जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।
परिवाद संख्या:- 389/20120 उपस्थित:-श्री नीलकंठ सहाय, अध्यक्ष।
श्रीमती सोनिया सिंह, सदस्य।
परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख:-07.07.2020
परिवाद के निर्णय की तारीख:-11.11.2022
Smt Durga Mishra W/o Ramesh Chandra mishra aged about 65 R/o 1/25 Vinamra Khand Gomti Nagar Lucknow.
..........Complainant.
Versus
1. Life Insurance corporation of India, Branch office at Karvi Devangana marg karvi, chitrakoot, Uttar Pradesh-210205.
2. Life insurance corporation of India, branch office, city branch, 2nd floor, Jeewan bhawan-2, nawal kishore road, Hazratganj, Lucknow Uttar pradesh-226001.
3. Division office Life insurance corporation of India, jeevn prakash 172/40 M.G.Marg, civil lines prayagraj Uttar Pradesh-211001.
...........Opp. Parties.
परिवादिनी के अधिवक्ता का नाम:-श्री शिवम मिश्रा।
विपक्षी के अधिवक्ता का नाम:-श्री अरूण कुमार श्रीवास्तव।
आदेश द्वारा-श्री नीलकंठ सहाय, अध्यक्ष।
निर्णय
1. परिवादी ने प्रस्तुत परिवाद विपक्षी संख्या 02 से 10,000.00 रूपये 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से दिनॉंक 09.07.2018 से भुगतान किये जाने एवं 20,000.00 रूपये मानसिक, शारीरिक क्षति एवं 25,000.00 रूपये दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्तुत किया है।
2. संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी द्वारा एल0आई0सी0 पालिसी नम्बर-310286881 मुबलिग 1,00,000.00 रूपये के लिये दिनॉंक 23.03.1998 में ली थी। पालिसी की शर्तों के तहत 8,000.00 रूपये प्रतिवर्ष विपक्षी संख्या 01 को दिया गया। परिवादी के आग्रह पर 1,90,000.00 रूपये एल0आई0सी0 को ट्रान्सफर किया गया। दिनॉंक 26.06.2018 को विपक्षी संख्या 02 ने एक पत्र भेजा जिसमें यह कहा कि वह 1,90,000.00 रूपये परिवादी के खाते में ट्रान्सफर कर देगा। दिनॉंक 23.03.2018 को पालिसी परिपक्व हुई और 1,90,000.00 रूपये का भुगतान विपक्षी संख्या 02 को करना था। विपक्षी द्वारा दिनॉंक 09.07.2018 को 1,80,000.00 रूपये ट्रान्सफर किया गया तथा 10,000.00 रूपये नहीं भेजा गया जिसके संबंध में नोटिस दिया गया। परिवादी 10,000.00 रूपये मय ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी है।
3. विपक्षीगण द्वारा उत्तर पत्र प्रस्तुत करते हुए कथन किया गया कि पालिसी की प्रारम्भ तिथि 23.03.1998 तथा परिपक्वता तिथि 23.03.2018 थी। दिनॉंक 09.07.2018 को 1,80,000.00 रूपये और दिनॉंक 06.07.2018 को 32,331.00 रूपये जीवन बीमा पालिसी नम्बर 310286881 के अन्तर्गत देय सम्पूर्ण धनराशि का फुल एण्ड फाइनल भुगतान नियमानुसार एवं पालिसी की शर्तों के अनुसार परिवाद दाखिल करने के दो वर्ष से अधिक समय के पूर्व ही परिवादिनी के बैंक खाते में किया जा चुका है। परिवादिनी को कुछ भी पाना शेष नहीं है। परिवाद पत्र कालबाधित होने के कारण पोषणीय नहीं है। परिवादिनी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आती है। परिवाद पोषणीय नहीं होने के कारण निरस्त होने योग्य है। परिवादिनी को परिवाद दायर करने का कोई भी कारण उत्पन्न नहीं हुआ है।
4. परिवादिनी ने अपने परिवाद के समर्थन में साक्ष्य मौखिक साक्ष्य एवं दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में भारतीय जीवन बीमा निगम की पालिसी,पासबुक, विधिक नोटिस, दाखिल किया है।
5. विपक्षी द्वारा अपने कथानक के समर्थन में शपथ पत्र और दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में एल0आई0सी0 की पालिसी बाण्ड, पासबुक एवं बैंक पासबुक, आदि की छायाप्रतियॉं दाखिल किया है।
6. परिवादिनी ने अपने प्रति खण्डन में परिवाद पत्र के समस्त कथनों को स्वीकार किया है और यह कहा कि 1,90,000.00 रूपये के एवज में यह परिवाद दाखिल किया गया है तथा 32,331.00 रूपये दिनॉंक 06.07.2018 को जो कि बकाया था नान पेमेंट ऑफ इन्स्टालमेंट इस प्रकार 10,000.00 रूपये का भुगतान उन्होंने नहीं किया।
7. मैने उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्ता को सुना तथा पत्रावली का परिशीलन किया।
8. विपक्षीगण को यह स्वीकृत है कि परिवादिनी ने विपक्षीगण से पालिसी ली थी।
9. यह तथ्य विवाद का विषय नहीं है कि विपक्षी द्वारा दिनॉंक 09.07.2018 को 1,80,000.00 तथा 06.07.2018 को 32,331.00 रूपये को दिये गये। यह भी तथ्य विवाद का विषय नहीं है कि 1,90,000.00 रूपये परिपक्वता धनराशि थी और यह भी तथ्य विवाद का विषय नहीं है कि प्रारम्भ में 1,80,000.00 रूपये अदा किये गये और पहले 32,331.00 रूपये दिये गये हैं।
10 प्रस्तुत प्रकरण उक्त 10,000.00 रूपये के बकाये के संबंध में प्रस्तुत किया गया है। विचारणीय बिन्दु है कि अतिरिक्त 10,000.00 रूपये प्राप्त करने की परिवादिनी अधिकारी है या नहीं। विपक्षीगण द्वारा कहा गया कि बीमा की शर्तों के तहत फुल एण्ड फाइनल 1,80,000.00 रूपये दिनॉंक 09.07.2018 को तथा 06.07.2018 को 32,331.00 रूपये खाते में जमा किये गये और वह बिना किसी आपत्ति के प्राप्त कर लिया जिसे वह स्वीकार करती है।
11. दिनॉंक 29.01.2018 को जीवन बीमा का प्रमाण भी दाखिल है जिसमें यह उल्लिखित किया गया है कि 1,90,000.00 रूपये भुगतान करना है। खाते के परिशीलन से विदित है कि 1,80,000.00 रूपये ही जमा किया गया है। जैसा कि अपने खण्डन में कहा कि 32,331.00 रूपये दिनॉंक 06.07.2018 को जमा किया है। विपक्षी का कथानक है कि फुल एण्ड फाइनल सेटेलमेंट में जो धनराशि बची थी 1,80,000.00 रूपये का भुगतान किया गया। जिसे unconditionally परिवादिनी द्वारा स्वीकार कर लिया गया और उसके खाते में जा चुका है। अत: मेरे विचार से जो भी बीमा की धनराशि बकाया थी उसमें समस्त धनराशि परिवादिनी के खाते में दी जा चुकी है।
11. अत: यह तथ्य विवाद का विषय नहीं है कि 2,12,331.00 रूपये का भुगतान किया गया है और विपक्षी का जैसा कथन है कि फुल एण्ड फाइनल सेटेलमेंट के आधार पर बोनस सहित दिया गया था। 32,331.00 रूपये दिनॉंक 06.07.2018 को दिया गया है और उसके तीन दिन बाद 1,80,000.00 रूपये अदा किया गया है। जब कि 1,90,000.00 रूपये के भुगतान के संबंध में 1,90,000.00 रूपये का एमाउन्ट दिया जायेगा वह दिनॉंक 19.01.2018 का था। चॅूंकि दिनॉंक 06.07.2018 को 32,331.00 रूपये जमा किया गया है। अत: जो बची हुई धनराशि बनती थी वह इन्श्योरेंस कम्पनी के हिसाब से 1,80,000.00 रूपये ही होती है और फुल एण्ड फाइनल सेटेलमेंट के आधार पर 1,80,000.00 अदा किया गया और फुल एण्ड फाइनल सेटेलमेंट की धनराशि अदा कर दी गयी।
12. विपक्षी की ओर से विजया स्टेशनरी बनाम यूनाइटेड इण्डिया इन्श्योरेंस कम्पनी लिमिटेड I (2013) CPJ 637 (NC) का सन्दर्भ दाखिल किया गया जिसमें यह कहा गया कि परिवादिनी ने unconditionally समस्त धनराशि प्राप्त कर ली है तो वह उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आयेगी। चॅूंकि परिवादिनी द्वारा unconditionally समस्त धनराशि प्राप्त कर ली गयी है तो वह उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आयेगी। परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा तर्क प्रस्तुत किया गया और यह कहा गया कि यह परिवाद उपभोक्ता की श्रेणी में आयेगा। मेरे विचार से यह उपभोक्ता की श्रेणी में आयेगा, क्योंकि अभी कुछ दिन पहले The National Commission observed that mere acceptance of possession despite the unreasonable delay soen not mean that the loss and injury suffered gets wiped out. So the right of the consumer to seed redressal of his grievance regarding the delay would not get extinguished or extenuated. अत: यह उपभोक्ता की श्रेणी में आयेगा।
13. विपक्षी द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि इस न्यायालय का क्षेत्राधिकार नहीं है। परिवादिनी द्वारा तर्क प्रस्तुत किया गया कि इस न्यायालय का क्षेत्राधिकार है। जहॉं से पालिसी जारी हुई है वहॉं उसको क्षेत्राधिकार है क्योंकि एल0आई0सी0 का ब्रान्च यहॉं पर है। यह तथ्य निश्चित है कि यह प्रकरण दिनॉंक 07.07.2020 के बाद दाखिल किया गया है जो कि पुराने एक्ट के पूर्व दाखिल किया गया है। पुराने एक्ट में आयोग को भी क्षेत्राधिकार है कि जहॉं पर विपक्षी रहता हो अथवा अपना व्यापार करता हो। विपक्षी एल0आई0सी0 ऑफ इण्डिया जिसकी ब्रान्च हजरतगंज में है और इसकी हर जगह पर शाखाऍं है। अत: इस लखनऊ आयोग को भी क्षेत्राधिकार है। विपक्षी द्वारा यह कहा गया कि प्रस्तुत परिवाद कालबाधित है।
14 विपक्षी द्वारा तर्क प्रस्तुत किया गया कि काल बाधित की परिसीमा अधिनियम से बाधित है, क्योंकि अंतिम भुगतान के दो वर्ष बाद यह परिवाद संस्थित किया गया है। न ही कोई नोटिस भेजा गया है। विपक्षी द्वारा रामरतन एम श्रीवास बनाम जयन्त एच ठक्कर IV (2011)CPJ 114 (NC) का संदर्भ दाखिल किया गया। मैने माननीय न्यायालय द्वारा पारित विधि व्यवस्था का ससम्मानपूर्वक अवलोकन किया जिसमें यह लिखा गया कि एक बार परिसीमा प्रारम्भ होती है तो उसे बढ़ाया नहीं जा सकता। आखिरी भुगतान की तिथि 09.07.2018 थी और उसके बाद से ही मियाद सीमा प्रारम्भ होगी। चॅूंकि यह परिवाद दिनॉंक 07.07.2020 को दाखिल किया गया है।
15. यह मुकदमा दो वर्ष से दो दिन पूर्व दाखिल किया गया है जबकि लिमिटेशन से बाधित नहीं है, क्योकि दो वर्ष के अन्दर दाखिल किया गया है। प्रस्तुत परिवाद भुगतान प्राप्त करने के करीब दो वर्ष बाद संस्थित किया गया है। इस दौरान कोई भी बकाया धनराशि जैसा कि याची का कथानक है के तहत लिखित सूचना विपक्षी को नहीं दी गयी और न ही कोई विधिक नोटिस दिया गया। इतने समय तक परिवादिनी मौन रही। अत: यह वाद ESTOPPEL (विबन्धन) के सिद्धान्तों से बाधित रहा है। मेरे विचार से उपरोक्त परिस्थिति में विपक्षी द्वारा कोई सेवा में कमी नहीं की गयी है और परिवादिनी उपभोक्ता भी नहीं है। अत: परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादिनी का परिवाद खारिज किया जाता है।
(सोनिया सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
आज यह आदेश/निर्णय हस्ताक्षरित कर खुले आयोग में उदघोषित किया गया।
(सोनिया सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
दिनॉंक: 11.11.2022