जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद ।
़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़ ़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़उपस्थितिः-(1) श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
(2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
(3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य
परिवाद सं0-120/2010
श्रीमती गीता गुप्ता पत्नी श्री आनन्द कुमार गुप्ता निवासी टाइप तृतीय एन.टी.पी.सी. रेलवे कालोनी विद्युत नगर जिला अम्बेडकरनगर .................... परिवादिनी
बनाम
प्रबन्धक (स्वास्थ्य बीमा) भारतीय जीवन बीमा निगम, मण्डलीय कार्यालय बलदेव निवास कम्पाउन्ड, रीडगंज फैजाबाद .................... विपक्षी
निर्णय दि0 12.02.2016
निर्णय
उद्घोषित द्वारा-श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
परिवादिनी ने यह परिवाद विपक्षी के विरूद्ध हेल्थ पालिसी के एवज में दवा इलाज एवं अन्य व्यय सहित मु0 3,00,000=00 एवं क्षतिपूर्ति दिलाये जाने हेतु योजित किया है।
संक्षेप में परिवादिनी का परिवाद इस प्रकार है कि परिवादिनी के पति श्री आनन्द कुमार गुप्ता शिक्षित व्यक्ति है और जो एम.बी.ए. करके जे0पी0 एसोसियेट टाण्डा में कार्यरत है जिनकी आमदनी वेतन से प्रतिवर्ष लगभग 4 लाख रूपये है।
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परिवादिनी के पति ने अपना एवं परिवादिनी का हेल्थ प्लस बीमा विपक्षी बीमा कम्पनी से जरिये प्लान सं0-901 दि0 03.3.2009 को करवाया। बीमा प्रपोजल फार्म भरते समय विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादिनी व उसके पति को यह बताया गया कि हेल्थ बीमा प्लस का लाभ आकस्मिक दुर्घटना व गम्भीर बीमारी में लाभदायक होगा जो भी दवा इलाज का खर्च होगा उसका सम्पूर्ण भुगतान बीमा कम्पनी करेगी। हेल्थ प्लस स्कीम लेने के बाद परिवादिनी अचानक बीमार हो गयी और उसका इलाज सर्वप्रथम दि0 27.6.2009 को पी0जी0आई0 लखनऊ में हुआ जहाॅं से परिवादिनी को दि0 29.6.2009 को डिस्चार्ज कर दिया गया और पी0जी0आई0 के डाक्टरों द्वारा यह बताया गया कि परिवादिनी के हृदय में खून के थक्के जम गये हैं जिसका आपरेशन होगा। परिवादिनी को समुचित इलाज हेतु अपोलो हास्पिटल दिल्ली लेकर गये जहाॅं परिवादिनी को दि0 02.7.2009 को भर्ती कर लिया गया और परिवादिनी के हृदय का आपरेशन व सर्जरी दि0 06.7.2009 को हुआ। परिवादिनी अपोलो अस्पताल दिल्ली में दि0 02.7.2009 से दि0 21.7.2009 तक भर्ती रही और उसका दवा इलाज विधिवत हुआ तथा अभी भी दवाइयाॅं चल रही है। परिवादिनी के पति श्री आनन्द कुमार गुप्ता ने विपक्षी बीमा कम्पनी को परिवादिनी के बीमारी से सम्बन्धित दवा इलाज व आपरेशन में खर्च का समस्त बिल, बाउचर, डाक्टरों की रिपोर्ट, एक्सरे आदि का कागजात क्लेम फार्म दि0 30.7.2009 भरकर हेल्थ प्लस पालिसी से मिलने वाले लाभ के बाबत उपलब्ध करा दिया था। परिवादिनी को पुनः दोबारा क्लेम फार्म भरने के लिए कहा जिसके लिए परिवादिनी के पति को पुनः इन्द्रप्रस्थ अपोलो हास्पिटल दिल्ली जाना पड़ा और दि0 10.9.2009 को विपक्षी बीमा कम्पनी को पुनः परिवादिनी के पति ने क्लेम फार्म कवरिंग लेटर के साथ विपक्षी बीमा कम्पनी को प्राप्त कराया जिसकी रिसीविंग भी प्राप्त किया। परिवादिनी व उसके पति की बीमा पालिसी प्रमाण-पत्र फोटो कापी परिवाद पत्र के साथ संलग्न शपथ-पत्र के साथ संलग्नक-2 ता 2/1 है जिसकी पालिसी सं0-218378133 है, जिसका रिस्क कवर मु0 2,00,000=00 प्रति व्यक्ति है चाहे वह मृत्यु हो, दुर्घटना में मृत्यु हो या किसी गम्भीर बीमारी में भी दो लाख रूपया दवा इलाज हेतु भी निर्धारित है अथवा 1,000=00 रूपया प्रतिदिन अस्पताल में भरती रहने पर मिलेगा। परिवाद पत्र के साथ संलग्न शपथ-पत्र के साथ संलग्नक सं0-3 व 3/1 विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादिनी
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को भेजा गया रेपुडिएशन लेटर है, जो दि0 20.11.2009 है। परिवाद पत्र के साथ संलग्न शपथ-पत्र के साथ इन्द्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल दिल्ली का समस्त बिल जो दवा इलाज व आपरेशन आदि में व्यय सम्बन्धी है जो संलग्नक संख्या-6 ता 6/9 है। इस योजना के अन्तर्गत किसी भी बीमा धारक की बीमा प्रारम्भ होने की तिथि से व बीमा समाप्त होने की तिथि तक के मध्य किसी भी बीमाधारक की दुर्घटना में मृत्यु होती है अथवा किसी गम्भीर बीमारी से आकस्मिक मृत्यु होती है तो उसके वारिसान को मु0 2,00,000=00 का भुगतान बीमा कम्पनी करती है।
विपक्षी ने अपने जवाब में कहा कि परिवादिनी के पति द्वारा प्रस्तुत क्लेम पालिसी में निर्धारित शर्तो के विपरीत दिया गया था। जबकि बमुताविक पालिसी शर्त उन्हें किसी क्लेम का कोई अधिकार ही नहीं था। कथित क्लेम दि0 11.9.2009 को दिया गया है। दि0 03.7.2009 को कोई फार्म नहीं दिया गया था। उक्त पालिसी में दुर्घटना मृत्यु पर क्लेम की राशि मु0 2,00,000=00 देय नहीं है महज 1000=00 रू0 प्रतिदिन अस्पताल में भर्ती होने पर बड़े आपरेशन के लिए मु0 2,00,000=00 देय है। पालिसी की तिथि व परिपक्वता तिथि स्वीकार है। परिवादिनी प्रश्नगत पालिसी प्लान संख्या-901 के माध्यम से हेल्थ बीमा प्लस नामक पालिसी की धारक है जो दि0 03.03.2009 को बसहमति परिवादिनी पालिसी के शर्तानुसार उसका पूर्ण ज्ञान परिवादिनी को कराकर चलाया गया था। उक्त हेल्थ बीमा प्लस पालिसी के शर्तो के अनुसार पालिसी धारक 1000=00 रू0 प्रतिदिन अस्पताल में भर्ती रहने का एवं अधिकतम 2 लाख रूपया तक गम्भीर शल्य चिकित्सा का लाभ पाने का अधिकारी उन दशाओं में हो सकता है जबकि उसका क्लेम पालिसी के निष्पादन तिथि के 180 दिन के बाद की अवधि में बीमार होने पर याचित किया गया है। किन्तु किसी अन्य दुर्घटना या मृत्यु में मु0 2 लाख रूपया दे पाने का अधिकारी नहीं है। उक्त पालिसी के आरम्भ की तिथि दि0 03.03.2009 व पालिसी अवधि कुल 16 वर्ष व पूर्णावधि दि0 03.03.25 होती है। पालिसी के शर्त के अनुसार पालिसी आरम्भ होने के 180 दिनों के भीतर अर्थात् 6 माह अर्थात् दि0 03.9.2009 के पूर्व ही बीमार हो जाने व इस अवधि में किसी भी इलाज के लिए कोई रकम का दावा कर पाने का कोई अधिकार पालिसी धारक को नहीं है। बीमा हेल्थ पालिसी के धारक को वेटिग पीरियड्स 180 दिनों के भीतर किसी क्लेम या दावा का कोई अधिकार ही नहीं है।
( 4 )
मैं विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता की बहस सुनी एवं परिवाद में उपलब्ध साक्ष्य का अवलोकन किया। परिवादिनी ने विपक्षी से यूनिट संबद्ध स्वास्थ्य बीमा योजना ता.क्र.901 को संयुक्त रूप से दि0 03.03.2009 को लिया था। परिवादिनी ने अपना इलाज करवाया और इलाज में खर्चा की गयी धनराशि के भुगतान के सम्बन्ध में विपक्षी से दावा किया। विपक्षी ने इलाज की धनराशि देने से इन्कार कर दिया। परिवादिनी तथा विपक्षी एल0आई0सी0 के हेल्थ पल्स यूनिट संबद्ध स्वास्थ्य बीमा योजना तालिका सं0-901 में जो शर्ते और सुविधायें दी गयी हैं दोनों पक्षकार इस पालिसी की शर्ते और सुविधाओं का पालन करने के लिए बाध्य हैं। परिवादिनी पालिसी की शर्तो और सुविधाओं के अनुसार एल0आई0सी0 हेल्थ प्लस तालिका सं0-901 के तहत इलाज के सम्बन्ध में जो धनराशि खर्चा हुई है वह पाने की अधिकारिणी होगी, जब इसके शर्तो और सुविधाओं के तहत आते हो। पालिसी की शर्तो के अनुसार क्रम सं0-6 में अपवर्जन दिया हो। क्रम सं0-6 अपवर्जन-पप के अनुसार कवर शुरू होने की तिथि से पहले 180 दिनों के भीतर और कवर के बंद हो जाने के बाद पुनर्चालन, पुनः स्थापन की तिथि से 90 दिनों के भीतर बीमारी के कारण अस्पताल में भर्ती होना। इस शर्त के अनुसार परिवादिनी का संयुक्त रूप से प्लान नं0-901 दि0 03.3.2009 को विपक्षी से कराया और इलाज दि0 27.6.2009 को पी0जी0आई0 लखनऊ तथा अपोलो अस्पताल दिल्ली में दि0 02.7.2009 से दि0 21.7.2009 तक भर्ती रही। दि0 06.7.2009 को हृदय का आपरेशन हुआ जिसमें परिवादिनी का मु0 3,00,000=00 से ज्यादा खर्चा हो गया। पालिसी के शर्त सं0-6 अपवर्जन पप के अनुसार यह सुविधा 180 दिन के बाद प्राप्त होगी। परिवादिनी का 180 दिन से पहले इलाज हुआ जो अपवर्जन के तहत सुविधा पाने की अधिकारिणी नहीं है। इस शर्त के अनुसार यदि कोई बड़ा आपरेशन होता है तो केवल मु0 2,00,000=00 प्राप्त करने के अधिकारी होंगे और एक बार अधिकारी होंगे। इस प्रकार परिवादिनी का परिवाद पालिसी की शर्ते और सुविधाओं के अपवर्जन-6 पप के परिधि में आता है और परिवादिनी विपक्षी से इलाज कराने का पैसा प्राप्त करने की अधिकारिणी नहीं है। इस प्रकार परिवादिनी अपना दावा साबित करने में असफल रही है। परिवादिनी का परिवाद विपक्षी के विरूद्ध खारिज किये जाने योग्य है।
( 5 )
आदेश
परिवादिनी का परिवाद खारिज किया जाता है।
(विष्णु उपाध्याय) (माया देवी शाक्य) (चन्द्र पाल)
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 12.02.2016 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया गया।
(विष्णु उपाध्याय) (माया देवी शाक्य) (चन्द्र पाल)
सदस्य सदस्या अध्यक्ष