राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील सं0-254/2009
(जिला उपभोक्ता आयोग, गाजीपुर द्वारा परिवाद सं0-15/2008 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 20-01-2009 के विरूद्ध)
श्रीमती सुषमा राय पत्नी स्व0 विवेक कुमार राय निवासी मोहल्ला स्टीमर घाट, शहर गाजीपुर, जिला गाजीपुर।
...........अपीलार्थी/परिवादिनी।
बनाम
1- भारतीय जीवन बीमा निगम, शाखा गाजीपुर द्वारा शाखा प्रबन्धक गाजीपुर, जिला गाजीपुर।
2- मण्डल प्रबन्धक, भारतीय जीवन बीमा निगम, मण्डल कार्यालय जीवन प्रकाश गौरीगंज, वाराणसी।
3- क्षेत्रीय प्रबन्धक, भारतीय जीवन बीमा निगम, क्षेत्रीय कार्यालय 16/18, महात्मा गांधी मार्ग, कानपुर।
............ प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण।
समक्ष:-
1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. मा0 श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: कोई नहीं।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित: श्री वी0 एस0 बिसारिया विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक :- 01-05-2024.
मा0 श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह अपील, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा-15 के अन्तर्गत, जिला उपभोक्ता आयोग, गाजीपुर द्वारा परिवाद सं0-15/2008 श्रीमती सुषमा बनाम भारतीय जीवन बीमा निगम व अन्य में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 20-01-2009 के विरूद्ध योजित की गयी है।
अपीलार्थी/परिवादिनी के अधिवक्ता श्री सी0एल0 वर्मा की मृत्यु हो जाने पर इस आयोग के कार्यालय द्वारा अपीलार्थी/परिवादिनी को इस आशय की सूचना प्रेषित की गई कि वह इस न्यायालय के समक्ष स्वयं अथवा अपने नवीन अधिवक्ता के
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माध्यम से उपस्थित होकर अपना पक्ष रखना सुनिश्चित करे। इस सन्दर्भ में कार्यालय द्वारा अपनी टिप्पणी भी अंकित की गई है। नोटिस की प्रति अभिलेख पर उपलब्ध है, अत: नोटिस प्रेषित किए जाने की उपधारणा की जाती है, परन्तु चूँकि अपीलार्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है, इसलिए हमारे द्वारा केवल प्रत्यर्थीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री वी0एस0 बिसारिया को विस्तार से सुना गया तथा पत्रावली का परिशीलन किया गया।
परिवादिनी के पति स्व0 विवेक कुमार राय ने अपने जीवनकाल में प्रत्यर्थी भारतीय जीवन बीमा निगम से अंकन 03.00 लाख रू0 के लिए बीमा पालिसी, जोखिम तिथि 30-01-2005, प्राप्त की थी। दिनांक 18-06-2005 को अचानक तबियत खराब हो पर बीमाधारक को बी0एच0यू0 हास्पिटल में भर्ती कराया गया। वहॉं पर उसे पीलिया रोग से ग्रसित होना पाया गया। उपचार के बाद वहॉं से दिनांक 05-07-2005 को डिस्चार्ज किया गया। पुन: दिनांक 03-08-2005 को बीमाधारक बीमार हो गया और घर पर ही उसकी मृत्यु हो गई। बीमा क्लेम प्रस्तुत किया गया, परन्तु बीमा निगम द्वारा नकार दिया गया।
बीमा निगम का कथन है कि बीमाधारक बीमा लेने के पूर्व ही लीवर की पुरानी बीमारी से ग्रसित था, जो शराब के सेवन के कारण हुई थी। इसी कारण से उसकी मृत्यु हुई और इस तथ्य को छिपाते हुए बीमा पालिसी ली गई।
विद्वान जिला आयोग ने भी अपने निष्कर्ष में यह पाया कि बीमा पालिसी प्राप्त करने के पूर्व शराब का अत्यधिक सेवन करने के तथ्य को बीमाधारक ने छिपाया। शराब का अत्यधिक सेवन करने के कारण उसे लीवर सिरोसिस की बीमारी हो गई और इसी कारण उसकी मृत्यु हुई। पत्रावली पर उपलब्ध कागज सं0-19 व 21 से स्पष्ट है कि बीमाधारक ने बीमा निगम को धोखा देकर बीमा पालिसी प्राप्त की।
विद्वान जिला आयोग के इस निष्कर्ष को खण्डित करने के लिए अभिलेख पर कोई सामग्री उपलब्ध नहीं है, इसलिए प्रत्यर्थी बीमा निगम द्वारा बीमा क्लेम खारिज किया जाना भी उचित है। अत: ऐसी स्थिति में विद्वान जिला आयोग द्वारा परिवाद
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खारिज करने के आदेश में किसी प्रकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है और वर्तमान अपील तदनुसार निरस्त होने योग्य है।
आदेश
वर्तमान अपील निरस्त की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग, गाजीपुर द्वारा परिवाद सं0-15/2008 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 20-01-2009 की पुष्टि की जाती है।
अपील व्यय उभय पक्ष अपना-अपना स्वयं वहन करेंगे।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
दिनांक :- 01-05-2024.
प्रमोद कुमार,
वैय0सहा0ग्रेड-1,
कोर्ट नं.-2.