(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील सं0 :-2039/2008
(जिला उपभोक्ता आयोग, गोण्डा द्वारा परिवाद सं0-228/2002 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 05/03/2008 के विरूद्ध)
Chilwaria Sugar Mill, a unit of Simbholi Sugar Mills Ltd., a company incorporated under the companies Act 1956, having its head office at Simbholl, Distt Gaziabad, U.P. through its Vice-Chairman.
- Appellant
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- Lalji S/O Ram Moorat R/O Village-Poorey Pandey Pargana-Nababganj, Tehsil-Tarabganj District Gonda
- Sahkari Ganna Vikas Vikas Samiti Limited Nababganj Through its Secretary
समक्ष
- मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य
- मा0 श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य
उपस्थिति:
अपीलार्थीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता:-श्री अजय विक्रम सिंह
प्रत्यर्थीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता:- कोई नहीं
दिनांक:- 25.09.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
- जिला उपभोक्ता आयोग, गोण्डा द्वारा परिवाद सं0-228/2002 लाल जी व अन्य बनाम चिलवरिया सूगर लिमिटेड व अन्य में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 05/03/2008 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर केवल अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता के तर्क को सुना गया। प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
- जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए अंकन 47,250/-रू0 09 प्रतिशत ब्याज की दर से भुगतान करने का आदेश पारित किया है।
- परिवादी ने वर्ष 2001 से 2002 में चिलवरिया सूगर मिल के क्रय केन्द्र बहादुरपुर में अपना गन्ना विक्रय किया। गन्ने का कुल मूल्य 47,250/-रू0 था, जिसका भुगतान विपक्षी द्वारा नहीं किया गया है। अत: विपक्षी द्वारा सेवा मे कमी की गयी। तदनुसार उपभोक्ता परिवाद प्रस्तुत किया गया।
- विपक्षी सं0 1 का कथन है कि गन्ने के मूल्य के भुगतान के संबंध में विवाद गन्ना आयुक्त द्वारा संधारणीय है न कि उपभोक्ता परिवाद द्वारा। परिवादी ग्राम बहादुरपुर केन्द्र से आबद्ध नहीं है। परिवादी द्वारा फर्जी पर्चियां तैयार की गयी हैं और अनुचित रूप से धन प्राप्त करने के लिए उपभोक्ता परिवाद प्रस्तुत किया गया है।
- जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा साक्ष्य की व्याख्या करने के पश्चात उपरोक्त वर्णित आदेश पारित किया गया।
- अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का यह तर्क है कि स्वयं इस आयोग की पीठ द्वारा चन्द्रपाल सिंह बनाम मैनेजिंग डायरेक्टर, विनस सुगर लिमिटेड अपील सं0 281/2004 में यह निष्कर्ष दिया है कि यदि उपभोक्ता ने मिल से कोई सामान क्रय नहीं किया और मिल को कोई प्रतिफल अदा नहीं किया तब विवाद सिविल प्रकृति का विवाद है न कि उपभोक्ता विवाद। प्रस्तुत केस में भी परिवादी ने मिल से कोई माल क्रय नहीं किया है, अपितु गन्ने की आपूर्ति की है, इसलिए यदि गन्ने का मूल्य अदा नहीं किया गया है तब यह विवाद उपभोक्ता विवाद नहीं है। गन्ने के मूल्य की वसूली सिविल कोर्ट के माध्यम से की जा सकती है। अत: स्पष्ट है कि जिला उपभोक्ता आयोग ने गैर उपभोक्ता विवाद पर अपना निर्णय/आदेश पारित किया है, जो अपास्त होने योग्य है।
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अपील स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश अपास्त किया जाता है और परिवाद खारिज किया जाता है। यद्यपि परिवादी को अधिकार है कि वह सक्षम न्यायालय के समक्ष गन्ने के मूल्य की वसूली का अनुतोष मांग सकते हैं।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।
उभय पक्ष अपीलीय वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट नं0 2