जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण अजमेर
श्रीमति गमला पत्नी श्री मोहन आयु- 45 वर्ष, निवासी- माखुपुरा, आमवाला कुंआ, जिला-अजमेर(राज.)
प्रार्थीया
बनाम
सीनियर डिवीजनल मैनेजर, भारतीय जीवन बीमा निगम, मण्डल कार्यालय- जीवन प्रकाष, नाराडे मार्ग, पोस्ट बाक्स नं.2, अजमेर- 305006 (राज.)
अप्रार्थी
परिवाद संख्या 300/2013
समक्ष
1. गौतम प्रकाष षर्मा अध्यक्ष
2. विजेन्द्र कुमार मेहता सदस्य
3. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
उपस्थिति
1.श्री संजीव रोहिल्ला, अधिवक्ता, प्रार्थी
2.श्री संजय मंत्री, अधिवक्ता अप्रार्थी
मंच द्वारा :ः- आदेष:ः- दिनांकः-24.03.2015
1. परिवाद की चरण संख्या 1 में वर्णित अनुसार प्रार्थीया के पति श्री मोहन द्वारा दिनांक 1.12.2010 को एक स्वजीवन बीमा पाॅलिसी संख्या 187090828 राषि रू. 1,00,000/- के लिए अप्रार्थी भारतीय जीवन बीमा निगम (जो इस निर्णय में आगे मात्र बीमा निगम ही कहलाएगा ) से ली, तथ्य स्वीकृतषुदा है । उक्त श्री मोहन का देहान्त दिनांक 22.5.2011 को हो गया एवं प्रार्थीया द्वारा इस पाॅलिसी के अन्तर्गत देय राषि की प्राप्ति हेतु अप्रार्थी बीमा निगम के समक्ष क्लेम प्रस्तुत किया और उक्त क्लेम को अप्रार्थी बीमा निगम द्वारा अपने पत्र दिनांक 27.2.2012 से बीमाधारक श्री मोहन द्वारा बीमा पाॅलिसी लेते समय अपने स्वास्थ्य से संबंधित तथ्यों को छिपाए जाने के आधार पर अस्वीकार किया, आदि तथ्य भी स्वीकृतष्ुादा है ।
2. परिवाद के निर्णय हेतु हमारे समक्ष यही बिन्दु है कि क्या अप्रार्थी बीमा निगम ने अपने पत्र दिनंाक 27.2.2012 को उल्लेखित कारणों से अर्थात प्रार्थीया के पति श्री मोहन द्वारा बीमा पाॅलिसी लेते वक्त अपने स्वास्थ्य संबंधी तथ्यों को छिपाए जाने के आधार पर अस्वीकार किया, जो सही अस्वीकार किया है ?
3. इस निर्णय बिन्दु पर पर बहस सुनी । हमारे विनम्र मत में इस बिन्दु को सिद्व करने का भार अप्रार्थी बीमा निगम पर है । पत्र दिनांक 27.7.2012 में उल्लेखित किया है कि बीमित व्यक्ति श्री मोहन प्रष्नगत पाॅलिसी लेने के 7 माह पूर्व से त्भ्क् ब डैॅच्ॅ ैलदकतवउम छभ्ल्. ब्संेे प्ट ळने जमंस ।इबमेे नामक बीमारी से पीडित था एवं इस पाॅलिसी की प्राप्ति हेतु जो प्रस्ताव प्रपत्र भरा उसके काॅलम संख्या 11 में उसे पूर्व में कोई बीमारी थी, संबंधी पूछे गए प्रष्नों का उत्तर ’’ ना ’’ में दिया है जबकि बीमा निगम द्वारा जो साक्ष्य इकत्रित किए गए है से बीमाधारक श्री मोहन प्रष्नगत बीमा पाॅलिसी को लेने से पूर्व से ही उपर वर्णित बीमारी से ग्रसित था । इस संबंध में अप्रार्थी अधिवक्ता की बहस है कि बीमा प्रस्ताव प्रपत्र दिनंाक 23.12.2010 को भरा गया एवं उपर वर्णित अनुसार बीमाधारक से स्वास्थ्य संबंधी जानकारी चाही गई, का उत्तर गलत दिया जाना पाया गया । बीमाधारक दिनंाक 1.5.2010 से 13.5.2010 तक जवाहर लाल नेहरू चिकित्सालय में भर्ती रहा एवं उक्त अवधि में उसके लिए त्भ्क् ब डैॅच्ॅ ैलदकतवउम छभ्ल्. ब्संेे प्ट ळने जमंस ।इबमेे नामक बीमारी का इलाज चला । इसके अतिरिक्त उक्त अवधि के बाद दिनांक 21.5.2011 से 22.5.2011 तक भी बीमाधारक का इलाज इसी बीमारी हेतु ओर चलना पाया गया । अप्रार्थी की ओर से नगर सुधार न्यास जहां बीमाधारक कार्यरत था, के यहां से उसे बीमारी के आधार पर स्वीकृत किए गए अवकाषों के आदेष प्रस्तुत किए गए है एवं बीमाधारक श्री मोहन वर्ष 2007,2009 एवं 2010 आदि में विभिन्न दिनांकों पर स्वयं के स्वास्थ्य के खराब रहने के कारण अनुपस्थित रहने के आधार पर अवकाष स्वीकृत कराए है । अधिवक्ता की बहस है कि यह तथ्य अप्रार्थी बीमा निगम की ओर से सिद्व हुआ है कि प्रार्थी ने प्रष्नगत पाॅलिसी हेतु जो बीमा प्रस्ताव प्रपत्र भरा उससे पूर्व से वह बीमार चल रहा था एवं उक्त बीमारी हेतु उसका इलाज भी जवाहर लाल नेहरू चिकित्सालय, अजमेर में चला था किन्तु प्रार्थी ने अपने प्रस्ताव प्रपत्र में इन तथ्यों को नहीं दर्षाया एवं छिपाया है एवं ऐसा किया जाना बीमा पाॅलिसी षर्तो का उल्लघन है । बीमाधारक का यह दायित्व था कि वह अपने स्वास्थ्य के संबंध में सही जानकारी देता । अपने तर्को के समर्थन में उन्होने निम्नांकित दृष्टान्त पेष किए:-
1ण्प्प्प् 2003 ब्च्श्र 15 छब् च्ंददप क्मअप टे स्प्ब्
2ण्प्;2010द्ध ब्च्श्रण्92;छब्द्ध ठनकीपइमद च्ंइंअींप टे स्प्ब्
3ण् 2011छब्श्र 871;छब्द्ध ैउज ठींदूंतप क्मअप टे ठींतंजपलं श्रममअंद ठपउं छपहंउए 4ण् प्;2011द्धब्च्श्र 83;छब्द्ध स्प्ब् अे क्ंसइपत ज्ञंनत
5ण्2009छब्श्र 625;छब्द्ध स्प्ब् व िप्दकपं डण् ठींअंदपउ
6ण् ।प्त् 2008 ैब्424 च्ण्श्रण् ब्ींबाव ंदक ।दत टे ब्ींपतउंदए स्प्ब् व िप्दकपं - व्तेए 7ण्त्मअपेपवद च्मजपजपवद छव 3794.3796ध्2007 स्प्ब् टे ैउज ।दनचंउं - व्ते व्तकमत क्ंजमक 17ण्4ण्2012ए
8ण् त्मअपेपवद च्मजपजपवद छव 2130ध्2007 स्प्ब् टे ैउज ैनतमाीं ैींदांत श्रंकींअ व्तकमत क्ंजमक 31ण्7ण्2012ए
9ण्थ्पतेज ।चचमंस छवए 253ध्2007 स्प्ब् टे क्मअमदकतं ैपदही व्तकमत क्ंजमक 29ण्10ण्2012ए 10ण् 2011छब्श्र 826;छब्द्ध स्प्ब् व िप्दकपं - ।दत टे ैउज टपउसं टमतउं
11ण् 2013 छब्श्रण् ;छब्द्ध 126 स्प्ब् टे ैउज ज्ञंउचंउउं
12ण् 2013 छब्श्रण् ;छब्द्ध 659 त्ंरमेी ैींतंउं टे स्प्ब्
4. अधिवक्ता प्रार्थीया की बहस रही है कि बीमाधारक श्री मोहन की बीमारी के संबंध में जो दस्तावेजात पेष हुए इसके संबंध में इलाजकर्ता चिकित्सक का न तो कोई षपथपत्र पेष हआ है और ना ही ये दस्तावेजात मूल है और ना ही अस्पताल के अधिकारी द्वारा प्रमाणित है । अतः ये साक्ष्य में नहीं पढे जा सकते । अधिवक्ता की यह भी बहस है कि अप्रार्थी बीमा निगम ने इस संबंध में जांचकर्ता से जांच करवाने का उल्लेख किया है लेकिन जांचकर्ता की कोई रिर्पोट पत्रावली पर नहीं है । उनकी आगे बहस है कि बीमा प्रस्ताव प्रपत्र बीमाधारक को पढ कर नहीं सुनाया था और ना ही समझाया गया था तथा अप्रार्थी बीमा निगम की ओर से ऐसी भी कोई साक्ष्य नहीं आई है कि बीमा प्रस्ताव प्रपत्र के तथ्य बीमाधारक श्री मोहन को पढ कर सुनाए थे एवं समझा दिए थे । उनकी यह भी बहस है कि साधारणतया बीमा निगम के एजेण्ट द्वारा जब बीमा फार्म भरवाया जाता है तो इस संबंध में बीमा कराने वाले व्यक्ति को न तो समझाया जाता है और ना ही पढ कर सुनाया जाता है । उन्होने अपने तर्को के समर्थन में दृष्टान्त प्प्;2014द्ध ब्च्श्र 190 ;छब्द्ध स्प्ब् टे ब्ण् टमदांजंतंउनकन पेष किया ।
5. हमने बहस पर गौर किया एवं पक्षकारान की ओर से पेष हुए दृष्टान्तों का अध्ययन यिकया ।
6. जहां तक बीमा प्रस्ताव प्रपत्र का प्रष्न है बीमा प्रस्ताव प्रपत्र हिन्दी में ही है एवं इस पर बीमित श्री मोहन के हस्ताक्षर बखूबी है । ऐसा बीमा प्रस्ताव प्रपत्र यदि हिन्दी के स्थान पर अंग्रेजी भाषा में होता एवं बीमाधारक यदि अंग्रेजी भाषा नहीं जानता हो तब यह तथ्य महत्वपूर्ण हो जाता है कि उसे बीमा प्रस्ताव प्रपत्र पढ कर न हीं सुनाया और न ही समझाया । बीमाधारक पूर्व से त्भ्क् ब डैॅच्ॅ ैलदकतवउम छभ्ल्. ब्संेे प्ट ळने जमंस ।इबमेे नामक बीमारी से ग्रसित था । इस संबंध में जवाहर लाल नेहरू चिकित्सालय, अजमेर का बेडहेड टिकिट प्रस्तुत हुआ है जिसके अनुसार बीमाधारक दिनंाक 1.5.2010 से 13.5.2010 तक जैर इलाज रहा है एवं जो इलाज उसे दिया गया उसकी प्रमाणित प्रतियां पेष हुई है ओर यह रिकार्ड प्रमाणित फोटोप्रति की फोटोप्रति अवष्य है लेकिन अप्रार्थी बीमा निगम की ओर से एकत्रित की गई है एवं प्रस्तुत की गई अन्य साक्ष्य जो कार्यालय नगर सुधार न्यास, अजमेर की है उक्त दस्तावेजात से बीमित श्री मोहन इसी बीमारी को लेकर जैर इलाज रहा एवं चिकित्सकीय अवकाष भी लिया, उल्लेख है तथा असमर्थता का प्रमाण पत्र भी जवाहर लाल नेहरू चिकित्सालय से जारी हुआ है एवं प्रार्थी के चिकित्सकीय अवकाष उसके नियोक्ता द्वारा स्वीकत हुए है । दृष्टान्त स्प्ब् टे ज्ञतपेीदं ब्ींदकतं ैींतउं में माननीय राष्ट्रीय आयोग ने अभिनिर्धारित किया है कि जहां पूर्व की बीमारी के संबंध में अन्य विष्वसनीय साक्ष्य हो तब मात्र इलाजकर्ता चिकित्सक के षपथपत्र के अभाव में बीमा निगम द्वारा क्लेम को अस्वीकार करने को सही नहीं माना जा सकता । अन्य दृष्टान्त जो प्रार्थी की ओर से पेष हुए में प्रतिपादन अनुसार बीमित व्यक्ति के लिए आवष्यक है कि वह बीमा प्रस्ताव प्रपत्र में अपनी पूर्व की बीमारियों के संबंध में पूर्ण व सही जानकारी देवे । यदि उसके द्वारा ऐसा नहीं किया जाता है तो इसे बीमा पाॅलिसी की षर्तो का उल्लंघन माना गया है ।
7. उपरोक्त सारे विवेचन से हमारे विनम्र मत में हस्तगत प्रकरण में अप्रार्थी बीमा निगम द्वारा मृतक बीमाधारक द्वारा प्रष्नगत बीमा पाॅलिसी लेने से पूर्व वह त्भ्क् ब डैॅच्ॅ ैलदकतवउम छभ्ल्. ब्संेे प्ट ळने जमंस ।इबमेे बीमारी से पीडित था एवं उसने इस बीमारी के तथ्य को बीमा प्रस्ताव प्रपत्र में छिपाया, सिद्व हुआ है तथा अप्रार्थी बीमा निगम द्वारा प्रार्थीया के क्लेम को अस्वीकार करने में कोई गलती नही ंकी है । परिणामस्वरूप प्रार्थीया का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं है । अतः आदेष है कि
-ःः आदेष:ः-
8. प्रार्थीया का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं होने से अस्वीकार किया जाकर खारिज किया जाता है । खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करें ।
(विजेन्द्र कुमार मेहता) (श्रीमती ज्योति डोसी) (गौतम प्रकाष षर्मा)
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
9. आदेष दिनांक 24.03.2015 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
सदस्य सदस्या अध्यक्ष