जिला फोरम उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, झुन्झुनू (राजस्थान)
परिवाद संख्या - 14/14
समक्ष:- 1. श्री सुखपाल बुन्देल, अध्यक्ष।
2. श्रीमती शबाना फारूकी, सदस्या।
3. श्री अजय कुमार मिश्रा, सदस्य।
1. सुनील कुमार पुत्र स्व0 रामकुमार उम्र 20 साल जाति रेगर निवासी वार्ड नम्बर 22 रेगर बस्ती, नवलगढ तहसील नवलगढ जिला झुंझुनू (राज.)
2. सुनीता कुमार पुत्री स्व0 रामकुमार उम्र 22 साल जाति रेगर निवासी वार्ड नम्बर 22 रेगर बस्ती, नवलगढ तहसील नवलगढ जिला झुंझुनू (राज.)
3. विमल पुत्र स्व0 रामकुमार उम्र 18 साल जाति रेगर निवासी वार्ड नम्बर 22 रेगर बस्ती, नवलगढ तहसील नवलगढ जिला झुंझुनू (राज.)
4. मनोज कुमार पुत्र स्व0 रामकुमार उम्र 15 साल जाति रेगर निवासी वार्ड नम्बर 22 रेगर बस्ती, नवलगढ तहसील नवलगढ जिला झुंझुनू (राज.) नाबालिग जरिये संरक्षक भाई सुनील कुमार पुत्र स्व0 रामकुमार।
5. कविता पुत्री स्व0 रामकुमार उम्र 14 साल जाति रेगर निवासी वार्ड नम्बर 22 रेगर बस्ती, नवलगढ तहसील नवलगढ जिला झुंझुनू (राज.) नाबालिग जरिये संरक्षक भाई सुनील कुमार पुत्र स्व0 रामकुमार। - परिवादीगण
बनाम
1. भारतीय जीवन बीमा निगम शाखा कार्यालय रैरूया जिला अमृतसर (पंजाब) जरिये प्रबंधक महोदय।
2. भारतीय जीवन बीमा निगम शाखा कार्यालय जीवन ज्योति इन्दिरा नगर, झुंझुनू तहसील व जिला झुंझुनू जरिये शाखा प्रबंधक। - विपक्षीगण
परिवाद पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित:-
1. श्री जयसिंह, अधिवक्ता - परिवादीगण की ओर से।
2. श्री लालबहादुर जैन, अधिवक्ता - विपक्षीगण की ओर से।
- निर्णय - दिनांक: 17.02.2016
परिवादीगण ने यह परिवाद पत्र मंच के समक्ष पेष किया, जिसे दिनांक 09.01.2014 को संस्थित किया गया।
विद्धान अधिवक्ता परिवादीगण ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादीगण के पिता द्वारा 50,000/-रूपये की एक बीमा पालिसी संख्या 471522008 दिनांक 23.09.2004 को ली, जिसका 874/-रूपये त्रैमासिक प्रीमियम था। जिसकी मैच्योरिटी दिनांक 23 सितम्बर, 2024 थी। परिवादीगण के पिता की मृत्यु दिनांक 04.01.2011 को हो चुकी है। उक्त पालिसी में नोमिनी के रूप में परिवादीगण की माता श्रीमती संतोष देवी का नाम था, जिसकी मृत्यु दिनांक 28.09.2009 को हो चुकी है। परिवादीगण के माता-पिता की मृत्यु के उपरांत परिवादीगण ही उनके वारिसान/उतराधिकारी हैं। इसलिये परिवादीगण विपक्षीगण के उपभोक्ता हैं।
विद्धान अधिवक्ता परिवादीगण ने बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादीगण ने अपने पिता की मृत्यु की सूचना विपक्षीगण को दी तथा मृत्यु दावा की पत्रावली समस्त दस्तावेजात के साथ विपक्षी संख्या 1 बीमा कम्पनी के कार्यालय में पेष करदी। विपक्षी संख्या 1 द्वारा छः माह तक कोई सूचना नहीं दी गई। परिवादीगण ने विपक्षी संख्या 1 से सम्पर्क किया तो कहा जांच में समय लगेगा। दिनांक 13.12.2013 को परिवादीगण ने पुनः विपक्षी संख्या 1 से सम्पर्क किया तो कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया। विपक्षी नम्बर 1 से पुनः सम्पर्क किया तो कहा कि पालिसी होल्डर की मृत्यु होने पर उसका बीमाधन नोमिनी को दिया जावेगा। उक्त पालिसी में नोमिनी परिवादीगण की माता श्रीमती संतोष देवी की भी मृत्यु हो चुकी है। माता-पिता दोनो की मृत्यु हो जाने के कारण परिवादीगण ही उनके उतराधिकारी हैं। इसलिये विपक्षीगण द्वारा उक्त पालिसी की मृत्यु दावा राषि परिवादीगण को देनी चाहिये थी, जो आज तक अदा नहीं की गई है। विपक्षीगण का उक्त कृत्य सेवा में कमी है।
अन्त में परिवादीगण ने अपना परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार कर विपक्षीगण से बीमा पालिसी की मृत्यु दावा राषि मय ब्याज दिलाये जाने का निवेदन किया।
विद्धान् अधिवक्ता विपक्षीगण बीमा कम्पनी ने अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान परिवादीगण के पिता द्वारा दिनांक 23.09.2004 को विपक्षीगण से 50,000/-रूपये की एक बीमा पालिसी संख्या 471522008, जिसकी त्रैमासिक प्रीमियम 874/-रूपये होकर पालिसी में नोमिनी श्रीमती संतोष देवी होने तथा मृत्यु प्रमाण पत्रों के आधार पर परिवादीगण के माता-पिता की मृत्यु होने के तथ्य को विवादित नहीं होना मानते हुयेे कथन किया है कि प्रष्नगत प्रकरण में बीमाधारी ने पालिसी में नोमिनी अपनी पत्नी श्रीमती संतोष देवी को नियुक्त किया है। श्रीमती संतोष देवी की मृत्यु बीमाधारी की मृत्यु से पूर्व ही हो चुकी है। इसलिये उक्त पालिसी के दावे की राषि के भुगतान के लिये परिवादीगण को न्यायिक दृष्टिकोण से उतराधिकारी/वारिसान होने के संबंध में सक्षम न्यायालय द्वारा जारी उतराधिकार प्रमाण पत्र प्राप्त कर पेष किया जाना आवष्यक है। परिवादीगण ने विपक्षीगण को वांछित उतराधिकार प्रमाण पत्र पेष नहीं किया है। इसलिये परिवादीगण को मृत्यु दावे का भुगतान नहीं किया जा सका है।
अन्त में विद्वान् अधिवक्ता विपक्षीगण बीमा कम्पनी ने परिवादीगण का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया।
उभयपक्ष की बहस सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।
प्रस्तुत प्रकरण के अवलोकन से यह स्पष्ट हुआ हंै कि परिवादीगण के पिता स्व0 रामकुमार द्वारा अपने जीवनकाल में विपक्षीगण बीमा कम्पनी से एक बीमा पालिसी संख्या 471522008 परिपक्व राषि 50,000/-रूपये ली थी। बीमाधारी रामकुमार की दिनांक 04.01.2011 को मृत्यु हो गई तथा उक्त पालिसी में दर्ज नोमिनी स्व0 रामकुमार की पत्नी श्रीमती संतोष देवी की मृत्यु दिनांक 28.09.2009 को ही हो चुकी है। ऐसी अवस्था में परिवादीगण की ओर से विपक्षीगण के यहां मृत्यु दावा विचार हेतु पेष किया, जिस पर विपक्षीगण बीमा कम्पनी द्वारा विचार किया जाकर बीमाधारी के वारिसान का बीमा क्लेम प्राप्त होने का हक होना मानते हुये उतराधिकार प्रमाण पत्र के अभाव में क्लेम राषि का भुगतान नहीं किया गया। अब परिवादीगण द्वारा अध्यक्ष, नगरपालिका, नवलगढ द्वारा जारी एक प्रमाण पत्र पेष किया है, जिसमें परिवादीगण के माता-पिता की मृत्यु होना जाहिर करते हुये परिवादीगण को ही उनके जायज वारिसान होना बताया है। उक्त प्रमाण पत्र पर वार्ड नम्बर 27 के पार्षद एवं सेठ हनुमानदास मानसिंहका, राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय, नवलगढ़ के व्याख्याता के भी हस्ताक्षर हैं। प्रमाण पत्र की मूल प्रति पत्रावली में संलग्न है। उक्त प्रमाण पत्र पर अविष्वास किये जाने का कोई कारण नहीं है। इसलिये परिवादीगण विपक्षीगण से स्व0 रामकुमार के मृत्युदावे के भुगतान पेटे 50,000/-रूपये बीमाधन राषि प्राप्त करने के अधिकारी हैं।
उपरोक्त विवेचन के आधार पर परिवादीगण का परिवादपत्र विरूद्ध विपक्षीगण संख्या 1 व 2 स्वीकार किया जाकर आदेष दिया जाता है कि परिवादीगण, विपक्षीगण से रूपये 50,000/- (अक्षरे रूपये पचास हजार) बतौर मृत्यु दावा स्व0 रामकुमार बीमा क्लेम राषि के रूप में संयुक्त व पृथक-पृथक रूप से प्राप्त करने के अधिकारी हैं। परिवादीगण उक्त राषि पर संस्थित परिवाद पत्र दिनांक 09.01.2014 से ता वसूली 9 प्रतिषत वार्षिक दर से ब्याज प्राप्त करने के अधिकारी हैं। इस प्रकार से प्रकरण का निस्तारण किया जाता है।
निर्णय आज दिनांक 17.02.2016 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया।