Rajasthan

Jaipur-IV

CC/411/2013

Kailash Chand - Complainant(s)

Versus

L.I.C. of Inda - Opp.Party(s)

S.N. Saini & Others

31 Mar 2015

ORDER

     जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर चतुर्थ, जयपुर

                  पीठासीन अधिकारी
                         डाॅ. चन्द्रिका प्रसाद शर्मा, अध्यक्ष
                  डाॅ. अलका शर्मा, सदस्या
                       श्री अनिल रूंगटा, सदस्य
परिवाद संख्या:-411/2013 (पुराना परिवाद संख्या 1168/2011)
श्री कैलाश चन्द पुत्र श्री छीतरमल, उम्र 37 वर्ष, जाति ब्रह्मभट्ट, निवासी-         ग्राम पोस्ट तला, वाया गठवारी जमवारामगढ़, जिला जयपुर ।
                                              परिवादी
बनाम
01. भारतीय जीवन बीमा निगम, पता- ’जीवन प्रकाश’, भवानी सिंह रोड, जयपुर जरिये मैनेजर/अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता ।  
02. भारतीय जीवन बीमा निगम, पता- डिवीजनल आॅफिस- जीवन प्रकाश, रानाडे मार्ग, अजमेर जरिये डिवीजनल मैनेजर/अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता ।
    विपक्षीगण
उपस्थितः-
परिवादी की ओर से श्री एस.एन.सैनी/श्री खेमचन्द महावर, एडवोकेट
विपक्षीगण बीमा निगम की ओर से श्री अशोक चतुर्वेदी, एडवोकेट 
निर्णय    
दिनांकः-31.03.2015

यह परिवाद, परिवादी द्वारा विपक्षीगण बीमा निगम के विरूद्ध दिनांक         26.07.2011 को निम्न तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत किया गया हैः-
 परिवादी ने वर्ष 2000 में विपक्षीगण बीमा निगम से 20 वर्ष की अवधि के लिए एक मनीबैक बीमा पाॅलिसी संख्या 192591732 प्राप्त की थी । इसकी परिपक्वता राशि 50,000/-रूपये थी और इसकी प्रीमियम राशि 270/-रूपये की कटौती प्रति माह विपक्षीगण बीमा निगम द्वारा कर ली जाती थी । दिनांक        28.12.2010 को जब उक्त बीमा पाॅलिसी के 10 वर्ष पूर्ण हुए तो विपक्षीगण बीमा निगम द्वारा परिवादी को 10,000/-रूपये मनीबैक के रूप में देय हो गये थे । लेकिन विपक्षीगण बीमा निगम ने परिवादी को देय मनीबैक राशि 10,000/-रूपये में से 1,080/-रूपये माह अगस्त,2010 से माह नवम्बर,2010 तक की प्रीमियम बकाया मानते हुए काटकर परिवादी को 8,920/-रूपये का चैक उपलब्ध करवाया । जबकि परिवादी के वेतन से उक्त समस्त राशि की कटौती हो गई थी और उस पर कोई राशि देय नहीं थी ।
अतः विपक्षीगण ने परिवादी को देय मनीबैक राशि 10,000/-रूपये में माह अगस्त,2010 से माह नवम्बर,2010 तक के प्रीमियमों की राशि 1,080/-रूपये काटकर 8,920/-रूपये अर्थात् 1,080/-रूपये का कम भुगतान करके सेवादोष कारित किया हैं । और इस सेवादोष के आधार पर परिवादी अब विपक्षीगण बीमा निगम से परिवाद के मद संख्या 14 में अंकित सभी अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी हैं ।
विपक्षीगण बीमा निगम की ओर से दिये गये जवाब में कथन किया गया है कि परिवादी के माह अगस्त,2010 से नवम्बर,2010 तक के प्रीमियमों की कटौती के विषय में विपक्षी संख्या 2 के कार्यालय से प्राप्त सूचना का सत्यापन करने में समय लग गया था । इसलिए विपक्षीगण बीमा कम्पनी परिवादी को चारों प्रीमियमों का भुगतान मय ब्याज करने को तैयार हैं । विपक्षीगण बीमा निगम की ओर से कोई सेवादोष कारित नहीं किया गया हैं । अतः परिवाद, परिवादी निरस्त किया जावें । 
परिवाद के तथ्यों की पुष्टि में परिवादी श्री कैलाशचन्द ने स्वयं का शपथ पत्र एवं प्रदर्श-1 एवं प्रदर्श-3 ;पपद्ध दस्तावेज प्रस्तुत किये ।  जबकि विपक्षीगण बीमा निगम की ओर से जवाब के तथ्यों की पुष्टि में श्री सीताराम शर्मा का शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया । 
बहस अंतिम सुनी गई एवं पत्रावली का आद्योपान्त अध्ययन किया गया ।
प्रस्तुत प्रकरण में विपक्षीगण बीमा निगम के गवाह श्री सीताराम शर्मा ने अपने शपथ पत्र के मद संख्या 3 में कथन किया है किः-
’परिवादी के नियोक्ता ने माह अगस्त,2010 से माह नवम्बर,2010 के प्रीमियमों की कटौती करके विपक्षी संख्या 2 के कार्यालय में जो सूचना भिजवाई थी उसका सत्यापन करने में और उस राशि का समायोजन करने में समय लग गया । इसलिए विपक्षीगण ने परिवादी को चैक संख्या 115323 दिनांकित 21.05.2012, एक्सिस बैंक लिमिटेड, शाखा तिलक नगर, जयपुर, राशि 1,220/-रूपये अदा कर दिया हैं । विपक्षीगण का अब कोई सेवादोष नहीं हैं ।  अतः परिवाद, परिवादी निरस्त किया जावें ।’
इस प्रकार स्वयं विपक्षीगण बीमा निगम ने अपनी साक्ष्य के माध्यम से स्वीकार किया है कि परिवादी को देय मनीबैक राशि 10,000/-रूपये में से, जो 1,080/-रूपये की राशि कम करके 8,920/-रूपये का भुगतान किया गया था, उसके पीछे मुख्य कारण परिवादी की माह अगस्त,2010 से नवम्बर,2010 तक की प्रीमियमों की राशि के भुगतान का सत्यापन समय पर नहीं हो सका था और इसमें समय लग गया     था । इसलिए परिवादी को उक्त बकाया राशि दिनांक 21.05.2012 को यानि परिवादी द्वारा यह परिवाद दिनंाक 26.07.2011 को संस्थित करने के 10 माह बाद उपलब्ध कराया गया हैं । जो हमारे विनम्र मत में विपक्षीगण बीमा निगम का सेवादोष हैं । और इस सेवादोष के आधार पर परिवादी अब विपक्षीगण बीमा निगम से स्वयं को हुए आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक संताप की क्षतिपूर्ति के रूप में 2,500/-रूपये तथा परिवाद व्यय के रूप में 2,500/-रूपये अर्थात् कुल 5,000/-रूपये प्राप्त करने का अधिकारी हैं ।
आदेश
अतः उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर परिवाद, परिवादी स्वीकार किया जाकर आदेश दिया जाता हैं कि परिवादी विपक्षीगण बीमा निगम से उनके उपरोक्त सेवादोष से स्वयं को कारित आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक संताप की क्षतिपूर्ति के रूप में 2,500/-रूपये तथा परिवाद व्यय के रूप में 2,500/-रूपये अर्थात् कुल 5,000/-रूपये प्राप्त करने का अधिकारी हैं ।
विपक्षीगण बीमा निगम को आदेश दिया जाता है कि वह उक्त समस्त राशि परिवादी के रिहायशी पते पर जरिये डी.डी./रेखांकित चैक इस आदेश के एक माह की अवधि में उपलब्ध करवायेगी ।

अनिल रूंगटा       डाॅं0 अलका शर्मा         डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा 
  सदस्य     सदस्या                     अध्यक्ष

निर्णय आज दिनांक 31.03.2015 को पृथक से लिखाया जाकर खुले मंच में हस्ताक्षरित कर सुनाया गया

अनिल रूंगटा       डाॅं0 अलका शर्मा         डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा 
  सदस्य     सदस्या                     अध्यक्ष

 

 

 

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.