द्वारा- श्री पवन कुमार जैन-अध्यक्ष।
- इस परिवाद के माध्यम से परिवादिनी ने यह उपशम मांगा है कि विपक्षीगण से उसे ‘’ हेल्थ प्लस पालिसी ‘’ के सापेक्ष बीमा क्लेम राशि 2,00,000/- रूपया 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित दिलाई जाऐ। परिवाद व्यय की मद में परिवादिनी ने 5000/- रूपया अतिरिक्त मांगे हैं।
- संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवादिनी के पति ने दिनांक 25/4/2009 को एक हेल्थ प्लास पालिसी सं0-255272427 ली थी। इस पालिसी में पति के साथ परिवादिनी भी परिवादिनी के साथ संयुक्त रूप से बीमित हैं। पालिसी लेते समय 15,000/- रूपया प्रीमियम अदा किया गया था। पालिसी क्रय करते समय विपक्षीगण के एजेन्ट ने बताया था कि भविष्य में किसी भी इलाज की यदि परिवादिनी को आवश्यकता पड़ती है तो उस सिलसिले में हुऐ भुगतान में विपक्षी सं0-1 पूरा सहयोग करेगा। परिवादिनी ने अग्रेत्तर कथन किया कि चक्कर आने के कारण वह विस्तर से नीचे गिर गई थी जिसकी वजह से उसके दाहिनें कूल्हे में फ्रैक्चर हो गया। परिवादिनी को असहनीय पीड़ा हुई वह खड़ी भी नहीं हो पा रही थी। इलाज हेतु उसे दिनांक 05/9/2012 को इन्द्र प्रस्थ अपोलो अस्पताल, नई दिल्ली में भर्ती कराया गया जहॉं दिनांक 06/9/2012 को शल्य क्रिया द्वारा उसका Hip Replacement किया गया वहॉं परिवादिनी दिनांक 13/9/2012 तक भर्ती रही। इस वृहद शल्य क्रिया कराने में परिवादिनी का कुल 3,85,992/- रूपया खर्चा हुआ। परिवादिनी ने दिनांक 29/11/2012 को सारे बिल बाउचरों सहित विपक्षीगण के समक्ष क्लेम प्रस्तुत किया जिसके सापेक्ष उन्होंने परिवादिनी को मात्र 6900/- रूपया क्लेम दिया। परिवादिनी के अनुसार उसकी पालिसी नियमित थी। परिवादिनी ने क्लेम का निस्तारण न करने की वजह से विपक्षीगण को कानूनी नोटिस भिजवाया, किन्तु विपक्षीगण ने क्लेम राशि का भुगतान नही किया उसने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष विपक्षीगण से दिलाऐ जाने की प्रार्थना की।
- परिवादिनी ने अपने परिवाद के समर्थन में शपथ पत्र कागज सं0-3/3 दाखिल किया।
- सूची कागज सं0-3/4 के माध्यम से परिवादिनी द्वारा हेल्थ प्लस पालिसी की नकल, अपोलों अस्पताल नई दिल्ली द्वारा दी गई डिस्चार्ज समरी, विपक्षीगण द्वारा दावे के सापेक्ष 6900/- रूपया की देयता सम्बन्धी पत्र दिनांक 31/3/2013 तथा विपक्षीगण को भिजवाऐ कानूनी नोटिस दिनांक 27/3/2014 की नकल तथा कानूनी नोटिस भिजवाऐ जाने की असल रसीदों को दाखिल किया गया है, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-3/5 लगायत 3/18 हैं।
- विपक्षीगण की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0-6/1 लगायत 6/4 दाखिल हुआ जिसमें परिवादिनी और उसके पति द्वारा संयुक्त रूप से परिवाद के पैरा सं0-1 में उल्लिखित हेल्थ प्लस पालिसी विपक्षी सं0-1 से लिया जाना तो स्वीकार किया गया है, किन्तु शेष कथनों से इन्कार किया गया है। प्रतिवाद पत्र में अग्रेत्तर कहा गया है कि परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत बीमा दावे के सापेक्ष विपक्षीगण ने परिवादिनी को 6900/- रूपये की देयता पाई जिसका परिवादिनी को विधिवत् भुगतान कर दिया गया है। विशेष कथनों में कहा गया है कि परिवाद में उल्लिखित हेल्थ प्लस पालिसी में परिवादिनी को 1000/- रूपया प्रतिदिन की दर से अस्पताल रोकड़ हित लाभ देय था जिसमें 5 प्रतिशत वार्षिक की दर से स्वत: बढ़ोत्तरी होती थी। पालिसी के 3 वर्ष पूरे होने पर 1150/- रूपया प्रतिदिन की दर से 6 दिन अस्पताल में रहने के कुल 6900/- रूपया परिवादिनी को अदा किऐ गऐ। परिवादिनी ने निरन्तर तथ्यों को छिपाया। प्रतिवाद पत्र में उसने कहा कि चक्कर आने की वजह से वह विस्तर से गिर गई थी जिस वजह से उसके दाहिनें कूल्हे में फ्रैक्चर हुआ, किन्तु विपक्षीगण के लीगल मैनेजर को प्रेषित पत्र में उसने कहा कि वह बाथरूम में फिसल गई थी जिस वजह से उसके दाहिने कूल्हे की हड्डी टूटी। इस प्रकार परिवादिनी ने झूठ बोला। उसने बीमा पालिसी की शर्तों के पैरा सं0-22 (XII) का उल्लंघन किया जिस वजह से परिवादिनी की पालिसी शून्य हो गई। उपरोक्त कथनों के आधार पर परिवाद को सव्यय खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की गई।
- परिवादिनी ने अपना साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-8/1 लगायत 8/2 प्रस्तुत किया। उसने साक्ष्य शपथ पत्र के साथ सूची कागज सं0-8/3 के माध्यम से अपने इलाज सम्बन्धी चिकित्सीय प्रपत्रों की फोटो प्रतियों को भी दाखिल किया, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-8/4 लगायत 8/23 हैं।
- विपक्षीगण की ओर से श्री आर0एस0 वर्मा मैनेजर लीगल ने साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-9/1 लगायत 9/3 दाखिल किया।
- विपक्षीगण की ओर से पालिसी की शर्तों और सुविधाओं की फोटो प्रति भी दाखिल की गई जो पत्रावली का कागज सं0-13/1 लगायत 13/14 हैं।
- परिवादिनी ने लिखित बहस दाखिल की। विपक्षीगण की ओर से लिखित बहस दाखिल नहीं हुई।
- हमने पक्ष्कारों के विद्वान अधिवक्तागण के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया।
- पक्षकारों के मध्य इस बिन्दु पर कोई विवाद नहीं है कि परिवादिनी के पित श्री विष्णु कुमार गुप्ता ने दिनांक 25/4/2009 को विपक्षी सं0-1 से एक हेल्थ प्लस पालिसी सं0-255272427 ली थी। इस पालिसी के कवरनोट की फोटो प्रति पत्रावली का कागज सं0-3/5 है। कवरनोट के अवलोकन से प्रकट है कि इस पालिसी में बीमित के रूप में परिवादिनी भी सम्मिलित थी। पालिसी दिनांक 25/4/2020 तक बैध थी। परिवाद पत्र के अनुसार चक्कर आने की वजह से गिर जाने के कारण परिवादिनी के दाहिनें कूल्हे में फ्रैक्चर हो गया था। इन्द्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल नई दिल्ली में दिनांक 06/9/2012 को शल्य क्रिया द्वारा उसका हिप रिप्लेसमेंट किया गया।
- इस बिन्दु पर भी कोई विवाद नहीं है कि चिकित्सा में हुऐ व्यय की प्रतिपूर्ति हेतु परिवादिनी ने विपक्षीगण के समक्ष जो बीमा दावा प्रस्तुत किया था उसके सापेक्ष विपक्षीगण ने परिवादिनी को होस्पिटीलाइजेशन की मद में 1150/- रूपये प्रतिदिन की दर से 6 दिन हेतु केवल 6900/- रूपया का भुगतान किया जबकि परिवादिनी का दावा 3,85,992/-रूपया का थाा इस धनराशि का दावा विपक्षीगण ने भुगतान योग्य नहीं पाया जैसा कि परिवादिनी के पति को विपक्षीगण की ओर से भेजे गऐ पत्र दिनांकित 31/3/2013 से प्रकट है।
- पत्रावली में अवस्थित अपोलो अस्पताल नई दिल्ली के इनपेसेंट बिल की प्रति कागज सं0-3/7 लगायत 3/16 के अवलोकन से प्रकट है कि कूल्हे की शल्य चिकित्सा के सिलसिले में परिवादिनी दिनांक 05/9/2012 से 13/9/2012 तक अपोलो अस्पताल नई दिल्ली में अन्त:रोगी के रूप में भर्ती रही। अपोलो अस्पताल का खर्चे का बिल मुवलिग 3,73,499/- रूपया का है। परिवादिनी ने अपने साक्ष्य शपथ पत्र में कहा है कि अचानक चक्कर आने के कारण वह वैड से नीचे गिर गई जिस कारण उसके दाहिनें कूल्हे में फ्रैक्चर हुआ। उसका इलाज, आपरेशन इत्यादि में कुल 3,85,922/- रूपये व्यय हुऐ जो विपक्षीगण से परिवादिनी को दिलाऐ जाने चाहिऐं। परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता के अनुसार क्लेम राशि का पूरा भुगतान न करके विपक्षीगण ने सेवा में कमी की है।
- विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता ने बहस के समय बीमा पालिसी की शर्तों की फोटो प्रति कागज सं0-13/1 लगायत 13/14 दाखिल कीं। उन्होंने तर्क दिया कि परिवादिनी को कथित रूप आई चोट ‘’ दुर्घटना ’’ नहीं है अत: परिवादिनी के इलाज एवं शल्य क्रिया में हुऐ व्यय की धनराशि की प्रतिपूर्ति नहीं की जा सकती। विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता ने अग्रेत्तर यह भी तर्क दिया कि परिवाद पत्र के पैरा सं0-5 में परिवादिनी के दाहिनें कूल्हे में फ्रैक्चर हो जाने का कारण अचानक चक्कर आने की वजह से बैड से नीचे गिर जाना बताया है जबकि एल0आई0सी0 के चीफ मैनेजर को सम्बोधित पत्र में उसने बाथरूम से फिसल जाने की वजह से कूल्हे की हड्डी टूटना कहा है। इस प्रकार परिवादिनी ने कथित चोट आने के सन्दर्भ में भिन्न-भिन्न कथन किऐ हैं ऐसी दशा में बीमा पालिसी की शर्त सं0-22 (XII) के अनुसार परिवादिनी को शल्य चिकित्सा के सम्बन्ध में हुऐ व्यय की धनराशि अदा नहीं की जा सकती। परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता ने विपक्षीगण की ओर से प्रस्तुत तर्कों का विरोध किया और कहा कि अचानक चक्कर आने की वजह से गिर जाने से कूल्हे की हड्टी टूटना ‘’ दुर्घटना ’’ ही है। अत: विपक्षीगण की ओर से दिया गया तर्क कि परिवादिनी की चोट किस ‘’ दुर्घटना ’’ में नहीं आई स्वीकार किऐ जाने योग्य नहीं है। परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता ने यह भी कहा कि एल0आई0सी0 के चीफ मैनेजर को सम्बोधित किसी ऐसे पत्र अथवा उसकी नकल विपक्षीगण ने पत्रावली में दाखिल नहीं की है जिसमें परिवादिनी ने बाथरूम में फिसल जाने की वजह से कूल्हे की हड्डी टूटना कहा हो अत: विपक्षीगण की ओर से दिया गया यह तर्क कि परिवादिनी ने चोट आने के भिन्न-भिन्न स्टेज पर भिन्न-भिन्न कारण बताऐ हैं, स्वीकार नहीं किया जाना चाहिऐ। परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता का यह भी तर्क है कि यदि तर्क के तौर पर यदि यह मान भी लिया जाऐ कि कूल्हे में फ्रैक्चर हो जाने के सम्बन्ध में परिवादिनी ने अपने परिवाद पत्र तथा अभिकथित रूप से एल0आई0सी0 के चीफ मैनेजर को भेजे गऐ पत्र में भिन्न-भिन्न कथन किऐ हैं तब भी बीमा पालिसी की शर्त सं0-22 (XII) का अबलम्व लेकर वृहद शल्य क्रिया में व्यय हुई धनराशि की प्रतिपूर्ति से विपक्षीगण इन्कार नहीं कर सकते क्योंकि चिकित्सीय प्रपत्रों विशेषकर कागज सं0-8/5 के अवलोकन से यह भलीभॉंति प्रमाणित है कि परिवादिनी के कूल्हे की हड्डी गिर जाने के कारण टूटी थी। परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता के अनुसार वर्तमान मामले में बीमा पालिसी की शर्त सं0-22 (XII) आकर्षित नहीं होती। हम परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता के तर्को से सहमत हैं।
- बीमा पालिसी की शर्तों और सुविधाओं के पृष्ठ सं0-13/6 की पुश्त पर ‘’ एक्सीडेन्ट ’’ को निम्न प्रकार परिभाषित किया गया है।
“ Accident means a sudden, Unintended, fortuitous, violent, visible and external event and does not include any naturally occurring condition or degenerative process.”
16 - ‘’ एकसीडेन्ट ’’ की उपरोक्त परिभाषा में रोड एक्सीडेन्ट, व्हीकल एक्सीडेन्ट इत्यादि किसी विशिष्टि का उल्लेख नहीं है। अत: शर्तों में परिभाषित ‘’ एक्सीडेन्ट ’’ को किसी सीमित दायरे में नहीं बांधा जा सकता। पालिसी की शर्तों में ’’ एक्सीडेन्ट ‘’ की जो परिभाषा दी गई है उसके अधीन परिवादिनी को आई चोट हमारे विनम्र अभिमत में कवर होती है।
17 - बीमा पालिसी की शर्तों और सुविधाओं के पृष्ठ सं0-13/11 की पुश्त पर शर्त सं0-22 (XII) में इस पालिसी के अधीन फ्राड से क्या तात्पर्य है इसका उल्लेख निम्नानुसार किया गया है।
“ If any of the Insured or the claimant shall make or advance any claim knowing the same to be false or fraudulent as regards amount or otherwise, this policy shall immediatlybecome void and all claims or payments in respect of all the Insured under this policy shall be forfeited. N0n-disclosure of any health event or ailment /condition/sickness/surgery which occurred prior to the taking of this policy, whether such condition is relevant or not to the ailmant/disease/surgery for which the Insured is admitted/treated, shall also constitute fraud.”
18 - बीमा पालिसी की शर्त सं0-22 (XII) के अवलोकन से प्रकट है कि यह शर्त उन मामलों में लागू होती है जहॉं बीमाकर्ता अथवा दावेदार ने जानबूझकर झूठा दावा किया हो अथवा अपने स्वास्थ्य सम्बन्धी किसी तथ्य को बीमा आवेदन करते समय छिपाया हो।
19 - विपक्षीगण का ऐसा आरोप नहीं है कि वर्ष 2009 में बीमा हेतु आवेदन करते समय परिवादिनी के स्वास्थ्य सम्बन्धी किसी तथ्य को परिवादिनी के पति अथवा परिवादिनी ने छिपाया था। इन्द्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल नई दिल्ली के इनपेशेन्ट बिल तथा चिकित्सीय पर्चे कागज सं0-8/5 के अवलोकन से प्रकट है कि परिवादिनी के दाहिने कूल्हे की हड्डी में गिरने की वजह से कम्पाउन्ड फ्रैक्चर हुआ था जिसकी वजह से उसके दाहिनें कूल्हें का टोटल हिप रिप्लेसमेंट दिनांक 06/9/2012 को अपोलो अस्पताल नई दिल्ली में हुआ था। अपोलो अस्पताल नई दिल्ली के प्रपत्र किस आधार पर फर्जी अथवा झूठे कहे जा सकते हैं, इसका विपक्षीगण ने खुलासा नहीं किया है। इनपेसेंट बिल और उसमें उल्लिखित विवरण कम्प्यूटराइज्ड हैं। विपक्षीगण के पत्र दिनांक 31/3/2013 जिसकी नकल पत्रावली का कागज सं0-3/17 है, में प्रतिवादीगण ने स्वयं भी दिनांक 05/9/2012 से 13/9/2012 तक परिवादिनी के अपोलो अस्पताल नई दिल्ली में इलाज एवं सर्जरी हेतु भर्ती रहने के तथ्य को स्वीकार किया है। बीमा पालिसी की शर्त सं0-22 (XII) किसी भी दृष्टि से इस मामले में परिवादिनी के विरूद्ध आकर्षित नहीं होती। पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य सामग्री के आधार पर शल्य क्रिया और टोटल रिप्लेसमेंट हेतु दिनांक 05/9/2012 से 13/9/2012 तक परिवादिनी का अपोलो अस्पताल नई दिल्ली में अन्त:रोगी के रूप में भर्ती रहना, दिनांक 06/9/2012 को शल्य क्रिया और उसके दाहिने कूल्हे का रिपलेसमेंट होना और इस इलाज, आपरेशन, शल्य क्रिया इत्यादि में उसका 3,73,499/- रूपया 91 पैसा व्यय होना प्रमाणित है। विपक्षीगण ने बीमा पालिसी की शर्तों के अनुरूप परिवादिनी को भुगतान न करके सेवा में कमी की है।
20 – बीमा पालिसी की शर्तो के पृष्ठ सं0-13/14 के अनुसार शल्य क्रिया और टोटल हड्डी रिप्लेसमेंट के मामले में बीमा राशि के 60 प्रतिशत तक धनराशि बीमित अथवा दावेदार को देय है। पालिसी के अनुसार वृहद शल्य क्रिया हितलाभ की मद में परिवादिनी 2,00,000/- रूपया तक की धनराशि हेतु बीमित थी। इनपेसेंट बिल कागज सं0-3/7 लगायत 3/16 के अनुसार आई0सी0यू0 एवं जनरल वार्ड में भर्ती रहने के अतिरिक्त शल्य क्रिया, चिकित्सीय जॉंच इत्यादि में परिवादिनी का 3,73,499 = 91p. – 66,100 = 3,07,399/- रूपया 91 पैसा व्यय हुआ था। चॅूंकि शल्य क्रिया हितलाभ की मद में परिवादिनी की बीमा राशि की सीमा 2,00,000/- रूपये तक थी अत: उसका 60 प्रतिशत देयता के अनुसार शल्य क्रिया हितलाभ की मद में परिवादिनी 1,20,000/- रूपया पाने की अधिकारिणीं थी जो विपक्षी ने उसे अदा नहीं की और ऐसा करके विपक्षी ने सेवा में कमी की।
21 - आई0सी0यू0 और जनरल वार्ड में अन्त:रोगी के रूप में भर्ती रहने की मद में परिवादिनी 6900/- रूपया प्राप्त कर चुकी है अब वृहद शल्य क्रिया हितलाभ की मद में उसे 1,20,000/- (एक लाख बीस हजार रूपया) और मिलना चाहिऐ।
22 - उपरोक्त विवेचना के आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि परिवादिनी को परिवाद योजित किऐ जाने की तिथि से वास्तविक भुगतान की तिथि तक की अवधि हेतु 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित 1,20,000/- (एक लाख बीस हजार रूपया) की धनराशि विपक्षीगण से दिलाई जानी चाहिऐ। इसके अतिरिक्त क्षतिपूर्ति की मद में परिवादिनी को 2000/- (दो हजार रूपया) और परिवाद व्यय की मद में 2500/- (दो हजार पाँच सौ रूपया) विपक्षीगण से अतिरिक्त दिलाया जाना भी हम समुचित समझते हैं। तदानुसार परिवाद स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
परिवाद योजित किऐ जाने की तिथि से वास्तविक भुगतान की तिथि तक की अवधि हेतु 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित 1,20,000/- (एक लाख बीस हजार रूपये) की वसूली हेतु यह परिवाद परिवादिनी के पक्ष में, विपक्षीगण के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है। परिवादिनी क्षतिपूर्ति की मद में 2000/- (दो हजार रूपया) तथा परिवाद व्यय की मद में 2500/- (दो हजार पाँच सौ रूपया) विपक्षीगण से अतिरिक्त पाने की अधिकारिणीं होगी। समस्त धनराशि की अदायगी इस आदेश की तिथि से दो माह के भीतर की जाये।
(श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन)
सामान्य सदस्य सदस्य अध्यक्ष
- 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
26.03.2016 26.03.2016 26.03.2016
हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 26.03.2015 को खुले फोरम में हस्ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया।
(श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन)
सामान्य सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
26.03.2016 26.03.2016 26.03.2016