Final Order / Judgement | द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्यक्ष - इस परिवाद के माध्यम से परिवादी ने यह उपशम मांगा है कि विपक्षीगण से उसे पत्नी की मूल बीमा पालिसी और पालिसी की बीमित धनराशि 20,00,000/- रूपया दिलाई जाय।
- संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार है कि परिवादी की पत्नी श्रीमती शमीम बेगम ने दिनांक 28/1/2014 को विपक्षीगण से एक बीमा पालिसी ली थी। यह पालिसी 25 वर्ष की थी जिसकी अवधि पूर्ण होने पर परिवादी की पत्नी को 20,00,000/- रूपया मिलने थे। पालिसी का प्रीमियम 14,000/- रूपया त्रैमासिक था विपक्षीगण के एजेन्ट ने परिवादी की पत्नी से पालिसी के आवेदन सम्बन्धी सारी औपचारिकतायें पूर्ण कराई और दिनांक 03/3/2014 को 14,000/- रूपया प्राप्त करके परिवादी की पत्नी को उसकी रसीद दी जिसकी बी0ओ0सी0 सं0-14028 है। परिवादी की पत्नी ने विपक्षीगण से कई बार पालिसी डाकुमेंट की मांग की, किन्तु उसे पालिसी डाकुमेंट नहीं दिया गया तब दिनांक 13/3/2014 को परिवादी की पत्नी ने एक पत्र विपक्षी सं0-1 को भेजा, किन्तु फिर भी उसे पालिसी डाकुमेंट उपलब्ध नहीं कराया गया। दिनांक 19/3/2014 को अचानक परिवादी की पत्नी का स्वर्गवास हो गया। अगले ही दिन परिवादी ने विपक्षी सं0-1 के कार्यालय पहुँचकर पत्नी के स्वर्गवास की सूचना दी और बीमा पालिसी की मांग की, किन्तु परिवादी की कोई बात नहीं सुनी गई और उसे बीमा पालिसी नहीं दी गई। परिवादी ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से बीमा पालिसी उपलब्ध कराने हेतु विपक्षी सं0-1 को नोटिस भी भिजवाया, किन्तु न तो नोटिस का विपक्षी सं0-1 ने कोई उत्तर दिया और न ही बीमा पालिसी उपलब्ध कराई। परिवादी के अनुसार विपक्षीगण के कृत्य अनुचित व्यापार प्रथा और सेवा में कमी है, उसने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाऐ जाने की प्रार्थना की।
- परिवाद के समर्थन में परिवादी ने अपना शपथ पत्र कागज सं0-3/3 प्रस्तुत किया। इसके अतिरिक्त परिवादी ने विपक्षी सं0-1 के कार्यालय से जारी रसीद दिनांक 03/3/2014 अंकन 14,000/- रूपया, विपक्षी सं0-1 को भिजवाऐ गऐ कानूनी नोटिस दिनांक 22/3/2014,पत्र दिनांकित 13/3/2014 और श्रीमती शमीम बेगम के मृत्यु प्रमाण पत्र की फोटो प्रतियों को दाखिल किया, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0- 3/5 लगायत 3/8 हैं।
- विपक्षीगण की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0-10/1 लगायात 10/3 दाखिल हुआ जिसके समर्थन में विपक्षी सं0-2 के मण्डलीय कार्यालय में कार्यरत मैनेजर लीगल श्री अखिलेश कुमार ने अपना शपथ पत्र दाखिल किया। प्रतिवाद पत्र में यह तो स्वीकार किया गया कि विपक्षी सं0-1 के कार्यालय से दिनांक 03/3/2014 को मृतका शमीम बेगम के नाम से 14,000/-रूपया जमा करने की एक बी0ओ0सी0 नम्बर-14028 जारी कराई गई थी, किन्तु शेष परिवाद कथनों से इन्कार किया गया। विशेष कथनों में कहा गया कि शमीम बेगम के नाम से जमा कराई गई उक्त बी0ओ0सी0 के सापेक्ष पालिसी जारी कराने हेतु कोई प्रस्ताव अथवा अन्य आवश्यक औपचारिकतायें पूरी नहीं की गई अत: दिनांक 31/3/2014 को चैक द्वारा बी0ओ0सी0 धनराशि 14,000/- रूपया विपक्षी ने वापिस कर दी। अग्रेत्तर यह भी कथन किया गया कि मृतका श्रीमती शमीम बेगम ने अपने जीवनकाल में दो लाख रूपया बीमा राशि की एक पालिसी सं0-257523654 जारी कराई थी जिसके बीमा दावा का भुगतान विपक्षीगण ने दिनांक 28/3/2015 को कर दिया है। विपक्षीगण के अनुसार बी0ओ0सी0 मात्र एक रसीद है यह कोई बीमा पालिसी नहीं है। बी0ओ0सी0 में स्पष्ट शब्दों में अंकित है कि “ Acceptence of this deposit does not make the corporation liable for Acceptance of risk ”। उक्त कथनों के आधार पर और यह कहते हुऐ कि परिवादी विपक्षीगण का उपभोक्ता नहीं है, परिवाद को सव्यय खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की गई।
- परिवादी ने अपना साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-11/1 लगायत 11/3 दाखिल किया।
- विपक्षीगण की ओर से विपक्षी सं0-1 के सहायक प्रशासनिक अधिकारी श्री मदन सिंह ने साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0- 13/1 लगायत 13/2 दाखिल किया।
- दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी लिखित बहस दाखिल की।
- हमने पक्षकारों के विद्वान अधिवक्तागण के तर्कों को सुना और पत्रावलीका अवलोकन किया।
- परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि परिवादी की पत्नी की मृत्यु से पूर्व दिनांक 03/3/2014 को बीमें की त्रैमासिक किश्त 14,000/- रूपया प्राप्त कर लेने और आवेदन सम्बन्धी समस्त औपचारिकताऐं पूरी कराने के बावजूद विपक्षीगण ने परिवादी की पत्नी को बीमा पालिसी उपलब्ध नहीं कराई। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का यह भी तर्क है कि परिवादिनी की मृत्यु के बाद विपक्षीगण ने बीमित राशि 20,00,000/- रूपये भी परिवादी को अदा नहीं किये और ऐसा करके विपक्षीगण ने अनुचित व्यापार प्रथा अपनाई और सेवा प्रदान करने में कमी की।
- विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता ने विपक्षी सं0-1 ने द्वारा 14,000/- रूपया प्राप्त करके दिनांक 03/3/2014 को उसकी रसीद जिसका वी0ओ0सी0 नम्बर-14028 है, जारी करना तो स्वीकार किया, किन्तु उसके सापेक्ष परिवादी की पत्नी के नाम पालिसी जारी होने और परिवादी की पत्नी द्वारा आवेदन सम्बन्धी औपचारिकताऐं पूरी करने से इन्कार किया। अंकन 14,000/- रूपये की बी0ओ0सी0 (ब्रांच आफिस कलेक्शन) कागज सं0-3/5 की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करते हुऐ विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता ने यह भी कहा कि इस रसीद में यह उल्लेख कि “ Acceptance of this deposit does not make the corporation liable for acceptance of risk ‘’ इस बात का प्रमाण है कि रसीद में उल्लिखित धनराशि जमा कर देने मात्र से विपक्षीगण बीमा राशि के भुगतान के उत्तरदाई नहीं हो जाते, उन्होंने परिवाद को खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की।
- (1984) 2 एस0सी0सी0 719 Life Insurance Corporation of India v/s Raja Vasireddy Komalavalli Kamba & Ors. की निर्णयज विधि में मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निम्न विधि व्यवस्था दी गई है :-
“ Mere receipt and retention of premia until after the death of the appellant or mere preparation of the policy document is not acceptance and therefore do not give rise to a contract.The general rule is that the contract of insurance will be concluded only when the party to whom an ofter has been made accepts it unconditionally and communicates his acceptance to the person making the offer, ‘’ - 14,000/- रूपया की रसीद कागज सं0-3/5 प्रपोजल डिपोजिट रसीद है। विपक्षीगण द्वारा इस बात से इन्कार किया गया है कि परिवादी की पत्नी के जीवनकाल में परिवादी की पत्नी के नाम इस बीमा रसीद के सापेक्ष कोई बीमा पालिसी जारी नहीं हुई थी। परिवादी यह नहीं दर्शा पाऐ कि पालिसी लेने हेतु उसकी पत्नी द्वारा किऐ गऐ प्रस्ताव को विपक्षीगण ने स्वीकार कर लिया था और प्रस्ताव की स्वीकारोक्ति की सूचना उन्होंने परिवादी की पत्नी को दे दी थी। मा0 सर्वोच्च न्यायालय की उपरोक्त निर्णयज विधि के अनुसार परिवादी की पत्नी और विपक्षीगण के मध्य बीमा पालिसी हेतु संविदा पूरी नहीं हुई थी। ऐसी दशा में परिवादी को बीमा राशि अंकन 20,00,000/- रूपया दिऐ जाने का कोई अवसर नहीं है। चॅूंकि परिवादी की पत्नी और विपक्षीगण के मध्य बीमा की संविदा पूरी नहीं हुई थी ऐसी दशा में परिवादी की पत्नी विपक्षीगण की प्रोस्पेक्टिव कन्ज्यूमर तो कही जा सकती है, किन्तु वह विपक्षीगण की उपभोक्ता नहीं थी।
- जहॉं तक परिवादी का प्रश्न है परिवादी कोई ऐसा अभिलेख दाखिल नहीं कर पाया जिसमें बतौर नामिनी यह परिवाद योजित करने हेतु अधिकृत हो। यदि तर्क के तौर पर यह मान भी लिया जाय कि परिवादी की पत्नी ने बीमा पालिसी के आवेदन सम्बन्धी सभी औपचारिकताऐं पूरी कर दी थीं तब भी बीमा आवेदन का प्रस्ताव विपक्षीगण द्वारा स्वीकृत कर लिऐ जाने सम्बन्धी चॅूंकि कोई प्रमाण पत्रावली में नहीं है अत: परिवादी द्वारा मांगा गया अनुतोष उसे दिलाऐ जाने का कोई आधार अथवा औचित्य हम नहीं पाते। परिवाद तदानुसार खारिज होने योग्य है।
परिवाद खारिज किया जाता है। (श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन) सामान्य सदस्य सदस्य अध्यक्ष - 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
02.08.2016 02.08.2016 02.08.2016 हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 02.08.2016 को खुले फोरम में हस्ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया। (श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन) सामान्य सदस्य सदस्य अध्यक्ष - 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
02.08.2016 02.08.2016 02.08.2016 | |