जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।
परिवाद संख्या:- 227/2016 उपस्थित:-श्री नीलकंठ सहाय, अध्यक्ष।
श्रीमती सोनिया सिंह, सदस्य।
श्री कुमार राघवेन्द्र सिंह, सदस्य।
परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख:-14.02.2016
परिवाद के निर्णय की तारीख:-20.12.2022
1. Sri Pradeep Kumar Tiwari, aged about 50 years, son of Shri Raghubir Prasad Tiwari.
2. Rekha Devi, aged about 41 years, wife of Shri Pradeep Kumar Tiwari.
Both resident of 999, Adars Nagar, near Rani Avanti Bai Inter College, Unnao-209801. .................COMPLAINANT.
VERSUS
Lucknow Development Authority, Lucknow, through Secretary, Vipin Khand, Gomti Nagar, Lucknow.
.............OPPOSITE PARTY.
आदेश द्वारा-श्री नीलकंठ सहाय, अध्यक्ष।
निर्णय
1. परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत विपक्षी से परिवादी द्वारा जमा की गयी कुल धनराशि पर 12 प्रतिशत ब्याज प्राप्त करने, तथा 8,00,000.00 रूपये मानसिक, आर्थिक एवं शारीरिक क्षतिपूर्ति, एवं भौतिक क्षतिपूर्ति के लिये 2,50,000.00 रूपये तथा 1,50,000.00 रूपये लोन के चक्रबृद्धि व्याज की क्षतिपूर्ति के भुगतान दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्तुत किया गया है।
2. संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार है कि परिवादी ने विपक्षी के यहॉं 160 स्क्वायर मीटर प्लाट खरीदने हेतु विज्ञापन के अनुसार संपर्क किया तथा रजिस्ट्रेशन धनराशि 6,40,000.00 रूपये अदा किया। उक्त धनराशि दिनॉंक 30.11.2005 को दी गयी। विपक्षी द्वारा दिनॉंक 07.06.2006 को एलाटमेंट करके यह सूचित किया गया कि प्रापर्टी नम्बर 536/डी टाइप प्लाट 160 स्क्वायर उन्हें दिनॉंक 26.05.2006 को आवंटित किया गया है तथा विपक्षी द्वारा यह भी कहा गया कि इसके लिये उन्हें 6,40,000.00 रूपये अदा करना पड़ेगा। परिवादी द्वारा उक्त धनराशि भिन्न भिन्न तिथियों पर जमा की गयी।
3. परिवादी ने जब तीन वर्ष बीत गये तो विपक्षी से संपर्क किया कि उनके द्वारा आवंटित किया गया भूखण्ड आवंटित किया जाए, तो विपक्षी द्वारा यह बताया गया कि साइड प्लान प्लाट से संबंधित परिवर्तित कर दिया गया है, इसकी सूचना आपको दी जा चुकी है। परिवादी का स्थानान्तरण जनपद उन्नाव से बनारस हो जाने के कारण परिवादी को कोई सूचना प्राप्त नहीं हुई। दिनॉंक 04.01.2015 को जब परिवादी विपक्षी के आफिस गया तो पता चला कि स्कीम खत्म हो चुकी है। परिवादी द्वारा यह सूचित किया गया कि प्राप्त धनराशि को मय ब्याज वापस किया जाए और विपक्षी द्वारा 10,83,367.00 रूपये दिनॉंक 23.07.2015 को टी0डी0एस0 की धनराशि काटकर परिवादी को प्रदत्त करा दी गयी है।
4. विपक्षी द्वारा निर्गत पत्र दिनॉंकित 27.07.2015 के तहत 12 प्रतिशत ब्याज परिवादी को देय था। जब विपक्षी द्वारा ब्याज नहीं दिया गया तो परिवादी व्याज प्राप्त करने का अधिकारी है।
5. विपक्षी ने अपना उत्तर पत्र प्रस्तुत करते हुए परिवाद पत्र के कथनों को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए यह कहा कि एलाटमेंट परिवादी के नाम हुआ था तथा बोर्ड की 138वी बैठक दिनॉंक 13.08.2009 के विषय संख्या 26 में लिये गये निर्णय के अनुसार उक्त योजना को समाप्त घोषित कर दिया गया था और आवंटियों द्वारा जमा की गयी धनराशि 09 प्रतिशत ब्याज के साथ वापस कर दी गयी थी।
6. जैसा कि परिवादी का कथानक है कि दिनॉंक 27.07.2015 के विपक्षी के पत्र में 12 प्रतिशत ब्याज देने के बारे में कहा गया। परन्तु विपक्षी द्वारा 09 प्रतिशत ब्याज की दर से ही भुगतान किया गया है।विपक्षी द्वारा अपने पत्र दिनॉंक 22.08.2016 में स्पष्टीकरण दिया गया है कि पूर्व पत्र दिनॉंक 27.07.2015 में ब्याज की दर 09 प्रतिशत की जगह 12 प्रतिशत टंकण त्रुटि से अंकित हो गया था। वास्तविक रूप में वह 09 प्रतिशत ही है।
7. परिवादी द्वारा अपने कथानक के समर्थन में रजिस्ट्रेशन फार्म, रसीद की प्रतियॉं, प्रापर्टी एलाटमेंट लेटर आदि दाखिल किया है, तथा मौखिक साक्ष्य के रूप में शपथ पत्र दाखिल किया है। विपक्षी द्वारा साक्ष्य के रूप में शपथ पत्र, प्रापर्टी एलाटमेंट लेटर, आदि दाखिल किया गया है।
8. आयोग द्वारा उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्ता को सुना तथा पत्रावली पर प्रस्तुत साक्ष्यों सहित सम्यक परिशीलन किया।
9. प्रस्तुत प्रकरण में परिवादी द्वारा यह याचना की गयी है कि 12 प्रतिशत ब्याज की दर से भुगतान दिया जाए जबकि विपक्षीगण द्वारा 09 प्रतिशत ब्याज की दर से भुगतान किया गया। इस प्रकार यह तथ्य विवाद का विषय नहीं है कि परिवादी को भूमि आवंटित की गयी। यह भी तथ्य विवाद का विषय नहीं है कि इसके सापेक्ष में विपक्षी को पैसे दिये गये थे। यह भी तथ्य विवाद का विषय नहीं है कि आवंटित की गयी योजना निरस्त की गयी। यह भी तथ्य विवाद का विषय नहीं है कि 09 प्रतिशत ब्याज की दर से परिवादी को विपक्षी द्वारा परिवादी की जमा की गयी धनराशि का भुगतान किया गया। मात्र विचारणीय विषय यह है कि क्या 09 प्रतिशत धनराशि जिसे भुगतान किया गया है, की बजाए 12 प्रतिशत ब्याज देय था।
10. परिवादी के अधिवक्ता ने कार्यालय एल0डी0ए0 लखनऊ द्वारा प्रेषित पत्र संलग्नक 03 की ओर ध्यान आकर्षित कराया जिसमें यह उल्लेख किया गया है कि पूर्व में प्रेषित पत्र 27.07.2015 के संबंध में यह अवगत कराना है कृपया रिट याचिका संख्या 8487/एम0वी0/2009 श्री गौरव सहगल व अन्य बनाम उ0प्र0 राज्य व अन्य में मा0 उच्च न्यायालय द्वारा पारित निर्णय दिनॉंक 24.01.2012 के अनुपालन में उपाध्यक्ष महोदय के निर्णय दिनॉंक 25.02.2013 के क्रम में आपको आवंटित भूखण्ड संख्या डी 536 व्योम खण्ड गोमती नगर विस्तार के मद में जमा की गयी धनराशि रू0 ...............पर पूर्व में निर्गत चेक दिनॉंक..............तक 12 प्रतिशत साधारण ब्याज सहित आगणित कुल धनराशि रू0...............पर टी0डी0एस0 कटौती रू0............के उपरान्त धनराशि रू0 10,83,367.00 की चेक संख्या 083034 तथा .............दिनाँक 23.07.2015 आपको लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा दाखिल पुनरीक्षण याचिका संख्या 281/2012 के अधीन प्रेषित की जा रही है। पत्र दिनॉंकित 22.08.2016 में अंकित किया गया है-कृपया पूर्व में प्रेषित कार्यालय पत्र संख्या 966/डीएस (ए)/15 दिनॉंक 27.07.2017 के संबंध में अवगत कराना है कि उक्त पत्र में 09 प्रतिशत ब्याज के स्थान पर 12 प्रतिशत साधारण ब्याज त्रुटिवश अंकित हो गया था, जबकि 12 प्रतिशत न्यायालय में निहित वादों पर देय है। अत: आपके द्वारा जमा धनराशि रू0 6,40,000.00 पर 09 प्रतिशत ब्याज धनराशि दिनॉंक 31.05.2015 तक रू0 4,92,630.00 पर 10 प्रतिशत टी0डी0एस0 कटौती रू0 49263.00 के उपरान्त शुद्ध देय धनराशि रू0 10,83,367.00 चेक संख्या 083034 दिनॉंक 23.07.2015 आपको प्राप्त करायी गयी थी। कृपया उपरोक्तानुसार अवगत होने का कष्ट करें। अत: मेरे विचार से 12 प्रतिशत ब्याज का भुगतान न्यायालय में लम्बित प्रकरणों में ही देय है और जहॉं तक त्रुटि का प्रश्न है टंकण त्रुटि से अंकित हो गया है। परन्तु कहीं भी विपक्षी द्वारा नहीं कहा गया कि 12 प्रतिशत ब्याज वह नहीं देगा।
11. आदेश पत्र के परिशीलन से विदित होता है कि दिनॉंक 14.02.2016 को यह परिवाद दाखिल किया गया है, जबकि यह विपक्षी का पत्र दिनॉंक 22.08.2016 का है। यह पत्र बाद में दिया गया है, जबकि परिवादी द्वारा परिवाद पत्र में यह उल्लिखित किया गया है कि दिनॉंक 23.07.2015 को उक्त पैसा दिया गया है। सूचित 09 प्रतिशत ब्याज के संबंध में किया गया है।
12. यह तथ्य विवाद का विषय नहीं है कि परिवादी को एल0डी0ए0 द्वारा 09 प्रतिशत ब्याज की धनराशि प्राप्त है। यह तथ्य विवाद का विषय है कि परिवादी को विपक्षी द्वारा 12 प्रतिशत ब्याज दिये जाने के संबंध में पत्र प्रेषित किया गया था, परन्तु उनके द्वारा 09 प्रतिशत का ही भुगतान दिया गया है। विपक्षी संख्या 01 एक राजकीय संस्था है और परिवादी द्वारा दाखिल कागजात जिसमें उनको यह सूचित किया गया था कि 12 प्रतिशत ब्याज की धनराशि देय होगी वह एक प्रिन्टेड प्रोफार्मा है। प्रिन्टेड प्रोफार्मा पर हस्ताक्षर करके भेज दिया गया जिसमें 12 प्रतिशत ब्याज दिखाया गया है। जब कभी प्रिन्टेड प्रोफार्मा में कोई चीज लिखी रहती है तो उसे पहले बारीकी से विचारण करना चाहिए। लिपिकीय त्रुटिवश प्रोफार्मा भेज दिया गया है। भुगतान प्राप्त करने के बाद परिवादी ने आर0टी0आई0 वर्ष 2016 में मॉंगी थी और एल0डी0ए0 द्वारा यह अवगत कराया गया कि 12 प्रतिशत की धनराशि का ब्याज उन लोगों को दिलाया जाता है जिनका कोई मुकदमा लम्बित है। यह विचारणीय तथ्य है जिस वक्त धनराशि परिवादी को दी गयी थी उस वक्त कोई मुकदमा लम्बित नहीं था।
13. अत: यह स्पष्ट है कि 12 प्रतिशत का ब्याज लम्बित मुकदमों में देय है अत: वह सरसरी प्रक्रिया में 12 प्रतिशत ब्याज भुगतान का तस्करा किया गया है, और जो राज्य सरकार की संस्था है उस संस्था में ब्याज का निस्तारण विधि के अनुरूप एवं माननीय न्यायालय के निर्णय के प्रकाश में ही किया जा सकता है, और सरकारी संस्था किसी के साथ कोई भेदभाव भी नहीं कर सकती।
14. जब किसी संविदा में ब्याज की दर अंकित नहीं रहती है तो ब्याज क्या देय होगा वह कम्पनी एक्ट के तहत निर्धारित किया जाता है। कम्पनी एक्ट में ऐसी स्थिति में 06 प्रतिशत साधारण ब्याज की दर देय होना दर्शाया है। लेकिन समय के परिवर्तन के सापेक्ष में 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज माननीय सर्वोच्च न्यायालय दृष्टान्तों के तहत किया गया है। चॅूंकि जिस तारीख में विपक्षी द्वारा परिवादी को भुगतान किया गया उस तिथि में परिवाद लम्बित नहीं था। इस प्रकार सेवा में कोई त्रुटि नहीं की गयी है, और परिवादी 12 प्रतिशत की दर से ब्याज की अतिरिक्त धनराशि पाने की अधिकारी नहीं है।
आदेश
परिवादी का परिवाद खारिज किया जाता है।
निर्णय/आदेश की प्रति उभयपक्ष को नियमानुसार प्राप्त करायी जाए।
(कुमार राघवेन्द्र सिंह) (सोनिया सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
आज यह आदेश/निर्णय हस्ताक्षरित कर खुले आयोग में उदघोषित किया गया।
(कुमार राघवेन्द्र सिंह) (सोनिया सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।