Uttar Pradesh

StateCommission

CC/491/2017

Gorakh Nand Yadav - Complainant(s)

Versus

L.D.A. - Opp.Party(s)

Pushpila Bisht

13 Sep 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. CC/491/2017
( Date of Filing : 30 Nov 2017 )
 
1. Gorakh Nand Yadav
S/O Late Sri Ramdhari Yadav R/O 395-D Adarsh Nagr Basharatpur Gorakhpur
...........Complainant(s)
Versus
1. L.D.A.
Near INOX Shopping Mall Vipin Khand Gomti Nagar Lucknow Through Vice Chairman
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 13 Sep 2024
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

परिवाद संख्‍या-491/2017

(सुरक्षित)

गोरख नन्‍द यादव, पुत्र स्‍व0 श्री रामधारी यादव, निवासी- 395-डी, आदर्श नगर, बशारतपुर, गोरखपुर (यू0पी0)

                                 ........................परिवादी

बनाम

1. लखनऊ विकास प्राधिकरण, निकट आईनॉक्‍स शॉपिंग माल, विपिन खण्‍ड, गोमती नगर, लखनऊ, उत्‍तर प्रदेश 226010 द्वारा उपाध्‍यक्ष

2. उपाध्‍यक्ष, लखनऊ विकास प्राधिकरण, लखनऊ

3. सम्‍पत्ति अधिकारी, लखनऊ विकास प्राधिकरण, लखनऊ

                                .......................विपक्षीगण

समक्ष:-

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष।

परिवादी की ओर से उपस्थित : सुश्री पुष्पिला बिष्‍ट के कनिष्‍ठ                  

                          सहायक श्री तनय तिवारी,                    

                          विद्वान अधिवक्‍ता।

विपक्षीगण की ओर से उपस्थित : श्री एस0एन0 तिवारी,                    

                             विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक: 13.09.2024

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत परिवाद इस न्‍यायालय के सम्‍मुख परिवादी गोरख नन्‍द यादव द्वारा विपक्षीगण लखनऊ विकास प्राधिकरण व दो अन्‍य के विरूद्ध योजित किया गया है।

संक्षेप में परिवाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादी को दिनांक 05.03.2010 को गोमती नगर एक्सटेंशन में सुलभ आवास योजना में फ्लैट नं0 ए-23/12 आवंटित किया गया था और उसकी पत्‍नी को एक अलग फ्लैट आवंटित किया गया था। परिवादी द्वारा पूरी किश्तें समय पर जमा  की  गयीं  और  विक्रय  पत्र  के

 

 

-2-

निष्पादन के लिए आवश्यक स्टाम्प क्रय किए गए।

परिवादी द्वारा अपनी पत्‍नी श्रीमती प्रियंका यादव का नाम स्टाम्प में शामिल किया गया क्योंकि यह सरकारी आदेश के अनुसार एक अनिवार्य प्रक्रिया है, जिसकी सूचना विपक्षी प्राधिकरण के एक कर्मचारी ने दी थी। तदोपरान्‍त परिवादी को कारण बताओ नोटिस दिनांक 20.07.2017 जारी किया गया और परिवादी से जवाब मांगा गया कि फ्लैट नं0 ए-23/12 के पक्ष में जमा किया गया उसका पैसा क्यों न जब्‍त कर लिया जावे क्‍योंकि उसके द्वारा यह तथ्य छुपाने की प्रक्रिया की कि परिवादी और उसकी पत्‍नी दोनों ने सुलभ आवास योजना में आवेदन किया है और दोनों को एक-एक फ्लैट आवंटित किया गया है।

परिवादी का कथन है कि परिवादी की पत्‍नी को आवंटित फ्लैट एक अलग फ्लैट है और उसने अपने मायके परिवार के सदस्यों को समायोजित करने के लिए फ्लैट की पूरी राशि (स्‍त्रीधन) का भुगतान किया है।

उपरोक्त कारण बताओ नोटिस दिनांक 20.07.2017 का उत्तर दिनांक 02.08.2017 परिवादी द्वारा विपक्षी संख्‍या-3 के सम्‍मुख प्रस्‍तुत किया गया तथा कथन किया गया कि ब्रोशर में बताई गई शर्तें एक ही परिवार के दो लोगों को सुलभ आवास योजना में अलग-अलग आवेदन करने से नहीं रोकती हैं तथा परिवादी व उसकी पत्‍नी के पक्ष में एक-एक फ्लैट के आवंटन के बाद दोनों फ्लैट के आवंटन के लिए देय पूरी राशि अलग-अलग जमा कर दी गई है और परिवादी की पत्‍नी के पक्ष में विक्रय विलेख पत्र निष्पादित कर दिया गया है और परिवादी द्वारा आवश्‍यक राशि का स्‍टाम्‍प धनराशि 89500/-रू0 का भी क्रय कर लिया है, विक्रय विलेख पत्र का निष्पादन होना बाकी था तभी अचानक अनुचित रूप

 

 

-3-

से आवंटन रद्द कर दिया गया, अत: परिवादी द्वारा अनुरोध किया गया कि परिवादी को आवंटित फ्लैट उसकी पत्‍नी को आवंटित फ्लैट से स्वतंत्र एवं अलग माना जावे।

परिवादी द्वारा सचिव, लखनऊ विकास प्राधिकरण के समक्ष              पत्र दिनांक 13.10.2017 प्रस्‍तुत किया गया तथा अनुरोध किया गया कि खरीदे गए स्‍टाम्‍प पेपर की वैधता समाप्त हो रही है, इसलिए कम से कम उसकी पत्‍नी के पक्ष में प्लॉट की रजिस्ट्री की जाए, ताकि परिवादी को किसी भी वित्तीय नुकसान से बचाया जा सके।

परिवादी का कथन है कि ब्रोशर की शर्त के अनुसार सुलभ आवास योजना में आवेदन करते समय न तो परिवादी और न ही उसके परिवार के किसी अन्‍य सदस्य के पास कोई घर/जमीन/फ्लैट था, इसलिए ब्रोशर में उल्लिखित शर्तों का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है। विपक्षी संख्‍या-3 ने अत्‍यन्‍त अनुचित मनमाने तरीके से फ्लैट नं0 ए-23/12 का आवंटन रद्द करने के लिए दिनांक 16.10.2017 को एक पत्र जारी किया, जिसमें कहा गया कि चूंकि परिवादी द्वारा शपथ पत्र दिया गया है कि न तो उसके पास और न ही उसकी पत्‍नी या परिवार के अन्य सदस्य के पास कोई जमीन है, जबकि उसकी पत्‍नी के पास एक फ्लैट नं0 ए-5/14 आवंटित किया गया। इस प्रकार परिवादी द्वारा विकास प्राधिकरण के नियमों का उल्लंघन किया गया और आवंटन के समय गलत शपथ पत्र दिया गया।

परिवादी का कथन है कि ब्रोशर में इस बात पर रोक नहीं है कि एक ही परिवार के दो सदस्य उक्त योजना में आवेदन नहीं करेंगे/कर सकते और यदि दो सदस्य एक साथ आवेदन करते हैं और दोनों को फ्लैट आवंटित हो जाता है तो उस स्थिति में एक आवंटन रद्द कर दिया जाएगा। ऐसी किसी स्पष्ट शर्त के  अभाव  में

 

-4-

परिवादी का आवंटन रद्द करना विपक्षी विकास प्राधिकरण का बिल्कुल मनमाना और अनुचित कार्य है। आवंटन रद्द होने के कारण परिवादी द्वारा क्रय किए गए 89500/-रू0 मूल्य के स्टाम्प बेकार हो गए। परिवादी द्वारा सुलभ आवास योजना में आवेदन करते समय न तो गलत जानकारी दी गयी तथा न ही तथ्‍यों को छिपाया गया। परिवादी का आवंटन गलत आधार पर रद्द किया गया, जिसे उचित नहीं ठहराया जा सकता।

परिवादी का कथन है कि परिवादी द्वारा फ्लैट के लिए पूरी राशि समय पर जमा कर दी गयी और विपक्षी प्राधिकरण द्वारा सितम्‍बर, 2012 से उस राशि को अपने पास रखा गया तथा वर्ष 2017 में विपक्षी प्राधिकरण द्वारा मनमाने ढंग से अंतिम चरण में आवंटन रद्द किया गया, जो अनुचित और अनावश्यक व अवैधानिक है।

इस प्रकार विपक्षीगण के उपरोक्‍त कृत्‍य से क्षुब्‍ध होकर परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध इस न्‍यायालय के सम्‍मुख परिवाद योजित करते हुए निम्‍न अनुतोष प्रदान किए जाने की मांग की गयी:-

1- Issue an appropriate order or direction, thereby setting aside the order dated 16.10.2017, whereby allotment of the complainant has been cancelled.

2- Issue an appropriate order or direction to respondent no. 1 to 3 execute the sale deed of the Flat No. A-23/12 in favour of the complainant expeditiously.

3- Issue an appropriate order or direction to the respondent to pay sum of Rs. 5,00,000/- as compensation for mental agony and severe discomfort.

4- Issue an appropriate order or direction to the respondent to pay interest @ 18% per annum compounded quarterly, towards the allotment of the flat, the possession of which was due since September 2012.

 

-5-

5- Issue an appropriate order or direction to the respondent to pay compensation for the financial loss of the stamps worth Rs 89500/-

6- Issue an appropriate order or direction to the respondent to pay a sum of Rs. 3,00,000/- as compensation for the loss or injury suffered by the complainant due to the arbitrariness of the respondents.

7- Issue an appropriate order or direction to the respondent to pay adequate cost of filing and pursuing the complaint.

8- Issue an appropriate order or direction to the respondent which this court deem fit and proper in the circumstances of the case.

     विपक्षीगण की ओर से परिवाद पत्र के विरोध में लिखित कथन प्रस्‍तुत किया गया तथा मुख्‍य रूप से यह कथन किया गया कि परिवादी द्वारा ब्रोशर में दी गई शर्तों को गलत तरीके से पढ़ा एवं समझा गया है, जबकि ब्रोशर में स्‍पष्‍ट रूप से यह निषेधित है कि आवेदक के पास कोई अन्य भूखंड/घर नहीं होना चाहिए, तो यह भी निहित शर्त है कि पति, पत्‍नी को अलग-अलग आवेदन नहीं करना चाहिए क्योंकि शपथ पत्र का प्रोफार्मा आखिरी तक बाध्यकारी होगा, परिवादी द्वारा दिनांक 02.08.2017 (अनुलग्नक संख्या 07) के जवाब में दी गई व्याख्या पूरी तरह से गलत और मिथ्‍या है।

एल0डी0ए0 द्वारा श्रीमती प्रियंका यादव पत्‍नी गोरख नन्‍द यादव (परिवादी) के पक्ष में विक्रय विलेख के निष्पादन के लिए पहले ही दिनांक 16.10.2017 को पत्र जारी किया गया तथा ब्रोशर की शर्त के उल्‍लंघन के परिणामस्वरूप परिवादी का आवंटन रद्द कर दिया गया क्योंकि परिवार के किसी अन्य सदस्य के पास एल0डी0ए0/आवास विकास में कोई प्लॉट/मकान नहीं हो सकता है। एल0डी0ए0 की शर्तों के अनुसार परिवादी का आवंटन सही ढंग से खारिज/निरस्‍त किया गया है और एल0डी0ए0 द्वारा कुछ भी गलत नहीं किया गया है।

 

 

-6-

परिवादी का स्‍वयं के लिए और अपनी पत्‍नी के पक्ष में आवंटन के लिए आवेदन करने का जानबूझकर इरादा था तथा परिवादी द्वारा  एल0डी0ए0 अधिकारियों के समक्ष इस तथ्य का खुलासा नहीं किया गया। पति और पत्‍नी के पक्ष में अलग-अलग आवंटन होने के बावजूद एल0डी0ए0 को पहले इसकी जानकारी नहीं हो सकी, लेकिन जैसे ही यह तथ्य एल0डी0ए0 के संज्ञान में आया तो परिवादी को एक फ्लैट सरेंडर करने के लिए नोटिस दिया गया, परन्‍तु इस अपराध बोध/फ्लैट सरेंडर के बावजूद परिवादी एल0डी0ए0 अधिकारियों पर अपने पक्ष में विक्रय पत्र पंजीकृत करने के लिए दबाव डाल रहा था, अंततः एल0डी0ए0 परिवादी का आवंटन रद्द करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य था। परिवादी अपनी गलती के लिए एल0डी0ए0 अधिकारियों या अन्य को दोषी नहीं ठहरा सकता है।

परिवादी द्वारा जानबूझकर अपने नाम के साथ-साथ अपनी पत्‍नी के नाम पर भी आवंटन प्राप्त किया गया और राशि जमा की गयी, जिसके लिए एल0डी0ए0 जिम्मेदार नहीं है। जब यह बाध्यकारी था कि परिवार के किसी अन्य सदस्य के पास एल0डी0ए0/आवास विकास में कोई प्लॉट/फ्लैट नहीं होना चाहिए, तो यह बहुत स्पष्ट है कि पति और पत्‍नी के नाम पर दो आवंटन नहीं हो सकते हैं। परिवादी ने स्वयं और पत्‍नी के नाम पर दो आवंटन प्राप्त करके एल0डी0ए0 को धोखा दिया है।

परिवादी को फ्लैट सरेंडर करने और कानूनी रूप से अपनी जमा राशि प्राप्त करने के लिए पर्याप्त अवसर दिया गया था, परन्‍तु परिवादी इसके लिए तैयार नहीं था, इसलिए एल0डी0ए0 के पास फ्लैट नं0 ए- 23/12 सुलभ आवास योजना, गोमती नगर, लखनऊ का आवंटन रद्द करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं था।

 

 

-7-

परिवादी और उसकी पत्नी दोनों ने सुलभ आवास योजना में फ्लैट के लिए इस इरादे से आवेदन किया था कि लॉटरी में उनमें से किसी एक को सफलता मिल सकती है, परन्‍तु भाग्‍यवश दोनों ही दिनांक 05.03.2010 को लॉटरी में सफल हो गए और परिवादी व उसकी पत्‍नी के नाम क्रमश: फ्लैट नंबर ए-23/12 और ए 5/14 सुलभ आवास योजना, गोमती नगर विस्तार के संबंध में आवंटन पत्र भी जारी कर दिया गया। परिवादी और उसकी पत्‍नी प्रियंका यादव के नाम पर आवंटन प्राप्त करने के बाद आवश्यक राशि जमा कर दी गई थी और कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से एल0डी0ए0 को इस तथ्य का खुलासा नहीं किया गया था, उनके खिलाफ जांच चल रही है, लेकिन बाद में यह तथ्य जब एल0डी0ए0 अधिकारियों की जानकारी में आया कि पति और पत्‍नी दोनों अपने पक्ष में अलग-अलग फ्लैटों का विक्रय विलेख निष्पादित करने का प्रयास कर रहे हैं, जिसके बाद जांच की गई और उसके बाद रिटेनर श्री अनूप अ‍स्‍थाना अधिवक्‍ता की कानूनी राय ली गई। उसके बाद परिवादी को अपना आवंटन सरेंडर करने के लिए नोटिस जारी किया गया, लेकिन वह तैयार नहीं था इसलिए एल0डी0ए0 के उपाध्यक्ष ने अपने आदेश दिनांक 16.10.2017 द्वारा फ्लैट नंबर 23/12 सुलभ आवास योजना, गोमती नगर विस्तार, लखनऊ के संबंध में परिवादी का आवंटन रद्द कर दिया।

एल0डी0ए0 के अधिवक्‍ता द्वारा कथन किया कि फ्लैट का मूल्य 20 लाख से कम होने के कारण उपरोक्त शिकायत पर माननीय आयोग द्वारा निर्णय नहीं लिया जा सकता है। परिवादी माननीय आयोग के समक्ष साफ-सुथरे हाथों से नहीं आया है। परिवादी को एल0डी0ए0 के नियमों के अनुसार उसकी जमा की गई धनराशि वापस मिल सकती है।

उपरोक्त तथ्यों  एवं  परिस्थितियों  के  आधार  पर  परिवाद

 

 

 

 

-8-

निरस्‍त किये जाने योग्य है।

     परिवाद की अन्तिम सुनवाई की ति‍थि पर परिवादी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता सुश्री पुष्पिला बिष्‍ट के कनिष्‍ठ सहायक विद्वान अधिवक्‍ता श्री तनय तिवारी एवं विपक्षीगण की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता श्री एस0एन0 तिवारी को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का सम्‍यक परीक्षण व परिशीलन किया गया।

     परिवादी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा मुख्‍य रूप से विपक्षी प्राधिकरण द्वारा प्रस्‍तावित ‘सुलभ आवास योजना के अन्‍तर्गत फ्लैट हेतु प्रकाशित विवरण पुस्तिका को सन्‍दर्भित करते हुए यह कथन किया कि उपरोक्‍त विवरण पुस्तिका में ‘पंजीकरण हेतु पात्रता के विषय में निम्‍न तथ्‍य उल्लिखित किए गए हैं:-

  • आवेदक की उम्र 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
  • आवेदक को भारत का नागरिक होना चाहिए। अप्रवासी भारतीय भी आवेदन कर सकते हैं।
  • आवेदक अथवा उसके परिवार के किसी सदस्‍य के पास ल.वि.प्रा./आवास एवं विकास परिषद अथवा अन्‍य विभाग द्वारा लखनऊ में आबंटित कोई भी भवन/भूखण्‍ड/फ्लैट नहीं होना चाहिए।
  • फ्लैट्स के आबंटन हेतु केवल पति-पत्‍नी एवं वयस्‍क बच्‍चे ही संयुक्‍त रूप से आवेदन कर सकते हैं अन्‍य कोई संयुक्‍त आवेदन-पत्र स्‍वीकार न होगा।

     परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह बल दिया गया कि उपरोक्‍त विवरण पुस्तिका में उल्लिखित ‘पंजीकरण हेतु पात्रता के विषय में जो आवश्‍यकतायें अपेक्षित हैं अथवा थीं, उन आवश्‍यकताओं को पूर्ण करते हुए ही परिवादी द्वारा आवंटन हेतु प्रार्थना पत्र प्रस्‍तुत किया। यह भी कथन किया कि परिवादी द्वारा किसी प्रकार का कोई कन्‍सीलमेन्‍ट अथवा तथ्‍यों को  छिपाया  नहीं

 

 

 

 

-9-

गया। अतएव यह कथन किया कि विपक्षी प्राधिकरण द्वारा आवंटन निरस्‍तीकरण प्रक्रिया 06 वर्ष के पश्‍चात् प्रारम्‍भ किया जाना पूर्ण रूप से अवैधानिक है।

     परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा न्‍यायालय का ध्‍यान विशेष रूप से ‘पंजीकरण हेतु पात्रता के बिन्‍दु संख्‍या-3 की ओर आकर्षित किया, जो निम्‍नवत् है:-

  • आवेदक अथवा उसके परिवार के किसी सदस्‍य के पास ल.वि.प्रा./आवास एवं विकास परिषद अथवा अन्‍य विभाग द्वारा लखनऊ में आबंटित कोई भी भवन/भूखण्‍ड/फ्लैट नहीं होना चाहिए।  

     उपरोक्‍त के विरूद्ध विपक्षी प्राधिकरण के विद्वान अधिवक्‍ता   श्री एस0एन0 तिवारी द्वारा उपरोक्‍त ‘पंजीकरण हेतु पात्रता के बिन्‍दुओं पर बल देते हुए कथन किया कि वास्‍तव में विवरण  पुस्तिका में पंजीकरण हेतु जो पात्रता अपेक्षित अथवा उल्लिखित है, उसको दृष्टिगत रखते हुए एक परिवार के किसी भी सदस्‍य द्वारा अलग-अलग आवेदन प्रस्‍तावित आवास योजना हेतु नहीं किया जा सकता है। अतएव विपक्षी प्राधिकरण के विद्वान अधिवक्‍ता के अनुसार विपक्षी प्राधिकरण द्वारा की गयी आवंटन निरस्‍तीकरण कार्यवाही पूर्ण रूप से वैधानिक है।

     मेरे द्वारा विवरण पुस्तिका, जो संलग्‍नक-2 के रूप में प्रस्‍तुत परिवाद पत्रावली के साथ संलग्नित है, के प्रस्‍तर-1 पंजीकरण में उल्लिखित ‘पंजीकरण हेतु पात्रता के बिन्‍दुओं का परीक्षण किया गया तथा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण को विस्‍तार से सुनने  के पश्‍चात् प्रस्‍तुत परिवाद में यह तथ्‍य पाया गया कि वास्‍तव में जब परिवादी द्वारा प्रस्‍तावित ‘सुलभ आवासीय योजना में फ्लैट के पंजीकरण हेतु प्रार्थना पत्र प्रस्‍तुत किया, तब परिवादी अथवा                उसके परिवार के  किसी  भी  सदस्‍य  के  पास  लखनऊ  विकास

 

 

 

 

 

-10-

प्राधिकरण/आवास एवं विकास परिषद अथवा अन्‍य किसी विभाग द्वारा लखनऊ में आवंटित कोई भी भवन/भूखण्‍ड/फ्लैट नहीं उपलब्‍ध था। तदनुसार परिवादी द्वारा किसी प्रकार के तथ्‍य को छिपाया गया नहीं माना जा सकता, न ही परिवादी के द्वारा कोई तथ्‍य का कन्‍सीलमेन्‍ट किया गया।

     वास्‍तव में विवरण पुस्तिका प्रकाशित करते समय लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा जो पात्रता के बिन्‍दु उल्लिखित किए जाने चाहिए, उनमें स्‍पष्‍ट रूप से यह भी उल्लिखित किया जाना आवश्‍यक था कि एक परिवार के एक ही व्‍यक्ति द्वारा पंजीकरण हेतु आवेदन प्रार्थना पत्र प्रस्‍तुत किया जावेगा। परिवार के अन्‍य किसी भी सदस्‍य द्वारा दिए गए प्रार्थना पत्र पर किया गया आवंटन अवैधानिक होगा।

     तदोपरान्‍त परिवादी द्वारा विपक्षी प्राधिकरण के सम्‍मुख सभी किश्‍तों का भुगतान लगातार सुनिश्चित किया जाता रहा तथा किसी भी स्‍तर पर विपक्षी प्राधिकरण द्वारा किश्‍त प्राप्‍त करते समय परिवादी को इस तथ्‍य से अवगत नहीं कराया गया कि परिवादी द्वारा जो आवंटन प्राप्‍त किया गया है, वह अनुचित है। परिवादी को उपरोक्‍त आवंटित फ्लैट का कब्‍जा प्राप्‍त कराया जा चुका था तथा परिवादी द्वारा जब सेल डीड के लिए अपेक्षित स्‍टाम्‍प क्रय किए जाने के संबंध में विपक्षी प्राधिकरण से सम्‍पर्क किया गया तब विपक्षी प्राधिकरण द्वारा परिवादी के इस तथ्‍य को उल्लिखित किए जाने पर कि पंजीकरण विलेख पत्र में परिवादी व उसकी पत्‍नी दोनों का नाम उल्लिखित किया जाना है, परिवादी के विरूद्ध अनौचित्‍यपूर्ण कार्यवाही करते हुए अन्‍ततोगत्‍वा परिवादी के आवंटन का निरस्‍तीकरण आवंटन के साढ़े सात वर्ष की अवधि व्‍यतीत होने के पश्‍चात् किया गया।

     परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा परिवाद पत्र में इस तथ्‍य

 

 

 

 

 

-11-

को उल्लिखित किया गया कि उपरोक्‍त आवंटित फ्लैट के अलावा परिवादी के नाम लखनऊ विकास प्राधिकरण अथवा आवास एवं विकास परिषद से सम्‍बन्धित कोई सम्‍पत्ति नहीं है। परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा कथन किया गया कि जब परिवादी द्वारा 89,500/-रू0 का स्‍टाम्‍प क्रय किया गया उसके पश्‍चात् अपेक्षित विक्रय पंजीकरण विलेख पत्र सम्‍प‍ादित न कर उपरोक्‍त भारी धनराशि का भी अन्‍ततोगत्‍वा नुकसान परिवादी को हुआ क्‍योंकि उपरोक्‍त क्रय किए गए स्‍टाम्‍प बरबाद हो गए।

     विपक्षी प्राधिकरण की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता   श्री एस0एन0 तिवारी द्वारा अपने कथन के समर्थन में इस न्‍यायालय द्वारा एक अन्‍य अपील संख्‍या-338/2020 उपाध्‍यक्ष, लखनऊ विकास प्राधिकरण व अन्‍य बनाम श्रीमती मधुलता में पारित निर्णय दिनांक 06.09.2022 की प्रति प्रस्‍तुत की तथा यह कथन किया कि उपरोक्‍त निर्णय प्रस्‍तुत परिवाद में पूर्ण रूप से लागू होता है।

     उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍ता द्वय को विस्‍तार से सुना, पत्रावली का सम्‍यक परीक्षण व परिशीलन किया तथा यह पाया कि उपरोक्‍त तथ्‍य स्‍पष्‍ट रूप से ‘पंजीकरण हेतु पात्रता के बिन्‍दु  में समाहित नहीं हैं, अतएव परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का  कथन प्रस्‍तुत परिवाद के संबंध में अनुचित नहीं कहा जा सकता।

     यहॉं यह भी स्‍पष्‍ट किया जाना आवश्‍यक है कि परिवादी को विपक्षी प्राधिकरण द्वारा आवंटित फ्लैट का आवंटन वर्ष 2010 में किया गया था तब 07 – 08 वर्ष की अवधि व्‍यतीत होने के पश्‍चात् यकायक विपक्षी प्राधिकरण द्वारा आवंटन निरस्‍तीकरण की प्रक्रिया अनुचित पायी जाती है।

     विपक्षी प्राधिकरण के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा जिस न्‍याय निर्णय का सन्‍दर्भ किया गया, उसके तथ्‍य प्रस्‍तुत परिवाद से पूर्ण रूप से अलग हैं। अतएव उपरोक्‍त न्‍याय निर्णय प्रस्‍तुत परिवाद  में

 

 

 

 

-12-

लागू नहीं होता है।

     यहॉं यह भी उल्लिखित किया जाना आवश्‍यक है कि विपक्षी लखनऊ विकास प्राधिकरण के अनेकों अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा अनेकों फ्लैट/भूखण्‍ड अवैधानिक व अनियमित तरीके से अपने परिवारीजन व निकटस्‍थ सम्‍बन्धियों को प्राप्‍त कराए गए हैं, जिनसे सम्‍बन्धित अनेकों मूल पत्रावलियॉं प्राधिकरण से गायब हैं। अनेकों वाद इस सन्‍दर्भ में माननीय उच्‍च न्‍यायालय व राज्‍य आयोग/जिला आयोग में लम्बित हैं। प्रस्‍तुत परिवाद को अपवाद की श्रेणी में मानते हुए, साथ ही यह तथ्‍य मुख्‍य रूप से पाते हुए कि विपक्षी प्राधिकरण द्वारा स्‍वयं द्वारा प्रस्‍तावित सुलभ आवास योजना के ब्रोशर में इस प्रकार का कोई स्‍पष्‍ट उल्‍लेख नहीं किया गया था कि लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा प्रस्‍तावित योजना के अन्‍तर्गत आवंटन हेतु प्रार्थना पत्र प्रस्‍तुत करते समय आवेदक के किसी भी परिवारीजन द्वारा उपरोक्‍त प्रस्‍तावित योजना में आवंटन हेतु प्रार्थना पत्र प्रस्‍तुत नहीं किया जावेगा, साथ ही यदि आवेदक के किसी परिवारीजन के पास लखनऊ विकास प्राधिकरण अथवा आवास एवं विकास परिषद द्वारा किसी भी योजना के अन्‍तर्गत कोई भी भूखण्‍ड अथवा भवन पूर्व से है तब वह प्रस्‍तावित योजना में प्रार्थना पत्र देने हेतु अधिकारिक नहीं है।

     उपरोक्‍त समस्‍त तथ्‍यों को दृष्टिगत रखते हुए प्रस्‍तुत परिवाद स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।

आदेश

प्रस्‍तुत परिवाद स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी द्वारा स्‍टाम्‍प हेतु अपेक्षित धनराशि के विवरण हेतु प्राधिकरण के सम्‍मुख प्रार्थना पत्र इस निर्णय की तिथि से दो सप्‍ताह की अवधि में प्रस्‍तुत किए जाने पर परिवादी को समस्‍त विवरण उपलब्‍ध कराया जावेगा। तदोपरान्‍त परिवादी द्वारा स्‍टाम्‍प क्रय किए जाने की तिथि से दो  सप्‍ताह  की

 

 

 

 

-13-

अवधि में परिवादी को आवंटित फ्लैट नं0 ए-23/12 का पंजीकरण विक्रय विलेख पत्र परिवादी के पक्ष में प्राधिकरण द्वारा निष्‍पादित किया जावेगा।

परिवादी द्वारा पूर्व में क्रय किए गए स्‍टाम्‍प की अनुपयोगिता के कारण परिवादी को हुए आर्थिक नुकसान के विरूद्ध विपक्षीगण द्वारा परिवादी को 2,00,000/-रू0 (दो लाख रूपए) हर्जाना इस निर्णय की तिथि से एक माह की अवधि में अदा किया जावेगा।

इसके साथ ही विपक्षीगण द्वारा परिवादी को मानसिक व शारीरिक संताप के मद में 2,00,000/-रू0 (दो लाख रूपए) तथा वाद व्‍यय के मद में 25,000/-रू0 (पच्‍चीस हजार रूपए) इस निर्णय की तिथि से एक माह की अवधि में अदा किया जावेगा।

विपक्षीगण द्वारा परिवादी को उपरोक्‍त निर्धारित अवधि में  उपरोक्‍त समस्‍त धनराशि का भुगतान न किए जाने की स्थिति में उपरोक्‍त समस्‍त धनराशि पर परिवाद योजित किए जाने की तिथि से वास्‍तविक भुगतान की तिथि तक 10 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज भी देय होगा।

आशुलिपि‍क से अपेक्षा की जाती है कि‍ वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

 

     (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)

अध्‍यक्ष

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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