Uttar Pradesh

Chanduali

CC/50/2013

Prinsh Kumar - Complainant(s)

Versus

L.I.C - Opp.Party(s)

02 Sep 2014

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/50/2013
 
1. Prinsh Kumar
Lataow,Tiyara,Chandauli
...........Complainant(s)
Versus
1. L.I.C
Mughalsarai Chandauli
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. jagdishwar Singh PRESIDENT
 HON'BLE MR. Markandey singh MEMBER
 HON'BLE MRS. Munni Devi Maurya MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, चन्दौली।
परिवाद संख्या 50                              सन् 2013ई0
प्रिन्स कुमार सिंह पुत्र विनोद सिंह ग्राम लटांव पो0 तियरा जिला चन्दौली।
                                      ...........परिवादी                                                                                                                                    बनाम
1-प्रबन्धक (दावा)भारतीय जीवन बीमा निगम मण्डल कार्यालय वाराणसी।
2-शाखा प्रबन्धक भारतीय जीवन बीमा निगम शाखा मुगलसराय जिला चन्दौली।
                                            .............................विपक्षी
उपस्थितिः-
माननीय श्री जगदीश्वर सिंह, अध्यक्ष
माननीया श्रीमती मुन्नी देवी मौर्या सदस्या
माननीय श्री मारकण्डेय सिंह, सदस्य
                               निर्णय
द्वारा श्री जगदीश्वर सिंह,अध्यक्ष
1-    परिवादी द्वारा यह परिवाद विपक्षीगण से दुर्घटना बीमा दावा की शेष धनराशि मु0 75000/-एवं उपेक्षा एवं लापरवाही पूर्ण रवैये के कारण मु0 80,000/-,मानसिक आघात पहुंचाने के हेतु मु0 45000/-एवं क्षतिपूर्ति हेतु मु0 40000/-कुल मु0 2,40,000/-दिलाये जाने हेतु प्रस्तुत किया गया है।
2-    परिवादी की ओर से संक्षेप में कथन किया गया है कि परिवादी की माॅ मंजू सिंह पत्नी विनोद सिंह ने बीमा पालिसी संख्या 285737548 विपक्षीगण के शाखा कार्यालय मुगलसराय से लिया था।  परिवादी की माॅं बीमाधारक दिनांक 24-10-2009 को रात्रि 10 बजे डिबरी के गिर जाने से जल गयी। उन्हें कबीर चैरा अस्पताल वाराणसी में भर्ती कराया गया जहाॅं पर थाने को सूचना देने के बाद मजिस्ट्रेट द्वारा बयान लिया गया और स्थिति में कोई सुधार न होने पर वहाॅं से बी0एच0यू0 रेफर किया गया कि बी0एच0यू0 ले जाते समय दिनांक 5-11-09 को  रास्ते में मृत्यु हो गयी। परिवादी द्वारा विपक्षीगण के यहाॅं भुगतान हेतु दिनांक 10-8-2011 को सम्पूर्ण कागजात के साथ  प्रार्थना पत्र दिया तो विपक्षीगण द्वारा साधारण बीमा का भुगतान कर दिया गया किन्तु दुर्घटना बीमा का भुगतान नहीं किया गया। परिवादी दुर्घटना बीमा के भुगतान हेतु विपक्षीगण के कार्यालय दौड़ता रहा किन्तु विपक्षीगण द्वारा दुर्घटना बीमा दावा का भुगतान नहीं किया गया। अतः दुर्घटना बीमा दावा का भुगतान दिलाये जाने हेतु परिवादी की ओर से प्रार्थना किया गया है।
3-    इस फोरम द्वारा विपक्षीगण को जरिये रजिस्टर्ड डाक से नोटिस भेजी गयी जो विपक्षीगण को प्राप्त हुई किन्तु विपक्षीगण न तो हाजिर आये एवं न ही वकालतनामा दाखिल किये। अतः परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध एक पक्षीय रूप से सुना गया।
4-    परिवादी की ओर से शपथ पत्र के साथ विपक्षीगण को भेजी गयी नोटिस के रसीद की प्रति कागज संख्या 5/1 नोटिस की प्रति 5/2 मृतका मंजू देवी के बयान की प्रति 5/3 दाखिल किया गया है।
                                                                                             2
5-    हम लोगों ने परिवादी के विद्वान अधिवक्ता के एक पक्षीय बहस को सुना तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों का गम्भीरतापूर्वक परिशीलन किया।
6-    पत्रावली में बीमा पालिसी की छायाप्रति दाखिल की गयी है जिससे प्रमाणित है कि परिवादी की माॅं श्रीमती मंजू सिंह ने विपक्षी बीमा कम्पनी से दुर्घटना हित लाभ के साथ बीमा पालिसी संख्या 285737548 मु0 75,000/- का दिनांक 31-1-2008 को लिया था जिसके परिपक्वता की तिथि 31-1-2023 थी। परिवादी उक्त बीमा पालिसी के अन्र्तगत बीमाधारिका की नामिनी है। प्रस्तुत प्रलेखों से यह भी प्रमाणित है कि दिनांक 24-10-09 को रात्रि 10 बजे बीमाधारिका हाथ में डिबरी लेकर सोने के लिए बिस्तर बिछाने जा रही थी तो डिबरी हाथ से गिर गयी जिससे  उनके साड़ी में आग लग गयी और वह बुरीतरह जल गयी। तत्पश्चात उसे शिव प्रसाद गुप्ता हास्पिटल कबीर चैरा वाराणसी में भर्ती कराया गया जहाॅं दिनांक 5-11-09 तक वह भर्ती रही। इस दुर्घटना की सूचना पुलिस को दी गयी। दिनांक 25-10-2009 को दिन में 2.30 बजें शिव प्रसाद गुप्त हास्पिटल करीब चैरा वाराणसी में पहुंचकर नायब तहसीलदार ने बीमाधारिका मंजू सिंह का मृत्यु के पूर्व बयान अंकित किया। बयान अंकित किये जाते समय शिव प्रसाद गुप्त हास्पिटल के आकस्मिक चिकित्सक उपस्थित थे। बीमाधारिका ने अपने बयान में बताया था कि 10 बजे रात्रि में खाना बनाकर खाली होने पर सोने के लिए हाथ में डिबरी लेकर बिस्तर लगाने जा रही थी कि अचानक उसके हाथ से डिबरी गिर गयी जिससे उसके साड़ी में आग लग गयी और वह जल गयी। मृत्यु पूर्व बयान की छायाप्रति परिवादी ने पत्रावली में दाखिल किया है जिससे उपरोक्त तथ्य प्रमाणित होता है। परिवादी के शपथ पत्र से और प्रस्तुत अन्य साक्ष्यों से यह तथ्य प्रमाणित होता है कि दिनांक 5-11-09 को शिव प्रसाद गुप्त अस्पताल से डिस्चार्ज कराकर सर सुन्दरलाल चिकित्सालय बी0एच0यू0 में भर्ती कराने हेतु जब बीमाधारिका को ले जाया जा रहा था तो रास्ते में उसकी मृत्यु हो गयी। बीमाधारिका की मृत्यु के बाद परिवादी ने बीमा पालिसी के अन्र्तगत दुर्घटना हित लाभ के साथ दावा प्रस्तुत किया। बीमा कम्पनी ने जांचोपरान्त यह तथ्य पाया कि मंजू सिंह की डिबरी गिरने से आग लग जाने से दिनांक 24-10-2009 को  जल गयी थी और उसकी मृत्यु दिनांक 5-11-09 को हो गयी। विपक्षी बीमा कम्पनी ने बीमा पालिसी के अन्र्तगत साधारण दावा स्वीकार किया तथा दुर्घटना हित लाभ इस आधार पर अस्वीकार कर दिया गया कि प्रथम सूचना रिर्पोट,पंचायतनामा,पोस्टमार्टम रिर्पोट व पुलिस जांच पड़ताल  की रिर्पोट इसके लिए आवश्यक है जो प्रस्तुत नहीं किया गया है। इसलिए बीमा कम्पनी ने दुर्घटना हित लाभ अस्वीकार कर दिया गया है। अब विचारणीय प्रश्न यह है कि क्या बीमा कम्पनी ने दुर्घटना हित लाभ का दावा अस्वीकार करके सेवा में कमी किया है ?
7-    उपरोक्त बिन्दु पर हम लोगों द्वारा विचार किया गया। परिवादी की ओर से पत्रावली में बीमा कम्पनी द्वारा बीमा दावा के संदर्भ में किये जांच के रिर्पोट की छायाप्रति कागज संख्या 15/5 तथा मृत्यु दावा समीक्षा पत्रक की छायाप्रति दाखिल 
                                                                                                 3
किया है जिसके परिशीलन से पाया जाता है कि बीमा कम्पनी के जांचकर्ता ने जांच में पाया है कि दिनांक 24-10-09 को बीमाधारिका दिया से जल जाने के कारण शिव प्रसाद गुप्त अस्पताल कबीर चैरा वाराणसी में भर्ती की गयी थी और वहाॅं से बी0एच0यू0 ले जाते समय बीमाधारिका की मृत्यु हो गयी। दावा के सम्बन्ध में जांचकर्ता ने इस संदर्भ में बीमाधारिका के गांव के बच्चन राम व बसन्तलाल का बयान भी अंकित किया है जिसके आधार पर पाया जाता है कि दिनांक 24-10-09 को बीमाधारिका खाना बनाकर सोने हेतु बिस्तर लगाने जा रही थी कि उसी वक्त डिबरी हाथ से छूट कर गिर जिससे बीमाधारिका जल गयी जिसे शिव प्रसाद गुप्त अस्पताल कबीर चैरा वाराणसी में दिनांक 5-11-09 तक भर्ती रही। ठीक न होने पर दिनांक 5-11-09 को शिव प्रसाद गुप्त अस्पताल कबीर चैरा से इलाज के लिए बी0एच0यू0 ले जाया जा रहा था कि रास्ते में उसकी मृत्यु हो गयी। जांच में  पाया गया है कि इस दुर्घटना के संदर्भ में पुलिस में कोई प्रथम सूचना रिर्पोट अंकित नहीं करायी गयी थी तथा मृतका का कोई पंचायतनामा नहीं हुआ था। मृत्यु दावा समीक्षा पत्रक के परिशीलन से पाया जाता है कि बीमा कम्पनी के समीक्षाकर्ता केे जांच अधिकारी की रिर्पोट के आधार पर आग लग जाने से जलने के कारण बीमेदार की मृत्यु होने की पुष्टि करते हुए दावा के भुगतान की संस्तुति किया गया है। तद्नुसार बीमा कम्पनी भी यह स्वीकार करती है कि दुर्घटना वश जलती डिबरी गिर जाने से बीमाधारिका की साड़ी में आग लग गयी और वह जल गयी। शिव प्रसाद गुप्त अस्पताल में मजिस्ट्रेट ने उसके मृत्यु के पूर्व बयान भी अंकित किया है जिसमे अपनी मृत्यु के पूर्व बीमाधारिका ने डिबरी से जल जाने की पुष्टि किया है। यह तथ्य भी प्रमाणित पाया जाता है कि शिव प्रसाद गुप्त अस्पताल कबीर चैरा वाराणसी में बीमाधारिका का इलाज दिनांक 5-11-09 तक हुआ और वह ठीक नहीं हुई तो सर सुन्दर लाल चिकित्सालय बी0एच0यू0 में इलाज के लिए उसे शिव प्रसाद गुप्त अस्पताल कबीर चैरा से डिस्चार्ज कराकर ले जाया जा रहा था तो रास्ते में उसकी मृत्यु उपरोक्त जलने के कारण हो गयी। बीमाधारिका के दुर्घटना में डिबरी गिर जाने से जल जाने के तथ्य की पुष्टि होती है। वह किसी अपराधिक घटना में नहीं जबकि दुर्घटना वश जलने की कोई प्रथम सूचना रिर्पोट अंकित नहीं होती है, क्योंकि कोई आपराधिक घटना नहीं हुई है। दुर्घटनावश जलने से मृत्यु होने पर मृतका के शव का पंचायतनामा व पोस्टमार्टम की आवश्यकता नहीं रही जब बीमा कम्पनी के जांचकर्ता द्वारा की गयी जांच रिर्पोट से व मृतका के मृत्यु पूर्व बयान से यह तथ्य प्रमाणित हो गया है कि दुर्घटना वश डिबरी से जल जाने के कारण बीमाधारिका की मृत्यु हो गयी है तो बीमा पालिसी के अन्र्तगत दुर्घटना हित लाभ को अस्वीकार करने का कोई औचित्य बीमा कम्पनी के पास नहीं रहा। बीमा कम्पनी ने बीमा पालिसी के अन्र्तगत दुर्घटना हित लाभ को अस्वीकार करके सेवा में कमी किया है। हम लोगों के विचार से परिवादी बीमा पालिसी के अन्र्तगत नामिनी होने के कारण बीमाधारिका की बीमा पालिसी के अन्र्तगत दुर्घटना हित लाभ के रूप में बीमा पालिसी की धनराशि मु0 75,000/-बीमा कम्पनी से पाने का अधिकारी है।  बीमा कम्पनी द्वारा गलत तरीके से दुर्घटना हित लाभ का दावा खारिज कर दिया
                                                                        4
 गया है, जिसकी वजह से परिवादी को अनावश्यक शारीरिक,मानसिक परेशानी उठानी पड़ी। इस संदर्भ में उसे मु0 15,000/-क्षतिपूर्ति दिलाया जाना न्यायसंगत है, एवं वाद व्यय स्वरूप परिवादी को मु0 5,000/- कुल मु0 95,000/- परिवादी बीमा कम्पनी से पाने का अधिकारी है। तद्नुसार परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य है।
                                                                            आदेश
    प्रस्तुत परिवाद स्वीकार किया जाता है। विपक्षी बीमा कम्पनी को आदेश दिया जाता है कि वह इस निर्णय की तिथि से एक माह के अन्दर परिवादी को बीमा पालिसी के अन्र्तगत दुर्घटना हित लाभ के रूप में मु0 75,000/-(पचहत्तर हजार) व शारीरिक मानसिक क्षति के रूप में मु0 15,000/-(पन्द्रह हजार) तथा वाद व्यय के रूप में मु0 5,000/-(पांच हजार) कुल मु0 95,000/-(पन्चानवे हजार) और इस धनराशि पर दावा प्रस्तुतीकरण की तिथि से आइन्दा भुगतान की तिथि तक 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज का भुगतान करें।

(मारकण्डेय सिंह)       (मुन्नी देबी मौर्या)                   (जगदीश्वर सिंह)
   सदस्य                सदस्या                           अध्यक्ष
                                                    दिनांक 2-9-2014

 

 
 
[HON'BLE MR. jagdishwar Singh]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Markandey singh]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. Munni Devi Maurya]
MEMBER

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