जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।
परिवाद संख्या:- 269/2022 उपस्थित:-श्री नीलकंठ सहाय, अध्यक्ष।
श्रीमती सोनिया सिंह, सदस्य।
श्री कुमार राघवेन्द्र सिंह, सदस्य।
परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख:-06.05.2022
परिवाद के निर्णय की तारीख:-27.02.2024
1. तुलिका सिंह, आयु लगभग 39 वर्ष, पत्नी स्व0 पुष्पजीत सिंह।
2. ईषिका सिंह, आयु लगभग 14 वर्ष, पुत्री स्व0 पुष्पजीत सिंह।
3. काव्या सिंह, आयु लगभग 08 वर्ष, पुत्री स्व0 पुष्पजीत सिंह।
4. दिवित सिंह, अयु लगभग 05 वर्ष, पुत्र स्व0 पुष्पजीत सिंह।
02 लगायत 04 तक द्वारा संरक्षिका माता तुलिका सिंह, समस्त निवासीगण-35 संजय विहार, सेक्टर-11, विकास नगर, जनपद-लखनऊ, उत्तर प्रदेश। ............परिवादिनीगण।
बनाम
1. भारतीय जीवन बीमा निगम, केन्द्रीय कार्यालय-योगेक्षेमम, जीवन बीमा मार्ग, मुम्बई-40021 द्वारा निदेशक/महाप्रबंधक।
2. क्षेत्रीय प्रबंधक, भारतीय जीवन बीमा निगम, उत्तर मध्य क्षेत्रीय कार्यालय 16/275 महात्मा गॉंधी मार्ग, कानपुर-द्वारा क्षेत्रीय प्रबंधक।
3. वरिष्ठ मण्डल अधिकारी, भारतीय जीवन बीमा निगम, “जीवन प्रकाश’’ 30 हजरतगंज, पो0बा0सं0 111, लखनऊ-226001 ।
4. शाखा प्रबंधक, भारतीय जीवन बीमा निगम शाखा, ट्रांस गोमती लखनऊ, जानकीपुरम इंजीनियरिंग कालेज चौराहा, लखनऊ। ............विपक्षीगण।
परिवादिनीगण के अधिवक्ता का नाम:-श्री मनदीप कुमार मिश्र।
विपक्षीगण के अधिवक्ता का नाम:- श्री अरविन्द तिलहरी।
आदेश द्वारा-श्री कुमार राघवेन्द्र सिंह, सदस्य।
निर्णय
1. परिवादिनी द्वारा प्रश्नगत परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के नियम 69 (1) के अंतर्गत योजित किया गया है। परिवाद में परिवादिनी ने जीवन बीमा का सम एश्योर्ड धनराधि 10,00,000.00 रूपये मय 14 प्रतिशत ब्याज , मानसिक आघात के लिये 10,00,000.00 रूपये तथा परिवाद दायर करने में व्यय हुई धनराशि दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्तुत किया है।
2. संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि परिवादिनी के पति स्व0 श्री पुष्पराज सिंह द्वारा विपक्षीगण से अपने परिवार की आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने हेतु जीवन बीमा पालिसी संख्या 236123350 क्रय किया था तथा जीवनकाल में सभी किश्तों का भुगतान समय से किया जाता रहा। परिवादिनी के पति की हत्या दिनॉंक 05.03.2016 को अज्ञात बाइक सवारों द्वारा कर दी गयी। मृत्यु प्रमाण पत्र संलग्न किया गया है। परिवादिनी के भाई श्री विकास श्रीवास्तव द्वारा उपरोक्त घटना की एफ0आई0आर0 विकास नगर थाना लखनऊ में रिपोर्ट संख्या 0057 वर्ष 2016 अन्तर्गत धारा 302, 506, व 534 आई.पी.सी. के अंतर्गत दिनांक 06.03.2016 को अंकित कराया गया। साक्ष्य न मिलने के कारण थाने द्वारा संबंधित न्यायालय में अंतिम रिपोर्ट दिनॉंक 25.08.2018 को प्रस्तुत की गयी।
3. परिवादिनी का कथानक है कि उसके पति स्व0 पुष्पराज सिंह द्वारा जीवन बीमा पालिसी संख्या 236123350 सम एश्योर्ड 10,00,000.00 रूपये के भुगतान हेतु उसने नामिनी होने के कारण दावा अपनी तथा आश्रित बच्चों की तरफ से दुर्घटना हित लाभ प्राप्त करने के आशय से प्रार्थना पत्र विपक्षीगण के यहॉं प्रस्तुत किया था। परिवादीगण का दुर्घटना हित लाभ प्राप्त करने संबंधी प्रार्थनापत्र विपक्षी संख्या 03 द्वारा पंत्रांक संख्या ल0म0/मृ0दावा/डीएबी आर-4168 दिनॉंक 13.11.2019 के माध्यम से निरस्त करते हुए यह कहा कि बीमित की मृत्यु सुनियोजित हत्या के कारण हुई है। यह पालिसी की दुर्घटना हित लाभ संबंधी शर्तों के अंतर्गत नहीं है अत: दुर्घटना हित लाभ दावा देय नहीं है।
4. रैपुडिएशन पत्र दिनॉंक13.11.2019 में यह सुझाव भी दिया गया है कि यदि आप सहमत नहीं हैं तो कारण बताते हुए विपक्षी सख्या 02 के समक्ष प्रतिवेदन प्रस्तुत कर सकती है।, जिसके अनुपालन में उसने दिनॉंक 07.02.2020 को विपक्षी संख्या 02 को प्रतिवेदन प्रस्तुत किया परन्तु परिवादिनी एवं बच्चों को दुर्घटना हित लाभ नहीं दिया गया और न ही प्रतिवेदन का निस्तारण ही किया गया।
5. विपक्षी संख्या 03 द्वारा परिवादिनी को क्लेम/दावा को निराधार व असत्य तथ्य के आाधार पर निरस्त कर दिया गया। विपक्षी ने अपने पत्र दिनॉंक 13.11.2019 में इस तथ्य का भी उल्लेख नहीं किया गया है कि वे कौन से तथ्य है जिसके आधार पर क्लेम /दावा को निरस्त किया गया है। दिनॉंक 28.10.2020 द्वारा विपक्षी संख्या 03 ने पुन: पत्र भेजा। परिवादिनी को विपक्षीगण के क्लेम/दावा के निरस्तीकरण से अत्यधिक मानसिक आघात पहुँचा है। परिवाद का कारण तब उत्पन्न हुआ कि जब परिवादीगण का दुर्घटना हित लाभ प्राप्त करने संबंधी प्रार्थना पत्र को विपक्षी संख्या 03 द्वारा निरस्त कर दिया गया। इसके बाद पुन: तब उत्पन्न हुआ जब उसके प्रार्थना पत्र पर विपक्षी संख्या 03 द्वारा अपने पत्र दिनॉंक 28.10.2020 द्वारा दावा निरस्त करने का निर्णय सही पाते हुए पुन: निरस्त कर दिया गया।
6. विपक्षी संख्या 03 द्वारा अपना उत्तर पत्र प्रस्तुत करते हुए कथन किया गया है कि परिवादिनी के पति स्व0 पुष्पराज सिंह द्वारा एक एल.आई.सी. की स्कीम दिनॉंक 10.05.2010 को पालिसी संख्या 236123350 रूपये 10,00,000.00 सम एश्योर्ड ली गयी थी। वर्ष 2016 में परिवादिनी ने एल.आई.सी. की शाखा में सूचना दी कि उसके पति पुष्पराज सिंह की दिनॉंक 05.03.2016 को मृत्यु हो गयी है डेथ क्लेम दिया जाए। विपक्षी द्वारा अवगत कराया गया कि परिवादिनी के दावा पस्तुत करने के बाद उसके द्वारा पालिसी के बेसिक सम एश्योर्ड की धनराशि 12,88,000.00 रूपये दिनॉंक 10.06.2016 को भुगतान किया जा चुका है।
7. परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत किये गये दुर्घटना हित लाभ का क्लेम इसलिए नहीं भुगतान किया गया क्योंकि परिवादिनी के पति की मृत्यु किसी दुर्घटना में नही हुई थी बल्कि वह रंजिशन हत्या की गयी थी। घटना की एफ.आई.आर./फाइनल रिर्पोट से स्थिति स्पष्ट है।घटना की एफ.आई.आर. विकास नगर थाना लखनऊ के अंतर्गत दिनॉंक 05.03.2016 को अपराध संख्या 67/2016 को आई.पी.सी. की धारा 302, 506 और 34 के तहत दर्ज की गयी थी। डबल दुर्घटना बीमा हित लाभ पर लाभ या क्लेम देने के लिये विचार हेतु मामले को जोनल क्लेम रिव्यू कमेटी, कानपुर में दिनांक 28.10.2020 को संदर्भित किया गया था।
8. विपक्षीगण ने अपने कथन में मा0 राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग नई दिल्ली के आदेश PrithviRaj Bhandari Versus L.I.C. of India” III (2006) CPJ 213 (NC) Wherein it was held that if the dominant intention of the act of felony is to kill any Particular person thaen such killing is not an accidental murder but is a murder simpicitor. निर्णीत किया गया है। इसी प्रकार मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा श्रीमती रीता देवी बनाम एल.आई.सी. ऑफ इण्डिया तथा मा0 उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा अपने आदेश संख्या एल.डी. (14) 2009 नीलम रानी बनाम एल.आई.सी. में भी दुश्मनी व रंजिश के कारण हुए मर्डर को एक्सीडेन्ट डेथ नहीं माना है। इस आधार पर प्रकरण को खारिज करने का अनुरोध किया गया है।
9. परिवादिनी द्वारा अपने कथन के समर्थन में शपथ पत्र, मृत्यु प्रमाण पत्र, एफ.आई.आर. की प्रति आदि दाखिल किया है। विपक्षी ने भी अपने कथन के समर्थन में साक्ष्य शपथ पत्र तथा अन्य आवश्यक अभिलेख दाखिलकिया है।
10. आयोग द्वारा उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्ता के तर्कों को सुना गया तथा पत्रावली का परिशीलन किया गया।
11. परिवादिनी का कथानक है कि उसके मृतक पति श्री पुष्पराज सिंह द्वारा अपने व अपने परिवार की सुरक्षा की दृष्टि से जीवन बीमा निगम की उक्त दुर्घटना हित लाभ पालिसी दिनॉंक 28.04.2010 को सम एश्योर्ड 10,00,000.00 रूपये की पालिसी संख्या 236123350 लिया था, जिसका निरन्तर भुगतान परिवादिनी के पति द्वारा किया जाता रहा। परिवादिनी के पति का अचानक दिनॉंक 05.03.2016 को अज्ञात हमलावरों द्वारा हत्या कर दी गयी जिसकी एफ0आई0आर0 थाना विकास नगर लखनऊ में अपराध संख्या 57/2016 अन्तर्गत आई.पी.सी. की धारा 302, 506 व 34 दर्ज की गयी। हत्यारों का साक्ष्य न मिलने के कारण पुलिस द्वारा दिनॉंक 25.08.2018 को अंतिम रिर्पोट लगा दी गयी।
12. परिवादिनी द्वारा पति की मृत्यु का दावा एल.आई.सी. में प्रस्तुत किया गया जिसमें एल.आई.सी. द्वारा दिनॉंक 13.11.2019 को दावा यह कहते हुए निरस्त कर दिया गया कि एश्योर्ड की मृत्यु दुर्घटना से न होकर एक पूर्व नियोजित हत्या के कारण हुई है।
13. यहॉं यह तथ्य उल्लेखनीय है कि विपक्षी संख्या 03 ने अपने कथन में तस्करा किया है कि उसने परिवादिनी के क्लेम पर बीमा का बेसिक सम एश्योर्ड की धनराशि 12,88,000.00 रूपये का भुगतान दिनॉंक 10.06.2016 को ही कर दिया था। इस तथ्य को परिवादिनी ने अपने परिवाद में उल्लेख नहीं किया है अर्थात इस तथ्य को छिपाया गया है। एल.आई.सी. का कथन है कि बीमा दोहरा दुर्घटना हित लाभ का था जिसमें एक लाभ परिवादिनी प्राप्त कर चुकी है। द्वितीय लाभ उसे इसलिए नहीं दिया गया क्योंकि उसके पति (एश्योर्ड) की मृत्यु दुर्घटना से न होकर सोची समझी प्लानिंग के अन्तर्गत रजिशन एक हत्या के रूप में हुई थी। इस संबंध में मा0 न्यायालयों द्वारा भी कई आदेशों में इसकी व्यवस्था दी गयी है जिसका उल्लेख ऊपर किया गया है, के अनुसार भी जानबूझ कर सोची समझी प्लानिंग के तहत यदि हत्या से मृत्यु होती है तो उसको दुर्घटना नहीं माना जा सकता है। अत: उक्त विवेचना के दृष्टिगत परिवादिनी का परिवाद जीवन बीमा की शर्तों के तहत नियमानुसार न होने के कारण खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादिनी का परिवाद खारिज किया जाता है।
पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रार्थना पत्र निस्तारित किये जाते हैं।
निर्णय/आदेश की प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाए।
(कुमार राघवेन्द्र सिंह) (सोनिया सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
आज यह आदेश/निर्णय हस्ताक्षरित कर खुले आयोग में उदघोषित किया गया।
(कुमार राघवेन्द्र सिंह) (सोनिया सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
दिनॉंक:- 27.02.2024