Uttar Pradesh

Faizabad

CC/34/2008

MANOJ KUMAR - Complainant(s)

Versus

L.I.C - Opp.Party(s)

08 Feb 2016

ORDER

DISTRICT CONSUMER DISPUTES REDRESSAL FORUM
Judgement of Faizabad
 
Complaint Case No. CC/34/2008
 
1. MANOJ KUMAR
RES- SADAR BAJAR THANA KENT DIS FZD
...........Complainant(s)
Versus
1. L.I.C
FAIZABAD
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL PRESIDENT
 HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA MEMBER
 HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद । 
        
    
    

़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़                     ़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़उपस्थितिः-(1) श्री चन्द्र पाल अध्यक्ष

                            (2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
                            (3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य


               परिवाद सं0-34/2008

मनोज कुमार पुत्र श्री रमाशंकर निवासी सदर बाजार थाना कैन्ट जिला फैजाबाद।                                      .................... परिवादी

                    बनाम

    भारतीय जीवन बीमा निगम फैजाबाद द्वारा प्रबन्धक जीवन बीमा निगम शाखा फैजाबाद                                ................. विपक्षी

    निर्णय दि0 08.02.2016
                                                             

                  निर्णय

उद्घोषित द्वाराः-श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष


    परिवादी ने यह परिवाद विपक्षी के विरूद्ध बीमा की रकम दुर्घटनाहित लाभ सहित दिलाये जाने हेतु योजित किया है।

    संक्षेप में परिवादी का परिवाद इस प्रकार है कि परिवादी की पत्नी श्रीमती नीतू साहू ने अपना जीवन बीमा दि0 28.03.2006 को बीमा गोल्ड पाॅलिसी सं0-215301077 तालिका सं0-174-20  जीवन  बीमा निगम शाखा फैजाबाद में करवाया था, जिसका 

 

 

                     (  2  )

बीमाधन मु0 50,000=00 तथा जिसकी प्रीमियम परिवादी की पत्नी बराबर समय-समय पर भुगतान करती रही है। उपरोक्त पाॅलिसी में परिवादी नाॅमिनी है। दि0 28.05.2007 को रात्रि लगभग 11.30 बजे अपने एक साल के बच्चे के लिए दूध गर्म करते समय परिवादी की पत्नी आकस्मिक दुर्घटनावश जल गयी, जिसके उपचार हेतु परिवादी ने अपने पत्नी को जिला अस्पताल फैजाबाद ले गया। यहाॅं दो दिन इलाज चलता रहा इस बीच परिवादी की पत्नी का मैजि0 द्वारा बयान भी लिया गया है उसके बाद गम्भीर स्थिति होने के कारण लखनऊ श्यामा प्रसाद मुखर्जी अस्पताल रिफर किया गया। वहाॅं अथक प्रयास के पश्चात् भी दि0 05.06.2007 को परिवादी की पत्नी श्रीमती नीतू साहू की मृत्यु हो गयी। परिवादी ने जीवन बीमा निगम शाखा फैजाबाद के प्रबन्धक को दुर्घटना सहित मृत्यु दावा की धनराशि के लिए प्रार्थना-पत्र दिया किन्तु बिना कोई कारण बताये हुए जीवन बीमा निगम फैजाबाद ने मात्र जमा प्रीमियम दुर्घटना हित लाभ काटकर मु0 3,924=00 चेक सं0-13965 यू0टी0आई0 बैंक शाखा फैजाबाद परिवादी के नाम नाॅमिनी होने के कारण दिया। परिवादी की पत्नी श्रीमती नीतू साहू की मृत्यु आकस्मिक दुर्घटनावश जल जाने के कारण हुई है। 

    विपक्षी ने अपने जवाब में कहा कि श्रीमती नीतू साहू को तालिका संख्या-174, बीमा गोल्ड पाॅलिसी के अन्तर्गत पाॅलिसी सं0-215301077 का मूल पाॅलिसी बाण्ड दि0 29.04.2006 को जारी कर दिया गया। उक्त बाण्ड पर पाॅलिसी की अन्य शर्तो के साथ-साथ क्लाज (4बी) जिसका हिन्दी में स्पष्ट अंकन एक अतिरिक्त मोहर के साथ कर दिया गया था। इस पाॅलिसी के अन्तर्गत भुगतान किये गये प्रीमियमों की कुल राशि (अतिरिक्त प्रीमियमों को छोड़कर यदि कोई हो) के बराबर राशि तक ही सीमित होगा बशर्ते यदि बीमेदार इस पाॅलिसी के आरम्भ होने की तिथि से एक वर्ष की अवधि की समाप्ति के पूर्व आत्महत्या करता है तो पाॅलिसी के पृष्ठ भाग पर आत्महत्या शीर्षक के अन्तर्गत मुद्रित धारा के प्राविधान लागू होंगे। यदि किसी महिला की मृत्यु किसी दुर्घटना के कारण होती है जो सार्वनिक स्थान पर न होकर घर में हुई हो और वह पाॅलिसी के चलने के तीन वर्षो के भीतर होती है। तो बीमा के नियमों के अनुसार इस प्रकार की मृत्यु को इन्टेंशनल सेल्फ इन्जरी माना जाता है तथा ऐसी परिस्थिति में नाॅमिनी को सिर्फ जमा प्रीमियम की वापसी अतिरिक्त प्रीमियम 

 

 


                    (  3  )

को काट कर बिना किसी ब्याज के हो सकती है जिसे विपक्षी ने परिवादी को समय से कर दिया है। इसलिए उक्त वाद न्यायालय श्रीमान् जी में चलने योग्य न होने कारण निरस्त होना चाहिए। 

    मैं परिवादी के विद्वान अधिवक्ता तथा विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता की बहस सुनी। पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्य का अवलोकन किया। परिवाद के अनुसार नीतू साहू ने पाॅलिसी नं0-215301077 तालिका नं0-174-20 मु0 50,000=00 का दि0 28.03.2006 को लिया, जिसकी वार्षिक किश्त थी। जिसमें दुर्घटना हितलाभ राइडर बीमा धन मु0 50,000=00 का था। जिसकी प्रीमियम मु0 2012=00 थी। इस परिवाद में परिवादी मृतका नीतू का नाॅमिनी है। नीतू की मृत्यु अचानक आग लग जाने से दुर्घटनावश लखनऊ में श्यामा प्रसाद मुखर्जी अस्पताल में इलाज के दौरान हो गयी। विपक्षी ने बीमा पाॅलिसी के उप धारा(4बी) के अनुसार मृत्यु के एक वर्ष के अन्दर धन की वापसी बनती है। पैसा दिया गया। यह पैसा बीमा प्रीमियम की वापसी अतिरिक्त प्रीमियम को काट कर बिना ब्याज के दिया गया। यहाॅं पर विवाद यह है कि मृतका श्रीमती नीतू साहू की बीमा गेल्ड पाॅलिसी जो मु0 50,000=00 की थी उसमें दुर्घटना हितलाभ राइडर बीमाधन मु0 50,000=00 मिलेगा। वह केवल जो प्रीमियम जमा किया है उसके अतिरिक्त प्रीमियम को काटकर बिना ब्याज के ही दिया जायेगा। परिवादी की ओर से यह तर्क प्रेषित किया गया कि बीमा गोल्ड पाॅलिसी राधा कनौजिया को दि0 26.03.2006 को दी गयी। इसी वर्ष मृतका श्रीमती नीतू साहू को भी पाॅलिसी दी गयी थी। राधा कनौजिया की बीमा पाॅलिसी सं0-215303920 है। इसमें (4बी) में कोई सील नहीं लगायी गयी। बीमा कम्पनी ने परिवादी के पत्नी की पाॅलिसी में सील बाद में लगायी है इसलिए परिवादी के साथ यह धोखा किया गया है। जो पाॅलिसी परिवादी को दी गयी है उसमें सील नहीं लगी है। इस सील के अनुसार इसमें किसी विपरीत उल्लेख के बावजूद एतद् द्वारा एकमत होकर यह घोषणा की जाती है कि यदि इस पाॅलिसी के अन्तर्गत जोखिम प्रारम्भ होने की तिथि पर या उसके बाद किन्तु इसी पालिसी की तिथि से 3 वर्ष समाप्त होने के पूर्व किसी समय बीमादार की मृत्यु जानबूझ कर आत्मघात, आत्महत्या, आत्महत्या का प्रयास, उन्माद, जन स्थान में दुर्घटना के अलावा अन्य दुर्घटना या हत्या के फलस्वरूप हो जाती है तो निगम का दायित्व  इस  पालिसी  के  अन्तर्गत  अदा किये गये प्रीमियमों (यदि कोई अतिरिक्त 

 

 

                    (  4  )

प्रीमियम हो तो उसे छोड़कर) की ब्याज सम्पूर्ण धनराशि के बराबर की राशि तक सीमित रहेगा बशर्ते पाॅलिसी की तिथि से लेकर एक वर्ष समाप्त होने के पूर्व बीमादार की आत्महत्या कर लेने के मामले में इस पाॅलिसी के पृष्ठ भाग पर ’’आत्महत्या’’ शीर्षक के अन्तर्गत उपलब्ध की व्यवस्थायें लागू होगी तथा परिवादी की ओर से आन्ध्रप्रदेश राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग हैदराबाद ने नान्नापनेनी गंगाधर राव बनाम डिवीजनल मैनेजर, नेशनल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड तथा अन्य प्प् ;1993द्ध  सी0पी0जे0 641 को प्रेषित किया गया। मैंने उसको अवलोकित किया। इस केस में विपक्षी द्वारा नीतू साहू का बीमा होना स्वीकार है तथा नीतू साहू का आग लगने से मृत्यु होना तथा पोस्ट मार्टम होना भी स्वीकार है। जब किसी व्यक्ति का बीमा किया जाता है तो अभिकर्ता प्रपोजल फार्म भरता है और प्रपोजल स्वीकार होने के उपरान्त् बीमा पाॅलिसी जारी की जाती है और एक पाॅलिसी की प्रति बीमा कम्पनी में रहती है और एक पाॅलिसी की प्रति बीमाधारक को भेजी जाती है। इस केस में प्रपोजल फार्म कागज सं0-6/8 लगायत 6/9 है। धारा-(2) (ब) के अनुसार क्या दुर्घटना हितलाभ की आवश्यकता है। इसमें नीचे लिखा है हाॅं। इसी प्रकार बीमा पाॅलिसी की प्रमाणित प्रति 6/10 लगायत 6/11 विपक्षी ने दाखिल किया है जिसमें सील लगायी गयी है जो इस प्रकार हैः-इसमें किसी विपरीत उल्लेख के बावजूद एतद् द्वारा एकमत होकर यह घोषणा की जाती है कि यदि इस पालिसी के अन्तर्गत जोखिम प्रारम्भ होने की तिथि पर या उसके बाद किन्तु इसी पालिसी की तिथि से 3 वर्ष समाप्त होने के पूर्व किसी समय बीमादार की मृत्यु जानबूझ कर आत्मघात, आत्महत्या, आत्महत्या का प्रयास, उन्माद, जन स्थान में दुर्घटना के अलावा अन्य दुर्घटना या हत्या के फलस्वरूप हो जाती है तो निगम का दायित्व इस पालिसी के अन्तर्गत अदा किये गये प्रीमियमों (यदि कोई अतिरिक्त प्रीमियम हो तो उसे छोड़कर) की ब्याज सम्पूर्ण धनराशि के बराबर की राशि तक सीमित रहेगा बशर्ते पालिसी की तिथि से लेकर एक वर्ष समाप्त होने के पूर्व बीमादार की आत्महत्या कर लेने के मामले में इस पाॅलिसी के पृष्ठ भाग पर ’’आत्महत्या’’ शीर्षक के अन्तर्गत उपलब्ध की व्यवस्थायें लागू होगी, लेकिन नीतू साहू ने जो बीमा पाॅलिसी की प्रति दी है उसमें सील नहीं लगी हुई है। इससे स्पष्ट है कि जब नीतू साहू का बीमा किया गया उस समय सील नहीं लगायी गयी थी। बीमा पाॅलिसी की विशेष प्रावधान की धारा-2 के 

 

 

                    (  5  )

तहत यदि उसका दुर्घटना हितलाभ बीमाधन के लिए विकल्प दिया है तो पाॅलिसी धनराशि के बराबर दुर्घटना हितलाभ मिलेगा। इसी प्रकार धारा-10 में दी गयी शर्तो के अनुसार जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है और किश्त दिया है और पाॅलिसी चलती रहती है तो जितनी धनराशि की पाॅलिसी है उतना ही दुर्घटना हितलाभ मिलेगा। इस प्रकार विपक्षी द्वारा जो सील लगा करके पाॅलिसी दाखिल की गयी है वह सील गलत है और बाद में लगायी गयी है। इस प्रकार मृतका नीतू साहू के नाॅमिनी परिवादी मु0 50,000=00 बीमाधन तथा दुर्घटना हितलाभ मु0 50,000=00 पाने का अधिकारी है। इस प्रकार परिवादी का परिवाद विपक्षी के विरूद्ध अंशतः स्वीकार तथा अंशतः खारिज किये जाने योग्य है।

                               आदेश

            परिवादी का परिवाद अंशतः स्वीकार तथा अंशतः खारिज किया जाता है। परिवादी मु0 50,000=00 बीमा धनराशि तथा मु0 50,000=00 दुर्घटना हितलाभ कुल मु0 1,00,000=00 विपक्षी से प्राप्त करने का अधिकारी है। विपक्षी यह धनराशि निर्णय एवं आदेश की तिथि से एक माह के अन्दर परिवादी को अदा करें। यदि उक्त दिये गये समय के अन्दर विपक्षी उक्त धनराशि को परिवादी को अदा नहीं करता है तो उक्त धनराशि पर 12 प्रतिशत सालाना साधारण ब्याज निर्णय एवं आदेश की तिथि से तारोज वसूली देय होगा। इसके अतिरिक्त परिवादी विपक्षी से वाद व्यय मु0 3,000=00 तथा मानसिक क्षतिपूर्ति मु0 5,000=00 भी प्राप्त करेगा। 

 

   (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)              (चन्द्र पाल)              
            सदस्य                सदस्या                       अध्यक्ष     
     
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 08.02.2016 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया  गया।


        (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)              (चन्द्र पाल)           
      सदस्य                 सदस्या                      अध्यक्ष    

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY]
MEMBER

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