Ram Deen filed a consumer case on 15 May 2023 against Land Development Bank in the Barabanki Consumer Court. The case no is CC/199/2019 and the judgment uploaded on 16 May 2023.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, बाराबंकी।
परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि 26.11.2019
अंतिम सुनवाई की तिथि 24.04.2023
निर्णय उद्घोषित किये जाने के तिथि 15.05.2023
परिवाद संख्याः 199/2019
रामदीन आयु करीब 42 साल पुत्र रामपाल नि0 पूरे बेनीसिंह का पुरवा मजरे दहिला पो0-लोनी कटरा परगना व तहसील हैदरगढ़ जनपद-बाराबंकी।
द्वारा- श्री महेन्द्र प्रताप यादव, अधिवक्ता
बनाम
शाखा प्रबन्धक भूमि विकास बैंक शाखा हैदरगढ़ बाराबंकी।
द्वारा-श्री प्रयाग नारायण शुक्ला, अधिवक्ता
समक्षः-
माननीय श्री संजय खरे, अध्यक्ष
माननीय श्रीमती मीना सिंह, सदस्य
माननीय डॉ0 एस0 के0 त्रिपाठी, सदस्य
उपस्थितः परिवादी की ओर से -कोई नहीं
विपक्षी की ओर से-श्री प्रयाग नारायण शुक्ला, अधिवक्ता,
द्वारा-संजय खरे, अध्यक्ष
निर्णय
परिवादी ने विपक्षी के विरूद्व धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-1986 के तहत परिवादी को ऋण मुक्त करते हुये आदेय प्रमाण पत्र जारी करने तथा शारीरिक, मानसिक, आर्थिक क्षतिपूर्ति हेतु रू0 50,000.00 तथा रू0 11,000/-अधिवक्ता शुल्क व परिवाद व्यय दिलाये जाने हेतु अनुतोष की माँग किया है।
संक्षेप में परिवाद कथानक इस प्रकार है कि परिवादी ने विपक्षी की शाखा से कुक्कुट पालन हेतु रू0 80,000/-वर्ष 2007 में ऋण लिया था जिसकी वह नियमानुसार अदायगी करता रहा। परिवादी ने विपक्षी को ऋण की अदायगी के रूप में भिन्न-भिन्न तिथियों में कुल रू0 2,13,900/-जमा किया है उसके बावजूद विपक्षी द्वारा परिवादी से नाजायज रूप से ऋण की वसूली की जा रही है और आर0 सी0 जारी करने की धमकी दी जा रही है। परिवादी ऋण से मुक्त हो चुका है। परिवादी बराबर विपक्षी से अदेय प्रमाण पत्र देने को कहता रहा लेकिन विपक्षी द्वारा बराबर और धनराशि की मांग की जाती रही है। परिवादी ने अधिवक्ता के माध्यम से दिनांक 08.11.2019 को विपक्षी को सूचित किया कि उसे ऋण मुक्त किया जाय किन्तु विपक्षी द्वारा नोटिस का कोई उत्तर नहीं दिया गया। अतः परिवादी ने उपरोक्त अनुतोष हेतु यह परिवाद प्रस्तुत किया है। परिवादी ने परिवाद के कथन के समर्थन में शपथपत्र दाखिल किया है।
परिवादी ने सूची बैंक पासबुक, नोटिस दिनांक 08.11.2019 व उसको विपक्षी को भेजने की रसीद, रू0 4,000/-, रू0 21,000/-, रू0 18,000/-, रू0 1,20,000/-,रू0 5,000/-,तथा रू0 19,900/-जमा करने की रसीद की छायाप्रति दाखिल किया है।
विपक्षी बैंक की ओर से जवाबदावा में कहा गया है कि परिवादी ने वर्ष 2007 में कुक्कुट पालन हेतु रू0 80,000/-ऋण लिया था। परिवादी ने दिनांक 16.06.2017 को मु0 19,900/-, दिनांक 27.11.2017 को मु0 21,000/-तथा दिनांक 25.10.2019 को मु0 5,000/-कुल रू0 45,900/-विपक्षी के पास जमा किया है। परिवादी का यह कहना कि विपक्षी के पास रू0 2,13,900/-जमा किया है बिल्कुल गलत है। परिवादी के जिम्मे दिनांक 31.01.2021 तक मु0 3,06,350/-बाकी है इसी कारण आदेय प्रमाण पत्र नहीं दिया जा सका। परिवादी ने धारा-117 उ0 प्र0 कोआपरेटिव सोसायटी एक्ट के तहत कोई नोटिस नहीं दिया। परिवाद अंतर्गत धारा-70 उ0 प्र0 कोआपरेटिव सोसायटी एक्ट से बाधित है। परिवाद किसी भी दशा में पोषणीय नहीं है। विपक्षी ने जवाबदावा के तथ्यों के समर्थन में शपथपत्र दाखिल किया है।
विपक्षी बैंक द्वारा सूची से अदेय प्रमाण पत्र दिनांक 23.03.2023 दाखिल किया है।
परिवादी ने शपथपत्र साक्ष्य दाखिल नहीं किया है।
विपक्षी ने अपनी लिखित बहस दाखिल की है।
परिवादी अनुपस्थित है। विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क को सुना तथा पत्रावली पर प्रस्तुत किये गये साक्ष्यों/अभिलेखों का गहन परिशीलन किया।
परिवादी ने विपक्षी बैंक से कुक्कुट पालन के लिये वर्ष 2007 में रू0 80,000/-ऋण लेना, वर्तमान परिवाद संस्थित करने के पूर्व विपक्षी बैंक को ऋण अदायगी के रूप में भिन्न-भिन्न तिथियों पर रू0 2,13,900/-अदा करना, ऋण अदा हो जाने के बाद भी विपक्षी बैंक द्वारा वसूली की धमकी देना कहा गया है। वर्तमान परिवाद में परिवादी ने विपक्षी बैंक से ऋण मुक्त किये जाने तथा अदेयता प्रमाण पत्र परिवादी के पक्ष में जारी किये जाने के आदेश करने की याचना की है।
विपक्षी बैंक ने परिवादी द्वारा वर्ष 2007 में कुक्कुट पालन हेतु रू0 80,000/-का ऋण देना स्वीकार किया है। विपक्षी का कथन है कि परिवादी ने दिनांक 16.06.2017 को रू0 19,900/-, दिनांक 21.11.2017 को रू0 21,000/-, दिनांक 25.10.2019 को रू0 5,000/-इस प्रकार कुल रू0 45,900/-परिवादी द्वारा अपने ऋण खातें में विपक्षी बैंक ने जमा करना कहा है। परिवादी द्वारा ऋण के भुगतान के रू0 2,13,900/-जमा करने के तथ्य से इंकार किया गया है। विपक्षी का यह भी कथन है कि दिनांक 31.01.2021 को परिवादी पर उपरोक्त ऋण खातें का रू0 3,06,350/-बकाया था, इस कारण परिवादी को अदेयता प्रमाण पत्र नहीं दिया जा सकता।
विपक्षी बैंक द्वारा पत्रावली पर दाखिल शाखा प्रबंधक, उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम्य विकास बैंक लिमिटेड शाखा हैदरगढ़ जिला-बाराबंकी का प्रमाण पत्र दिनांक 23.03.2023 अभिलेखीय साक्ष्य में दाखिल किया है जिसमे अंकित है कि ‘‘प्रमाणित किया जाता है कि रामदीन पुत्र रामपाल निवासी ग्राम पूरे बेनी सिंह म. दहिला पोस्ट-हुसैनाबाद जनपद-बाराबंकी द्वारा उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक लिमिटेड की शाखा हैदरगढ़ जनपद-बाराबंकी से मुर्गी पालन योजना के अंतर्गत रू0 80,000/-का ऋण दो किस्तों में (28.11.2007 में रू0 40,000/-व 31.01.2008 में रू0 40,000/-) 5 वर्षो में अदायगी हेतु लिया था। रामदीन पुत्र रामपाल द्वारा अपना ऋण खाता बैंक में चल रही एकमुश्त समाधान योजना के अंतर्गत छूट का लाभ लेते हुये दिनांक 29.01.2022 को बंद कर दिया गया है। वर्तमान में रामदीन पुत्र रामपाल का कोई ऋण खाता बैंक में संचालित नहीं है।‘‘
उपरोक्त से स्पष्ट है कि परिवादी द्वारा विपक्षी बैंक में चल रही एक मुश्त समाधान योजना के अंतर्गत छूट का लाभ लेते हुये आवश्यक धनराशि जमा करने पर विपक्षी बैंक द्वारा परिवादी का ऋण खाता दिनांक 29.01.2022 को बंद कर दिया गया है। वर्तमान में परिवादी रामदीन पुत्र रामपाल का कोई ऋण खाता बैंक में संचालित नहीं है जिससे स्पष्ट है कि परिवाद संस्थित होने के पश्चात परिवादी के ऋण खाते में एक मुश्त समाधान योजना में छूट का लाभ देते हुये आवश्यक धनराशि जमा कर दिनांक 29.01.2022 को खाता बन्द करते हुये प्रमाण पत्र जारी किया गया है। इसी कारण परिवादी भी वर्तमान परिवाद में कई तिथियों से उपस्थित नहीं हो रहे है।
उपरोक्त समस्त विवेचन से स्पष्ट है कि परिवाद दायर होने के पूर्व परिवादी ने अपने ऋण खातें के भुगतान में केवल रू0 45,900/-जमा किया था, जिसकी रसीद परिवादी ने दाखिल की है। परिवादी द्वारा दाखिल रसीद दिनांकित 16.01.2019 रू0 1,20,000/-की एक वर्ष के लिये विपक्षी बैंक में सावधि जमा की है। यह रसीद दिनांकित 16.01.2019 ऋण अदायगी के लिये धन जमा करने के संबंध में नहीं है। परिवादी द्वारा ऋण खाते में रू0 2,13,000/-परिवाद दायर करने के पूर्व जमा करने की, परिवादी साक्ष्य से पुष्टि नहीं होती है। परिवादी का विपक्षी बैंक के ऋण खाता के संबंध में परिवाद लम्बन के दौरान एक मुश्त समाधान योजना के अंतर्गत ऋण खाता दिनांक 29.01.2022 को बन्द हो जाने के कारण अब कोई विवाद शेष नहीं रह गया है और परिवादी को अदेयता प्रमाण पत्र भी जारी हो चुका है।
उपरोक्त विवेचन के आलोक में वर्तमान परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवाद संख्या-199/2019 निरस्त किया जाता है।
(डॉ0 एस0 के0 त्रिपाठी) (मीना सिंह) (संजय खरे)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
यह निर्णय आज दिनांक को आयोग के अध्यक्ष एंव सदस्य द्वारा खुले न्यायालय में उद्घोषित किया गया।
(डॉ0 एस0 के0 त्रिपाठी) (मीना सिंह) (संजय खरे)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
दिनांक 15.05.2023
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