दायरे का दिनांक: 06.06.2014
दर्ज किये जाने का दिनांक: 11.06.2014
निर्णय का दिनांक: 06.02.2017
न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम-।।, मुरादाबाद।
उपस्थित:-
- श्री पवन कुमार जैन .............. अध्यक्ष।
- श्रीमती मंजू श्रीवास्तव ...... सामान्य सदस्य।
परिवाद संख्या- 80/ 2014
श्रीमती शोभा अग्रवाल पत्नी श्री हरीश कुमार निवासी मौहल्ला बड़ा बाजार, चन्दौसी, जिला सम्भल। (दौरान सुनवाई मृतक)
1/1- हरीश कुमार अग्रवाल पुत्र ।
विशन लाल बजाज (पति) । निवासीगण मौ0
1/2- अभिषेक अग्रवाल पुत्र श्री हरीश । बड़ा बाजार
कुमार अग्रवाल पुत्र) । चन्दौसी जिला
1/3- अमित अग्रवाल पुत्र श्री हरीश । सम्भल
कुमार अग्रवाल पुत्र)
1/4- श्रीमती अदिति अग्रवाल पत्नी श्री राहुल अग्रवाल (पुत्री)
निवासी महावीर गंज, अलीगढ़। ........परिवादीगण।
बनाम
- भारतीय जीवन बीमा निगम लि0, शाखा कार्यालय सी0बी0ओ0-1, मुरादाबाद-244001 द्वारा वरिष्ठ शाखा प्रबन्धक।
- भारतीय जीवन बीमा निगम लि0, शाखा कार्यालय चन्दौसी, जिला सम्भल-244302 द्वारा शाखा प्रबन्धक।
- भारतीयजीवन बीमा निगम लि0,मण्डल कार्यालय 16/98, पो0बा0 नं0-170,महात्मा गांधी मार्ग, कानपुर-208001 द्वारा मण्डल प्रबन्धक।
- भारतीय जीवन बीमा निगम लि0, मण्डलीय स्वास्थ्य विभाग, मण्डल कार्यालय मेरठ जीवन प्रकाश, प्रभात नगर, मेरठ-250003 द्वारा मण्डल प्रबन्धक।
- एम0डी0 इण्डिया हैल्थ केयर सर्विसेज (टी0पी0ए0) प्रा0 लि0, क्रम सं0-46/1, ई-स्पेस ए-2, बिल्डिंग 3वॉं तल, पुणे नागर रोड, वडगांवश्री,पुणे-411014 द्वारा मैनेजिग डायरेक्टर। .......विपक्षीगण।
निर्णय
द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्यक्ष
- इस परिवाद के माध्यम से परिवादीगण ने यह अनुरोध किया है कि विपक्षीगण से उन्हें मृतक परिवादिनी श्रीमती शोभा अग्रवाल के इलाज पर खर्च हुई धनराशि अंकन 13,43,886/- रूपया 24 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज सहित दिलाई जाऐ। क्षतिपूर्ति की मद में विपक्षीगण से उन्होंने 5,00,000/- रूपया तथा परिवाद व्यय अतिरिक्त मांगा है।
- संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि दिनांक 24/5/2008 को शोभा अग्रवाल ने भारतीय जीवन बीमा निगम की हैल्थ प्लस पालिसी योजना नामक एक बीमा पालिसी 15,000/-रूपया प्रीमियम देकर ली थी। अन्तिम प्रीमियम भुगतान की तिथि 24/5/2020 थी। पालिसी की अवधि 12 वर्ष थी पालिसी की शर्तों के अनुसार बीमित को आरम्भिक दैनिक अस्पताल नकद हित लाभ 2500/-रूपया तथा वृहद शल्य क्रिया हित लाभ 5,00,000/-रूपया अनुमन्य था। दिनांक 31/3/2013 की मध्य रात्रि में शोभा अग्रवाल को अचानक सीने में दर्द व उल्टी की शिकायत हुई उसे डाक्टर को दिखाया गया। गम्भीर स्थिति देखते हुऐ शोभा अग्रवाल को डाक्टर ने हायर सेन्टर रेफर कर दिया। उसे फोर्टिस विवेकानन्द असपताल ले जाया गया। परिवादिनी का उपचार वहां प्रारम्भ किया गया किन्तु हालत में सुधार न होने की वजह से उसे एस्कार्ट हार्ट इन्सटीट्यूट एण्ड रिसर्च सेन्टर दिल्ली रेफर किया जहॉं दिनांक 2/4/2013 को शोभा अग्रवाल को भर्ती कराया गया। अगले दिन उसे अस्थाई पेस मेकर लगा दिया गया। दिनांक 29/4/2013 को उसकी एन्ज्योग्राफी हुई और 3 स्टन्ट लगाऐ गऐ तब जाकर शोभा अग्रवाल की स्थिति में सुधार हुआ। दिनांक 2/5/2013 को उसे एस्कार्ट हासिपटल से डिसचार्ज किया गया। एस्कार्ट में शोभा अग्रवाल के इलाज पर 13,43,886/- रूपया का खर्चा आय। एस्कार्ट से डिसचार्ज होने के बाद भी उसका इलाज चलता रहा। शोभा अग्रवाल ने विपक्षीगण से सम्पर्क किया। विपक्षीगण ने उसे क्लेम फार्म उपलब्ध कराया जिसे भरकर दिनांक 27/6/2013 को विपक्षीगण को प्रेषित कर दिया गया। शोभा अग्रवाल समय-समय पर विपक्षीगण द्वारा चाही गई समस्त जानकारियां उपलब्ध कराती रही। अनेकों बार विपक्षीगण से क्लेम राशि के भुगतान का अनुरोध किया गया, किन्तु भुगतान नहीं किया गया और भुगतान का आश्वासन विपक्षीगण देते रहे। अन्तत: पत्र दिनांक 19/8/2013 द्वारा परिवादिनी का क्लेम अस्वीकृत कर दिया। आधार यह लिया गया कि शोभा अग्रवाल को 15 वर्षों से डायबटीज और हाईपरटेंशन की बीमारी थीं जिसे उसने छिपाया। परिवादीगण की ओर से अग्रेत्तर कथन किया गया कि जिस समय शोभा अग्रवाल ने पालिसी ली थी तब विपक्षीगण ने उसका मेडिकल चेकअप कराया था यदि उसे पालिसी के समय यह बीमारी थीं तो पालिसी विपक्षीगण द्वारा नहीं दी जानी चाहिए थी। परिवादीगण की ओर से यह भी कथन किया गया कि एस्कार्ट अस्पताल की डिसचार्ज समरी में कहीं भी यह उल्लेख नहीं है कि डायबटीज और हाईपरटेंशन की बीमारी शोभा अग्रवाल को पालिसी लेने के पहले से थी। परिवादीगण ने यह कहते हुऐ कि शोभा अग्रवाल का क्लेम विपक्षीगण ने गलत तरीके से अस्वीकृत किया है, परिवाद में अनुरोधित अनुतोष स्वीकार किऐ जाने की प्रार्थना की।
- परिवाद श्रीमती शोभा अग्रवाल ने दाखिल किया था। परिवाद की सुनवाई के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। मृत्यु हो जाने के फलस्वरूप फोरम के आदेश दिनांक 4/1/2016 द्वारा उसके विधिक प्रतिनिधियों को उसके स्थान पर प्रतिस्थापित किया गया है। प्रतिस्थापित परिवादीगण क्रमश: शोभा अग्रवाल के पति उसके पुत्र एवं पुत्री हैं।
- परिवाद के साथ पालिसी वाण्ड, एस्कार्ट अस्पताल नई दिल्ली में शोभा अग्रवाल के इलाज में हुऐ खर्चें के बिलों का विवरण तथा क्लेम अस्वीकृति के पत्र दिनांकित 19/8/2013 की फोटो प्रतियों को दाखिल किया गया है।
- विपक्षी सं0-1 लगायत 4 की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0-16/1 लगायत 16/5 दाखिल हुआ जिसमें शोभा अग्रवाल के अनुरोध पर उन्हें पालिसी की शर्तों के अधीन परिवाद के पैरा सं0-1 में उल्लिखित हैल्थ बीमा पालिसी जारी किया जाना तो स्वीकार किया गया है, किन्तु शेष परिवाद कथनों से इन्कार किया गया है। अग्रेत्तर कथन किया गया कि परिवादिनी को हाईपरटेंशन और डायबटीज की बीमारी उसके द्वारा बीमा प्रस्ताव करने की तिथि से काफी पूर्व से थीं और इस तथ्य को शोभा अग्रवाल ने बीमा प्रपोजल फॅार्म भरते समय छिपाया जिस कारण उसका बीमा दावा पालिसी की शर्तों के अधीन अस्वीकृत कर दिया और ऐसा करके उत्तरदाता विपक्षीगण ने कोई त्रुटि नहीं की। शोभा अग्रवाल को परिवाद योजित करने का कोई वाद हेतुक उत्पन्न नहीं हुआ। उत्तरदाता विपक्षीगण की ओर से यह भी कहा गया कि एस्कार्ट अस्पताल नई दिल्ली द्वारा जारी डिसचार्ज समरी में यह अंकित है कि शोभा अग्रवाल को हाईपरटेंशन और डायबटीज की बीमारी बीमा पालिसी लेने की तिथि से लगभग 15 वर्ष पहले से थी। परिवादिनी ने पालिसी प्राप्त करते समय महत्वपूर्ण सूचनाओं को छिपाया और बीमा प्रस्ताव फार्म में वर्णित स्वास्थ्य सम्बन्धी प्रश्नों का गलत उत्तर दिया। इस प्रकार उसने स्वास्थ्य सम्बन्धी असत्य डिक्लेरेशन भी किया था। उत्तरदाता विपक्षीगण ने शोभा अग्रवाल का क्लेम करके किसी प्रकार की कोई त्रुटि नहीं की उन्होंने परिवाद को सव्यय खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की।
- विपक्षी सं0-5 पर फोरम के आदेश दिनांक 19/1/2015 द्वारा तामीला पर्याप्त मानी गई, किन्तु विपक्षी सं0-5 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुऐ अत: फोरम के आदेश दिनांक 25/5/2015 के अनुपालन में विपक्षी सं0-5 के विरूद्ध परिवाद की सुनवाई एकपक्षीय की गई।
- श्रीमती शोभा अग्रवाल ने अपने जीवन काल में साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-17/1 लगायत 17/3 दाखिल किया। भारतीय जीवन बीमा निगम की ओर से उनके प्रशासनिक अधिकारी श्री ए0के0गप्ता ने विपक्षीगण की ओर से साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-20/1 लगायत 20/5 दाखिल किया। श्री ए0के0 गुप्ता के साक्ष्य शपथ पत्र के साथ टी0पी0ए0 द्वारा शोभा अग्रवाल के बीमा दावे को अस्वीकृत किऐ जाने सम्बन्धी पत्र दिनांकित 11/9/2013, विपक्षीगण द्वारा बीमा दावा अस्वीकृत किऐ सम्बन्धी शोभा अग्रवाल को भेजे गऐ पत्र दिनांकित 19/8/2013 तथा एस्कार्ट अस्पताल नई दिल्ली के चिकित्सक डा0 अनिल सक्सेना द्वारा दिऐ गऐ हास्पिटल ट्रीटमेंट फार्म की नकल, श्रीमती शोभा अग्रवाल द्वारा विपक्षी सं0-1 को सम्बोधित पत्र दिनांकित 25/6/2013, शोभा अग्रवाल की वोटर आई0डी0, पैन कार्ड, पालिसी वाण्ड तथा पालिसी की शर्तों एवं शोभा अग्रवाल द्वारा भरे गऐ बीमा प्रपोजल फार्म की नकलों को दाखिल किया गया है।
- दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी लिखित बहस दाखिल की।
- हमने परिवादिनी तथा विपक्षी सं0-1 लगायत 4 के विद्वान अधिवक्तागण के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया। विपक्षी सं0-5 की ओर से बहस हेतु कोई उपसिथत नहीं हुऐ।
- पक्षकारों के मध्य इस बिन्दु पर कोई विवाद नहीं है कि श्रीमती शोभा अग्रवाल के अनुरोध पर भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा श्रीमती शोभा अग्रवेाल को हैल्थ प्लस योजना (तालिका सं0-901) के तहत एक बीमा पालिसी दी थी यह पालिसी दिनांक 24/5/2008 से 24/5/2020 की अवधि हेतु थी। पालिसी वाण्ड की नकल पत्रावली का कागज सं0-3/6 लगायत 3/7 है। परिवाद कथनों के अनुसार श्रीमती शोभा अग्रवाल को दिनांक 31/3/2013 की मध्य रात्रि में अचनाक सीने में दर्द हुआ उसे डाक्टर को दिखाया गया। चेकअप करने के बाद उसे एसकार्ट हार्ट इन्सटीट्यूट नई दिल्ली रेफर कर दिया गया जहॉं दिनांक 02/4/2013 से 02/5/2013 तक वह अन्तरोगी के रूप में भर्ती रही इस दौरान उसकी एन्ज्योग्राफी हुई और सीने में 3 स्टन्ट लगाऐ गऐ। परिवादीगण के विद्वान का अग्रेत्तर तर्क है कि एस्कार्ट अस्पताल में हुऐ इलाज में श्रीमती शोभा अग्रवाल के 13,43,886/- रूपया खर्च हुऐ। श्रीमती शोभा अग्रवाल ने क्लेम फार्म भरकर विपक्षीगण को उपलब्ध कराया। किन्तु उसका क्लेम इस आधार पर अस्वीकृत कर दिया गया कि उसे विगत लगभग 15 वर्षों से हाईपरटेंशन और डायबटीज की बीमारी थी जिसे उसने क्लेम फार्म भरते समय छिपाया और अपनी बीमारी को छिपाते हुऐ असत्य डिक्लेरेशन किया। परिवादीगण के विद्वान अधिवक्ता के अनुसार श्रीमती शोभा अग्रवाल का क्लेम गलत तरीके से अस्वीकृत किया गया। उनका यह भी तर्क है कि पालिसी देते समय विपक्षीगण ने श्रीमती शोभा अग्रवाल का सम्पूर्ण चेकअप कराया था। यदि श्रीमती शोभा अग्रवाल को कथित रूप से कोई बीमारी होती तो विपक्षीगण उसे पालिसी जारी नहीं करते। परिवादीगण के विद्वान अधिवक्ता ने उन्हें परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाऐ जाने की प्रार्थना की।
- विपक्षी सं0-1 लगायत 4 के विद्वान अधिवक्ता ने श्रीमती शोभा अग्रवाल द्वारा दाखिल एस्कार्ट अस्पताल नई दिल्ली की डिसचार्ज समरी कागज सं0-3/8 लगायत 3/9 और श्रीमती शोभा अग्रवाल का इलाज करने वाले एस्कार्ट अस्पताल नई दिल्ली के चिकित्सक डा0 अनिल सक्सेना द्वारा उपलब्ध कराऐ गऐ विवरण कागज सं0-20/9 की ओर हमारा ध्यान आकर्षित किया और तर्क दिया कि श्रीमती शोभा अग्रवाल विगत लगभग 15 वर्षों से हाईपरटेंशन और डायबटीज से पीडि़त थी। उसने बीमा पालिसी लेने हेतु भरे गऐ प्रपोजल फार्म कागज सं0-20/36 लगाय 20/38 में इन बीमारियों को छिपाया और यह असत्य उद्घोषणा की कि उसे कोई बीमारी नहीं है। विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता ने जोर देकर कहा कि श्रीमती शोभा अग्रवाल ने हाईपरटेंशन और डायबटीज की पूर्व से वि|मान अपनी बीमारियों को छिपाया था अत: उनका क्लेम अस्वीकृत करके विपक्षीगण ने कोई त्रुटि नहीं की।
- हमने पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य सामग्री तथा चिकित्सीय प्रपत्रों का भलीभांति अवलोकन किया। यह सही है कि एस्कार्ट अस्पताल नई दिल्ली के चिकित्सक डाक्टर अनिल सक्सेना ने हास्पिटल ट्रीटमेंट फार्म कागज सं0-20/9 में यह उल्लेख किया है कि परिवादिनी को विगत लगभग 15 वर्षों से हाईपरटेंशन और डायबटीज थी किन्तु पत्रावली पर ऐसा कोई चिकित्सीय अभिलेख विपक्षीगण की ओर से दाखिल नहीं हुआ है जिससे यह प्रमाणित हो कि दिनांक 02/4/2013 को एस्कार्ट अस्पताल नई दिल्ली में भर्ती होने से पूर्व श्रीमती शोभा अग्रवाल को यह पता था कि उसे हाईपरटेंशन और डाबटीज की बीमारी है। विपक्षीगण की ओर से ऐसा भी कोई चिकित्सीय अभिलेख दाखिल नहीं किया गया जिससे प्रकट हो कि प्रश्नगत पालिसी लेने से पूर्व श्रीमती शोभा अग्रवाल ने कभी हाईपरटेंशन अथवा डायबटीज का अपना इलाज कराया था। प्रकट है कि हास्पिटल ट्रीटमेंट फार्म कागज सं0-20/9 तथा डिसचार्ज समरी कागज सं0-3/8 एवं 3/9 में यह उल्लेख कि श्रीमती शोभा अग्रवाल विगत लगभग 15 वर्षों से हाईपरटेंशन और डायबटीज से ग्रसित है, एस्कार्ट अस्पताल नई दिल्ली के चिकित्सकों द्वारा किऐ गऐ डायग्नोसिस के आधार पर किया गया है।
- विपक्षीगण सं0-1लगायत 4 की ओर से निम्नलिखित निर्णयज विधियों को अबलम्ब लिया गया:-
- 2013 (1) सी0पी0आर0 पृष्ठ-282 (एन.सी.), ऊषा रानी गुप्ता व अन्य बनाम लाइफ इंश्योरेंस कारपोरेशनब्राच आफिस व अन्य, (राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, नई दिल्ली)
- 2013(3) सी0पी0आर0 पृष्ठ-569 (एन.सी.),लाइफ इंश्योरेंस कारपोरेशन ऑफ इण्यिा व अन्य बनाम श्रीमती विनोद देवी, (राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, नई दिल्ली)
- उपरोक्त निर्णयज विधियों का अबलम्व लेते हुऐ विपक्षी सं0-1 लगायत 4 के विद्वान अधिवक्ता ने तर्क दिया कि बीमित द्वारा यदि बीमा लेने से पूर्व विधमान बीमारी को पालिसी प्रपोजल फार्म भरते समय छिपाया गया है तो बीमा कम्पनी द्वारा बीमा दावा अस्वीकृत किया जाना सही है। हमने इन दोनों निर्णयज विधियों का अवलोकन किया, किन्तु इसमें से कोई भी रूलिंग वर्तमान मामले के तथ्यों पर लागू नहीं होती। ऊषा गुप्ता के मामले में तथ्य यह थे कि बीमा पालिसी लेने के पूर्व से बीमित एन्जाइना से पीडि़त था और पालिसी लेने से पूर्व इस बीमारी हेतु उसका इलाज भी हुआ था। इसी प्रकार श्रीमती विनोद देवी के मामले में बीमित बीमा पालिसी के पूर्व से कैंसर से पीडि़त था जिसका उनका इलाज चला था। किन्तु वर्तमान मामले में ऐसा नहीं है। वर्तमान मामले में ऐसा कोई साक्ष्य अथवा चिकित्सीय प्रपत्र पत्रावली पर उपलब्ध नहीं है जिससे यह प्रमाणित हो कि श्रीमती शोभा अग्रवाल बीमा पालिसी लेने से पूर्व से दिल की बीमारी से ग्रसित थी और पालिसी लेने से पूर्व दिल की बीमारी का उनका इलाज हुआ था। इस प्रकार विपक्षीगण की ओर से उ|`त उपरोक्त निर्णयज विधियां विपक्षीगण की कोई सहायता नहीं करती।
- II (2001) सी0पी0जे0 पृष्ठ-246 सीनियर डिविजनल मैनेजर लाइफ इंश्योरेंस कारपोरेशन बनाम शीला के मामले में मा0 पंजाब राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, चण्डीगढ़ द्वारा निम्न व्यवस्था दी गई है:-
“ Mere history given in the hospiial by someone is of no consequence. History alone cannot be treated as a valid ground to repudiate the claim.”
- हापरटेंशन की बीमारी के सन्दर्भ में IV (2014) CPJ 124 (punj) अवीवा लाइफइंश्योरेंस ,क्लेम डिपार्टमेन्ट व अन्य बनाम सरनजीत कौर के मामले में मा0 पंजाब राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, चण्डीगढ़ द्वारा निम्न व्यवस्था दी गई है:-
“ We are further fortified by the view of State Consumer Commission of Himachal Pradesh in "ICICI Lombard General Ins. Co. Ltd. Vs Jasbir Singh", reported in 2014 (1) CLT-220, wherein it has been held that hypertension is a life style disease and is easily controllable with conservative medicines and is not a justifiable ground to repudiate the contract of insurance. ’’
17- I (2016) सी0पी0जे0 पृष्ठ-613 (एन.सी.),सतीश चन्दर मदान बनाम बजाज एलियांज जनरल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड के मामले में मा0 राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, नई दिल्ली ने यह व्यवस्था दी है कि बीमा पालिसी लेने वाले व्यक्ति को यदि पालिसी लेने से पूर्व हाईपरटेंशन अथवा डायबटीज की बीमारी हो तो इसका यह अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिए कि उस व्यक्ति की पहले से Heart problm की हिस्ट्री हो। इस इस रूलिंग के पैरा सं0-10 में मा0 राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, नई दिल्ली द्वारा यह अभिमत दिया है:-
“ Hypertension is a common aiment and it can be controlled by medication and it is not necessary that a person suffering from hypertension would always suffer a heart attack.”
18- मा0 राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, नई दिल्ली द्वारा III (2014) सी0पी0जे0 पृष्ठ-340 (एन.सी.), न्यू इण्डिया एश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड बनाम राकेश कुमार के मामले के निर्णय के पैरा सं0-7 में डायबटीज तथा हाईपरटेंशन के सन्दर्भ में निम्न अभिमत दिया गया है :-
“ We have referred medical literature on the subject of diabetes and noted that, in some cases of diabetes, there are no symptoms. People can live for months, even years, without knowing they have the disease and it is often discovered accidentally after routine medical check-ups or following screening tests for other conditions. Hence, there are more chances that the complainant might have developed diabetes and hypertension during a span of 17 months after taking the policy thus, we do not find any concealment made by the complainant.”
- विपक्षीगण की ओर से पत्रावली पर ऐसा कोई चिकित्सीय प्रपत्र दाखिल नहीं किया गया है जिससे यह प्रमाणित हो कि प्रश्नगत हैल्थ पालिसी लेने से पूर्व से श्रीमती शोभा अग्रवाल को ह्दय सम्बन्धी कोई बीमारी थी। ऐसी दशा में यह स्वीकार किऐ जाने योग्य नहीं है कि श्रीमती शोभा अग्रवाल ने बीमा पालिसी लेते समय बीमा प्रपोजल फार्म में ह्दय सम्बन्धी किसी बीमारी को छिपाया था। जहॉं तक हाईपरटेंशन एवं डायबटीज की बीमारी का प्रश्न है उस सन्दर्भ में एस्कार्ट अस्पताल के हास्पिटल ट्रीटमेंट फार्म कागज सं0-20/9 में चिकित्सक द्वारा किया गया यह उल्लेख कि श्रीमती शोभा अग्रवाल लगभग 15 वर्षों से डायबटीज और हाईपरटेंशन की बीमारी से ग्रसित थी चिकित्सक का मात्र डायग्नोसिस है और डायग्नोसिस के आधार पर बीमा दावा अस्वीकृत नहीं किया जाना चाहिए जैसा कि इस निर्णय में उ|`त शीला के मामले में मा0 पंजाब राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, चण्डीगढ़ द्वारा अवधारित किया गया है। हाईपरटेंशन और डायबटीज एक life style disease है जो दवाओं द्वारा नियन्त्रित की जा सकती है। इन बीमारियों का आधार लेकर बीमा दावा अस्वीकृत किया जाना न्यायोचित नहीं है जैसा कि मा0 पंजाब राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, चण्डीगढ़ द्वारा अपने निर्णयों में अवधारित किया जा चुका है।
- यहॉं यह उल्लेख करना भी समीचीन होगा कि श्रीमती शोभा अग्रवाल द्वारा परिवाद पत्र के पैरा सं0-2 और अपने साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-17/1 लगायत 17/3 के पैरा सं0-2 में किऐ गऐ इस कथन का विपक्षीगण खण्डन करने का साहस नहीं कर
पाऐ हैं कि पालिसी देने से पूर्व विपक्षीगण ने उसका सम्पूर्ण मेडिकल चेकअप कराने के उपरान्त ही उसे बीमा पालिसी दी थी। ऐसी दशा में परिवादिनी पक्ष की ओर से दिऐ गऐ इस तर्क में बल है कि यदि पालिसी लेने से पूर्व श्रीमती शोभा अग्रवाल को किसी प्रकार की कोई बीमारी वास्तव में रही होती तो विपक्षीगण श्रीमती शोभा अग्रवाल को बीमा पालिसी जारी नहीं करते। पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य सामग्री के विधिक मूल्यांकन एवं तथ्यात्मक विशलेषण के आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि रिप्यूडिऐशन लेटर दिनांकित 19/8/2013 एवं 11/9/2013 द्वारा श्रीमती शोभा अग्रवाल का क्लेम अस्वीकृत नहीं किया जाना चाहिए था और क्लेम अस्वीकृत करके विपक्षीगण ने त्रुटि की है।
- पत्रावली पर श्रीमती शोभा अग्रवाल के इलाज के सिलसिले में हुऐ खर्च के जो बिल बाउचर दाखिल किऐ गऐ हैं उसके अनुसार एस्कार्ट अस्पताल नई दिल्ली में हुऐ इलाज में उसका 13,43,886/- रूपया का खर्चा आया है। बीमा पालिसी के अनुसार श्रीमती शोभा अग्रवाल को वृहद शल्य किया के हितलाभ अधिकतम 5,00,000/-रूपया तक अनुमन्य है। ऐसी दशा में श्रीमती शोभा अग्रवाल को एस्कार्ट अस्पताल में हुऐ इलाज के सिलसिले में अंकन 5,00,000/- रूपया से अधिक नहीं दिलाया जा सकता तदनुरूप इलाज में हुऐ व्यय की मद में परिवादीगण को अंकन 5,00,000/- (पाँच लाख रूपया) दिलाया जाना न्यायोचित होगा। मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुऐ परिवादीगण को क्षतिपूर्ति की मद में 25,000/- (पच्चीस हजार रूपया) और परिवाद व्यय की मद में 2500/- (दो हजार पाँच सौ रूपया) अतिरिक्त विपक्षी सं0-1 लगायत 4 से दिलाया जाना भी न्यायोचित
दिखाई होगा। तदानुसार परिवाद विपक्षी सं0-1 लगायत 4 के विरूद्ध स्वीकार होने योग्य है।
परिवाद योजित किऐ जाने की तिथि से वास्तविक वसूली की तिथि तक की अवधि हेतु 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित 5,00,000/- (पाँच लाख रूपया) की वसूली हेतु यह परिवाद परिवादीगण के पक्ष में विपक्षी सं0-1 लगायत 4 के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है। क्षतिपूर्ति की मद में 25,000/- (पच्चीस हजार रूपया) और परिवाद व्यय की मद में 2500/- (दो हजार पाँच सौ रूपया) परिवादीगण इन विपक्षीगण से अतिरिक्त पाने के अधिकारी होगें। इस आदेशानुसार समस्त धनराशि का भुगतान परिवादीगण को दो माह में किया जाय।
(श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (पवन कुमार जैन)
सामान्य सदस्य अध्यक्ष
जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
06.02.2017 06.02.2017
हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 06.02.2017 को खुले फोरम में हस्ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया।
(श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (पवन कुमार जैन)
सामान्य सदस्य अध्यक्ष
जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
06.02.2017 06.02.2017
न्यायालय जिला उपभोक्ता फोरम-।।, मुरादाबाद।
श्रीमती शोभा अग्रवाल बनाम एल0आई0सी0
परिवाद सं0-80/2014
- निर्णय घोषित किया गया। आदेश हुआ कि ‘’ परिवाद योजित किऐ जाने की तिथि से वास्तविक वसूली की तिथि तक की अवधि हेतु 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित 5,00,000/- (पाँच लाख रूपया) की वसूली हेतु यह परिवाद परिवादीगण के पक्ष में विपक्षी सं0-1 लगायत 4 के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है। क्षतिपूर्ति की मद में 25,000/- (पच्चीस हजार रूपया) और परिवाद व्यय की मद में 2500/- (दो हजार पाँच सौ रूपया) परिवादीगण इन विपक्षीगण से अतिरिक्त पाने के अधिकारी होगें। इस आदेशानुसार समस्त धनराशि का भुगतान परिवादीगण को दो माह में किया जाय।
(श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (पवन कुमार जैन)
सामान्य सदस्य अध्यक्ष
जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
06.02.2017 06.02.2017