(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-561/2007
(जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, लखीमपुर-खीरी द्वारा परिवाद संख्या-116/2005 में पारित निणय/आदेश दिनांक 12.12.2006 के विरूद्ध)
न्यू इण्डिया एश्योरेन्स कम्पनी लि0, ब्रांच लखीमपुर खीरी, सरना होटल बिल्डिंग, मेला रोड, लखीमपुर खीरी, द्वारा ब्रांच मेनेजर।
अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1
बनाम
1. लखीमपुर मेडिकल स्टोर, द्वारा प्रोप. इतेन्द्र कुमार वर्मा, प्रथम काम्प्लेक्स, अस्पताल रोड, लखीमपुर खीरी।
2. इतेन्द्र कुमार वर्मा पुत्र श्री राज नारायण वर्मा, निवासी माहराज नगर, लखीमपुर खीरी।
3. यूनियन बैंक आफ इण्डिया, सरना होटल बिल्डिंग, मेला रोड, लखीमपुर खीरी।
प्रत्यर्थीगण/परिवादीगण/विपक्षी सं0-2
समक्ष:-
1. माननीय श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से : श्री आईपीएस चड्ढा, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0-1 व 2 की ओर से : श्री सुशील कुमार शर्मा, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0-3 की ओर से : कोई नहीं।
दिनांक: 29.03.2022
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-116/2005, लखीमपुर मेडिकल स्टोर तथा एक अन्य बनाम दि न्यू इण्डिया एश्योरेन्स कं0लि0 तथा एक अन्य में विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग, लखीमपुर-खीरी द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 12.12.2006 के विरूद्ध यह अपील बीमा कम्पनी द्वारा प्रस्तुत की गई है। इस निर्णय/आदेश द्वारा विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद बीमा कम्पनी के विरूद्ध स्वीकार करते हुए बीमा कम्पनी को निर्देशित किया है कि अतिवृष्टि के कारण परिवादी के स्टोर में कारित क्षति स्वरूप बीमा क्लेम अंकन 1,27,250/- रूपये 06 प्रतिशत ब्याज के साथ अदा किया जाए तथा वाद व्यय स्वरूप अंकन 2,000/- रूपये भी अदा करने का आदेश दिया गया।
2. परिवाद पत्र के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी ने अपने मेडिकल स्टोर जो जयदेव संगीत मार्केट अस्पताल रोड लखीमपुर खीरी में स्थित था, का बीमा कराया था। दिनांक 21.03.2004 को इस दुकान को वर्मा मार्केट के पास प्रथम काम्प्लेक्स अस्पताल रोड लखीमपुर खीरी में स्थानांतरित कर लिया गया। परिवादी ने विपक्षी संख्या-2, बैंक से कारोबार के लिए अंकन 10 लाख रूपये का ऋण लिया था। ऋण जारी करते समय ही विपक्षी संख्या-2, बैंक ने विपक्षी संख्या-1 से बीमा कराया था। दुकान परिवर्तन की सूचना विपक्षी संख्या-2, बैंक को दिनांक 23.03.2004 के पत्र द्वारा दे दी गई थी। विपक्षी संख्या-2, बैंक ने दिनांक 16.04.2004 को पुन: बीमा कराने का प्रस्ताव दिया और विपक्षी संख्या-1, बीमा कम्पनी ने बीमा करने के बाद पालिसी जारी की, जो दिनांक 16.04.2004 से दिनांक 15.04.2005 तक की अवधि के लिए वैध थी। दिनांक 21.09.2004 को अतिवृष्टि के कारण परिवादी की दुकान में पानी भर गया और सभी समान नष्ट हो गया। दिनांक 22.09.2004 को विपक्षी संख्या-2, बैंक को सूचना दी गई तथा बीमा क्लेम प्राप्त करने की कार्यवाही करने का अनुरोध किया गया। विपक्षी संख्या-2, बैंक द्वारा विपक्षी संख्या-1, बीमा कम्पनी को दी गई सूचना के पश्चात सर्वेयर नियुक्त किया गया और सर्वेयर ने एक लाख रूपये की क्षति का आंकलन किया, परन्तु बीमा क्लेम इस आधार पर नकार दिया गया कि पालिसी में दुकान का स्थान अन्यत्र लिखा हुआ है, इसलिए बीमा क्लेम खारिज कर दिया गया, जबकि इस स्थान पर परिवादी की दुकान कभी भी मौजूद नहीं रही। परिवादी ने अपनी दुकान जयदेव संगीत मार्केट अस्पताल रोड, लखीमपुर खीरी से प्रथम काम्प्लेक्स अस्पताल रोड, लखीमपुर खीरी में परिवर्तित की है। विपक्षी संख्या-2, बैंक द्वारा यदि दुकान का सही पता नहीं लिखा गया है तब इसके लिए परिवादी उत्तरदायी नही है।
3. विपक्षी संख्या-1, बीमा कम्पनी का कथन है कि व्यापार स्थानांतरित करने की कोई सूचना बीमा कम्पनी को नहीं दी गई, इसलिए बीमा कम्पनी उत्तरदायी नहीं है।
4. विपक्षी संख्या-2, बैंक का कथन है कि आपत्तिकर्ता को जैसे ही बीमा पालिसी में गलत पते की जानकारी हुई, उसके द्वारा दिनांक 26.04.2004 को बीमा कम्पनी को सूचित किया गया। बीमा कम्पनी को पालिसी में पता सही कर लेना चाहिए था, इसलिए बैंक के स्तर से सेवा में कोई त्रुटि कारित नहीं की गई है।
5. सभी पक्षकारों की साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया कि विपक्षी संख्या-1 के कार्यालय द्वारा ही गलत पता अंकित किया गया, इसलिए त्रुटि विपक्षी संख्या-1 के कार्यालय की है। दिनांक 26.04.2004 को विपक्षी संख्या-2, बैंक ने पता दुरूस्त करने के लिए पत्र लिखा और अनुरोध किया कि परिवादी की फर्म का पता वर्मा मार्केट के स्थान पर प्रथम काम्प्लेक्स अस्पताल रोड कर दिया जाए, परन्तु विपक्षी संख्या-1 के कार्यालय द्वारा पालिसी में परिवादी की दुकान का पता संशोधित नहीं किया गया, इसलिए विपक्षी संख्या-1 के विरूद्ध बीमा क्लेम अदा करने का आदेश पारित किया गया।
6. इस निर्णय/आदेश के विरूद्ध विपक्षी संख्या-1, बीमा कम्पनी द्वारा अपील इन आधारों पर प्रस्तुत की गई है कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पालिसी की शर्तों के विपरीत है, जिस पते पर पालिसी जारी की गई थी, उस पते पर व्यापार नहीं किया गया। पालिसी की शर्त संख्या-13 में स्पष्ट उल्लेख है कि यदि व्यापार का स्थान परिवर्तित किया जाता है तब बीमा कम्पनी किसी दुर्घटना के लिए उत्तरदायी नहीं है। बीमा कम्पनी के कार्यालय द्वारा पता गलत टाईप करने का निष्कर्ष साक्ष्य के विपरीत है। अंकन 1,27,250/- रूपये का बीमा क्लेम अदा करने का आदेश भी अवैधानिक है, क्योंकि सर्वेयर द्वारा केवल 94,115/- रूपये की क्षति का आंकलन किया गया है और बीमा कुल एक लाख रूपये का कराया गया है। इसी प्रकार परिवाद व्यय अदा करने का आदेश भी अवैधानिक है।
7. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री आईपीएस चड्ढा एवं प्रत्यर्थी सं0-1 व 2 के विद्वान अधिवक्ता श्री सुशील कुमार शर्मा उपस्थित आए। प्रत्यर्थी संख्या-3 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। अत: केवल अपीलार्थी एवं प्रत्यर्थी सं0-1 व 2 के विद्वान अधिवक्ताओं को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
8. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि पालिसी जिस पते पर ली गई, उस पते पर व्यापार नहीं किया गया, इसलिए बीमा कम्पनी बीमा क्लेम अदा करने के लिए उत्तरदायी नहीं है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा अपने तर्क के समर्थन में नजीर III (2015) CPJ 213 (NC) प्रस्तुत की गई, जिसमें बीमित व्यापारिक स्थल पर चोरी हो गई थी, परन्तु पता परिवर्तन की सूचना बीमा कम्पनी को नहीं दी गई, इसलिए क्लेम नकार दिया गया। माननीय राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग द्वारा निष्कर्ष दिया गया कि चूंकि बैंक ने पता परिवर्तन की सूचना नहीं दी, इसलिए बैंक क्षति की पूर्ति के लिए उत्तरदायी है।
9. प्रस्तुत केस में परिवादी का कथन है कि बैंक प्रबन्धक को पता परिवर्तन की सूचना दे दी गई थी और यह भी कथन किया गया कि बैंक द्वारा ही पालिसी प्राप्त की गई थी, बैंक को ही परिवर्तित पते की सूचना बीमा कम्पनी को देनी चाहिए थी। बैंक प्रबन्धक को लिखे गए पत्र की प्रति पत्रावली पर दस्तावेज संख्या-22 के रूप में मौजूद है। इस पत्र को बैंक द्वारा दिनांक 23.03.2004 को प्राप्त किया गया है, जबकि प्रश्नगगत बीमा दिनांक 16.04.2004 से दिनांक 15.04.2005 तक की अवधि के लिए किया गया था, इसलिए इस अवधि के लिए पालिसी प्राप्त करने से पूर्व ही बैंक को स्थान परिवर्तन की सूचना परिवादी द्वारा दी जा चुकी थी। अत: पालिसी में सही पता दर्ज करने का दायित्व बैंक का था। बीमा कम्पनी के कर्मचारियों द्वारा गलत पता अंकित करने का कोई सबूत पत्रावली पर मौजूद नहीं है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग का यह निष्कर्ष अवैधानिक है कि बीमा कम्पनी के कर्मचारियों द्वारा बीमा पालिसी पर गलत पता अंकित किया गया। बीमा पालिसी पर वही पता अंकित किया गया, जो बैंक द्वारा बीमा कम्पनी को सूचित किया गया।
10. प्रत्यर्थी सं0-1 व 2 के विद्वान अधिवक्ता की ओर से यह कथन किया गया कि दिनांक 26.04.2004 को बैंक द्वारा बीमा कम्पनी को यह सूचना दी गई थी कि पालिसी में गलत पता अंकित किया गया है, वास्तविक पता प्रथम काम्प्लेक्स अस्पताल रोड, लखीमपुर खीरी है, इसलिए पालिसी में दर्शाए गए इस पते को दुरूस्त किया जाए। बैंक द्वारा लिखा गया पत्र बीमा कम्पनी को प्राप्त हुआ या नहीं, इस संबंध में कोई साक्ष्य पत्रावली पर मौजूद नहीं है। बैंक का कथन है कि बीमा कम्पनी को पालिसी में पता सही कर लेना चाहिए था, परन्तु यथार्थ में यह तथ्य स्थापित नहीं है कि बैंक द्वारा पता परिवर्तन की सूचना बीमा कम्पनी को प्राप्त हुई या नहीं, क्योंकि बीमा कम्पनी को इस पत्र की प्राप्ति का कोई सबूत प्रस्तुत नहीं किया गया। अत: स्पष्ट है कि बैंक के स्तर से पालिसी में गलत पता दर्शाया गया है, जिसके लिए बैंक उत्तरदायी है न कि बीमा कम्पनी।
11. अब इस बिन्दु पर विचार करना है कि व्यापार में क्षतिपूर्ति की क्या राशि निर्धारित होनी चाहिए। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने अंकन 1,27,250/- रूपये बीमा क्लेम अदा करने का आदेश दिया है, परन्तु इस राशि को सुनिश्चित करने का कोई आधार नहीं दर्शाया गया है। सर्वेयर द्वारा अंकन 94,115/- रूपये की क्षति का आंकलन किया गया है। सर्वेयर द्वारा क्षति का जो आंकलन किया गया है, इस आंकलन के विपरीत अंकन 1,27,250/- रूपये की क्षतिपूर्ति अदा करने के बिन्दु पर विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने कोई निष्कर्ष नहीं दिया है और यथार्थ में सर्वेयर की रिपोर्ट के अलावा क्षति का अन्य कोई आंकलन किए जाने का कोई सबूत पत्रावली पर मौजूद नहीं है। अत: सर्वेयर द्वारा किए गए आंकलन के अनुसार क्षतिपूर्ति जारी करने का आदेश दिया जाना चाहिए। अपील तदनुसार स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
12. प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 12.12.2006 इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि क्षतिपूर्ति की अदायगी विपक्षी संख्या-1, बीमा कम्पनी नहीं, अपितु विपक्षी संख्या-2, बैंक द्वारा की जाएगी। यह भी स्पष्ट किया जाता है कि क्षतिपूर्ति की राशि अंकन 1,27,250/- रूपये नहीं, अपितु केवल 94,115/- रूपये होगी। इस राशि पर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से वास्तविक भुगतान की तिथि तक 06 प्रतिशत की दर से साधारण ब्याज भी देय होगा और परिवाद व्यय की धनराशि भी विपक्षी संख्या-2, बैंक द्वारा ही अदा की जाएगी।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(राजेन्द्र सिंह) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
निर्णय/आदेश आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।
(राजेन्द्र सिंह) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2