Rajasthan

Jhunjhunun

329/2014

Gita Devi - Complainant(s)

Versus

L.I.C. JHUNJHUNU - Opp.Party(s)

Mushtak Ali

08 Dec 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 329/2014
 
1. Gita Devi
Tah. Chidava Dist. Jhunjhunu
...........Complainant(s)
Versus
1. L.I.C. JHUNJHUNU
Jhunjhunu (Raj)
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

       जिला फोरम उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, झुन्झुनू (राजस्थान)
                        परिवाद संख्या -329/14


 समक्ष:-    1. श्री सुखपाल बुन्देल, अध्यक्ष। 
                 2. श्रीमती शबाना फारूकी, सदस्या।
                 3. श्री अजय कुमार मिश्रा, सदस्य।

श्रीमती गीता देवी उम्र 33 साल पत्नी स्व0 राजेन्द्र निवासी कासनी तहसील चिड़ावा जिला झुन्झुनू (राज0)                                     - परिवादिया
                बनाम
1.    भारतीय जीवन बीमा निगम, जरिये प्रबंधक, भारतीय जीवन बीमा निगम कार्यालय, झुंझुनू तहसील व जिला झुंझुनू (राज0) 
2.    भारतीय जीवन बीमा निगम, जरिये शाखा प्रबंधक, भारतीय जीवन बीमा निगम कार्यालय, चिड़ावा तहसील व जिला झुंझुनू (राज0)               - विपक्षीगण
    
परिवाद पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम 1986 

उपस्थित:-
1.     श्री मुष्ताक अली एवं श्री आबिद अली, अधिवक्ता-परिवादिया की ओर से।
2.     श्री वी.बी.जैन एवं श्री लाल बहादुर जैन, अधिवक्ता-विपक्षीगण की ओर से।

                      - निर्णय -          दिनांकः 08.12.2015
परिवादिया ने यह परिवाद पत्र मंच के समक्ष पेष किया, जिसे दिनांक         17.06.2014 को संस्थित किया गया। 
विद्धान अधिवक्ता परिवादिया ने परिवाद पत्र मे अंकित तथ्यों को उजागर करते हुए बहस के दौरान यह कथन किया है कि परिवादिया के पति राजेन्द्र ने अपने जीवनकाल में विपक्षी बीमा कम्पनी से एक जीवन बीमा पालिसी संख्या 198639702 राषि 1,25,000/-रूपये की ली थी। उक्त बीमा पालिसी की वार्षिक प्रीमियम राषि 6005/-रूपये थी। परिवादिया के पति द्वारा उक्त प्रीमियम राषि का भुगतान करने पर विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादिया के पति को भुगतान के आधार पर दिनांक       09.10.2012 केा बीमा पालिसी जारी की गई। परिवादिया स्व0 राजेन्द्र की पत्नी एवं नोमिनी है। इसलिए परिवादिया विपक्षीगण की उपभोक्ता है। 
 विद्धान अधिवक्ता परिवादिया ने बहस के दौरान यह भी कथन किया कि परिवादिया के पति ने अपने जीवनकाल में उक्त जीवन बीमा पालिसी की प्रीमियम राषि जमा करवादी थी।  परिवादिया के पति की मृत्यु दिनांक 27.12.2012 को हो गई।  परिवादिया द्वारा अपने पति की मृत्यु हो जाने दिनांक 30.08.2013 को विपक्षीगण शाखा कार्यालय, चिड़ावा में सम्पर्क किया तथा बीमा पालिसी की राषि मय बोनस व अर्जित लाभ प्राप्त करने के लिये क्षतिपूर्ति आवेदन समस्त दस्तावेजात सहित पेष कर दिया गया। विपक्षीगण के आष्वासन पर परिवादिया कार्यालय में कई चक्कर लगाती रही लेकिन परिवादिया को दिनांक 25.04.2014 को विपक्षीगण ने कोई मुआवजा राषि देने से इन्कार कर दिया। आज तक विपक्षीगण ने परिवादिया को बीमा क्लेम राषि अदा नहीं की है।
अन्त में परिवादिया ने अपना परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार कर विपक्षीगण से परिवादिया के पति द्वारा अपने जीवनकाल में ली गई पालिसी संख्या 198639702 की क्लेम राषि का भुगतान देय लाभ सहित मय ब्याज दिलाये जाने का निवेदन किया।   
    विद्धान् अधिवक्ता विपक्षीगण ने अपने जवाब के अनुसार बहस के दौरान परिवादिया के पति द्वारा विपक्षीगण से दिनांक 09.10.2012 को 1,25,000/-रूपये की बीमा कराते हुये 6005/-रूपये वार्षिक प्रीमियम राषि जमा करवाई जाकर पालिसी संख्या 198639702  जारी किया जाना तथा परिवादिया के पति की मृत्यु दिनांक        27.12.2012 को होना व परिवादिया का अपने पति की नोमिनी होना विवादित नहीं होना कहते हुये कथन किया है कि परिवादिया विपक्षी बीमा कम्पनी के कार्यालय में कभी भी नहीं आई तथा दावा भुगतान हेतु कोई कागजात पेष नहीं किये हैं। इसलिये आवष्यक कागजात के अभाव में पालिसी के संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया जा सका तथा परिवादिया को उक्त पालिसी का भुगतान नहीं किया जा सका है। 
अन्त में विद्वान् अधिवक्ता विपक्षीगण ने परिवादिया का परिवाद पत्र मय खर्चा खारिज किये जाने का निवेदन किया। 
उभयपक्ष की बहस सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया। 
      प्रस्तुत प्रकरण मे यह तथ्य निर्विवादित रहे हंै कि परिवादिया के पति द्वारा अपने जीवनकाल में स्वंय के नाम से विपक्षीगण के यहां बीमा पालिसी की प्रीमियम जमा करवाकर दिनांक 09.10.2012 को पालिसी संख्या 198639702 प्राप्त की। परिवादिया के पति की मृत्यु दिनांक 27.12.2012  को हो गई। परिवादिया ही उक्त बीमा पालिसी में अपने पति की नोमिनी है।
   पत्रावली के अवलोकन से यह स्पष्ट हुआ हंै कि परिवादिया की ओर से विपक्षीगण के यहां मृत्यु दावा क्लेम मय दस्तावेजात पेष किये गये। परिवादिया विपक्षीगण के कार्यालय में उनके आष्वासन पर चक्कर लगाती रही, इसके बावजूद परिवादिया को क्लेम दावा की राषि विपक्षीगण द्वारा क्यों नहीं अदा की गई, इसका कोई युक्तियुक्त आधार एवं स्पष्टीकरण विपक्षीगण की ओर से पेष नहीं किया गया है।  
            अतः प्रकरण के तमाम तथ्यों व परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुये हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि विपक्षी संख्या 1 व 2 किसी भी तरह से बीमा क्लेम राषि बतौर क्षतिपूर्ति अदायगी के उत्तरदायित्व से विमुख नहीं हो सकते। इसलिये परिवादिया को बीमा क्लेम राषि 1,25,000/-रूपये बतौर क्षतिपूर्ति विपक्षीगण से दिलाया जाना उचित समझते हैं।
            उपरोक्त विवेचन के आधार पर परिवादिया का परिवादपत्र विरूद्ध विपक्षी संख्या 1 व 2  आंषिक रूप से स्वीकार किया जाकर आदेष दिया जाता है कि परिवादिया उक्त विपक्षीगण से रूपये 1,25,000/- (अक्षरे रूपये एक लाख पच्चीस हजार मात्र) बतौर बीमा क्लेम राषि क्षतिपूर्ति के रूप में संयुक्त व पृथक-पृथक रूप से प्राप्त करने की अधिकारी है। परिवादिया उक्त बीमा क्लेम राषि पर संस्थित परिवाद पत्र दिनांक 17.06.2014 से ता वसूली 9 प्रतिषत वार्षिक दर से ब्याज प्राप्त करने की अधिकारी है। इस प्रकार से प्रकरण का निस्तारण किया जाता है।  
            निर्णय आज दिनांक 08.12.2015 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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