जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
महावीर प्रसाद रैगर पुत्र श्री सुक्खा रैगर, जाति- रेगर(बांगरोलिया)वीपीओ प्राणहेडा, तहसील- केकड़ी, जिला-अजमेर ।
- प्रार्थी
बनाम
1. भारतीय जीवन बीमा निगम जरिए षाखा प्रबन्धक,षाखा कार्यालय, भारतीय जीवन बीमा निगम, केकड़ी, जिला- अजमेर ।
2. मण्डलीय प्रबन्धक, मण्डलीय कार्यालय, जीवन प्रकाष, रानाडे मार्ग, पोस्ट बाक्स नं.2, अजमेर ।
- अप्रार्थीगण
परिवाद संख्या 449/2013
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री संदीप षर्मा, अधिवक्ता, प्रार्थी
2.श्री कृष्ण अवतार खण्डेलवाल,अधिवक्ता अप्रार्थी बीमा निगम
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः- 10.08.2016
1. प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हंै कि उसने अप्रार्थी बीमा निगम से रू. 1,00,000/- की बीमा पाॅलिसी संख्या 1876011502 जीवन आनन्द लाभ सहित प्राप्त की । दिनंाक 28.1.2012 को दुर्घटना में घायल होने पर उसकी जीवनरक्षा के लिए उसका बांया हाथ कोहनी के नीचे काटकर षरीर से अलग कर दिया गया । इस घटना की सूचना अप्रार्थी बीमा निगम को देते हुए समस्त औपचारिकताएं पूरी कर क्लेम पेष किया । अप्रार्थी बीमा निगम ने उक्त क्लेम जरिए पत्र दिनंाक 10.8.2013 के खारिज कर दिया । प्रार्थी ने इसे अप्रार्थी बीमा निगम की सेवा में कमी बताते हुए परिवाद पेष कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । परिवाद के समर्थन में प्रार्थी ने स्वयं का ष्षपथपत्र पेष किया है ।
2. अप्रार्थी बीमा निगम ने जवाब प्रस्तुत करते हुए प्रार्थी द्वारा प्रष्नगत बीमा पाॅलिसी लिए जाने के तथ्य को स्वीकार करते हुए आगे दर्षाया है कि प्रार्थी द्वारा क्लेम समयावधि में प्रस्तुत नहीं किया गया फिर भी अप्रार्थी बीमा निगम ने प्रस्तुत क्लेम की जांच की और जांच करने पर बीमा पाॅलिसी की ष्षर्त संख्या 10 ए में वर्णित अपंगता की परिभाषा के अन्तर्गत प्रार्थी का क्लेम देय योग्य नहीं पाए जाने के कारण खारिज कर प्रार्थी को इस संबंध में सूचित कर दिया गया । उनके स्तर पर कोई सेवा में कमी नहीं की गई । अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना की है । जवाब के समर्थन में श्री महेष चन्द गुप्ता, प्रबन्धक का षपथपत्र पेष किया है ।
3. प्रार्थी का तर्क रहा है कि उसके द्वारा पालिसी लिए जाने के बाद इसकी जारी तिथि से आज तक नियमित रूप से प्रीमियम राषि जमा करवाई जाने के बावजूद दिनंाक 28.1.2012 को दुर्घटना के फलस्वरूप बांए हाथ को कोहनी से नीचे से काट कर षरीर से अलग कर दिए जाने के फलस्वरूप समस्त औपचारिकताओं के साथ क्लेम प्रस्तुत किए जाने के बाद भी जो क्लेम खारिज किया गया है, वह उचित नहीं है । अप्रार्थीगण का उक्त कृत्य सेवा में कमी व लापरवाही का परिचायक है । उसे हुई घोर आर्थिक, मानसिक व षारीरिक क्षति के फलस्वरूप हुई क्षतिपूर्ति दिलवाई जावें व परिवाद स्वीकार किया जाना चाहिए । प्रार्थी ने अपने तर्को के समर्थन में हमारा ध्यान त्मअपेपवद च्मजपजपवद छवण् 28134ध्2011 स्प्ब् व् िप्दकपं टू ैउज ैूंहंजं ैींी व्तकमत क्ंजम 16.6.2015 न्यायिक दृष्टान्त की ओर आकर्षित किया ।
4. खण्डन में अप्रार्थी का तर्क है कि पाॅलिसी लिए जाने, इसमें विहित षर्तोे व प्रार्थी द्वारा क्लेम प्रस्तुत किए जाने का तथ्य विवादित नहीं है । प्रस्तुत क्लेत बाद जांच देय नहीं होने के कारण सही रूप से निरस्त किया गया है । पाॅलिसी की षर्तो , विषेष रूप से षर्त संख्या 10 । (1) के तहत क्लेम देय योग्य नहीं था । उक्त ष्षर्तो के अनुसार प्रार्थी की अपंगता, वर्णित अपंगता नही ंथी व उसे हुई अपंगता में बाद जांच यह पाया था कि उक्त अपंगता के कारण वह कमाने योग्य है तथा वह अपना व्यवसाय भी कर रहा है ।
5. हमने परस्पर तर्क सुने हैं एवं पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों के साथ साथ प्रस्तुत विनिष्चय में प्रतिपादित न्यायिक दृष्टान्त का भी अवलोकन कर लिया है ।
6. यह स्वीकृत तथ्य है कि प्रार्थी द्वारा दिनंाक 28.3.2008 को परिवाद में अंकित पाॅलिसी प्राप्त की गई व नियमित रूप से प्रीमियम की राषि जमा कराई गई । यह भी स्वीकृत तथ्य है कि उसके द्वारा दिनंाक 28.1.2012 को दुर्घटना के फलस्वरूप बाएं हाथ को कोहनी से नीचे काट कर अलग किए जाने के फलस्वरूप क्लेम प्रस्तुत किया गया है। अप्रार्थी द्वारा उसका क्लेम पाॅलिसी की चरण संख्या 10 । (1) के प्रावधानों के तहत खारिज किया गया है क्योंकि प्रार्थी को हुई अपंगता वर्णित प्रावधानों की अपंगता के अनुसार नहीं पाई गई । इस संबंध में पाॅलिसी की चरण संख्या 10 । (1) का उल्लेख करना आवष्यक है , जो निम्नानुसार है -
’’अपंगता किसी दुर्घटना के परिणामस्वरूप और पूर्ण एवं स्थायी रूप से होनी चाहिए और ऐसी जिसके परिणामस्वरूप बीमित व्यक्ति न उस समय और न ही उसके पष्चात् किसी भी समय कोई पारिश्रमिक प्रतिदान या लाभ उपार्जित करने, या प्राप्त करने के लिए कोई कार्य, व्यवसाय अथवा धन्धा प्रर्याप्त रूप से कर सके । दुर्घटना में लगने वाली चोटों के फलस्वरूप जो अन्य सभी कारणों से स्वतऩ्त्र हो, दुर्घटना घटित होने के 180 दिन के भीतर पुनः प्राप्त ना हो सकने योग्य दोनों नेत्रों की सम्पूर्ण दृष्टि की हानि होने, अथवा दोनों हाथों की कलाईयों से अथवा उनके उपर से कटने अथवा दोनों पैरों का टखने से अथवा उनके उपर से कटने अथवा दोनों पैरों का टखनों से उपर से कटने को अपंगता का होना पाया जाएगा । ’’ इन प्रावधोनेां के संदर्भ में 10 । (1) के अन्तर्गत यदि हम हस्तगत मामलें में प्रार्थी की अपंगता का अवलोकन करें तो उसकी अपंगता प्रमाण पत्र के अनुसार बाएं हाथ में कोहनी के नीचे ।उचनजंजपवद पाते हुए 70 प्रतिषत की अपंगता बताई गई है । मंच की राय में इस बाबत् अप्राथी्र्रका यह तर्क स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है कि प्रार्थी की अपंगता वर्णित अपंगता के अनुसार नहीं है तथा उसे हुई अपंगता बाद जांच पर यह पाया गया कि प्रार्थी उक्त अपंगता के कारण कमाने के योग्य है तथा वह अपना व्यवसाय भी निरन्तर कर रहा है । कोई भी व्यक्ति स्थायी अपंगता के बाद भी अपनी जीविका अथवा अपने जीवन को चलाने के लिए प्रयास करता है । प्रार्थी के द्वारा जो पाॅलिसी ली गई है, में उक्त प्रावधानों के अन्तर्गत एक हाथ की कलाई या उसके उपर के कटने को अपंगता होना माना गया है । यदि किसी व्यक्ति का कोहनी के नीचे से हाथ कट जाए तो भले ही वह अपना व्यवसाय निरन्तर कर रहा हो अथवा कमाने योग्य हो किन्तु वह अपंगता स्थायी अपंगता मानी जावेगी और इस संबध में प्रस्तुत तर्को से असहमत होते हुए मंच उक्त अपंगता को स्थायी अपंगता की श्रेणी के समकक्ष मानता है । इस संबंध में प्रार्थी पक्ष द्वारा जो विनिष्चय माननीय राष्ट्रीय आयोग का प्रस्तुत हुआ है, में भी इसी प्रकार के विचार व्यक्त करते हुए स्थायी अपंगता बाबत् दिषा निर्देष प्रदान किए गए है, जिससे यह मंच आदरपूर्वक सहमत है ।
7. सार यह है कि जिस आधार पर प्रार्थी की अपंगता को अप्रार्थी द्वारा स्थायी अपंगता नहीं मानते हुए क्लेम खारिज किया गया है वह कतई उचित नहीं है व उनकी सेवा में दोष का परिचायक है । परिणामस्वरूप प्रार्थी का परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य है एवं आदेष है कि
:ः- आदेष :ः-
8. (1) प्रार्थी अप्रार्थी बीमा निगम से बीमा पाॅलिसी संख्या 1876011502 के पेटे बीमा क्लेम राषि रू. 1,00,000/- मय 9 प्रतिषत वार्षिक ब्याज दर सहित क्लेम खारिज करने की दिनंाक से तदायगी प्राप्त करने का अधिकारी होगा ।
(2) प्रार्थी अप्रार्थी बीमा निगम से मानसिक क्षतिपूर्ति के पेटे रू. 1,00,000 /-(अक्षरे रू. एक लाख मात्र) एवं परिवाद व्यय के पेटे रू. 5000/- भी प्राप्त करने का अधिकारी होगा ।
(3) क्रम संख्या 1 लगायत 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी बीमा निगम प्रार्थी को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावे ।
आदेष दिनांक 10.08.2016 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
, ’’