Uttar Pradesh

Kanpur Nagar

cc/572/2010

ravi shankar - Complainant(s)

Versus

lakhanpur - Opp.Party(s)

22 Sep 2015

ORDER

CONSUMER FORUM KANPUR NAGAR
TREASURY COMPOUND
 
Complaint Case No. cc/572/2010
 
1. ravi shankar
20 indra nagar kalyanpur kanpur nagar
...........Complainant(s)
Versus
1. lakhanpur
134 chota lakhanpur kanpur
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. RN. SINGH PRESIDENT
 HON'BLE MR. PURUSHOTTAM SINGH MEMBER
 HON'BLE MRS. SUNITA BALA AWASTHI MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER


                                                    जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम, कानपुर नगर।

   अध्यासीनः      डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष
    श्रीमती सुनीताबाला अवस्थी...................वरि.सदस्या    
    पुरूशोत्तम सिंह...............................................सदस्य
    

उपभोक्ता वाद संख्या-572/2010
रविषंकर बाजपेयी पुत्र श्री कृश्ण कान्ता बाजपेयी निवासी-20 इन्दिरा नगर, रोड, कल्याणपुर, कानपुर नगर।
                                  ................परिवादी
बनाम
लखनपुर कोआरेटिव हाउसिंग सोसाइटी लि0 कानपुर जरिये सचिव, स्थित कार्यालय-134 छोटा लखनपुर कानपुर।
                             ...........विपक्षी
परिवाद दाखिल होने की तिथिः 12.08.2010
निर्णय की तिथिः 29.02.2016
डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःःः
1.      परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि परिवादी को विपक्षी से भूखण्ड सं0-384 रकबा 200 वर्गगज स्थित लखनपुर कोआरेटिव हाउसिंग सोसाइटी कानपुर का विक्रय पत्र परिवादी के पक्ष में निश्पादित कर उसका कब्जा दिलाया जाये। यदि किन्ही कारणों से विपक्षी द्वारा उपरोक्त वर्णित भूखण्ड का विक्रय पत्र परिवादी के पक्ष में निश्पादित किया जाना संभव नहीं है, तो ऐसी स्थिति में परिवादी को विपक्षी से वर्तमान भूमि का मूल्य रू0 15000.00 प्रति वर्गगज के हिसाब से रू0 30,000,00.00 होते हैं, किन्तु परिवादी को रू0 19,00,000.00 परिवाद पत्र दाखिल होने से वास्तविक भुगतान की तिथि तक का ब्याज 18 प्रतिषत वार्शिक की दर दिलाया जाये तथा षारीरिक व मानसिक क्षति हेतु रू0 60,000.00 विपक्षी से परिवादी को दिलाया जाये।
2.     परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का संक्षेप में यह कथन है कि विपक्षी एक रजिस्टर्ड सोसाइटी है, इसका रजिस्ट्रेषन 2393 है तथा परिवादी इस सोसाइटी का सदस्य सं0-335 दिनांक 27.12.96 से है। परिवादी को भूखण्ड अपने निवास हेतु आवष्यकता थी, जिसकी पूर्ति हेतु विपक्षी के तत्कालीन अध्यक्ष श्री मलिखे सिंह तथा सोसाइटी के  तत्कालीन 
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सचिव के द्वारा परिवादी से रू0 50,000.00 रसीद 0216 क्रम सं0-412 दिनांक 10.06.97 से जमा कराकर परिवादी को विपक्षी ने भूखण्ड सं0-384 रकबा 200 वर्गगज स्थित लखनपुर कोआपरेटिव हाउसिंग सोसायटी लि0 कानपुर के प्रषासक के पत्र दिनांक 10.06.97 से आवंटन किया गया था। परिवादी को दिनांक 10.06.97 को उक्त भूखण्ड को विपक्षी के तत्कालीन प्रषासक/अध्यक्ष के द्वारा आवंटन पत्र देने के बाद भी भूखण्ड का कब्जा प्रदान कर परिवादी के पक्ष में रजिस्टर्ड विक्रय पत्र अथवा लीज डीड को निश्पादित नहीं किया गया। परिवादी अनेको बार प्रषासक/अध्यक्ष से मिला तथा पत्रों के द्वारा भी विक्रय पत्र तथा लीज डीड के निश्पादन हेतु आग्रह किया, किन्तु फिर भी विपक्षी के द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी। परिवादी को आवंटित भूखण्ड का रजिस्टर्ड विक्रय पत्र अथवा लीज डीड उसके पक्ष में निश्पादित करने हेतु विपक्षी के तत्कालीन अध्यक्ष के द्वारा उससे मूल आवंटन पत्र एवं धनराषि रू0 50,000.00 की रसीद की मूल प्रति तत्कालीन अध्यक्ष के माध्यम से विपक्षी के यहां जमा करने के लिए कहा तथा यह भी कहा कि उक्त के प्राप्त होने के उपरान्त परिवादी के पक्ष में आवंटित प्लाट का रजिस्टर्ड विक्रय पत्र अथवा लीज डीड निश्पादित कर देगा। जिसके अनुसार परिवादी के द्वारा दिनांक 15.06.99 को अपने पत्र के माध्यम से तत्कालीन अध्यक्ष को विपक्षी के द्वारा प्लाट सं0-384 के आवंटन पत्र दिनांक 10.06.97, के सम्बन्ध में जमा धनराषि रू0 50000.00 की मूल रसीद व सदस्यता रसीद को वापस कर दिया गया। जिसकी प्राप्ति तत्कालीन अध्यक्ष के द्वारा अपने हस्ताक्षर बनाकर प्राप्त की गयी थी। विपक्षी द्वारा कोई कार्यवाही न किये जाने के कारण परिवादी को अत्यधिक मानसिक, षारीरिक तथा आर्थिक क्षति का सामना करना पड़ रहा है। परिवादी द्वारा उपरोक्त के सम्बन्ध में अपने अधिवक्ता के माध्यम से दिनांक 20.08.08 को वर्तमान सचिव व प्रषासक को नोटिस प्रेशित किया। विपक्षी के सचिव के द्वारा अपने अधिवक्ता श्री सुबोध कुमार त्रिवेदी एडवोकेट के माध्यम से एक जवाब दिनांक 18.09.08 को परिवादी के अधिवक्ता       श्री दिनकर प्रताप पाण्डेय एडवोकेट  कानपुर कोर्ट  को प्रेशित किया गया। 
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...3...

जिसमें उनके द्वारा मुख्यतः यह कहा गया कि विपक्षी को तत्कालीन प्रषासक व अध्यक्ष के द्वारा  परिवादी के अधिवक्ता द्वारा अपने नोटिस दिनांक 20.08.08 में वर्णित कागजातों को विपक्षी के सचिव को प्रदान नहीं कराये है। जिसके कारण विक्रय पत्र/लीज डीड का निश्पादन किया जाना संभव नहीं है। जब तक कि तत्कालीन अध्यक्ष/ प्रषासक से परिवादी के द्वारा जमा धनराषि का सत्यापन नहीं करा लिया जाता। अधिवक्ता श्री दिनकर प्रताप के द्वारा एक जवाब दिनांक 05.11.09 प्रेशित किया, जिसके साथ सोसाइटी/विपक्षी के द्वारा सदस्यता प्रदान करने हेतु ली गयी धनराषि रू0 100.00 दिनाक 27.12.96 तथा भूखण्ड के सम्बन्ध में ली गयी धनराषि रू0 50000.00 की रसीद दिनांक 10.06.97 तथा भारतीय स्टेट बैंक षाखा मालरोड़ कानपुर की चेक दिनांक 09.06.97 जो कि विपक्षी के हक में जारी की गयी थी, की फोटोप्रतिया एवं आवटंन के सम्बन्ध में प्रषासक द्वारा दिनांक 10.06.97 का जारी पत्र व साइड प्लान जिसमें प्लाट नं0-384 वर्णित है की फोटोप्रतियां व जारी विज्ञापन की प्रति प्रेशित किया। विपक्षी द्वारा उपरोक्त भूखण्ड का विक्रय पत्र परिवादी के पक्ष में निश्पादित न करना तथा भूखण्ड का कब्जा प्रदान न करना, सेवा में कमी के अंतर्गत आता है, जिसके कारण परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी में होने के कारण परिवाद दाखिल करने का अधिकार प्राप्त है। अतः परिवादी का परिवाद स्वीकार किया जाये।
3.    विपक्षी की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये परिवाद पत्र में उल्लिखित कतिपय तथ्यों का खण्डन किया गया है और यह कहा है कि विपक्षी के तत्कालीन पदाधिकारियों द्वारा समिति के कोई भी अभिलेख उपलब्ध नहीं कराये गये हैं। परिवादी द्वारा प्रेशित नोटिस का जवाब विपक्षी द्वारा पे्रशित किया जा चुका है। परिवादी द्वारा समिति के खाते में जमा धनराषि सत्यापन आज तक समिति कार्यालय में प्रस्तुत नहीं किया, जिससे उसकी सत्यता पर संदेह प्रतीत होता है।  परिवादी द्वारा समिति के  किसी भी नियमों एवं  प्राविधानों का 
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...4...

कतई पालन नहीं किया, चूॅकि समिति के तत्कालीन पदाधिकारियों द्वारा समिति द्वारा पार्क हेतु छोड़ी गयी भूमि पर परिवादी के दबाव में भूखण्ड काटकर अवैधानिक रूप से नियमों एवं प्राविधानों को ताक पर रखकर कार्यवाही की गयी थी, जो पूर्णतः अवैधानिक प्रक्रिया थी। वाद पत्र की धारा-12 औपचारिक है, इसलिए जवाब की आवष्यकता नहीं है। वाद पत्र की धारा-13 में लिखित मूल्यांकन कम मूल्य पर करके अपर्याप्त न्याय षुल्क अदा किया गया है। परिवादी ने समिति के नियमों एवं प्राविधानों के तहत स्वयं तत्कालीन पदाधिकारियों पर बेजा दबाव बनाकर कार्य किया है, जो पूर्णतः विधि विरूद्ध है। परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद असत्य कथनों पर आधारित है। अतः परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।
परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
4.    परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 10.08.10, 19.11.11, 2010.14 एवं कैलाष षंकर का षपथपत्र दिनांकित 08.01.14 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में एलाटमेंट फार्म की प्रति, विपक्षी को प्रेशित नोटिस दिनांकित 20.08.08 की प्रति, नोटिस दिनांकित 18.09.08 की प्रति, नोटिस दिनांकित 05.11.09 की प्रति, पत्र प्राप्त रसीद की प्रति, लैंड आॅफ एच.बी.टी.आई. के नक्षे की प्रति, विपक्षी द्वारा प्रकाषित सूचना की प्रति, एग्रीमेंट की प्रति, प्रमाण पत्र की प्रति, परिवादी द्वारा विपक्षी को प्रेशित पत्र दिनांकित 15.08.97, 15.06.98, 09.12.98, 20.02.04 व 16.11.09 की प्रतियां तथा लिखित बहस दाखिल किया है।
विपक्षी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
5.    विपक्षी ने अपने कथन के समर्थन न तो कोई षपथपत्र प्रस्तुत किया है और न ही कोई अभिलेखीय साक्ष्य दाखिल किया है।
निष्कर्श
6.     बहस के समय विपक्षी की ओर से कोई उपस्थित नहीं था। अतः फोरम द्वारा परिवादी के विद्वान अधिवक्ता की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों एवं परिवादी द्वारा प्रस्तुत लिखित बहस का सम्यक परिषीलन किया गया।
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    परिवादी के विद्वान अधिवक्ता को सुनने तथा प्रस्तुत लिखित बहस व पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि प्रस्तुत मामले में प्रमुख विवाद यह है कि परिवादी, विपक्षी लखनपुर कोआरेटिव हाउसिंग सोसाइटी लि0 कानपुर का सदस्य है। जिसे विपक्षी सोसाइटी द्वारा भूखण्ड सं0-384 रकबा 200 वर्ग गज विपक्षी के प्रषासक के पत्र दिनांकित 10.06.97 से आवंटित किया गया था। किन्तु परिवादी को भूखण्ड का कब्जा तथा परिवादी के पक्ष में रजिस्टर्ड विक्रय पत्र अथवा लीज डीड अभी तक निश्पादित नहीं किया गया। परिवादी द्वारा सदस्यता की धनराषि रू0 100. तथा भूखण्ड के सम्बन्ध में रू0 50,000.00 विपक्षी को अदा किये जा चुके हैं। विपक्षी का कथन यह है कि विपक्षी को सोसाइटी या समिति के पूर्व पदाधिकारियों द्वारा कोई भी अभिलेख उपलब्ध नहीं कराये गये हैं। परिवादी द्वारा समिति के खाते में जमा धनराषि सत्यापन तक समिति कार्यालय में प्रस्तुत नहीं किया गया, जिससे उसकी सत्यता पर संदेह प्रतीत होता है। परिवादी द्वारा समिति के किसी भी नियमों एवं प्राविधानों का कतई पालन नहीं किया गया है। पार्क की जगह तक को समिति के पूर्व पदाधिकारियों द्वारा भूखण्ड काटकर अवैधानिक रूप से बेंच दिया गया है। परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद असत्य कथनों पर आधारित है। इसलिए परिवाद खारिज कर दिया जाये।
    उपरोक्त बिन्दु पर उभयपक्षों को सुनने तथा परिवादी की ओर से दाखिल लिखित बहस तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेखों के अवलोकनोपरान्त विदित होता है कि परिवादी द्वारा अपने कथन के समर्थन में स्वयं के षपथपत्र दिनांकित 10.08.10, 19.11.11, 2010.14 एवं कैलाष षंकर का षपथपत्र दिनांकित 08.01.14 तथा अन्य अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में एलाटमेंट फार्म की प्रति, विपक्षी को प्रेशित नोटिस दिनांकित 20.08.08 की प्रति, नोटिस दिनांकित 18.09.08 की प्रति, नोटिस दिनांकित 05.11.09 की प्रति, पत्र प्राप्त रसीद की प्रति, लैंड आॅफ एच.बी.टी.आई. के           नक्षे की प्रति, विपक्षी द्वारा प्रकाषित सूचना की प्रति, इकरारनामे की प्रति 
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प्रस्तुत की गयी हैं। जिससे यह सिद्ध होता है कि विपक्षी समिति द्वारा परिवादी के पक्ष में प्रष्नगत प्लाट आवंटित किया गया है और परिवादी द्वारा रू0 50,000.00 जमा किया गया है। किन्तु परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र में कहीं पर इस बात का उल्लेख नहीं किया गया है कि उक्त प्लाट अभी भी रिक्त है और सभी प्रकार के उत्तरदायित्वों/भार से मुक्त है। परिवादी द्वारा विपक्षी की ओर से उठाये गये प्रष्न कि पार्क की जगह तक को पूर्व पदाधिकारियों ने, जिनमें परिवादी भी था, भूखण्ड काटकर अवैधानिक रूप से बेंच दिया गया है। विपक्षी को सोसाइटी/परिवादी के द्वारा कोई पूर्व अभिलेख उपलब्ध नहीं कराये गये हैं तथा परिवादी द्वारा समिति के खाते में जमा धनराषि का सत्यापन तक समिति के कार्यालय में प्रस्तुत नहीं किया गया है-का कोई समुचित जवाब या जवाबुल जवाब प्रस्तुत करके नहीं दिया जा सका है।
    अतः उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों के आलोक में फोरम इस मत का है कि परिवादी का प्रस्तुत परिवाद आंषिक रूप से इस आषय से स्वीकार किये जाने योग्य है कि परिवादी प्रष्नगत प्लाट से सम्बन्धित जमा की धनराषि रू0 50,000.00 मय 8 प्रतिषत वार्शिक ब्याज की दर से जमा करने की तिथि से तायूम वसूली प्राप्त करने का अधिकारी है तथा रू0 5000.00 परिवाद व्यय भी प्राप्त करने का अधिकारी है। जहां तक परिवादी की ओर से याचित अन्य उपषम का प्रष्न है-उक्त याचित उपषम के सम्बन्ध में परिवादी की ओर से कोई सारवान तथ्य अथवा सारवान साक्ष्य प्रस्तुत न किये जाने के कारण, परिवादी का प्रस्तुत परिवाद उक्त याचित उपषम के लिए स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है। 
ःःःआदेषःःः
8.     परिवादी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षी के विरूद्ध आंषिक रूप इसे इस आषय से स्वीकार किया जाता है कि प्रस्तुत निर्णय पारित करने के 30 दिन के अंदर विपक्षी, परिवादी को प्रष्नगत प्लाट से सम्बन्धित         जमा की धनराषि रू0 50,000.00 मय 8 प्रतिषत वार्शिक ब्याज  की दर से, 
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...7...

धनराषि जमा करने की तिथि से तायूम वसूली तक अदा करे तथा रू0 5000.00 परिवाद व्यय भी अदा करे।


(श्रीमती सुनीताबाला अवस्थी)    (पुरूशोत्तम सिंह)   (डा0 आर0एन0 सिंह)
       वरि0सदस्या                सदस्य              अध्यक्ष
    जिला उपभोक्ता विवाद       जिला उपभोक्ता विवाद  जिला उपभोक्ता विवाद
       प्रतितोश फोरम                प्रतितोश फोरम         प्रतितोश फोरम
       कानपुर नगर।                 कानपुर नगर।         कानपुर नगर।

    आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।


        (श्रीमती सुनीताबाला अवस्थी)    (पुरूशोत्तम सिंह)   (डा0 आर0एन0 सिंह)
       वरि0सदस्या                सदस्य              अध्यक्ष
    जिला उपभोक्ता विवाद       जिला उपभोक्ता विवाद  जिला उपभोक्ता विवाद
       प्रतितोश फोरम                प्रतितोश फोरम         प्रतितोश फोरम
       कानपुर नगर।                 कानपुर नगर।         कानपुर नगर।

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. RN. SINGH]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. PURUSHOTTAM SINGH]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. SUNITA BALA AWASTHI]
MEMBER

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