Final Order / Judgement | (सुरक्षित) राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ। अपील सं0 :-2612/2015 (जिला उपभोक्ता आयोग, इटावा द्वारा परिवाद सं0- 43/2012 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 20/11/2015 के विरूद्ध) Piaggio Vehicle Private limited, Sky One-Floor-9, Kalyani Nagar, Pun-6 through its Managing Director. - Appellant
Versus - Lal Singh son of Sri Daya Ram resident of village Sarai Dayaat Post Sarangpura, Police station civil Lies, District Etawah.
- Chawla Motor Pvt. Ltd. Its proprietor/Managing director 421/3, Behind Transport Nagar Bye pass Road Agra, Chief Dealer Piaggio Loder No. UP 75/M-1092.
- Mukesh Tiwari son of Sri Ram Gopal Tiwari resident of Om Shanti Colony, Police Station Kotwali Etawah, Manager Chawla Motor pvt. Ltd. Branch/Service Centre Anand Nagar, Near Deep Tokej, Etawah.
- Respondents
समक्ष - मा0 श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य
- मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य
उपस्थिति: अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता:- श्री शिव कुमार प्रत्यर्थीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता:- कोई नहीं दिनांक:-06.09.2022 माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य द्वारा उदघोषित निर्णय - यह अपील जिला उपभोक्ता फोरम, इटावा द्वारा परिवाद सं0 43 सन 2012 लाल सिंह बनाम पिआजो व्हीकल प्रा0लि0 में पारित निर्णय व आदेश दिनांक 20.11.2015 के विरूद्ध योजित की गयी है। निर्णय के माध्यम से अपीलकर्ता को निर्देशित किया गया कि वे प्रश्नगत वाहन वापस लेकर धनराशि रूपये 2,75,000/- मय 07 प्रतिशत वार्षिक ब्याज प्रत्यर्थी सं0 1 को अदा करे।
- प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी ने यह परिवाद इन अभिकथनों के साथ योजित किया कि उन्होंने विपक्षीगण के इटावा कार्यालय से पिआजो लोडर संख्या यूपी 75/एम-1092 मय बॉडी दिनांक 01.01.2010 को 3,25,000/- में खरीदी थी। वाहन की एक वर्ष गारण्टी दी गयी थी। वाहन में निर्माण संबंधी दोष होने के कारण लगातार खराबी आती रही और बार-बार वाहन इटावा सर्विस सेण्टर पर मरम्मत हेतु जाता रहा। प्रथम बार दिनांक 13.07.2010 को अचानक वाहन गर्म होकर उसका फिल्टर फट गया। इसके उपरान्त दिनांक 18.08.2010 से 04.09.2010 तक 25.09.2010 से 13.10.2010 तथा 25.10.2010 से 01.11.2010 तक वाहन सही न चल पाने के कारण मरम्मत एवं सुधार हेतु विपक्षी के इटावा सर्विस सेण्टर पर ले जाया गया, किन्तु कोई सुधार नहीं हुआ। अंत में दिनांक 08.11.2010 को मजबूर होकर प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी ने निर्माण संबंधी दोष होने के कारण इटावा सर्विस सेण्टर में वाहन को खड़ा कर दिया जो परिवाद की तिथि तक वहीं खड़ा था। निर्माण संबंधी दोष होने के आधार पर परिवादी ने वाहन की कीमत रूपये 3,25,000/- व्यवसायिक क्षति उत्पन्न हेतु कुल 6,85,000/- की क्षतिपूर्ति की प्रार्थना की।
- प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी के परिवाद के विरूद्ध विपक्षी की ओर से लिखित कथन प्रस्तुत किया गया, जिसमें यह कथन किया गया कि प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी ने परिवाद में मनगढन्त व फर्जी एवं बनावटी के तथ्यों का समावेश किया है। प्रश्नगत वाहन में जो त्रुटि बतायी जा रही है। वह वाहन के रखरखाव में कमी होना और दोषपूर्ण चलाने के कारण उत्पन्न हुई है। विपक्षी एक अन्तर्राष्ट्रीय कम्पनी है जो वाहनों का निर्माण करके सम्पर्ण भारत व विदेशों में विक्रय करती है। वाहन विशेषज्ञ अभियंताओं एवं विशेषज्ञों के परीक्षण में तैयार किये जाते है और अन्तर्राष्ट्रीय मानकों का कड़ाई से पालन किया जाता है। प्रश्नगत वाहन में जो त्रुटि बतायी जा रही है, वह त्रुटि निर्माण संबंधी या संरचनात्मक नहीं है, बल्कि वाहन के चालक की लापरवाही से चलाने और उचित देखभाल न करने के कारण आयी है, जिसके लिए स्वयं परिवादी जिम्मेदार है। परिवादी ने कोई विशेषज्ञ आख्या नहीं प्रस्तुत की है, जिससे साबित हो सके कि वाहन में कोई निर्माण संबंधी दोष था।
- विद्धान जिला उपभोक्ता फोरम ने इस आधार पर परिवादी का परिवाद आज्ञप्त किया कि परिवादीने दिनांक 28.03.2010,19.08.2010 तथा विपक्षी सं0 2 की ओर से 20.07.2010, 19.08.2010, 25.09.2010 तथा 25.10.2010 के जॉब कार्ड दाखिल किया है, जिनके अवलोकन से स्पष्ट होता है कि वाहन के इंजन में प्रारंभ से ही खराबी थी। उसमें प्रेशर नहीं था तथा तेल का लीकेज था, ऑयल सेपरेटर से तेल गिर रहा था। इन आधारों पर परिवाद आज्ञप्त किया गया, जिससे व्यथित होकर यह अपील प्रस्तुत की गयी है।
- अपील मे अपीलकर्ता/निर्माणकर्ता द्वारा यह कथन किया गया है कि अपीलार्थी की ओर से सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है। वास्तव में निर्माण संबंधी दोष होने का कारण दर्शाते हुए परिवादी ने कभी विपक्षी से सम्पर्क नहीं किया, बल्कि लगातार विपक्षी सं0 2 चावला मोटर्स तथा श्री मुकेश तिवारी से सम्पर्क करता रहा। परिवादी वास्तव में अपने वाहन का सम्पूर्ण मूल्य लेना चाहता है, जिस कारण यह परिवाद प्रस्तुत किया है। विद्धान जिला उपभोक्ता फोरम ने इस तथ्य पर ध्यान नहीं दिया कि परिवादी की ओर से कोई भी तकनीकी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है, जिसके आधार पर यह माना जा सके कि प्रश्नगत वाहन में कोई कमी थी। विद्धान जिला उपभोक्ता फोरम ने वादोत्तर में प्रस्तुत किये गये तथ्य पर भी कोई ध्यान नहीं दिया है तथा विपक्षी की ओर से प्रस्तुत किये गये दस्तावेजों को भी अपने प्रसंज्ञान में नहीं लिया है। प्रश्नगत वाहन में उत्पन्न दुरूस्ती हेतु तथ्यों को विद्धान जिला उपभोक्ता फोरम ने गलत प्रकार से निर्माण संबंधी दोष मान लिया है, वास्तव में जिन कारण से वाहन दुरूस्त हुआ है वह स्वयं परिवादी के रखरखाव एवं चालन में कमी के कारण उत्पन्न हुए थे, जिनको उचित प्रकार से दुरूस्त किया गया। अत: प्रश्नगत निर्णय अपास्त होने योग्य एवं अपील स्वीकार किये जाने योग्य है।
- अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री शिव कुमार को प्रत्यर्थी की अनुपस्थिति में सुना गया। पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेख का अवलोकन किया गया। तत्पश्चात पीठ के निष्कर्ष निम्नलिखित प्रकार से हैं:-
- विद्धान जिला उपभोक्ता फोरम के निर्णय के अवलोकन से स्पष्ट होता है कि निर्णय के पृष्ठ 3 के तृतीय प्रस्तर में मात्र इस आधार पर वाद आज्ञप्त किया गया है कि एक वर्ष मे 06 तिथियों पर वाहन को दुरूस्ती हेतु सर्विस सेण्टर पर लाया गया। निर्णय के अवलोकन से स्पष्ट नहीं होता है कि ऐसी कौन सी विशिष्ट कमी वाहन में थी अथवा निर्माण संबंधी दोष था जो लगातार जॉब कार्ड में आयी हो। विद्धान जिला उपभोक्ता फोरम ने निर्णय में अंकित किया है कि वाहन से तेल का लीकेज है और ऑयल सेपरेटर से तेल गिर रहा था। यह निर्माण संबंधी दोष है अथवा नहीं। यह स्पष्ट नहीं होता है। वाहन के किसी विशिष्ट भाग के चालन के दौरान टूट जाने पर ऐसी कमी आ सकती है, जो दुरूस्त करायी जा सकती है। वास्तव में प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी द्वारा ऐसी कोई विशेषज्ञ आख्या प्रस्तुत नहीं की गयी है, जिसके आधार पर यह माना जा सके कि वाहन में तेल का लीकेज तथा ऑयल सेपरेटर से तेल गिर रहा था। यह ऐसी त्रुटि है, जो निर्माण संबंधी दोष से हो सकती है। उल्लेखनीय है कि निर्णय में अंकित तिथियां जिनमें वाहन प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी द्वारा दुरूस्ती हेतु सर्विस सेण्टर पर लाया गया। अपीलकर्ता/विपक्षी द्वारा उन तिथियों पर वाहन को दुरूस्त किया गया। ऐसी कोई एक त्रुटि जो लगातार ठीक न हो सकी हो, वह परिवादी द्वारा नहीं दर्शायी गयी है, जिसके आधार पर यह माना जा सके कि प्रश्नगत वाहन में कोई निर्माण संबंधी त्रुटि है। बिना विशेषज्ञ आख्या के एवं बिना किसी ऐसे तथ्य के पुष्ट हो, जिसके आधार पर यह सिद्ध होता हो कि वाहन में वास्तव में कोई ऐसी त्रुटि थी, जो बार-बार उत्पन्न हो रही थी और दुरूस्त नहीं की जा सकती थी और न ही की गयी। यह मानना उचित नहीं है कि वाहन में ऐसा दोष है जिसके आधार पर प्रश्नगत वाहन को वापस किया जाये और वाहन का सम्पूर्ण मूल्य प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी को दिलाया जाये।
- प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी के परिवाद पत्र से स्पष्ट है कि स्वयं अपीलार्थी ने यह माना है कि प्रश्नगत वाहन एक वर्ष में ही अनेकों बार वाहन में कोई न कोई त्रुटि दूर कराने के लिए लाया गया, जिनमें ऑयल लीकेज जैसी ऐसी समस्या थी, जो साधारणत: उत्पन्न नहीं होती है। अत: यह माना जा सकता है कि प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी को वाहन के कारण मानसिक और शारीरिक संताप हुआ है, जिसके लिए क्षतिपूर्ति के रूप में प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी को 20,000/- रूपये दिलवाया जाना उचित पाया जाता है।
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अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। प्रश्नगत निर्णय व आदेश अपास्त किया जाता है। अपीलकर्ता को यह निर्देश दिया जाता है कि वे क्षतिपूर्ति के रूप में प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी को रूपये 20,000/- मय 07 प्रतिशत साधारण ब्याज वाद योजन की तिथि से वास्तविक अदायगी तक प्रदान करें। धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्तर्गत अपील में जमा धनराशि मु0 25,000/- रू0 मय अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला आयोग को नियमानुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाये। उभय पक्ष अपीलीय वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे। आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें। (विकास सक्सेना)(राजेन्द्र सिंह) निर्णय आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उदघोषित किया गया। (विकास सक्सेना) (राजेन्द्र सिंह) संदीप आशु0 कोर्ट नं0 2 | |