जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।
परिवाद संख्या:-223/2015 उपस्थित:-श्री नीलकंठ सहाय, अध्यक्ष।
श्रीमती सोनिया सिंह, सदस्य।
श्री कुमार राघवेन्द्र सिंह, सदस्य।
परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख:-20.07.2015
परिवाद के निर्णय की तारीख:-14.08.2023
1. Tribhuvan Nath Pandey son of late Prem Nath Pandey
2. Smt. Pratima Pandey wife of Sri Tribhuvan Nath Pandey Both resident of Flat No. 402, Rapti River View Enclave, Gomti Nagar, Lucknow.
..................Complainants.
Versus
Lucknow Development Authority, a body corporate constituted uder the U.P. Urban Planning and Development Act 1973, having its head office at Pradhikaran Bhawan, Vipin Khand, Gomti Nagar, Lucknow through its Vice Chairman.
................Opposite Party.
परिवादी के अधिवक्ता का नाम:-श्री अशोक सिन्हा।
विपक्षी के अधिवक्ता का नाम:-श्री ओम कार।
आदेश द्वारा-श्री नीलकंठ सहाय, अध्यक्ष।
निर्णय
1. परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद अन्तर्गत धारा 13 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत परिवादी द्वारा विपक्षी से आवासीय सभी सुविधा बिजली, पानी, लिफ्ट आदि से पूर्ण फ्लैट दिलाये जाने एवं मकान किराया में व्यय हुए 1,50,000.00 रूपये, विलम्ब से फ्लैट दिए जाने के एवज में 29,43,000.00 रूपये पर 15 प्रतिशत ब्याज की दर पर 33 माह का व्याज तथा अधिक वसूले गए 2,21,750.00 रूपये पर 18 प्रतिशत ब्याज दिलाए जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्तुत किया गया है।
2. संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि विपक्षी द्वारा मल्टी स्टोरी आवासीय भवन, सेक्टर-04 गोमती नगर लखनऊ में अक्टूबर 2009 में परिवादी ने तीन बेडरूम तथा स्टडी रूम क्रय किये जाने हेतु 1,47,000.00 रूपये पंजीकरण का जमा किया। विपक्षी द्वारा दिनॉंक 27.03.2010 को एलाटमेंट लेटर से यह सूचना दी गयी कि गोमती नगर एकस्टेंशन, सेक्टर-04 में रिवर व्यू इन्क्लेव में I ब्लाक की चौथी मन्जिल पर 148.26 स्क्वायर मीटर का फ्लैट है जिसकी कीमत 29,43,000.00 रूपये निर्धारित थी, दिनॉंक 22.02.2010 को एलाट किया गया। परिवादी द्वारा 29,43,000.00 रूपये 08 मई 2010 तक जमा किया गया।
3. एलाटमेंट लेटर में यह भी कहा गया कि 24 माह के अन्दर फ्लैट का कब्जा दे दिया जायेगा। अर्थात दिनॉंक 22.02.2012 से संबंधित फ्लैट का कब्जा दे दिया जाना था। परिवादी ने उक्त फ्लैट को अपनी विधवा माता श्रीमती फूलमती पाण्डेय पत्नी स्व0 श्री प्रेम नाथ पाण्डेय के नाम से बुक कराया था। माता-पिता की तबियत खराब होने के बाद उनका इलाज एस0जी0पी0जी0आई0 लखनऊ में होने लगा, जिस कारण से वह फ्लैट मेरे माता पिता के नाम से बुक कराया था। पारिवादी संख्या 01 की मॉ की दिनॉंक 27.01.2013 को मृत्यु हो गयी। अगर विपक्षी समय से फ्लैट दे देता तो माता-पिता का वह इलाज समय से करवा लेता।
4. विपक्षी द्वारा भवन का कब्जा नहीं दिया गया। दिनॉंक 18.07.2014 को सेलडीड परिवादी के पक्ष में इक्जीक्यूट की गयी और कब्जा नहीं दिया गया। दिनॉंक 21.11.2014 को विपक्षी पार्टी द्वारा भौतिक कब्जा परिवादी को दिये गये अपार्टमेंट में लिफ्ट काम नहीं करती थी, केबल टीवी की कोई सुविधा नहीं दी गयी थी। कोई हाउस कीपिंग करने वाला नहीं था, जब कि इस मद में 62,316.00 रूपये चार्ज किया गया था और दिया गया मकान रहने की स्थिति में नहीं है।
5. विपक्षी ने अपना उत्तर पत्र प्रस्तुत करते हुए कथन किया कि परिवाद पत्र के प्रस्तर-02 एवं 03 स्वीकार किया गया तथा यह कहा गया परिवादी द्वारा झूठे, मिथ्या आरोप लगाये गये हैं। मनगढ़न्त तरीके से यह कहना कि कब्जा बाद में दिया गया यह गलत है, क्योंकि उसी दिन कब्जा दिया गया जिस दिन उल्लिखित है। अतिरिक्त कथन किया कि परिवादी को गोमती नगर योजना के सेक्टर-04 में बहुखण्डीय अपार्टमेंट के चतुर्थ तल पर फ्लैट RP/I/402 का आवंटन लाटरी द्वारा दिनॉंक 22.02.2010 को स्ववित्त पोषित योजना के अन्तर्गत किया गया था, जिसका अनुमानित मूल्य 29,43,000.00 रूपये एवं अनुमानित एरिया 148.26 वर्गमीटर था तथा पंजीकरण धनराशि के अतिरिक्त अवशेष अनुमानित मूल्य को सात किश्तों में जमा करने हेतु कहा गया था, जिसकी पहली किश्त 2,94,000.00 रूपये दिनॉंक 30.04.2010, दूसरी किश्त से सातवी त्रैमासिक किश्त 4,61,863.00 रूपये की जो दिनॉंक 30.06.2010, 30.09.2010, 31.12.2010, 31.03.2011, 30.06.2011 व 30.09.2011 जमा करनी थी। इसमें शर्त है कि अन्तिम मूल्य का भुगतान रजिस्ट्री से पूर्व करना होगा। अगर कोई किश्त जमा नहीं होती है तो ब्याज लिया जायेगा, तथा चार्ज भी देना पड़ेगा। एल0पी0जी0 कनेक्शन तथा 10,000.00 रूपये प्रति फ्लैट इन्टरनेट कनेक्शन व डी0टी0एच0 केबल कनेक्शन का अतिरिक्त भुगतान करना होगा।
6. विपक्षी द्वारा यह भी कथन किया गया है कि 29,43,000.00 रूपये का भुगतान 45 दिन में कर दिया गया है। अन्य मदों में चार्ज लेकर जमा कराया गया जिसमें भुगतान की व्यवस्था नहीं थी। परिवादी का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।
7. परिवादी ने अपने कथानक के समर्थन में मौखिक साक्ष्य के रूप में शपथ पत्र तथा दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रापर्टी एलाटमेंन्ट लेटर, फाइनल एकाउन्ट रिपोर्ट, मृत्यु प्रमाण पत्र, ट्रान्सफर आर्डर एवं ज्वाइनिंग रिपोर्ट, आर्डर कापी, विवरण पुस्तिका आदि की छायाप्रतियॉं प्रस्तुत की गयी हैं। विपक्षी की ओर से भी शपथ पत्र तथा दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रापर्टी एलाटमेंट लेटर, परिवादी द्वारा प्रेषित पत्र, व्यवस्था अधिकारी का पत्र, शेड्यूल आफ पेमेन्ट, ई-स्टॉप, आदि प्रपत्र दाखिल किये गये हैं।
8. मैंने उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्ता के तर्कों को सुना तथा पत्रावली का परिशीलन किया।
9. परिवादी को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत दो तथ्यों को साबित किया जाना आवश्यक है। प्रथम परिवादी का उपभोक्ता होना तथा दूसरा विपक्षी द्वारा परिवादी की सेवा में कमी की गयी हो। परिवाद को साबित करने का भार परिवादी के ऊपर है।
10. यह तथ्य विवाद का विषय नहीं है कि परिवादी को एक फ्लैट संख्या Property type 3-BHK + Study (Type-II) सख्या RP/1/402 रिवर व्यू, गोमती नगर विस्तार, लखनऊ में एल0डी0ए0 द्वारा आवंटित किया गया जिसका समय से परिवादी द्वारा भुगतान कर दिया गया। परिवादी का कथानक है कि उसे दो वर्ष के अन्दर कब्जा प्रदान करना था, जबकि परिवादी के कथानानुसार उसे दिनॉंक 21.11.2014 को कब्जा प्रदान किया गया।
11. विपक्षी द्वारा तर्क प्रस्तुत किया गया, यह गलत है क्योंकि जिस दिन सेलडीड हुई उसी दिन उन्हें वास्तविक कब्जा दिया गया। सेलडीड की प्रतिलिपि का अवलोकन किया, सेलडीड के परिशीलन से विदित है कि दिनॉंक 15.07.2014 को पंजीकृत किया गया। सेल डीड में यह उल्लिखित किया गया है कि खरीददार को रजिस्ट्री की तिथि से उसको कब्जा प्रश्नगत फ्लैट का दिया जाता है। सेल डीड में जो दस्तावेज में उल्लिखित है विधि सम्मत वही मान्य होगा। अर्थात यह समझा जायेगा कि 05 जुलाई को ही कब्जा दे दिया गया जैसा कि परिवादी द्वारा कहा गया है। परन्तु परिवादी का यह तर्क संधारणीय नहीं है कि रजिस्ट्री के बाद परिवादी को फ्लैट का कब्जा दिनॉंक 25.11.2014 को मिला।
12. परिवादी का कथानक कि फ्लैट का कब्जा विपक्षी द्वारा दो वर्ष के अन्दर देना था। यह तथ्य विवाद का विषय नहीं है कि फ्लैट 24 माह की अवधि में उपलब्ध कराया जाना था। एलाटमेंट दिनॉंक 22.02.2010 को हुआ था अर्थात 21.02.2012 तक कब्जा देना था जो दिनॉंक 21.11.2014 को 02 वर्ष 09 माह बाद दिया गया।
13. परिवादी द्वारा Shivaraj V. Patil & D.M. Dharmadhikari, D.D.A. Versus Krishan Lal Nandrayog IV (2010) CPJ 7 (SC) का सन्दर्भ दाखिल किया गया है। मैंने माननीय न्यायालय द्वारा पारित आदेश का ससम्मानपूर्वक अवलोकन किया। माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने यह आदेश पारित किया है कि डिलीवरी ऑफ पजेशन में विलम्ब होता है तो जिसमें यह कहा गया है कि विलम्ब से कब्जा दिया गया है, अत: परिवादी को पैसे के रूप में क्षतिपूर्ति दिलायी जा सकती है। WG. CDR. Arifur Rahman Khan & Aleya Sultana & ORS Versus DLF Southern Homes Pvt. Ltd. & ORS. IV (2020) CPJ 10 (SC) का सन्दर्भ दाखिल किया गया है। मैंने माननीय न्यायालय द्वारा पारित आदेश का ससम्मानपूर्वक अवलोकन किया जिसमें यह आदेश पारित किया गया है कि अगर फ्लैट को विलम्ब से दिया जाता है तो क्षतिपूर्ति दिलायी जा सकती है।
14. यह तथ्य विवाद का विषय नहीं है कि फ्लैट को प्रस्तावित 02 वर्ष 09 माह बाद विलम्ब से दिया गया है। अत: उपरोक्त विधि व्यवस्था सुप्रा के तहत क्षतिपूर्ति प्राप्त कराया जाना न्यायसंगत प्रतीत होता है। विचारणीय बिन्दु यह है कि कुल कितनी क्षतिपूर्ति दिलायी जाए। उल्लेखनीय है कि परिवादी द्वारा फ्लैट क्रय किये जाने के संबंध में सम्पूर्ण धनराशि 29,43,000.00 रूपये अदा कर दी गयी थी। अत: उक्त धनराशि पर 09 प्रतिशत ब्याज कब्जा प्राप्त करने की तिथि यानी विक्रय विलेख के दिन तक क्षतिपूर्ति दिलाया जाना न्यायसंगत प्रतीत होता है।
15. परिवादी का कथानक है कि परिवादी की बूढ़ी मॉं सोनभद्र में परिवादी के साथ रहती थी। उनकी तबियत खराब हो जाने के कारण उसे इलाज हेतु एस0जी0पी0जी0आई0 में स्थानान्तरित किया गया, परन्तु मकान अगर समय से मिल जाता तो वह अपनी मॉं की सेवा ठीक ढंग से कर सकता था। परन्तु एल0डी0ए0 द्वारा समय से फ्लैट न देने से अपनी मॉं की सेवा वह समय से व ठीक ढंग से नहीं कर पाया। निश्चित ही मानसिक, शारीरिक कष्ट परिवादी को माता के इलाज में सेवा करने में हुआ होगा । मेरे विचार से इस मद में 50,000.00 रूपये दिलाया जाना न्यायसंगत प्रतीत होता है। अत: परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को निर्देशित किया जाता है कि वह परिवादी द्वारा फ्लैट क्रय की जमा धनराशि मु0-29,43,000.00 (उन्तीस लाख तेतालिस हजार रूपया मात्र) पर कब्जा देने की निर्धारित तिथि से वास्तविक कब्जा दिये जाने तक जमा संहर्ण धनराशि पर 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज अदा करेंगे। मानसिक, शारीरिक व आर्थिक शोषण के लिये मुबलिग 50,000.00 (पचास हजार रूपया मात्र) एवं वाद व्यय के लिये मुबलिग 10,000.00 (दस हजार रूपया मात्र) भी निर्णय की तिथि से 45 दिन के अन्दर अदा करेंगे। यदि निर्धारित अवधि में आदेश का अनुपालन नहीं किया जाता है तो उपरोक्त सम्पूर्ण धनराशि पर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भुगतेय होगा।
पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रार्थना पत्र निस्तारित किये जाते हैं।
निर्णय/आदेश की प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाए।
(कुमार राघवेन्द्र सिंह) (सोनिया सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
आज यह आदेश/निर्णय हस्ताक्षरित कर खुले आयोग में उदघोषित किया गया।
(कुमार राघवेन्द्र सिंह) (सोनिया सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ
दिनॉंक:-14.08.2023