Suman Srivastav filed a consumer case on 17 Mar 2023 against L.I.C. in the Barabanki Consumer Court. The case no is CC/70/2021 and the judgment uploaded on 21 Mar 2023.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, बाराबंकी।
परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि 11.08.2021
अंतिम सुनवाई की तिथि 20.03.2023
निर्णय उद्घोषित किये जाने के तिथि 17.03..2023
परिवाद संख्याः 70/2021
श्रीमती सुमन श्रीवास्तव आयु करीब 53 साल पत्नी स्व0 सत्य प्रकाश श्रीवास्तव निवासिनी मोहल्ला दीनदयालनगर पैसार देहात परगना व तहसील नवाबगंज जिला-बाराबंकी, उ0 प्र0।
द्वारा-श्री चन्द्रेश कुमार वर्मा, अधिवक्ता
बनाम
भारतीय जीवन बीमा निगम शाखा कार्यालय बाराबंकी जिला-बाराबंकी द्वारा शाखा प्रबंधक।
द्वारा-श्री आर0 के0 टण्डन, अधिवक्ता
समक्षः-
माननीय श्री संजय खरे, अध्यक्ष
माननीय डॉ0 एस0 के0 त्रिपाठी, सदस्य
उपस्थितः परिवादी की ओर से -श्री चन्द्रेश कुमार वर्मा, अधिवक्ता
विपक्षी की ओर से-श्री आर0 के0 टण्डन, अधिवक्ता
द्वारा- डॉ0 एस0 के0 त्रिपाठी, सदस्य
निर्णय
परिवादी ने यह परिवाद विपक्षी के विरूद्व धारा-35 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 प्रस्तुत कर परिवादी को विपक्षीगण से बीमित धनराशि रू0 10,00,000/-बारह प्रतिशत ब्याज सहित मानसिक, शारीरिक, आर्थिक क्षतिपूर्ति के रू0 50,000/-तथा वाद व्यय व अधिवक्ता शुल्क रू0 50,000/- दिलाये जाने का अनुतोष चाहा है।
परिवादी ने अपने परिवाद में मुख्य रूप से अभिकथन किया है कि परिवादी के पति स्व0 सत्य प्रकाश श्रीवास्तव पुत्र स्व0 जगदीश प्रसाद श्रीवास्तव निवासी मोहल्ला दीन दयालनगर नाका पैसार शहर नवाबगंज जिला-बाराबंकी ने विपक्षी के अभिकर्ता के अनुरोध व अपने जीवन के जोखिम हेतु विपक्षी से जीवन बीमा पालिसी सं0-209929721 के तहत दिनांक 26.11.2018 को बीमा कराया था। उक्त बीमा पालिसी विपक्षी द्वारा नियुक्त परीक्षक के द्वारा परिवादी के पति सत्य प्रकाश का सवास्थ्य परीक्षण कर पूर्ण रूप से स्वस्थ होने की रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद ही विपक्षी द्वारा पालिसी बांड में पालिसी संख्या उपरोक्त एवं जोखिम प्रारम्भ की तिथि 28.11.2018 अंकित कर जारी किया गया। परिवादी के पति सत्य प्रकाश ने पालिसी लेते समय विपक्षी के अभिकर्ता से कोई भी बीमारी नहीं छुपाई और न ही कोई गलत जानकारी दिया। परिवादी के पति प्रश्नगत पालिसी लेते समय व उसके पूर्व तथा उसके बाद पूर्ण रूप से सामान्य व सक्रिय जीवन जी रहे थे। परिवादी के पति की दिनांक 27.08.2020 को घर पर आकस्मिक मृत्यु हो गई। मृत्यु के समय बीमा पालिसी प्रभावी थी। परिवादी ने अपने पति के मृत्यु के बावत दावा मय सम्बन्धित कागजात संलग्न कर बीमित धनराशि प्राप्त करने हेतु विपक्षी के यहाँ प्रस्तुत किया। विपक्षी द्वारा पत्र दिनांक 15.02.2021 के माध्यम से मनगढ़न्त, गलत व झूठे तथ्यों को दर्शाकर (बीमित धनराशि) सभी देयताओं को समाप्त करने का निर्णय लिया। विपक्षी के दिनांक 15.02.2021 के पत्र के उत्तर में परिवादी ने क्षेत्रीय प्रबंधक को दिनांक 03.04.2021 को जरिये रजिस्ट्री प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर उपरोक्त पालिसी की धनराशि का भुगतान करने हेतु निवेदन किया परन्तु आज तक परिवादी को उक्त पालिसी के धनराशि के भुगतान के संबंध में कोई जानकारी नहीं दी गई। अतः परिवादी ने बीमा की धनराशि, क्षतिपूर्ति तथा वाद व्यय हेतु वर्तमान परिवाद योजित किया है। परिवाद के समर्थन में शपथपत्र दाखिल किया है।
परिवादी ने दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में सूची से आधार कार्ड, पालिसी बांड, पत्र दिनांकित 15.02.2021, मृत्यु प्रमाण पत्र, प्रार्थना पत्र दिनांक 03.04.2021 की छाया प्रति तथा उसके प्रेषण की मूल रसीद दाखिल किया है।
विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा जवाबदावा योजित करते हुये कहा है कि बीमा धारक मृतक सत्य प्रकाश द्वारा पालिसी के प्रस्ताव पत्र सं0-12443 दिनांक 25.11.2018 में अपने स्वास्थ्य सम्बन्धी महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाकर विपक्षी की संस्था में दिनांक 30.11.2021 को बीमा की धनराशि जमा करके बीमा प्राप्त किया गया। परिवादी के पति स्व0 सत्य प्रकाश श्रीवास्तव बीमा लेते समय बीमार थे और रिशी अस्पताल गोमती नगर लखनऊ में दिनांक 29.11.2018 को भर्ती होकर DM Type-2/UTI का इलाज करा रहे थे तथा अपने कार्यालय में अवकाश पर थे। प्रश्नगत Suppression of material facts के आधार पर निरस्त किया गया है। विशेष कथन में कहा गया है कि बीमा प्रस्तावक मृतक सत्य प्रकाश श्रीवास्तव ने अपने जीवन का मु0 10,00,000/-का बीमा करने हेतु एक बीमा प्रस्ताव पत्र विपक्षी की शाखा बाराबंकी में प्रस्तुत किया, जिसके प्रश्न संख्या-11 वैयक्तिक इतिवृति के कालम में उत्तर ‘‘नहीं‘‘ तथा कालम ए से डी के कालम में ‘‘नहीं‘‘ उत्तर दिया। इस प्रस्ताव के अंत में प्रस्तावक द्वारा एक अतिमहत्वपूर्ण घोषण की गयी और अपने हस्ताक्षर प्रस्तावपत्र में बनाये गये। उपरोक्त घोषणा को सत्य मानकर परम सद्भावना व विश्वास के सिद्वान्त के आधार पर विपक्षी द्वारा प्रस्ताव को स्वीकार करते हुये पालिसी संख्या-2099929721 आवंटित की गई। बीमा पालिसी की प्रारम्भ तिथि 28.11.2018 योजना अवधि 814/21 छमाही किस्त मु0 27,710/-थी जिसे प्रत्येक वर्ष छह माह पश्चात् देना था। पालिसी की पूर्णता अवधि 11/2013 थी। बीमा धन रू0 10,00,000/-हेतु किया गया था। परिवादी सुमन श्रीवास्तव ने अपने बयान पत्र दिनांक 14.10.2021 के माध्यम से विपक्षी को अवगत कराया कि उनके पति सत्य प्रकाश श्रीवास्तव का निधन दिनांक 27.08.2020 को बाराबंकी में डाक्टरो के यहाँ इलाज के लिये ले जाते समय रास्ते में हो गया। मृत्यु के कारण के संबंध में हार्ट अटैक का उल्लेख किया है। मृतक द्वारा प्रस्ताव पत्र दिनांक 30.11.2018 को जमा किया गया तथा प्रीमियम प्राप्त कर बीमा पालिसी आवंटित की गई। प्रस्तावक द्वारा प्रस्ताव पत्र के कालम संख्या-11 एवं ।ठब्क् के समस्त उत्तर नहीं में दिये गये थे जबकि बीमा लेते समय उसका इलाज रिशी हास्पिटल लखनऊ की उिस्चार्ज समरी रजि0 नम्बर 960/2018 के अनुसार मृतक सत्य प्रकाश श्रीवास्तव दिनांक 29.11.2018 से 02.12.2018 तक DM Type-2/UTI के उपचार हेतु भर्ती रहा। नियोजक द्वारा मृतक के उक्त इलाज हेतु चिकित्सा व्यय की रू0 23755/-की प्रतिपूर्ति भी प्राप्त की है। बीमा धारक की मृत्यु बीमा पालिसी लेने के तीन वर्ष से कम अवधि में होने के कारण इंश्योरेन्स एक्ट 1938 की धारा-45 के अनुसार प्रश्नगत दावा अल्पावधि श्रेणी का हुआ। प्राविधानों के अनुसार दावे की समस्त देयताओं को समाप्त करते हुये पूर्ण एवं अन्तिम निपटान हेतु चारों किश्तों की धनराशि रू0 1,10,840/-का भुगतान परिवादी को कर दिया गया। मृत्यु दावा प्रपत्र 3783 दावे का बयान प्रपत्र सं0-3816 अस्पताल का प्रमाण पत्र आदि प्रपत्र जारी किये गये तथा प्रश्नगत मामले में विभागीय सघन जांच कराई गई। परिवादी द्वारा प्रस्तुत दावा प्रपत्र 3816 की समीक्षा के उपरान्त यह तथ्य प्रकाश में आया कि प्रश्नगत बीमा प्रस्तावक स्व0 सत्य प्रकाश श्रीवास्तव द्वारा DM Type-2 तथा UT-I बीमारी का इलाज रिशी हास्पिटल लखनऊ में दिनांक 29.11.2018 से 02.12.2018 तक भर्ती रहने के दौरान किया गया। जानबूझकर महत्वपूर्ण तथ्य छिपाने के कारण बीमा अधिनियम 1938 की धारा-45 के क्रम में अनुबन्ध रद्द करते हुये पंजीकृत पत्र दिनांक 15.02.2021 से सूचना परिवादी को दे दी गयी थी। विपक्षी द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गई। अतः परिवाद पोषणीय न होने के कारण निरस्त किये जाने की याचना की गई है। विपक्षी द्वारा वादोत्तर के समर्थन में शपथपत्र दाखिल किया गया है।
विपक्षी ने सूची से फार्म क्रमांक-300 ग्यारह वर्क, मृत्यु प्रमाण पत्र, फार्म नं0-3816, डिसचार्ज समरी, प्रपत्र संख्या-3887 व पत्र दिनांक 22.09.2021 की छाया प्रति दाखिल किया है।
उभय पक्ष द्वारा लिखित बहस दाखिल की गई।
उभय पक्षों के विद्वान अधिवक्ता के तर्क सुने तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों/साक्ष्यों का परिशीलन किया।
उभय पक्षों को सत्य प्रकाश श्रीवास्तव पुत्र स्व0 जगदीश प्रसाद श्रीवास्तव का पालिसी संख्या-209929721 पर रू0 10,00,000/-हेतु बीमा किया जाना स्वीकार है। बीमा पालिसी बांड से स्पष्ट है कि पालिसी दिनांक 28.11.2018 को प्रारम्भ की गई, जिसमे जोखिम प्रारम्भ होने की तिथि 30.11.2018 अंकित है। परिपक्वता की तिथि 28.11.2039 है। उभय पक्षों को यह भी स्वीकार है कि सत्य प्रकाश श्रीवास्तव की मृत्यु बीमित अवधि में दिनांक 27.08.2020 को हुई।
परिवादी का यह कथन है स्व0 सत्य प्रकाश श्रीवास्तव की मृत्यु से सम्बन्धित दावा समस्त कागजात लगाते हुये विपक्षी को प्रेषित करने के बाद विपक्षी द्वारा बीमा दावा जानबूझकर निरस्त कर दिया गया। जबकि इसके विपरीत विपक्षी का यह कथन है कि मृतक सत्य प्रकाश श्रीवास्तव द्वारा बीमा प्राप्त करते समय मधुमेह जैसी गम्भीर बीमारी को प्रस्ताव पत्र में छिपाया गया था, जिस कारण उनके बीमा दावा को निरस्त किया गया। उक्त की पुष्टि में विपक्षी द्वारा दावा प्रपत्र दाखिल किया गया है जिसके कालम संख्या-11 व्यक्तिगत इतिवृत्त में उल्लिखित a, b, c, d तथा रोगो के विवरण के सभी कालम में ‘‘नहीं‘‘ अंकित किया गया है अर्थात प्रस्ताव पत्र में बीमित व्यक्ति को रोग होना उल्लिखित नहीं है।
विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा दाखिल फार्म नं.-3816(क्लेम फार्म-1) सार्टिफिकेट आफ हास्पिटल ट्रीटमेन्ट के कालम-2 में बीमित व्यक्ति श्री सत्य प्रकाश श्रीवास्तव को दिनांक 29.11.2018 को हास्पिटल में भर्ती होना अंकित है तथा कालम छः में DM Type-2/UTI से ग्रसित बताया गया है। मरीज को दिनांक 02.12.2018 को हास्पिटल से अवमुक्त किया गया तथा उसी दिनांक को जारी डिसचार्ज समरी में दवा के रूप में Lanctus Insulin लेने की भी सलाह दी गई है जिससे स्पष्ट है कि बीमित व्यक्ति पहले से ही मधुमेह रोग से ग्रसित था।
बीमा कम्पनी द्वारा दाखिल प्रपत्र संख्या-3787 (दावा प्रपत्र ई) नियोजन (मालिक) का प्रमाण पत्र के कालम-3 में दिनांक 30.11.2018 से 05.12.2018, दिनांक 06.12.2018 से 15.12.2018, दिनांक 16.12.2018 से 25.12.2018 तक अस्वस्थता के आधार पर बीमित सत्य प्रकाश श्रीवास्तव द्वारा अवकाश लिया गया है तथा कालम-4 में उक्त रोग के उपचार (दिनांक 01.12.2018 से 31.01.2019) हेतु रू0 23,775/-की चिकित्सा प्रतिपूर्ति का भुगतान लिया गया।
परिवादी द्वारा ऐसा कोई अभिलेख प्रस्तुत नहीं किया गया है जिससे यह सिद्व हो सके कि बीमाधारक सत्य प्रकाश श्रीवास्तव बीमा लेने के पूर्व बीमारी से ग्रसित नहीं थे।
उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट है कि बीमित व्यक्ति सत्य प्रकाश श्रीवास्तव दिनांक 29.11.2018 को ही चिकित्सालय में भर्ती हो चुके थे जबकि, इनके द्वारा लिये गये बीमा में जोखिम प्रारम्भ होने की तिथि दिनांक 30.11.2018 अंकित है। यद्यपि पालिसी संख्या-229929721 के प्रारम्भ की तिथि 28.11.2018 है तथा प्रस्ताव की तिथि 26.11.2018 है किन्तु बीमित व्यक्ति के रोग को देखते हुये यह भलीभांति स्पष्ट होता है कि बीमित पूर्व से ही DM Type-2/UTI से ग्रसित था तथा गंभीर अवस्था में आने पर चिकित्सा हेतु अस्पताल में भर्ती हुआ जो उसके चिकित्सा प्रतिपूर्ति लेने से प्रमाणित भी है।
उपरोक्त से पुष्ट है कि बीमा पालिसी प्रारम्भ होने के समय भी बीमित व्यक्ति मधुमेह से ग्रसित होने के कारण अस्पताल में भर्ती हुआ था। इसलिये मधुमेह बीमारी का प्रकटन बीमा प्रस्ताव में किया जाना आवश्यक था।
विपक्षी द्वारा सन्दर्भित विधिक निर्णय माया देवी बनाम लाइफ इंश्योरेन्स कारपोरेशन आफ इंडिया, 2011 (2) सी पी आर 419 (एन सी) के प्रकरण में राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग द्वारा यह स्पष्ट विधि सिद्वान्त प्रतिपादित किया गया है कि बीमा की संविदा पूर्णतः विश्वास पर आधारित है। अतः जो व्यक्ति बीमा ले रहा है उसका यह दायित्व है कि स्वास्थ्य से संबंधित सभी आवश्यक तथ्यों का प्रकटन करें। इस मामले में भी बीमित व्यक्ति के पूर्व से मधुमेह से ग्रसित होने और बीमा पालिसी लेते समय मधुमेह रोग से ग्रसित होने का प्रकटन न करने के कारण बीमित व्यक्ति की मृत्यु पर बीमा क्लेम किये जाने पर भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा बीमा क्लेम निरस्त किये जाने को सही होना निर्णीत किया गया है।
ऐसी स्थिति में वर्तमान प्रकरण में बीमित व्यक्ति द्वारा पालिसी लेते समय मधुमेह रोग का प्रकटन न करने से निश्चित रूप से स्वास्थ्य से सम्बन्धित तात्विक तथ्य को छुपाया जाना (Suppression of material facts) माना जायेगा। अतः इस आधार पर प्रश्नगत प्रकरण में बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी का दावा निरस्त करके सेवा में कोई कमी नहीं की गई है।
अतः वर्तमान परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवाद संख्या-70/2021 निरस्त किया जाता है।
(डॉ0 एस0 के0 त्रिपाठी) (संजय खरे)
सदस्य अध्यक्ष
यह निर्णय आज दिनांक को आयोग के अध्यक्ष एंव सदस्य द्वारा खुले न्यायालय में उद्घोषित किया गया।
(डॉ0 एस0 के0 त्रिपाठी) (संजय खरे)
सदस्य अध्यक्ष
दिनांक 17.03.2023
Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes
Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.