राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील सं0-1695/2014
(जिला उपभोक्ता आयोग, एटा द्वारा परिवाद सं0-39/2008 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 10-07-2014 के विरूद्ध)
दी नेशनल इंश्योरेंस कं0लि0, रीजनल आफिस, हजरतगंज, लखनऊ द्वारा मैनेजर। ...........अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1.
बनाम
1. लक्ष्मी सीमेण्ट एजेन्सी, अमापुर, जिला एटा द्वारा प्रौपराइटर अखिलेश कुमार पुत्र श्री जमादार सिंह निवासी मोहल्ला सुभाष नगर, अमापुर, तहसील कासगंज, जिला एटा। ............ प्रत्यर्थी/परिवादी।
2. सेण्ट्रल बैंक आफ इण्डिया, ब्रान्च अमापुर, एटा द्वारा ब्रान्च मैनेजर।
............ प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-2.
समक्ष:-
1. मा0 श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
2. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री आलोक कुमार सिंह विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0-1 की ओर से उपस्थित: श्री ए0के0 मिश्रा विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0-2 की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक :- 29-05-2023.
मा0 श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह अपील, जिला उपभोक्ता आयोग, एटा द्वारा परिवाद सं0-39/2008 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 10-07-2014 के विरूद्ध योजित की गयी है।
संक्षेप में अपीलार्थी का कथन है कि विद्वान जिला आयोग ने निर्णय देते समय तथ्यों पर ध्यान नहीं दिया और केवल लक्ष्मी सीमेण्ट एजेन्सी के सीमेण्ट स्टाक को देखा और कहा कि केवल यही बीमित है जबकि पालिसी में लिखा हुआ है कि सीमेण्ट माल के सभी प्रकार के स्टाक के सम्बन्ध में जो दुकान में स्थित हैं, प्रथम श्रेणी निर्माण के रूप में। बीमा की वैधता दिनांक 26-08-2004 से 25-08-2005 तक है।
परिवादी के अनुसार उसका सीमेण्ट का स्टाक दुकान के बेसमेण्ट में रखा था जो उसके भाईयों का है, जो जनता मशीनरी स्टोर के नाम से व्यापार कर रहे हैं और यह स्टोर अग्नि से क्षतिग्रस्त हुआ। सेनटरी सुविधाओं में जैसे: पी0वी0सी0 पाइप, प्लास्टिक पाइप और फिटिंग बीमा पालिसी से आच्छादित नहीं थे लेकिन विद्वान जिला आयोग ने इस सम्बन्ध में भी बिना किसी आधार के हर्जाना लगाया।
बीमा कम्पनी की ओर से परिवादी के दावे को निरस्त करके सेवा में कोई कमी नहीं की गई है क्योंकि सेनेटरी स्टाक पालिसी से आच्छादित नहीं था। विद्वान जिला आयोग ने अत्यधिक कालबाधित वाद कारण के आधार पर परिवाद की सुनवाई की। दावा दिनांक 19-12-2005 को निरस्त किया गया जबकि यह परिवाद वर्ष 2008 में प्रस्तुत किया गया और इस प्रकार यह कालबाधित है।
विद्वान जिला आयोग ने अन्वेषक आख्या पर विश्वास व्यक्त नहीं किया। इसके अतिरिक्त प्रौपराइटर अखिलेश कुमार (लक्ष्मी सीमेण्ट एजेन्सी) ने स्वीकार किया है कि जनता मशीनरी स्टोर के स्टाक की क्षति अग्निकाण्ड में हुई, जो उसके भाईयों का था। परिवादी ने यह भी स्वीकार किया कि वह क्रय-विक्रय के स्टाक का रख-रखाव नहीं कर रहा था और इसके अतिरिक्त उसने अग्नि में क्षतिग्रस्त होने वाले सामानों में सीमेण्ट के किसी सामान का उल्लेख नहीं किया है। अत: माननीय राज्य आयोग से निवेदन है कि विद्वान जिला आयोग का प्रश्नगत निर्णय अपास्त करते हुए अपील स्वीकार की जाए।
हमारे द्वारा अपीलार्थी एवं प्रत्यर्थी सं0-1 के विद्वान अधिवक्तागण की बहस विस्तार से सुनी गई तथा पत्रावली का सम्यक रूप से परिशीलन किया गया। प्रत्यर्थी सं0-2 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।
सर्वप्रथम हमने करवनोट का अवलोकन किया जिसमें बीमा की विषय वस्तु के कालम में लिखा हुआ है कि On stock of all kinds of cement goods situated in a shop built as …. Construction P.A. Shri Laxmi…… death risk covere insured Rs.2,00,000.00 .
इस पालिसी के अनुसार सभी सीमेण्ट सामानों का बीमा किया गया है किन्तु सेनेटरी आइटम जैसे प्लास्टिक आदि का बीमा नहीं किया गया है। स्पष्ट है कि जब बीमा कवरनोट में केवल सीमेण्ट से सम्बन्धित सामग्री का ही बीमा करना लिखा गया है तब प्लास्टिक या अन्य सामग्री किसी प्रकार कवर होगी, इसका कोई उत्तर नहीं दिया गया है।
विद्वान जिला आयोग ने यह नहीं लिखा कि जब सीमेण्ट से सम्बन्धित सामग्रियों का बीमा कराया गया था तब अन्य सामानों के नष्ट होने पर बीमा धनराशि का भुगतान किस प्रकार किया गया। विद्वान जिला आयोग ने लिखा है कि परिवादी ने अपने फर्म का बीमा आयरन गुड आफ आलकाइंड व बिल्डिंग मैटेरियल का कराया था। जब बीमा कवरनोट में बीमाधारक का नाम मै0 लक्ष्मी सीमेण्ट एजेन्सी लिखा है और व्यवसाय के कालम में सीमेण्ट शॉप लिखा हुआ है। इससे भी स्थिति स्पष्ट नहीं होती है।
बीमा कवरनोट से यही निष्कर्ष निकलता है कि बीमा केवल सीमेण्ट से सम्बन्धित सामग्री के लिए किया गया था और इस सम्बन्ध में विद्वान जिला आयोग ने तथ्यों की अनदेखी की और प्रश्नगत निर्णय पारित किया जो विधि सम्मत नहीं है। ऐसी स्थिति में प्रश्नगत निर्णय व आदेश अपास्त
होने एवं अपील स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
वर्तमान अपील स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग, एटा द्वारा परिवाद सं0-39/2008 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 10-07-2014 अपास्त किया जाता है।
अपील व्यय उभय पक्ष पर।
इस आयोग के निबन्धक से अपेक्षा की जाती है कि वर्तमान अपील योजित किए जाते समय धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत अपीलार्थी द्वारा जमा सम्पूर्ण धनराशि अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी के पक्ष में विधि अनुसार एक माह में अवमुक्त कर दी जाए।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
निर्णय आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
दिनांक : 29-05-2023.
प्रमोद कुमार,
वैय0सहा0ग्रेड-1,
कोर्ट नं.-2.