न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, चन्दौली।
परिवाद संख्या 14 सन् 2016ई0
मालती देवी पत्नी स्व0 मुन्ना शर्मा उम्र लग041 वर्ष निवासी ग्राम हिनौली पो0 मुगलसराय जिला चन्दौली।
...........परिवादिनी बनाम
1-शाखा प्रबन्धक भारतीय जीवन बीमा निगम शाखा मुगलसराय जिला चन्दौली।
2-वरिष्ठ शाखा प्रबन्धक भारतीय जीवन बीमा निगम मण्डलीय कार्यालय जीवन प्रकाश पो0 बाक्स नं0 1155बी.12/120 गौरीगंज वाराणसी।
.............................विपक्षीगण
उपस्थितिः-
रामजीत सिंह यादव, अध्यक्ष
लक्ष्मण स्वरूप सदस्य
निर्णय
द्वारा श्री रामजीत सिंह यादव,अध्यक्ष
1- परिवादिनी ने यह परिवाद विपक्षीगण से बीमाधान,रू0 62500/-शारीरिक एवं मानसिक क्षति की क्षतिपूर्ति हेतु रू0 30000/-व वाद व्यय एवं भागदौड में हुए खर्च हेतु रू0 15000/-कुल रू0 107500/- की क्षतिपूर्ति दिलाये जाने हेतु प्रस्तुत किया है।
2- संक्षेप में परिवादिनी का अभिकथन है कि परिवादिनी के पति स्व0 मुन्ना शर्मा ने विपक्षी के यहॉं से अपने जीवन काल में बीमा कराया था जिसकी पालिसी संख्या 285762705 है जिसका प्रीमियम समयानुसार जमा किया जाता रहा है। उक्त पालिसी में परिवादिनी नामिनी थी। दिनांक 5-1-2015 को परिवादिनी के पति स्व0 मुन्ना शर्मा की नाले में गिरने के कारण मृत्यु हो गयी। परिवादिनी ने अपने पति द्वारा कराये गये बीमा पालिसी, में लिखित दुर्घटना बीमा राशि रू0 62500/-तथा दुर्घटना बीमा राशि रू0 62500/- को प्राप्त करने हेतु सम्पूर्ण कागजात के साथ विपक्षी के कार्यालय में प्रार्थना पत्र दिया और मांग किये गये सम्पूर्ण आवश्यक कागजात उपलब्ध करायी। परिवादिनी द्वारा बीमा कम्पनी में प्रार्थना पत्र देने के उपरान्त बीमा कम्पनी ने परिवादिनी के बचत खाते में साधारण बीमा धनराशि रू0 62500/- का भुगतान कर दिया।तत्पश्चात परिवादिनी दुर्घटना बीमा धन प्राप्त करने हेतु विपक्षी के कार्यालय में गयी तो विपक्षी संख्या 1 द्वारा बताया गया कि दुर्घटना बीमा धनराशि की स्वीकृति हेतु विपक्षी संख्या 2 के यहॉं भेज दिया गया है। परिवादिनी विपक्षी के कार्यालय में दुर्घटना बीमा हितलाभ प्राप्त करने हेतु कार्यालय में दौडती रही। तत्पश्चात परिवादिनी को विपक्षी द्वारा प्रेषित पत्र दिनांक 28-12-2015 प्राप्त हुआ,जिसमे बताया गया था कि परिवादिनी के पति की नशे के हालत में गन्दे नाले में गिरने के कारण मृत्यु हुई है। इस आधार पर दुर्घटना हित लाभ निरस्त किया जाता है। परिवादिनी के पति मुन्ना शर्मा नशे की हालत में नहीं थे। विपक्षी बीमा कम्पनी पैसा हडपने की नीयत से परिवादिनी के पति को नशे की हालत में अपने पत्र में मनगढंत आधार पर बताते हुए दावा निरस्त किया है जबकि थाना जांच आख्या एवं पोस्टमार्टम रिर्पोट में यह कही नहीं दर्शाया गया है। बीमा
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कम्पनी द्वारा दावा खारिज करने से परिवादिनी को काफी शारीरिक,मानसिक व आर्थिक क्षति हुई है। अतः उसने क्षतिपूर्ति हेतु यह परिवाद दाखिल किया है।
3- विपक्षी की ओर से जबाबदावा प्रस्तुत करके संक्षेप में कथन किया गया है कि परिवादिनी ने यह परिवाद असलियत को छिपाकर गलत तथ्यों के आधार पर दाखिल किया है जो खारिज किये जाने योग्य है। बीमापालिसी संख्या 285762705पालिसी धारक मुन्ना शर्मा द्वारा दिनांक 26-12-2008 को रू0 62500/- की ली गयी थी। जिसकी तिमाही किस्त रू0 766/- पालिसी धारक द्वारा जमा किया जाता रहा है। बीमाधारक की मृत्यु दिनांक 5-1-2015 को हो जाने पर पालिसी में नामिनी परिवादिनी मालती देवी द्वारा बीमाधन प्राप्त करने हेतु आवेदन किया। आवेदन पत्र प्राप्त होने पर दिनांक 2-6-2015 को मूल बीमाधन की राशि बोनस सहित रू0 78258/- का भुगतान जरिये चेक संख्या 9999999 दिनांक 4-6-2015 इस शर्त के साथ भुगतान किया गया कि परिवादिनी मालती देवी भविष्य में कोई विवाद या अन्य कोई हित लाभ प्राप्त नहीं करेगी। दुर्घटना हित लाभ के दावे के भुगतान हेतु परिवादिनी को मण्डल कार्यालय भेलूपुर द्वारा निर्णय किये जाने पर ही भुगतान किये जाने की बात जुबानी तौर पर बता दिया गया था। परिवादिनी के पति स्व0 मुन्ना शर्मा की मृत्यु अत्यधिक शराब पीकर गन्दे नाले में गिर कर डुबकर हुई है जैसा कि प्रथम सूचना रिर्पोट पुलिस थाना कोतवाली मुगलसराय व संलग्न पोस्टमार्टम रिर्पोट में अंकित है। साथ ही कोतवाली पुलिस थाना मुगलसराय द्वारा अन्तिम जांच व केस डायरी में भी शराब पीकर गन्दे नाले में गिरकर मृत्यु होना लिखा गया है। परिवादिनी को दुर्घटना हित लाभ धनराशि दिलाये जाने हेतु विभागीय जांच दिनांक 7-10-2015 को गोपनीय तरीके से करायी गयी जिसकी रिर्पोट प्राप्त होने पर ऐसा ज्ञात हुआ है कि प्रथम सूचना रिर्पोट व पोस्टमार्टम की आख्या सच व सही है। विपक्षी के मण्डल कार्यालय द्वारा परिवादिनी को दिनांक 28-12-2015 को पंजीकृत डाक द्वारा दुर्घटना हित लाभ सम्बन्धी प्रार्थना पत्र को निरस्त किये जाने की सूचना स्पष्ट रूप से दे दी गयी थी। परिवादिनी के पति स्व0 मुन्ना शर्मा शराब पीने के आदी थे और शराब पीकर गन्दे नाले में गिर कर डुबने से उनकी मृत्यु होना प्रथम दृष्टया साबित व जाहिर है। अतः परिवादिनी कोई आर्थिक लाभ पाने की अधिकारिणी नहीं है उसने विपक्षी को अनावश्यक रूप से क्षति पहुंचाने की गरज से यह परिवाद दाखिल किया है जो निरस्त किये जाने योग्य है तथा परिवादिनी को आर्थिक रूप से दण्डित किया जाना आवश्यक है।
4- परिवादिनी की ओर से अपने परिवाद के समर्थन में परिवादिनी मालती देवी का शपथ पत्र दाखिल किया गया है तथा दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में फेहरिस्त के साथ पालिसी बाण्ड की छायाप्रति,विपक्षी द्वारा परिवादिनी को उसका दावा निरस्त करने के सम्बन्ध में प्रेषित पत्र दिनांकित 28-12-2015 पत्र की मूल प्रति,जी0डी0 नकल की छायाप्रति,पोस्टमार्टम रिर्पोट की छायाप्रति,थाना कोतवाली मुगलसराय की रिर्पोट की छायाप्रति दाखिल की गयी है।विपक्षी की ओर से रविप्रकाश श्रीवास्तव
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प्रबन्धक (विधि) का शपथ पत्र दाखिल किया गया है, तथा दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में फेहरिस्त के साथ पालिसी स्टेट्स की छायाप्रति,किस्त जमा करने की रसीद दिनांकित 23-12-2014 की छायाप्रति,परिवादिनी का दावा खारिज करने की सूचना दिनांकित 28-12-2015 की छायाप्रति,थाना कोतवाली मुगलसराय की रिर्पोट की छायाप्रति,जी0डी0 थाना कोतवाली मुगलसराय की छायाप्रति,पोस्टमार्टम रिर्पोट की छायाप्रति,मृत्यु दावा समीक्षा पत्रक की छायाप्रति,दावा जांच रिर्पोट (गोपनीय) की छायाप्रति दाखिल की गयी है।
5- उभय पक्ष द्वारा लिखित बहस दाखिल की गयी है इसके अतिरिक्त पक्षकारों की मौखिक बहस भी सुनी गयी है। पत्रावली का पूर्ण रूप से सम्यक अवलोकन किया गया।
6- प्रस्तुत मामले में यह स्वीकृत तथ्य है कि परिवादिनी मालती देवी के पति स्व0 मुन्ना शर्मा ने विपक्षी भारतीय जीवन बीमा निगम में अपना रू0 62500/- का बीमा कराया था जिसकी प्रीमियम नियमानुसार जमा किया जाता रहा और परिवादिनी का नाम उक्त बीमा पालिसी में नामिनी के रूप में है। यह भी स्वीकृत तथ्य है कि परिवादिनी के पति मुन्ना शर्मा की मृत्यु नाले में गिरने के कारण हो गयी है और उनके मृत्यु के बाद परिवादिनी द्वारा क्लेम दाखिल किया गया जिसके आधार पर विपक्षी द्वारा परिवादिनी को बीमा धनराशि रू0 62500/- का भुगतान कर दिया गया है और मौखिक रूप से परिवादिनी को यह बताया गया कि दुर्घटना हित लाभ रू0 62500/- के सम्बन्ध में भारतीय जीवन बीमा निगम के मण्डलीय कार्यालय द्वारा निर्णय किये जाने के बाद उक्त पैसा प्राप्त होगा।
7- पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य से यह स्पष्ट है कि विपक्षी बीमा कम्पनी ने अपने पत्र दिनांक 28-12-2015 द्वारा परिवादिनी को सूचित किया कि भारतीय जीवन बीमा निगम के पास इस तथ्य को प्रमाणित करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य है कि मृतक बीमादार शराब पीने का आदी था और शराब पीकर गन्दे नाले में गिरने के कारण हुई दुर्घटना में मृत्यु होने के कारण पालिसी शर्तो के अनुसार दुर्घटना हित लाभ के दावे को निरस्त करने का निर्णय लिया गया है। अतः प्रस्तुत मामले में मुख्य विवाद यही है कि क्या परिवादिनी के पति स्व0 मुन्ना शर्मा शराब पीने के आदी थे और दुर्घटना के समय भी शराब पीकर गन्दे नाले में गिरने के कारण उनकी मृत्यु हुई है या फिर दुर्घटना वश नाले में गिर जाने के कारण डूबकर उनकी मृत्यु हुई है। चूंकि विपक्षीगण की ओर से परिवादिनी का दावा इस आधार पर निरस्त किया गया है कि विपक्षीगण के पास इस तथ्य को प्रमाणित करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य है कि मृतक बीमेदार शराब पीने का आदी था और शराब पीकर गन्दे नाले में गिरने के कारण हुई दुर्घटना में उसकी मृत्यु हुई है। अतः उपरोक्त तथ्य को फोरम के समक्ष सिद्ध करने का भार मूल रूप से विपक्षीगण पर ही है क्योंकि परिवादिनी ने अपने परिवाद में स्पष्ट रूप से कहा है कि उसके पति मुन्ना शर्मा नशे की हालत में नहीं थे और बीमा कम्पनी ने पैसा हडपने की नियत से मनगढंत आधार पर परिवादिनी के पति को नशे की हालत में बताकर परिवादिनी का दावा
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निरस्त किया है, अपने शपथ पत्र में भी परिवादिनी ने यही बात कही है। विपक्षीगण ने अपने जबाबदावा के पैरा-5 में भी यही कहा है कि ’’ परिवादिनी के पति स्व0 मुन्ना शर्मा की मृत्यु अत्यधिक शराब पीकर गन्दे नाले में गिरकर डूबकर हुई है जैसा कि प्रथम सूचना रिर्पोट,पुलिस थाना कोतवाली मुगलसराय व संलग्न पोस्टमार्टम रिर्पोट में अंकित व दर्शित है साथ ही पुलिस थाना कोतवाली मुगलसराय द्वारा अन्तिम जांच व केस डायरी में भी शराब पीकर गन्दे नाले में गिरकर मृत्यु होना लिखा गया है।’’किन्तु पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य के परिशीलन से विपक्षीगण के उपरोक्त अभिकथनों की पुष्टि नहीं होती है क्योंकि स्वयं विपक्षी की ओर से थाना मुगलसराय चन्दौली की जो रिर्पोट दाखिल की गयी है उसमे कहीं यह नहीं कहा गया है कि परिवादिनी के पति मुन्ना शर्मा की मृत्यु शराब पीकर नाले में गिरने के कारण हुई थी बल्कि इसमें यह कहा गया है कि परिवादिनी के पति की मृत्यु अचानक नाले में गिरने से हो गयी थी इससे यही निष्कर्ष निकलता है कि परिवादिनी के पति की मृत्यु अचानक दुर्घटनावश नाले में गिर जाने के कारण नाले में डूबकर हो गयी। इसी प्रकार विपक्षी की ओर से परिवादिनी के पति की जो पोस्टमार्टम रिर्पोट दाखिल की गयी है उसमे भी कही इस बात का उल्लेख नहीं है कि परिवादिनी के मृतक पति शराब पीये हुए थे और पोस्टमार्टम रिर्पोट में भी मृत्यु का कारण मृत्यु पूर्व डूबने के फलस्वरूप दम घुटने से होना प्रदर्शित है।इसी प्रकार स्वयं विपक्षी की ओर से विपक्षी भारतीय जीवन बीमा निगम के जांचकर्ता श्री ओमप्रकाश की जो दावा जांच रिर्पोट(गोपनीय) कागज संख्या 9ग/13 ता 9ग/16 के रूप में दाखिल है उसमें भी विपक्षी भारतीय जीवन बीमा निगम के जांचकर्ता ओमप्रकाश ने भी जांच के उपरान्त स्पष्ट रूप से यह लिखा है कि रात्रि में लगभग 10 बजे परिवादिनी के पति आटो चलाकर आ रहे थे,और गांव के पास एक नाला था जहॉं वे बाथरूम करने के लिए गये तो उसमे गिर गये जिसके कारण उनकी मृत्यु हो गयी, आत्महत्या का संदेह नहीं है, उन्होंने अन्तिम निष्कर्ष के रूप में भी यही कहा है कि नाला में गिरने से जाडे की भयंकर रात थी जिसके कारण दुर्घटना में मृत्यु हुई है। अतःदावा का भुगतान किया जा सकता है। इस प्रकार स्वयं विपक्षी द्वारा दाखिल उपरोक्त अभिलेखों से भी यही निष्कर्ष निकलता है कि विपक्षी के जांचकर्ता ने भी जांच में यहीं पाया है कि परिवादिनी के पति की मृत्यु दुर्घटना वश नाले में गिरने के कारण डुबकर हुई है और दावा का भुगतान किया जा सकता है इसके अतिरिक्त इस सम्बन्ध में विपक्षी की ओर से अन्य कोई विश्वसनीय साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है। जबाबदावा के पैरा-5 में विपक्षीगण द्वारा यह कहा गया है कि थाना कोतवाली मुगलसराय की पुलिस द्वारा अन्तिम जांच व केस डायरी में शराब पीकर गन्दे नाले में गिरकर मृत्यु होना लिखा गया है लेकिन विपक्षी की ओर से थाना मुगलसराय की कोई अन्तिम जांच या केस डायरी का कागज दाखिल नहीं है थाने की जो एक मात्र रिर्पोट दाखिल है उसमे भी बीमादार की मृत्यु शराब पीकर होने की बात नहीं लिखी गयी है।
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8- विपक्षीगण के अधिवक्ता द्वारा यह तर्क दिया गया है कि विपक्षी की ओर से तथा स्वयं परिवादिनी की ओर से जो जी0डी0 नकल(फौती रिर्पोट) की छायाप्रति दाखिल की गयी है उसमे मृतक बीमेदार के भाई द्वारा थाने पर यह सूचना दी गयी है कि मृतक बीमेदार कई वर्षो से शराब पीने का आदी था और वह शराब पीकर गन्दे नाले के पुलिया पर बैठा था और नाले में गिर जाने के कारण नाले के पानी में डूबने से उसकी मृत्यु हो गयी है। अतः इससे यह बात भलीभांति सिद्ध हो जाती है कि बीमेदार की मृत्यु शराब पीकर नाले में गिरने के फलस्वरूप डुबने से हुई है ऐसी स्थिति में परिवादिनी दुर्घटना हित लाभ पाने की अधिकारिणी नहीं है किन्तु फोरम की राय में विपक्षी के अधिवक्ता के उपरोक्त तर्को में बल नहीं पाया जाता है क्योंकि विधि का यह सुस्थापित सिद्धान्त है कि प्रत्येक पक्ष का यह दायित्व है कि वह अपने अभिकथनों को सर्वोत्तम साक्ष्य द्वारा सिद्ध करें। प्रस्तुत मामले में विपक्षीगण ने अपने जबाबदावा के पैरा-5 में यह अभिकथन किया गया है कि बीमादार की मृत्यु अत्यधिक शराब पीकर गन्दे नाले में गिरकर डुबकर हुई है जैसा कि प्रथम सूचना रिर्पोट पुलिस थाना कोतवाली मुगलसराय व संलग्न पोस्टमार्टम रिर्पोट तथा पुलिस थाना कोतवाली मुगलसराय की अन्तिम जांच आख्या व केस डायरी में उल्लिखित है किन्तु जैसा कि ऊपर विवेचन किया जा चुका है कि न तो पोस्टमार्टम रिर्पोट में बीमादार के शराब पीने का कोई उल्लेख है न थाना कोतवाली मुगलसराय की रिर्पोट में ऐसा कोई उल्लेख है और विपक्षी द्वारा कोई अन्तिम जांच आख्या या केस डायरी की नकल दाखिल नहीं की गयी है जिससे उसके अभिकथनों की पुष्टि हो सके। स्वयं विपक्षी भारतीय जीवन बीमा निगम के जांचकर्ता ओमप्रकाश की जो गोपनीय जांच आख्या स्वयं विपक्षी ने दाखिल की है उसमे भी इस बात का कोई उल्लेख नहीं है कि बीमदार दुर्घटना के समय शराब पीये हुए थे और शराब के नशे में नाले में गिरने के कारण डूबकर उसकी मृत्यु हुई है बल्कि इस रिर्पोट में यह कहा गया है कि घटना के समय 10 बजें रात को बीमादार आटो चलाकर आ रहा था और गांव के पास एक नाला है जहॉं वह बाथरूम करने निकला तो नाले में गिरने के कारण उसकी मृत्यु हो गयी। जांचकर्ता ने स्पष्ट रूप से यही निष्कर्ष दिया है कि नाला में गिरने से जाडे की भयंकर रात के कारण दुर्घटना में बीमादार की मृत्यु हुई है। अतः दावा का भुगतान किया जा सकता है। यहॉं यह तथ्य भी उल्लेखनीय है कि जांचकर्ता की यह रिर्पोट दिनांक 24-4-2015 की है। विपक्षी की ओर से जो मृत्यु दावा समीक्षा पत्रक की छायाप्रति कागज संख्या 9ग/12 के रूप में दाखिल है उसमे इस बात का उल्लेख है कि प्रथम सूचना रिर्पोट,पोस्टमार्टम रिर्पोट व पंचनामा के अवलोकन से यह पता चलता है कि बीमेदार शराब पीने का आदी था नशे की हालत में गन्दे नाले में गिर जाने के कारण डूबने से उसकी मृत्यु हो गयी किन्तु विपक्षी की ओर से प्रस्तुत मामले में कोई पंचनामा या प्रथम सूचना रिर्पोट की नकल दाखिल नहीं है बल्कि केवल फौती रिर्पोट ही दाखिल है। जब स्वयं विपक्षी के जांचकर्ता ने अपनी जांच के उपरान्त यह पाया कि बीमेदार की मृत्यु दुर्घटना के फलस्वरूप हुई है और बीमा दावा का भुगतान किया जा सकता है तब किन परिस्थितियों में और किस साक्ष्य के आधार पर विपक्षीगण ने
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परिवादिनी का क्लेम खारिज किया यह स्पष्ट नहीं है औरइससे यही निष्कर्ष निकलता है कि जांचकर्ता की स्पष्ट आख्या के बावजूद बिना किसी सम्यक साक्ष्य के विपक्षीगण द्वारा परिवादिनी का क्लेम खारिज किया है। क्योंकि फोरम की राय में मात्र फौती रिर्पोट में बीमेदार की शराब पीने के आदी होने की बात के आधार पर यह सिद्ध नहीं होता कि दुर्घटना के समय बीमेदार शराब के नशे में था और नशे की हालत में नाले में गिरने के कारण उसकी मृत्यु हुई। क्योंकि यदि उस समय वह शराब पीये होता तो पोस्टमार्टम रिर्पोट में इसका उल्लेख होना चाहिए था जो नहीं है और न ही विपक्षीगण की ओर से ऐसा किसी चश्मदीद व्यक्ति का साक्ष्य दाखिल किया गया है जिसने दुर्घटना के समय बीमेदार को शराब पीकर नशे की हालत में नाले में गिरते हुए देखा हो। स्वयं विपक्षी के जांचकर्ता ने बीमेदार की मृत्यु दुर्घटना वश नाले में गिरने के कारण होना पाया है। अतः सम्पूर्ण तथ्यों एवं परिस्थितियों को देखते हुए फोरम की राय में विपक्षीगण ने बिना किसी पर्याप्त आधार के परिवादिनी का क्लेम खारिज किया है। अतः परिवादिनी बीमा पालिसी के अनुसार दुर्घटना हित लाभ रू0 62500/- प्राप्त करने की अधिकारिणी पायी जाती है। मुकदमें के तथ्यों एवं परिस्थितियों को देखते हुए परिवादिनी को हुई शारीरिक व मानसिक क्षति की क्षतिपूर्ति के रूप में रू0 5000/- तथा वाद व्यय एवं भागदौड के खर्च के रूप में रू0 2000/- दिलाया जाना न्यायोचित होता है और इस प्रकार परिवादिनी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य पाया जाता है।
आदेश
परिवादिनी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वे आज से 2 माह के अन्दर परिवादिनी को बीमा दुर्घटना हित लाभ के रूप में रू0 62500/-(बासठ हजार पांच सौ), परिवादिनी को हुई शारीरिक एवं मानसिक क्षति की क्षतिपूर्ति हेतु रू0 5000/-(पांच हजार) तथा वाद व्यय एवं भागदौड के खर्च के रूप में रू0 2000/-(दो हजार) अर्थात कुल रू0 69500/-(उनहत्तर हजार पांच सौ) अदा करें। यदि विपक्षीगण उपरोक्त अवधि में परिवादिनी को उक्त धनराशि का भुगतान नहीं करते है तो परिवादिनी निर्णय की तिथि से पैसा प्राप्त होने की तिथि तक उपरोक्त धनराशि पर 8 प्रतिशत साधारण वार्षिक व्याज भी प्राप्त करने की अधिकारिणी होगी।
(लक्ष्मण स्वरूप) (रामजीत सिंह यादव)
सदस्य अध्यक्ष
दिनांकः24-8-2017