Uttar Pradesh

Muradabad-II

CC/60/2015

Smt. Asha Dhawan - Complainant(s)

Versus

L.I.C - Opp.Party(s)

02 Sep 2016

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum -II
Moradabad
 
Complaint Case No. CC/60/2015
 
1. Smt. Asha Dhawan
R/o Gurudev Dhawan L-24 Gali No 15 Mahaveer Nagar, New Delhi
New Delhi
New Delhi
...........Complainant(s)
Versus
1. L.I.C
Add:- Branch Office V G IInd Ram Ganga Vihar Phase-II Moradabad
Moradabad
Uttar Pradesh
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. P.K Jain PRESIDENT
 HON'BLE MRS. Azra Khan MEMBER
 HON'BLE MRS. Manju Srivastava MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 02 Sep 2016
Final Order / Judgement

द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्‍यक्ष

  1.   इस परिवाद के माध्‍यम से परिवादिनी ने अनुरोध किया है कि  विपक्षीगण से उसे पुत्री की बीमा पालिसी की बीमित राशि अंकन 6,00,000/- रूपया 18 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित दिलाई जाऐ। क्षतिपूर्ति की मद   में 50,000/- रूपया और परिवाद व्‍यय की मद में 10,000/- रूपया परिवादिनी ने अतिरिक्‍त मांगे हैं।
  2.   संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवादिनी की पुत्री पारूल धवन ने अपने जीवनकाल में विपक्षी सं0-1 से दिनांक 28/12/2007 को  एक बीमा पालिसी सं0-254599132 थी, ली थी बीमित राशि 6,00,000/- रूपया थी। वह मौहल्‍ला नवीन नगर मुरादाबाद में रहती थी। नौकरी लग जाने पर वह दिल्‍ली में मकान सं0-17/49, तृतीय फ्लोर तिलकनगर में किराऐ के मकान में रहने लगी। दिल्‍ली में पारूल धवन अकेली रहती थी दिनांक 29/10/2010 को रात में किसी समय बाथरूम में पैर फिसलने की वजह से वह गिर गई जिसकी वजह से उसके सिर में गम्‍भीर चोट आई। बेहोशी की हालत में वह पड़ी रही। इस मध्‍य परिवादिनी ने पारूल को फोन किया, किन्‍तु फोन नहीं उठा तो परिवादिनी उससे मिलने उसके कमरे पर गई दरवाजा तोड़ा गया। परिवादिनी अपनी पुत्री को बेहाशी की हालत में वेस्‍टन हास्पिटल तिलकनगर लेकर गई जहॉं से उसे हायर सेन्‍टर रेफर कर दिया गया। अपनी पुत्री को परिवादिनी अमरलीला हास्पिटल जनकपुरी लेकर गई जहां पारूल को मृत घोषित कर दिया गया। पारूल की मृत्‍यु सिर में चोट लग जाने के कारण ब्रेन हेमरेज से हुई। घटना की सूचना तिलकनगर पुलिस नई दिल्‍ली को दी गई। विपक्षी सं0-1 को भी पुत्री के मरने की परिवादिनी ने सूचना दी। परिवादिनी बीमा पालिसी में नोमिनी है। अपने जीवनकाल में पारूल नियमित रूप से बीमा पालिसी की किश्‍तें देती थी। उसकी मृत्‍यु के समय पालिसी चालू हालत में थी। परिवादिनी ने बतौर नोमिनी डेथ क्‍लेम विपक्षी सं0-1 के समक्ष निर्धारित प्रारूप पर प्रस्‍तुत किया। समस्‍त औपचारिकताऐं पूर्ण होने के बावजूद विपक्षीगण ने क्‍लेम का भुगतान नहीं किया और टालमटोल करते रहे। परिवादिनी के अनुसार पालिसी लेते समय उसकी पुत्री स्‍वस्‍थ्‍य थी, उसे कोई बीमारी नहीं थी और उसकी मृत्‍यु भी बीमारी की वजह से नहीं हुई। परिवादिनी क्‍लेम हेतु विपक्षी सं0-1 के कार्यालय में अनेकों बार गई, किन्‍तु हर बार उसे यह कहकर टाल दिया गया कि पालिसी का भुगतान शीघ्र कर दिया जाऐगा, किन्‍तु दिनांक 16/2/2015 को परिवादिनी से कहा दिया गया कि भुगतान नहीं होगा पालिसी निरस्‍त कर दी गई है। परिवादिनी के अनुसार उसने अपने अधिवक्‍ता के माध्‍यम से विपक्षीगण को नोटिस दिलाया। विपक्षी सं0-1 की ओर से प्राप्‍त पत्र दिनांक 11/3/2015 द्वारा परिवादिनी को सूचित किया गया कि उसका बीमा क्‍लेम दिनांक 19/11/2011 को निरस्‍त किया जा चुका है जबकि इससे पूर्व कभी भी परिवादिनी को क्‍लेम अस्‍वीकृति की सूचना नहीं भेजी गई। परिवादिनी के अनुसार उसका परिवाद निर्धारित समय सीमा में है, उसने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाऐ जाने की प्रार्थना की।
  3.   परिवाद के समर्थन में पारिवादिनी ने अपना शपथ पत्र कागज सं0-3/7 लगायत 3/12 दाखिल किया जिसके साथ बतौर संलग्‍नक उसने बीमा पालिसी के प्रीमियम अदा करने की असल रसीद दिनांकित 13/1/2009, वेस्‍टन हास्पिटल नई दिल्‍ली द्वारा दिऐ गऐ प्रमाण पत्र, अमरलीला हास्पिटल नई दिल्‍ली, द्वारा दिऐ गऐ सर्टिफिकेट, थाना तिलकनगर नई  दिल्‍ली को दी गई दुर्घटना की सूचना दिनांकित 29/10/2010,मृतका के  नौकरी सम्‍बन्‍धी प्रपत्र, उसके डेथ सर्टिफिकेट, विपक्षीगण को भेजे गऐ  कानूनी नोटिस दिनांकित 03/3/2015 की नकलों और विपक्षी सं0-1 के  शाखा प्रबन्‍धक की ओर से प्राप्‍त उत्‍तर दिनांकित 11/3/2015, विपक्षी सं0-3 की ओर से प्राप्‍त उत्‍तर दिनांकित 24/3/2015 मूल रूप में दाखिल किऐ  गऐ हैं, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-3/13 लगायत 3/29 हैं।
  4.   विपक्षीगण की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0-12/1 लगायत 12/3  दाखिल हुआ जिसके समर्थन में विपक्षी सं0-2 के लीगल मैनेजर श्री अखिलेश  कुमार अस्‍थाना ने अपना शपथ पत्र कागज सं0-13 दाखिल किया।
  5.   विपक्षीगण की ओर से दाखिल प्रतिवाद पत्र में यह तो स्‍वीकार किया गया कि परिवादिनी की पुत्री पारूल धवन ने अपने जीवनकाल में विपक्षीगण से एक जीवन बीमा पालिसी सं0- 254599132 ली थी जिसमें बीमित राशि 6,00,000/- रूपया थी और बीमित की मृत्‍यु के समय यह पालिसी चालू दशा में थी किन्‍तु शेष परिवाद कथनों से इन्‍कार किया गया है। अग्रेत्‍तर  कथन किया गया कि परिवादिनी द्वारा प्रस्‍तुत किया गया डेथ क्‍लेम अमान्‍य किया जा चुका है जिसकी सूचना मण्‍डलीय कार्यालय द्वारा  पंजीकृत पत्र दिनांक 03/11/2011 द्वारा परिवादिनी को दे दी गई थी।  परिवादिनी को दावा अमान्‍य होने की जानकारी माह नवम्‍बर, 2011 में  हो गई थी इस प्रकार परिवाद कालबाधित है। विशेष कथनों में कहा गया  कि दावा प्रपत्र में बीमित की मृत्‍यु अचानक हद्यघात से होना बताया गया  और कहीं भी इलाज नहीं कराऐ जाने का कथन किया गया। जाँच में यह  भी पाया गया कि पालिसी में बीमित का जो पता अंकित है वह उसके  वास्‍तविक पते से भिन्‍न हैं। पालिसी में बीमित का मुरादाबाद का पता  लिखा है जबकि वह न्‍यू महावीर नगर दिल्‍ली में रहती थी। बीमित पारूल धवन ने बीमा पालिसी क्रय करते समय प्रस्‍ताव फार्म में अपनी नौकरी की  अवधि एक वर्ष से अधिक दर्शाई थी जबकि तत्‍समय उसकी नौकरी की  अवधि एक वर्ष से कम थी। बीमित ने उक्‍त तथ्‍य छिपाकर बिना स्‍वास्‍थ्‍य  परीक्षण कराऐ बीमा पालिसी ली थी। बीमाधारक द्वारा महत्‍वपूर्ण तथ्‍यों  को छिपाया गया जिस कारण मृत्‍यु दावा अमान्‍य कर दिया गया। यह भी  कहा गया कि एल0आई0सी0 के कानपुर स्थित क्षेत्रीय कार्यालय ने अपने आदेश दिनांक 03/5/2015 द्वारा अनुग्रह के आधार पर मृत्‍यु दावे के अन्‍तर्गत 2,00,000/-रूपये की धनराशि स्‍वीकृत कर दी है। उक्‍त कथनों के आधार पर  परिवाद को खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की गई। 
  6.   परिवादिनी की ओर से शपथ पत्र से समर्थित रिज्‍वांइडर शपथ पत्र कागज सं0-13/1 लगायत 13/4 दाखिल किया गया जिसमें उसने प्रतिवाद पत्र में उल्लिखित कथनों से इन्‍कार करते हुऐ अपने परिवाद कथनों को दोहराया और कहा कि बीमा पालिसी लेते समय बीमित ने कोई तथ्‍य नहीं छिपाऐ, परिवादिनी को कभी भी बीमा दावा अमान्‍य होने सम्‍बन्‍धी पत्र  दिनांकित 03/11/2011 प्राप्‍त नहीं हुआ और परिवाद कालबाधित नहीं है।  उसने पुन: कथन किया कि परिवाद में अनुरोधित अनुतोष उसे दिलाऐ जाऐं।
  7.   परिवादिनी ने अपना साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-14/1 लगायत 14/9 दाखिल किया।
  8.   विपक्षीगण की ओर से एल0आई0सी0 के सहायक प्रशासनिक  अधिकारी श्री मदन सिंह का साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-15/1 लगायत 15/3 दाखिल हुआ।
  9.   दोनों पक्षों की ओर से लिखित बहस दाखिल हुई।
  10.   हमने पक्षकारों के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्कों को सुना और  पत्रावली का अवलोकन किया।   
  11.   विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि परिवादिनी का क्‍लेम वर्ष 2011 में ही अमान्‍य कर दिया गया था जिसकी सूचना एल0आई0सी0 के मण्‍डल कार्यालय मेरठ द्वारा पंजीकृत पत्र मृत्‍यु दावा/अमान्‍य/404 दिनांकित 3/11/2011 के माध्‍यम से कारण सहित परिवादिनी को दे दी गई थी। विपक्षीगण के अनुसार चॅूंकि परिवादिनी को  दावा अमान्‍य कर दिऐ जाने की सूचना माह नवम्‍बर, 2011 में प्राप्‍त हो  चुकी थी और यह परिवाद उसने वर्ष 2015 में योजित किया है जो इसी  आधार पर खारिज होने योग्‍य है। विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता ने  तर्क दिया कि पालिसी लेते समय मृतिका दिल्‍ली में रहती थी जबकि उसने   पालिसी में अपना पता मुरादाबाद का लिखवाया और ऐसा करके उसने  वास्‍तविकता को छिपाया। अग्रेत्‍तर कहा गया कि बीमा पालिसी लेते समय  प्रस्‍ताव फार्म में परिवादिनी ने अपनी नौकरी की अवधि एक वर्ष से अधिक दर्शाई जबकि उसकी नौकरी की अवधि एक वर्ष से कम थी। मृतिका ने  नौकरी की अवधि के सम्‍बन्‍ध में यह मिथ्‍या कथन इस कारण किया कि  क्‍योंकि नौकरी की अवधि एक वर्ष से कम बताने की दशा में मृतिका को   अपना स्‍वास्‍थ्‍य परीक्षण कराना अनिवार्य होता। विपक्षीगण की ओर से यह   भी कहा गया कि मृत्‍यु दावा में परिवादिनी द्वारा यह मिथ्‍या कथन किया गया कि मृतिका का कहीं भी इलाज नहीं कराया गया जबकि विपक्षीगण  के जॉंच अधिकारी ने जॉंच में जॉंच के दौरान यह पाया कि मृतिका को बाथरूम में फिसलकल गिरने के उपरान्‍त इलाज हेतु अस्‍पताल ले जाया  गया था। उक्‍त तर्कों के आधार पर विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता ने  कहा कि परिवाद खारिज होने योग्‍य है और परिवादिनी कोई अनुतोष पाने  की अधिकारी नहीं है।
  12.   प्रत्‍युत्‍तर में परिवादिनी के विद्वान अधिवक्‍ता ने विपक्षीगण की   ओर से दिऐ गऐ तर्कों का प्रतिवाद किया और कहा कि न तो परिवाद टाइमबार्ड है और न ही परिवादिनी अथवा मृतिका ने बीमा अथवा बीमा दावे से सम्‍बन्धित कोई तथ्‍य छिपाये और न ही कोई असत्‍य कथन किया।  उन्‍होंने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाऐ जाने की प्रार्थना की।
  13.   परिवादिनी का बीमा दावा अस्‍वीकृत किऐ जाने विषयक पत्र दिनांक 3/11/2011 का उल्‍लेख विपक्षीगण के प्रतिवाद पत्र के पैरा सं0-9 में किया गया है उसकी कोई नकल अथवा उसे परिवादिनी को भेजे जाने सम्‍बन्‍धी  कोई प्रमाण अथवा डाकखाने/ कोरियर इत्‍यादि की रसीद विपक्षीगण ने दाखिल नहीं की हैं ऐसी दशा में विपक्षीगण का यह कथन स्‍वीकार किऐ जाने योग्‍य नहीं है कि दिनांक 3/11/2011 के पत्र द्वारा परिवादिनी का दावा अमान्‍य कर दिऐ जाने सम्‍बनधी सूचना विपक्षीगण ने परिवादिनी को  डाक से भेज दी थी। परिवादिनी के इस कथन पर अविश्‍वास किऐ जाने   का कोई कारण दिखाई नहीं देता  कि उसका दावा अमान्‍य कर दिऐ जाने की सूचना विपक्षीगण के पत्र दिनांक 11/3/2015 द्वारा उसे तब हुई जब उसके अधिवक्‍ता ने विपक्षीगण को कानूनी नोटिस कागज सं0-3/2 भेजा। चॅूंकि विपक्षीगण यह तथ्‍य प्रमाणित करने में असफल   रहे हैं कि माह नवम्‍बर, 2011 में परिवादिनी को दावा अमान्‍य हो जाने  की सूचना मिल गई थी ऐसी दशा में परिवाद को कालबाधित नहीं माना जा सकता।
  14.   विपक्षीगण ने परिवादिनी द्वारा प्रस्‍तुत बीमा दावे तथा मृतिका पारूल धवन द्वारा बीमा पालिसी ले्ने हेतु भरे गऐ बीमा प्रस्‍ताव की नकलें  पत्रावली में दाखिल नहीं की है। यह दोनों प्रपत्र निश्चित रूप से विपक्षीगण के कब्‍जे में होगें। इन प्रपत्रों को पत्रावली में दाखिल न किया जाना कदाचित इस अवधारणा को बल प्रदान करता है कि यदि विपक्षीगण इन्‍हें पत्रावली में दाखिल कर देते तो वे विपक्षीगण के लिए सहायक नहीं होते।
  15.   इस बिन्‍दु पर कोई विवाद नहीं है कि मृतिका पारूल धवन ने प्रश्‍नगत बीमा पालिसी दिनांक 28/12/2007 को क्रय की थी। बीमा पालिसी की  प्रथम किश्‍त जमा करने की असल रसीद पत्रावली का कागज सं0-3/13  है। इस रसीद में मृतिका का पता मुरादाबाद का लिखा है। विपक्षीगण ने  यधपि यह कहा है कि पालिसी लेते समय मृतिका दिल्‍ली में रहती थी  किन्‍तु अपने उक्‍त कथन को प्रमाणित करने के लिए विपक्षीगण ने कोई  अभिलेखीय साक्ष्‍य प्रस्‍तुत नहीं किया जिससे प्र‍माणित किया जा सकता था कि  पालिसी लेते समय मृतिका दिल्‍ली में रहती थी और उसने पालिसी लेते समय अपना गलत पता लिखवाया। इन तथ्‍यों को प्रमाणित करने का  उत्‍तरदायित्‍व विपक्षीगण का था जिसका वे निर्वहन नहीं कर पाऐ।
  16.   विपक्षीगण की ओर से दाखिल प्रतिवाद पत्र के पैरा सं0-16 में यह  उल्‍लेख है कि परिवादिनी ने दावा प्रपत्र में बीमित पारूल धवन की मृत्‍यु   का कारण अचानक ह्दयघात होना बताया है किन्‍तु विपक्षीगण ने परिवादिनी   द्वारा प्रस्‍तुत किऐ गऐ दावा प्रमाण पत्र की नकल पत्रावली में दाखिल   नहीं की है। परिवादिनी का शुरू से ही केस यह है कि उसकी पुत्री पारूल  धवन की मृत्‍यु बाथरूम में फिसल जाने के कारण आई चोटों की वजह से   हुई थी। परिवादिनी द्वारा दाखिल चिकित्‍सीय प्रपत्रों कागज सं0-3/15,  तथा 3/16 परिवादिनी के इन कथनों का समर्थन करते हैं कि दिनांक  29/10/2010 को बाथरूम में फिसल जाने के कारण पारूल धवन के सिर   में गम्‍भीर चोटें आई थी उसे बेहाशी की हालत में तत्‍काल वेस्‍टलेण्‍ड हास्पिटल ले जाया गया जहॉं उसकी नाजुक हालत को देखते हुऐ हायर सेन्‍टर के लिए रेफर कर दिया गया। पारूल धवन को तत्‍काल अमरलीला हास्पिटल, नई दिल्‍ली ले जाया गया जहॉं उसे मृत घोषित कर दिया गया  था। प्रकट है कि पारूल धवन का इलाज किऐ जाने का कोई अवसर ही नहीं आया था। यदि विपक्षीगण के इस कथन पर विश्‍वास कर भी लिया जाऐ कि पारूल धवन की मृत्‍यु अचानक हुऐ हार्ट अटैक की वजह से गिर जाने के कारण आई चोटों की वजह से हुई तो उससे भी विपक्षीगण को कोई लाभ नहीं मिलता क्‍योंकि विपक्षीगण ऐसा कोई चिकित्‍सीय अभिलेख दाखिल नहीं कर पाऐ जिससे प्रकट हो पारूल धवन पहले से ही हृदय रोग से पीडि़त थी अथवा हृदय रोग सम्‍बन्‍धी उसका कहीं इलाज चल रहा था।   यदि अचानक पड़े दिल के दौरे के परिणाम स्‍वरूप आई चोटों की वजह से  पारूल धवन की मृत्‍यु हुई भी है तो भी विधनत: यह नहीं माना जा सकता कि पारूल धवन अथवा परिवादिनी ने उसकी बीमारी  सम्‍बन्‍धी किसी तथ्‍य को छिपाया था क्‍योंकि जब पारूल धवन को दिल की कोई बीमारी थी ही नहीं तो उस बीमारी को बीमा प्रस्‍ताव फार्म भरते हुऐ छिपाने अथवा न छिपाने का मृतिका के पास कोई अवसर नहीं था।
  17.   विपक्षीगण अपने इस कथन के समर्थन में भी कोई अभिलेखीय  प्रमाण प्रस्‍तुत नहीं कर पाऐ कि बीमा प्रस्‍ताव फार्म भरते समय पारूल  धवन की नौकरी की अवधि एक वर्ष से कम थी। ऐसी दशा में यह स्‍वीकार  किऐ जाने योग्‍य नहीं है कि पारूल धवन ने बीमा प्रस्‍ताव फार्म भरते समय प्रस्‍ताव फार्म में अपनी नौकरी की अवधि के सम्‍बन्‍ध में मिथ्‍या कथन किऐ थे।
  18.   विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता ने प्रतिवाद पत्र के पैरा सं0-24   की ओर हमारा ध्‍यान आकर्षित करते हुऐ कथन किया कि एल0आई0सी0   के क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा दिनांक 3/5/2015 को अनुग्रह के आधार पर  मृत्‍यु दावा के अन्‍तर्गत 2,00,000/- (दो लाख रूपये) की धनराशि स्‍वीकृत कर दी गई है इस स्‍वीकृत धनराशि को विपक्षीगण परिवादिनी को देने को  तैयार हैं। परिवादिनी के विद्वान अधिवक्‍ता ने प्रत्‍युत्‍तर में कहा कि जब   पालिसी में बीमित राशि 6,00,000/- रूपया की है तो अनुग्रह के आधार  पर कम धनराशि दिऐ जाने का कोई औचित्‍य नहीं है। हम परिवादिनी की  ओर से दिऐ गऐ तर्कों से सहमत हैं।
  19.   पत्रावली में जो साक्ष्‍य सामग्री पक्षकारों की ओर से प्रस्‍तुत की गई  है उसके आधार पर हम इस निष्‍कर्ष पर पहुँचे हैं कि परिवादिनी अथवा  उसकी पुत्री पारूल धवन ने क्रमश: बीमा दावे और बीमा प्रस्‍ताव फार्म भरते समय न तो किसी तात्विक तथ्‍य को छिपाया और न ही कोई असत्‍य  कथन किऐ। परिवाद कालबाधित होना भी प्रमाणित नहीं हुआ है।   विपक्षीगण ने परिवादिनी का बीमा दावा अस्‍वीकृत करके त्रुटि की और  साथ ही साथ यह सेवा प्रदान करने में कमी का भी मामला है।
  20.   परिवादिनी ने परिवाद के पैरा सं0-3 में कहा है कि पालिसी में वह बीमित पारूल ध्‍वन की नामिनी है। परिवादिनी के इस कथन से विपक्षीगण  ने अपने प्रतिवाद पत्र में विशिष्‍ट रूप से इ्न्‍कार नहीं किया है। ऐसी दशा   में हमारे विनम्र अभिमत में परिवादिनी को विपक्षीगण से बीमित धनराशि 6,00,000/- रूपया 9 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित दिलाई जानी चाहिऐ।  विपक्षीगण के कृत्‍यों को देखते हुऐ परिवादिनी को क्षतिपूर्ति की मद में  एकमुश्‍त 15,000/- (पन्‍द्रह हजार रूपया) तथा परिवाद व्‍यय की मद में  2500/- (दो हजार पॉंच सौ रूपया) विपक्षीगण से अतिरिक्‍त दिलाया जाना  भी न्‍यायोचित होगा। तदानुसार परिवाद स्‍वीकार होने योग्‍य है।    

 

 

     परिवाद योजित किऐ जाने की तिथि से वास्‍तविक वसूली की तिथि तक की अवधि हेतु 9 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित बीमा राशि 6,00,000/- (छ: लाख रूपया) की वसूली हेतु यह परिवाद परिवादिनी के पक्ष में विपक्षीगण के विरूद्ध स्‍वीकार किया जाता है। परिवादिनी क्षतिपूर्ति की मद में एकमुश्‍त 15000/- (पन्‍द्रह हजार रूपया) तथा परिवाद व्‍यय की मद में 2500/- (दो हजार पाँच सौ रूपया) विपक्षीगण से अतिरिक्‍त पाने की अधिकारी होगी। इस आदेशानुसार समस्‍त धनराशि का भुगतान दो माह के भीतर किया जाय।

 

 

   (श्रीमती मंजू श्रीवास्‍तव)   (सुश्री अजरा खान)    (पवन कुमार जैन)

          सदस्‍य               सदस्‍य              अध्‍यक्ष

  •     0उ0फो0-।। मुरादाबाद    जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद  जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

     02.09.2016           02.09.2016        02.09.2016

 

  हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 02.09.2016 को खुले फोरम में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया।

 

     (श्रीमती मंजू श्रीवास्‍तव)   (सुश्री अजरा खान)    (पवन कुमार जैन)

          सदस्‍य               सदस्‍य              अध्‍यक्ष

  •     0उ0फो0-।। मुरादाबाद    जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद  जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

     02.09.2015           02.09.2016        02.09.2016

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. P.K Jain]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. Azra Khan]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. Manju Srivastava]
MEMBER

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.