Final Order / Judgement | द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्यक्ष - परिवादिनी ने इस परिवाद के माध्यम से परिवादी ने यह उपशम मांगा है कि विपक्षी से उसे पालिसी के भुगतान में हुऐ नुकसान की मद में 2,00,000/-रूपये दिलाऐ जाऐ। क्षतिपूर्ति की मद में 2,00,000/- रूपये, परिवाद व्यय की मद में 20,000/- रूपया और पालिसी के भुगतान के सिलसिले में भागदौड़ में किऐ गऐ व्यय की मद में 20,000/- रूपया परिवादिनी ने अतिरिक्त मांगे हैं।
- संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि दिनांक 31/12/2009 को परिवादिनी ने विपक्षी से 1,00,000/- रूपये की एक पालिसी सं0- 25506081 ली थी। यह पालिसी ‘’ वाण्ड फण्ड ‘’ में ली गई थी। पालिसी लेते समय विपक्षी द्वारा पारिवादिनी से बहुत से कागजों पर दस्तखत करा लिऐ गऐ जब पालिसी परिवादिनी को प्राप्त हुई तो उसने पाया कि पालिसी ‘’ बान्ड फन्ड ’’ के स्थान पर ‘’ ग्रोथ फण्ड ’’ लिखा था। परिवादिनी ने इस सम्बन्ध में दिनांक 27/1/2010 को विपक्षी के शाखा प्रबन्धक को इस आशय का प्रार्थना पत्र दिया कि उसकी पालिसी का प्लान ‘’ गोथ फन्ड ’’ की बजाये ‘’ बान्ड फन्ड ’’ में बदल दिया जाऐ , किन्तु विपक्षी ने टालमटोल करते हुऐ और झूठे आशवासन देते हुऐ परिवादिनी का अनुरोध स्वीकार नहीं किया धीरे-धीरे पालिसी मैच्योरिटी के कगार पर पहँच गई। दिनांक 1/7/2013 को परिवादिनी ने पालिसी का प्लान बदलने के सम्बन्ध में विपक्षी को पुन: प्रार्थना पत्र दिया। इसके बावजूद विपक्षी ने पालिसी बदलने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया। परिवादिनी के अनुसार उसके उपभोक्ता अधिकारों का विपक्षी ने हनन किया है। पालिसी का प्लान बदलवाने का परिवादिनी को अधिकार था, किन्तु विपक्षी ने बार-बार अनुरोध करने के बावजूद यहॉं तक कि पालिसी मौच्योर होने के बाद भी पालिसी का प्लान चेंज नहीं किया जिससे परिवादिनी को 2,00,000/-रूपये का नुकसान हुआ। मजबूरन परिवादिनी ने दिनांक 2/4/2014 को पालिसी अण्डर प्रोटेस्ट कैश करा ली। परिवादी ने उक्त कथनों के आधार पर यह परिवाद योजित करते हऐ परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाऐ जाने की प्रार्थना की।
- परिवाद के साथ परिवादिनी द्वारा विपक्षी को सम्बोधित पत्र दिनांकित 2/4/2014, पत्र दिनांकित 1/7/2013 तथा पालिसी बान्ड की नकलों को दाखिल किया गया, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-3/4 लगायत 3/6 हैं।
- विपक्षी की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0-6/1 लगायत 6/3 दाखिल हुआ जिसमें परिवादिनी द्वारा दिनांक 31/12/2009 को बीमा पालिसी सं0-25506081 अंकन रूपया 1,00,000/- लिया जाना तो स्वीकार किया, किन्तु शेष परिवाद कथनों से इन्कार किया गया। विशेष कथनों में कहा गया कि परिवादिनी को कोई वाद हेतुक उत्पन्न नहीं हुआ। परिवादिनी ने आवेदन के समय ‘’ ग्रोथ फन्ड ’’ चुना था। दिनांक 1/7/2013 को परिवादिनी ने विपक्षी के कार्यालय में इस आशय का प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया था कि उसकी पालिसी को ‘’ ग्रोथ फन्ड ’’ के स्थान पर ‘’ बान्ड फन्ड ’’ में दिनांक 27/1/2010 से परिवर्तित कर दिया जाऐ जिस पर उत्तरदाता विपक्षी ने त्वरित कार्यवाही करते हुऐ परिवादिनी का प्रार्थना पत्र पुणे स्थित अपने हैड आफिस को प्रेषित किया जिस पर हैड आफिस द्वारा अवगत कराया गया कि पुरानी तिथि से वाण्ड परिवर्तन नियमानुसार सम्भव नहीं है। हैड आफिस के इस निर्णय की परिवादिनी को विधिवत् जानकारी दे दी गई। परिवादिनी ने दिनांक 3/4/2014 को मूल पालिसी वाण्ड प्रस्तुत करके और आवश्यक प्रपत्रों पर हस्ताक्षर करके लाभ सहित 1,14,389/- रूपया का भुगतान प्राप्त कर लिया है। परिवादिनी की पालिसी 10 वर्षों हेतु थी, किन्तु उसने पालिसी को समायावधि से पूर्व सरेण्डर कर दिया था अत: सरेण्डर की तारीख की एन0ए0वी0 के अनुसार परिवादिनी को 1,14,389/-रूपया का भुगतान उसकी पूर्ण सहमति से किया जा चुका है। अब उत्तरदाता विपक्षी की ओर परिवादिनी की कोई धनराशि शेष नहीं है। उपरोक्त कथनों के आधार पर और यह कहते हुऐ कि परिवाद कालबाधित है, परिवाद को सव्यय खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की गई है।
- परिवादिनी ने अपना साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-10/1 लगायत 10/3 दाखिल किया जिसके साथ उसने अ्न्य बीमा पालिसियों के प्रीमियम अदायगी की रसीदों, प्रश्नगत पालिसी के पालिसी बान्ड, पालिसी से सम्बन्धित कम्प्यूटर से डाउन लोड किऐ गऐ नियम एवं शर्तों, विपक्षी को प्राप्त कराऐ गऐ प्रार्थना पत्र दिनांकित 04/1/2010, प्रार्थना पत्र दिनांकित 01/7/2013 तथा प्रार्थना पत्र दिनांकित 02/4/2014 की नकलों को बतौर संलग्नक दाखिल किया गया है, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-10/4 लगायत 10/29 हैं।
- विपक्षी की ओर से एल0आई0सी0 के शाखा प्रबनधक श्री अक्षय कुमार गुप्ता का साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-11/1 लगायत 11/3 दाखिल हुआ।
- परिवादिनी ने प्रत्युत्तर में रिज्वाइंडर शपथ पत्र कागज सं0-12/1 लगायत 12/2 प्रस्तुत किया जिसके साथ बतौर संलग्नक उसने बीमा पालिसी की कम्प्यूटर से डाउन लोड की गई शर्तों की फोटो प्रति दाखिल की जो पत्रावली का कागज सं0-12/3 लगायत 12/4 है।
- परिवादिनी ने अपनी लिखित बहस कागज सं0-16/1 लगायत 16/5 दाखिल की। विपक्षी की ओर से लिखित बहस कागज सं0-20/1 लगायत 20/4 दाखिल हुई जिसके साथ परिवादिनी द्वारा प्रश्नगत पालिसी के सापेक्ष दिनांक 03/4/2014 को प्राप्त 1,14,389/-रूपये की रसीद कागज सं0-20/5 दाखिल की।
- हमने दोनों पक्षों के विद्वान अधिवक्तागण के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया।
- परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि दिनांक 31/12/2009 को परिवादिनी द्वारा ली गई पालिसी सं0-255206081 को ‘’ ग्रोथ फण्ड ‘’ से ‘’ बान्ड फण्ड ’’ में परिवर्तित करने हेतु परिवादिनी ने विपक्षी के शाखा प्रबन्धक को दिनांक 27/1/2010 को पत्र लिखा था इसके बावजूद उसकी यह पालिसी ‘’ ग्रोथ फण्ड ‘’ से ‘’ बान्ड फण्ड ’’ में स्विच ओवर नहीं की गई। अन्तत: मजबूर होकर परिवादिनी ने अन्डर प्रोटेस्ट पालिसी को सरेण्डर करके दिनांक 2/4/2014 को उसे कैश करा लिया। कैश कराने पर इस पालिसी के उसे मात्र 1,14,389/- रूपया मिले। परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता का आरोप है कि इन्टरनेट पर यधपि पालिसी को एक फण्ड से दूसरे फण्ड में स्विच ओवर करने विषयक नियम उपलब्ध हैं इसके बावजूद विपक्षी ने परिवादिनी की उक्त पालिसी को ‘’ बान्ड फण्ड ’’ में स्विच ओवर नहीं किया जिससे परिवादिनी को लगभग 2,00,000/-रूपया का नुकसान हुआ उन्होंने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष स्वीकार किऐ जाने की प्रार्थना की।
- विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता का कथन है कि दिनांक 01/7/2013 के पत्र द्वारा परिवादिनी ने पालिसी सं0-255206081 बैक डेट से ‘’ बान्ड फण्ड ’’ में स्विच ओवर करने हेतु अनुरोध पत्र विपक्षी को दिया था, किन्तु विपक्षी के हैड आफिस द्वारा यह कहते हुऐ कि बैक डेट से पालिसी दूसरे फण्ड में स्विच ओवर किऐ जाने का कोई प्राविधान नहीं है, परिवादिनी का अनुरोध अस्वीकृत कर दिया था। उन्होंने परिवादिनी की ओर से लगाऐ गऐ समस्त आरोपों से इन्कार करते हुऐ परिवाद को खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की। विकल्प में उन्होंने यह भी कहा कि परिवादिनी ने इस पालिसी के साथ–साथ दिनांक 31/12/2009 को एक अन्य पालिसी सं0-255206051 भी ली थी जिसे परिवादिनी के अनुरोध पर दिनांक 27/1/2010 को ‘’ ग्रोथ फण्ड ‘’ से ‘’ बान्ड फण्ड ‘’ में स्विच ओवर कर दिया गया था। इस पालिसी सं0-255206051 की मैच्योरिटी पर परिवादिनी को 1,19,420/- रूपया प्राप्त हुऐ थे ऐसी दशा में यदि तर्क के तौर पर यह मान भी लिया जाऐ कि परिवादिनी के अनुरोधानुसार बैक डेट अर्थात् 27/1/2010 से उसकी पालिसी सं0-255206081 ‘’ ग्रोथ फण्ड ’’ से ‘’ बान्ड फण्ड ‘’ में स्विच ओवर कर दी गई होती तो परिवादिनी को एनकैश करने पर 1,19,420/-रूपया प्राप्त होते जो पालिसी सं0-255206081 की एनकेस्ड वैल्यू से मात्र 5031/-रूपया अधिक थे। विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता का यह भी तर्क है कि यदि दिनांक 27/1/2010 की तिथि से ‘’ ग्रोथ फण्ड ‘’ से ‘’ बान्ड फण्ड ‘’ में पालिसी स्विच ओवर का परिवादिनी का अनुरोध स्वीकार कर भी लिया जाऐ तो भी परिवादिनी द्वारा बताऐ गऐ 2,00,000/-रूपये के नुकसान का कोई प्रश्न नहीं था और इतना नुकसान होना ऐसा प्रमाणित भी नहीं है। उन्होंने परिवाद को सव्यय खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की।
- विपक्षी के शाखा प्रबन्धक को सम्बोधित परिवादिनी के पत्र दिनांकित 2/4/2014 (पत्रावली का कागज सं0-3/4) के अवलोकन से प्रकट है कि दिनांक 31/12/2009 को परिवादिनी ने 1,00,000/- रूपया मूल्य की क्रमश: 2 पालिसियां- पालिसी सं0-25520651 और पालिसी सं0-255206081 ली थीं। यह दोनों ही पालिसियां ‘’ ग्रोथ फण्ड ‘’ की थीं। इस पत्र के अवलोकन से यह भी प्रकट है कि इन दोनों ही पालिसियों को ‘’ ग्रोथ फण्ड ‘’ से ‘’ बान्ड फण्ड ‘’ में स्विच ओवर करने हेतु परिवादिनी ने दिनांक 27/1/2010 को विपक्षी सं0-1 को पत्र लिखा था जिस पर पालिसी सं0-25520651 तो दिनांक 27/1/2010 से ‘’ बान्ड फण्ड ‘’ में स्विच ओवर कर दी गई, किन्तु पालिसी सं0-255206081 को स्विच ओवर नहीं किया गया। यदि पालिसी सं0-255206081 को भी दिनांक 27/1/2010 से ‘’ बान्ड फण्ड ‘’ में स्विच ओवर कर दिया गया होता तो इस पालिसी को एनकैश कराने पर 1,14,389/- रूपया के स्थान पर परिवादिनी को 1,19,420/- रूपया मिले होते। कहने का आशय यह है कि पालिसी सं0-25520681 को दिनांक 27/1/2010 से विपक्षी द्वारा ‘’ ग्रोथ फण्ड ’’ से ‘’ बान्ड फण्ड ‘’ में स्विच ओवर न किऐ जाने की वजह से परिवादिनी को मात्र 5031/- रूपया का नुकसान हुआ। एक फण्ड से दूसरे फण्ड में पालिसी स्विच ओवर किऐ जाने की व्यवस्था पालिसी के नियमों में है जैसा कि पत्रावली में अवस्थित कागज सं0-10/12 से प्रकट है। पालिसी सं0-255206081 को ‘’ ग्रोथ फण्ड ‘’ से ‘’ बान्ड फण्ड ‘’ में स्विच ओवर न किया जाना विपक्षी द्वारा पारिवादिनी को दी जाने वाली सेवाओं में कमी है।
- परिवादिनी को पालिसी के ‘’ ग्रोथ फण्ड ‘’ में स्विच ओवर न होने के कारण 2,00,000/-रूपया की आर्थिक हानि हुई है ऐसा पत्रावली से सिद्ध नहीं है।
- उपरोक्त विवेचना के आधार पर यह सिद्ध है कि पालिसी सं0-255206081 को दिनांक 27/1/2010 की तिथि से ‘’ ग्रोथ फण्ड ‘’ से ‘’ बान्ड फण्ड ‘’ में विपक्षी द्वारा स्विच ओवर न किऐ जाने के कारण परिवादिनी को 5031/- रूपया की आर्थिक हानि हुई है। हमारे अभिमत में परिवादिनी को परिवाद योजित किऐ जाने की तिथि से वास्तविक वसूली की तिथि तक की अवधि हेतु 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित 5031/-रूपये की धनराशि दिलाई जानी चाहिए। इसके अतिरिक्त परिवादिनी को क्षतिपूर्ति की मद में विपक्षी से एकमुश्त 5000/- (पाँच हजार रूपया) और परिवाद व्यय की मद में 2500/- (दो हजार पाँच सौ रूपया) अतिरिक्त दिलाया जाना भी न्यायोचित दिखाई देता है। तदानुसार परिवाद स्वीकार होने योग्य है।
परिवाद योजित किऐ जाने की तिथि से वास्तविक वसूली की तिथि तक की अवधि हेतु 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित 5031/- (पाँच हजार इकत्तीस रूपये) की वसूली हेतु यह परिवाद परिवादिनी के पक्ष में, विपक्षी के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है। विपक्षी से परिवाद व्यय की मद में परिवादिनी 2500/- (दो हजार पाँच सौ रूपया) तथा क्षतिपूर्ति की मद में 5000/-(पाँच हजार रूपया) अतिरिक्त प्राप्त करने की अधिकारी होगी। इस आदेशानुसार समस्त धनराशि की अदायगी दो माह के भीतर की जाऐ। (सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन) सदस्य अध्यक्ष - 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
21.10.2016 21.10.2016 हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 21.10.2016 को खुले फोरम में हस्ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया। (सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन) सदस्य अध्यक्ष - 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
21.10.2016 21.10.2016 | |