जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, प्रथम, लखनऊ
परिवाद संख्या:-256/2017
उपस्थित:-श्री अरविन्द कुमार, अध्यक्ष।
श्रीमती स्नेह त्रिपाठी, सदस्य।
परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख:-28/07/2017
परिवाद के निर्णय की तारीख:-11/03/2020
1-श्रीमती अन्जू रस्तोगी, आयु लगभग 39 वर्ष, पत्नी श्री राजेश कुमार रस्तोगी।
2-राजेश कुमार रस्तोगी, आयु लगभग 42 वर्ष, पुत्र श्री रूप किशोर रस्तोगी, निवासीगण-441/आर एन/217, रस्तोगी नगर, चौक, थाना-ठाकुरगंज, जिला-लखनऊ। ................परिवादीगण।
बनाम
1-लखनऊ विकास प्राधिकरण, लखनऊ, विपिन खण्ड गोमती नगर, लखनऊ द्वारा सचिव।
2-एक्सिस बैंक, लि0, असेस्ट सेल्स सेन्टर, द्वितीय तल, उ0प्र0 कोआपरेटिव बैंक बिल्डिंग, 2 एम0जी0 मार्ग, लखनऊ, पंजीकृत कार्यालय “त्रिशूल” तृतीय तल, अपोजिट समर्धेश्वर मंदिर, निकट लॉ गार्डेन, एलिशा ब्रिज, अहमदाबाद-38006 द्वारा शाखा प्रबन्धक।
................विपक्षीगण।
आदेश द्वारा-श्री अरविन्द कुमार, अध्यक्ष।
निर्णय
परिवादीगण ने प्रस्तुत परिवाद विपक्षीगण को दस्तावेज सहित तलब कर निरीक्षण व परीक्षण पश्चात् विपक्षी संख्या-01 को उचित आदेश/निर्देश एवं विपक्षी संख्या-02 को स्वीकृत ऋण मुबलिग-2,18,900.00 (दो लाख अट्ठारह हजार नौ सौ रूपया मात्र) मय ब्याज, विपक्षी संख्या-01 द्वारा नो डयूज/अनापत्ति प्रमाण पत्र देने का आदेश पारित करने, शारीरिक, मानसिक एवं आर्थिक प्रताड़ना के साथ अपमान सहना पड़ा उसके एवज में 2,00,000.00 (दो लाख रूपया मात्र) एवं वाद व्यय के लिये 35,000.00 (पैतिस हजार रूपया मात्र) दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्तुत किया है।
संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि परिवादीगण ने समाजवादी लोहिया एन्क्लेव देवपुर पारा, लखनऊ नाम की उ0प्र0 सरकार द्वरा लखनऊ विकास प्राधिकरण, लखनऊ के माध्यम से आवासीय योजना 2015 में लॉच की गयी, जिसके अन्तर्गत परिवादीगण ने दिनॉंक-11/03/2015 को आवेदन पत्र चालान संख्या 12224 के माध्यम से 39800.00 रूपये जमा कर ई0डब्लू0एस0 में ओ0बी0सी0 कोटे के तहत पंजीकृत कराया, जो कि लाटरी पद्धति से परिवादीगण को सम्पत्ति आई0डी0 सन्दर्भित संख्या-3193998 आवंटित हुई, जिसकी ई0एम0आई0 रू0-3208.00 निरन्तर जा रही है, जिसे एल0डी0ए0 ऑन लाइन पोर्टल से चेक किया जा सकता है। परिवादीगण ने सम्पत्ति आई0डी0 संख्या-3193998 के विरूद्ध एल0डी0ए0 को पूर्ण भुगतान हेतु एक्सिस बैंक के आवेदन पत्र संख्या-6102509632 से गृह ऋण हेतु रूपया 3,00,000.00 (तीन लाख रूपया मात्र) का आवेदन किया तो विपक्षी संख्या-02 द्वारा लोन देने हेतु सेवा शुल्क/प्रोसेसिंग फीस की लिये 5750.00 रूपये, 115.00 रूपये व 150.00 रूपये की मॉंग की गयी, जिस हेतु चेक सं0 000005, रू0 5750.00 व चेक सं0-000006 रू0-115.00 बैंक ऑफ बड़ौदा, ठाकुरगंज लखनऊ जारी की तथा नगद रूपया 150.00 मो0 साद मोबाइल नं0-09452348786, 09305697979 व हैदर मोबाइल नम्बर-09026242735/790503832/7905044019 प्रतिनिधि एक्सिस बैंक को घर आने पर दिये। परिणाम स्वरूप गृह ऋण दि0-20/02/2017 को 2,18,900.00 (दो लाख अट्ठारह हजार नौ सौ रूपया मात्र) मंजूर हुआ। जिसका मैसेज मेरे मोबाइल पर प्राप्त हुआ निवेदन (एप्लीकेशन) आई0डी0 5921617 दिनॉंकित-16-20/02/2017 के साथ। परन्तु अभी तक हमें नहीं दिया गया, क्योंकि बैंक कहती है मार्जिन मनी जमा करके आओ तब गृह ऋण आपको दिया जायेगा। परिवादीगण द्वारा दिनॉंक-03/03/2017 को विपक्षी संख्या-02 ने विपक्षी संख्या-01 को पत्र लिखा जिसे विपक्षी संख्या-01 के कार्यालय में दि0-08/03/2017 को प्राप्त कराया। विपक्षी संख्या-01 द्वारा परिवादीगण से उक्त संबंध में पत्र मॉंगा गया जिस कारण दिनॉंक-21/03/2017 को विपक्षी संख्या-01 के कार्यालय में दि0-22/03/2017 को प्राप्त कराया गया। परिवादीगण लखनऊ विकास प्राधिकरण विपक्षी संख्या-01 की तानाशाहीपूर्ण कार्यशैली व विपक्षी संख्या-02 बैंक का मनमाना अडि़यल रवैये से क्षुब्ध होकर माननीय न्यायालय की शरण में आये हैं।
विपक्षी संख्या-01 ने उत्तर पत्र प्रस्तुत करते हुए कथन किया कि परिवादी ने समाजवादी लोहिया इन्क्लेव, देवपुर पारा लखनऊ नामक आवासीय योजना के अन्तर्गत दिनॉंक-30/03/2015 को पंजीकरण धनराशि 39800.00 रूपये जमा करते हुए ई0 डब्लू0 एस0 आवासीय फ्लैट हेतु अपना पंजीकरण कराया था, तथा आवंटन हेतु संपन्न हुई लाटरी दिनॉंक-24/06/2016 में परिवादी को एस0डब्लू0आई0/114/बी-9, जिसका अनुमानित क्षेत्रफल 30 वर्गमीटर है, तथा कम्प्यूटर आई0डी0 नम्बर-3193998 है, किराया पद्धति के अन्तर्गत आवंटित हुआ था, जिसका अनुमानित मूल्य 3,98,000.00 रूपये है जो निर्माण होकर विकास कार्य पूर्ण हो जाने पर लीज प्लान आ जाने के बाद घट-बढ़ सकता है। आवंटन पत्र के अनुसार परिवादिनी को दिनॉंक-31/07/2016 तक 56,700.00 रूपये जमा करना था तथा शेष धनराशि 2,98,500.00 रूपया की अदायगी ब्जया सहित 3,208.00 रूपये मासिक किश्तों में दिनॉंक-01/08/2016 से प्रारम्भ होकर 180 किश्तों में मय ब्याज अदायगी की जानी है। ज्ञातव्य है कि प्रश्नगत सम्पत्ति दिनॉंक-24/06/2016 को परिवादिनी को आवंटित की गयी थी, जिसे तत्काल परिवादिनी को आवंटन पत्र के माध्यम से सूचित भी कर दिया गया था, जिसके अनुसार परिवादिनी को दिनॉंक:-31/07/2016 तक 59,700.00 रूपये की धनराशि जमा करना आवश्यक था, शेष धनराशि 2,98,500.00 रूपये को 10% ब्याज सहित 180 समान मासिक किश्तों में जमा किया जाना था, किन्तु परिवादिनी ने प्रारम्भिक धनराशि को जमा नहीं किया हे और न तो जमा रसीद की कोई प्रति संबंधित कार्यालय में उपलब्ध करायी गयी है। आवंटन पत्र में स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि यदि वांछित धनराशि नियत तिथि पर जमा नहीं कर दी जाती है तो अतिरिक्त रूप से ब्याज देय होगा, तथा यदि फिर भी नियत तिथि से तीन महीने तक अतिरिक्त ब्याज सहित धनराशि अदा नहीं कर दी जाती है तो उपाध्यक्ष को आवंटन निरस्त करने का अधिकार होगा, जिसमें नियमानुसार कटौती के उपरान्त जमा धनराशि वापस कर दी जायेगी। आवंटन पत्र के अनुसार 15 प्रतिशत सर्विस टैक्स भी देय होगा अथवा बाद में जी0एस0टी0 इत्यादि जो भी देय हो उसे निर्धारित दर से देना होगा। परिवादिनी किसी अनुतोष को प्राप्त करने की अधिकारिणी नहीं है। परिवादिनी का परिवाद सव्यय निरस्त किये जाने योग्य है।
विपक्षी संख्या-02 ने अपना उत्तर पत्र दाखिल नहीं किया है, यद्यपि विपक्षी संख्या-02 इस वाद में उपस्थित हो चुके हैं।
परिवादिनी एवं विपक्षी संख्या-01 ने शपथ पर साक्ष्य दाखिल किया है।
अभिलेख अवलोकन से यह प्रतीत होता है कि परिवादिनी ने परिवाद पत्र के पैरा-01, 03, 04 में यह कहा है कि उसकी सम्पत्ति की आई डी संख्या-3193998 है। परन्तु परिवादिनी ने जो भी कागजात दाखिल किये हैं उसकी प्रापर्टी आई डी नम्बर-302167 है। इससे स्पष्ट है कि परिवादिनीगण ने वाद से संबंधित कोई भी साक्ष्य अभिलेख पर संलग्न नहीं किया है। पूरे परिवाद पत्र में सम्पत्ति का नम्बर भी अंकित नहीं है, जिससे परिवादिनी के कथन को बल मिले। ऐसी परिस्थिति में परिवादिनी का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं है।
आदेश
परिवादिनी का परिवाद खारिज किया जाता है।
(स्नेह त्रिपाठी) (अरविन्द कुमार)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, प्रथम,
लखनऊ।