Uttar Pradesh

Chanduali

CC/53/2014

VIKI - Complainant(s)

Versus

L.I.C - Opp.Party(s)

12 Jun 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/53/2014
 
1. VIKI
W.N 2 SHASTRI NAGAR CHANDAULI
Chandauli
UP
...........Complainant(s)
Versus
1. L.I.C
CHANDAULI
Chandauli
UP
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. jagdishwar Singh PRESIDENT
 HON'BLE MR. Markandey singh MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, चन्दौली।
परिवाद संख्या 53                                सन् 2014ई0
1-विक्की उम्र 05वर्ष पुत्र सुवाषचन्द (मृतक)
2-सपना उम्र 04वर्ष    जरिये संरक्षण दुर्गा प्रसाद पुत्र स्व0 शिवजग
3-उजाला उम्र 02वर्ष   निवासी वार्ड नं0 2 शास्त्रीनगर नगर पंचायत चन्दौली।
                                      ...........परिवादी                                                                                                                                    बनाम
1-उप प्रबन्धक भारतीय जीवन बीमा निगम जीवन प्रकाश मण्डल कार्यालय बेनीगंज अयोध्या मार्ग फैजाबाद।
2-ब्रांच प्रबन्धक भारतीय जीवन बीमा निगम चन्दौली।
                                            .............................विपक्षीगण
उपस्थितिः-
माननीय श्री जगदीश्वर सिंह, अध्यक्ष
माननीय श्री मारकण्डेय सिंह, सदस्य
                               निर्णय
द्वारा श्री जगदीश्वर सिंह,अध्यक्ष
1-    परिवादी द्वारा यह परिवाद विपक्षीगण से सूक्ष्य बीमाधन मु0 20000/- मय ब्याज एवं बच्चों के भविष्य बर्बाद होने का खर्च मु0 50,000/- वाद खर्च एवं अन्य हेतु मु0 20000/- कुल मु0 90000/-दिलाये जाने हेतु प्रस्तुत किया गया है।
2-    परिवाद पत्र में परिवादी की ओर से संक्षेप में कथन किया गया है कि परिवादी की बहन सुनीता देवी पत्नी स्व0 सुभाष चन्द एवं सुवाष चन्द पुत्र स्व0 भूइधर निवासी रेमा जिला चन्दौली ने अपने जीवन काल में दिनांक 28-3-2011 को विपक्षी बीमा कम्पनी से सूक्ष्म बीमा मु0 दस-दस हजार का लिया था जिसका वार्षिक प्रीमियम मु0 22/- थी। बीमा पालिसी का नम्बर क्रमशः219952616 व 219952617 है। जिसका प्रथम किस्त जमा होने के उपरान्त बीमाधारक सुभाष की दिनांक 15-6-2012 एवं सुनीता देवी पत्नी स्व0 सुभाष की दिनांक 28-6-2013 को मृत्यु हो गयी। उपरोक्त दोनों बीमाधारक की मृत्यु हो जाने के बाद उसके परिवार में उपरोक्त तीन नाबालिग बच्चे रह गये। परिवादी उपरोक्त बच्चों का विधिक संरक्षक होने के कारण विपक्षी 2 को बीमाधन के भुगतान हेतु विपक्षी को कई प्रार्थना पत्र दिया लेकिन बीमाधन का भुगतान नहीं किये और कहे कि यह पालिसी यहाॅं से नहीं ली गयी है। विपक्षी संख्या 1 द्वारा अपने पत्र के माध्यम से अवगत कराया गया कि उपरोक्त बीमा में केवल प्रीमियम जमा की गयी है किस्त जमा नहीं है। इसलिए बीमा पालिसी कालातीत हो गयी है। अतः बीमा पालिसी में कोई देय दावा नहीं होता है। परिवादी ने विपक्षी के यहाॅं बीमा किस्त जमा करने की जानकारी लिया तो विपक्षी संख्या 1 ने रसीद की मांग किया तो परिवादी ने बीमा किस्त की रसीद विपक्षी बीमा कम्पनी को दिया किन्तु कोई जबाब नहीं दिये एवं न ही बीमाधन का भुगतान किये। इस आधार पर परिवादी द्वारा यह परिवाद प्रस्तुत किया गया है।
3-    विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से जबाबदावा प्रस्तुत करके संक्षेप में कथन किया गया है कि परिवादी मृतक के नाबालिग बच्चों का विधिक संरक्षक है। मृतक 
                                                        2
बीमाधारक द्वारा जो बीमा पालिसी ली गयी थी उसकी पूर्णावधि दिनांक 28-2-2026 थी जो सूक्ष्म बीमा पालिसी है। परिवादी के मृतक सम्बन्धीगण द्वारा बीमा पालिसी प्राप्त करते समय ही पालिसी की प्रथम किस्त का भुगतान किया गया है। अन्य किसी भी किस्त का भुगतान नहीं किया गया। बीमा किस्त का भुगतान न किये जाने के कारण बीमाधारकों की उपरोक्त दोनों बीमा पालिसी कालातीत हो गयी। सूक्ष्म बीमा पालिसी का मात्र एक किस्त भुगतान किये जाने पर बीमा निगम द्वारा कोई भी क्लेम परिवादी को दिया जाना सम्भव नहीं है। परिवादी द्वारा दिनांक 24-4-14 एवं 8-5-2014 को शाखा प्रबन्धक भारतीय जीवन बीमा निगम फैजाबाद को पत्र भेजा जिसके परिप्रेक्ष्य में बीमा कम्पनी फैजाबाद द्वारा स्पष्ट रूप से निर्देश दिया है कि बीमाधारकों ने प्रथम बीमा किस्त के अतिरिक्त अन्य किसी किस्त का भुगतान किया है तो उसकी रसीद प्रस्तुत की जाय। परन्तु परिवादी द्वारा बीमा प्रीमियम की कोई भी रसीद प्रस्तुत न करने के कारण दावा निरस्त करते हुए उसकी सूचना परिवादी को दिनांक 16-5-2014 को दे दी गयी है। उपरोक्त आधार पर परिवादी के परिवाद खारिज किये जाने की प्रार्थना की गयी है।
4-    परिवादी की ओर से फेहरिस्त के साथ साक्ष्य के रूप में नोटिस की छायाप्रति कागज संख्या 3/1,न्यायालय/बाल कल्याण समिति का आदेश 3/2,बीमा प्रीमियम की रसीद 3/3 ता 3/4,बीमा कम्पनी का पत्र 3/5ता 3/8,परिवार रजिस्टर की छायाप्रति 3/9,मृत्यु प्रमाण पत्र की प्रति 3/10 ता 3/11,रजिस्ट्री रसीद की छायाप्रति 3/12,मतदाता पहचान पत्र की छायाप्रति 3/13 दाखिल किया गया है। विपक्षी की ओर से फेहरिस्त के साथ शाखा फैजाबाद का पत्र 10/1,पालिसी स्टेट्स रिर्पोट 10/2,शाखा फैजाबाद का पत्र 10/3,पालिसी स्टेट्स रिर्पोट 10/4दाखिल किया गया है।
5-    हम लोगों ने परिवादी एवं विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता के बहस को सुना तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्य का भलीभांति परिशीलन किया है। 
6-    उभय पक्षों के कथनों से यह स्वीकृत तथ्य है कि अवयस्क परिवादीगण की माॅ स्व0 सुनीता देवी तथा पिता स्व0 सुभाष चन्द ने अपने जीवनकाल में दिनांक 28-3-2011 को विपक्षी बीमा कम्पनी से क्रमशः मु0 10-10 हजार का सूक्ष्म बीमा पालिसी लिया था जिसका वार्षिक प्रीमियम 22/-रू0 था उनके पालिसी का नम्बर क्रमशः 219952616 व 219952617 है। दोनों बीमाधारकों ने बीमा पालिसी लेते समय प्रथम किस्त 22-22 रू0 की जमा किया था लेकिन उनके द्वारा एक वर्ष के बाद बीमा पालिसी की दूसरी किस्त जमा नहीं किया गया। पालिसी लेने के करीब एक वर्ष 3 माह बाद बीमाधारक सुभाषचन्द की एवं बीमा पालिसी लेने के करीब 2 वर्ष 3 माह बाद बीमाधारक स्व0 सुनीता देवी की मृत्यु होने का कथन परिवाद में आया है। विपक्षी बीमा कम्पनी ने उपरोक्त दोनों बीमाधारकों के बीमा पालिसी के अन्र्तगत परिवादी के बीमा दावा को इस आधार पर निरस्त कर दिया है कि बीमाधारकों ने अपने मृत्यु के पूर्व अपने जीवन काल में बीमा पालिसी की दूसरी किस्त निर्धारित एक वर्ष की अवधि में जमा नहीं किया इसलिए दोनों बीमा पालिसियाॅं कालातीत हो
                                                 3
 गयी। इस आधार पर बीमा दावा निरस्त कर दिया गया जो हम लोगों के विचार से बिल्कुल उचित है क्योंकि दोनों पालिसियों की दूसरी किस्त बीमा लेने के बाद एक वर्ष की अवधि में जमा नहीं की गयी है, जबकि बीमाधारक उस समय जीवित थे। दूसरी किश्त जमा न करने के कारण दोनों पालिसी नियमानुसार कालातीत हो गयी। इसलिए बीमाधारकों के मृत्यु के बाद बीमा कम्पनी बीमाधन देने के लिए उत्तरदायी नहीं है। तद्नुसार प्रस्तुत परिवाद में कोई बल नहीं है इसलिए खारिज किया जाता है।
                            आदेश
    प्रस्तुत परिवाद खारिज किया जाता है। 

(मारकण्डेय सिंह)                                       (जगदीश्वर सिंह)
   सदस्य                                                 अध्यक्ष 
                                                   दिनांक 12-6-2015

 
 
[HON'BLE MR. jagdishwar Singh]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Markandey singh]
MEMBER

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