य बनाम पोस्ट एवं टेलीग्राफ विभाग व दो अन्य में विद्वान जिला उपभोक्ता फोरम/आयोग, द्वितीय लखनऊ द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक
22.06.2005 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है। इस निर्णय/आदेश द्वारा विद्वान जिला उपभोक्ता फोरम/आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए विपक्षीगण को निर्देशित किया है कि वह एक माह के अन्दर परिवादीगण को अंकन 50,000/- रूपये तथा इस राशि पर दिनांक 16.05.2000 से 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज बतौर क्षतिपूर्ति एवं अंकन 1,000/- रूपये वाद व्यय अदा करे।
2. परिवाद पत्र के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि विपक्षी संख्या-1 एवं 2 के अधिकृत एजेन्ट ने किसान विकास पत्र दिनांक 16.11.1994 को
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क्रय किए गए थे, जिनका पूर्णतया मूल्य अंकन 50,000/- रूपये था। ये किसान विकास पत्र जो कि विपक्षी संख्या-1 व 2 की अभिकर्ता थी, को पुनर्निवेश हेतु दे दिए, जिसकी रसीद दिनांक 06.05.2000 को विपक्षी संख्या-3 ने दे दी। वह नवीनीकरण नहीं करा पाई बाद में ज्ञात हुआ कि विपक्षी संख्या-3 ने विपक्षी संख्या-2 के कर्मचारियों की मदद से निवेशकों का धन हड़प लिया है और पुलिस द्वारा विपक्षी संख्या-3 को गिरफ्तार भी किया जा चुका है। जानकारी करने पर बताया गया कि विपक्षी संख्या-3 श्रीमती रूकसाना ने चौक पोस्ट आफिस से दिनांक 16.05.2000 को कैश कराकर भुगतान प्राप्त कर लिया है। परिवादीगण ने भी चौक पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई और डाक विभाग से नवीनीकरण जारी करने की मांग की गई, परन्तु ऐसा नहीं किया गया, इसलिए परिवाद प्रस्तुत किया गया।
3. विपक्षी संख्या-1 व 2 की ओर से लिखित कथन प्रस्तुत किया गया और कथन किया गया कि विभागीय नियमों के अन्तर्गत चौक पोस्ट आफिस ने भुगतान कर दिया है। परिवादीगण ने स्वंय अपने हस्ताक्षर कर विपक्षी संख्या-3 को दे दिए थे, इसलिए नवीनीकरण न करने के लिए विपक्षी संख्या-3 उत्तरदायी है। विपक्षी संख्या-3 की नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा की गई है, इसलिए अभिकर्ता के कृत्यों के लिए डाक विभाग उत्तरदायी नहीं है।
4. विपक्षी संख्या-3 की ओर से लिखित कथन प्रस्तुत नहीं किया गया है।
5. दोनों पक्षकारों की साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात् विद्वान जिला उपभोक्ता फोरम/आयोग ने यह निष्कर्ष दिया है कि चूंकि परिवादीगण द्वारा अधिकार प्रमाण पत्र विपक्षी संख्या-3 को नहीं दिया गया था, इसलिए विपक्षी संख्या-3 को भुगतान करने का उत्तरदायित्व विपक्षी संख्या-1 एवं 2 का है और तदनुसार परिवाद स्वीकार करते हुए उपरोक्त वर्णित निर्णय/आदेश पारित किया गया है।
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6. इस निर्णय/आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि चूंकि श्रीमती रूखसाना विपक्षी संख्या-3 को परिवादीगण द्वारा हस्ताक्षर करते हुए किसान विकास पत्र दे दिए गए और श्रीमती रूखसाना द्वारा भुगतान प्राप्त कर लिया गया, इसलिए विपक्षी संख्या-1 व 2, डाक विभाग उत्तरदायी नहीं है।
7. अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता डा0 उदय वीर सिंह द्वार अधिकृत अधिवक्ता श्री श्रीकृष्ण पाठक उपस्थित आए। प्रत्यर्थीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। अत: केवल अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता की मौखिक बहस सुनी गई तथा प्रश्नगत निर्णय/पत्रावली का अवलोकन किया गया।
8. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि यदि एजेण्ट द्वारा धोखा किया गया है तब पोस्ट आफिस उत्तरदायी नहीं है। अपने तर्क के समर्थन में नजीर IV (2015) CPJ 237 (NC) प्रस्तुत की गई है, जिसमें माननीय राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग द्वारा यह व्यवस्था दी गई है कि जब किसी एजेण्ट को हस्ताक्षर सहित किसान विकास पत्र उपलब्ध करा दिए जाते हैं तब पोस्ट आफिस इस दोष के लिए उत्तरदायी नहीं है और एजेण्ट को ही समस्त राशि अदा करने के लिए उत्तरदायी माना गया है। उपरोक्त नजीर में दी गई व्यवस्था प्रस्तुत केस के लिए पूर्णतया सुसंगत है। उक्त निर्णय के आलोक में कहा जा सकता है कि केवल विपक्षी संख्या-3 परिवाद पत्र में वर्णित धनराशि अदा करने के लिए उत्तरदायी है न कि विपक्षी संख्या-1 व 2। परिवाद तदनुसार आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
9. प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्ता फोरम/आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 22.06.2005 को इस रूप में परिवर्तित किया जाता है कि किसान विकास
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पत्रों में वर्णित धनराशि को अदा करने का उत्तरदायित्व केवल विपक्षी संख्या-3 का है।
10. उभय पक्ष अपना अपना अपीलीय व्यय स्वंय वहन करेंगे।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2